डॉ. रामविलास शर्मा (जन्म- 10 अक्टूबर, 1912, उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 30 मई, 2000, भारत) आधुनिक हिन्दी साहित्य में सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। डॉ. रामविलास शर्मा भारत के प्रथम 'व्यास सम्मान' विजेता थे। Show जीवन परिचय डॉ रामविलास शर्मा ने अपने उग्र और उत्तेजनापूर्ण निबन्धों से हिन्दी समीक्षा को एक गति प्रदान की है। इन्होंने सम्पूर्ण साहित्य नये और पुराने को मार्क्सवादी
दृष्टिकोण से देखने-परखने का प्रस्ताव बड़ी क्षमता के साथ किया है। शर्मा जी ने सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों समीक्षा-पद्धतियों से अपने विचारों को पुष्ट करने का यत्न किया है। 'समालोचक' नामक एक पत्र भी इनका प्रकाशित हुआ। उनका लेखन काफ़ी हद तक ऐसे पूर्वाग्रहों से मुक्त है। इन्होंने इतिहास को समझने की जो दृष्टि दी, वह अल्पसंख्यक, दलित और स्त्री के नजरिए से तो इतिहास को परखती ही है, साथ ही साम्राज्यवादी यूरो-केंद्रित इतिहास-दृष्टि का खंडन भी करती है। रामविलास जी इस बात पर आश्चर्य प्रकट करते हैं कि
पता नहीं कैसे लोग औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी दृष्टिकोण से लिखे गए इतिहास पर विश्वास करते हैं? इसके लिए वे अशिक्षा को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखते हैं, “अग्रेजी राज ने यहाँ शिक्षण व्यवस्था को मिटाया, हिंदुस्तानियों से एक रुपए ऐंठा तो उसमें से छदाम शिक्षा पर खर्च किया। उस पर भी अनेक इतिहासकार अंग्रेज़ों पर बलि-बलि जाते हैं।"[1] सुप्रसिद्ध आलोचक कृतियाँ रामविलास शर्मा जी की समीक्षा कृतियों में विशेष उल्लेखनीय हैं- रामविलास शर्मा जी वर्ष 1986-87 में हिन्दी अकादमी के प्रथम सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। इसके अतिरिक्त 1991 में इन्हें प्रथम व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया। Ram Vilas Sharma (10 October 1912 – 30 May 2000) was an eminent progressive literary critic, linguist, poet and thinker.He was born in Unchgaon Sani, Unnao District, Uttar Pradesh. He came into the limelight as a critic in 1939 with his scholarly paper on Suryakant Tripathi
'Nirala', presented at a session of Hindi Sahitya Sammelan. Ram Vilas Sharma was undisputedly among the most powerful noted poets of the progressive period. He started his career as a lecturer at Lucknow University, and then moved to Balwant Rajput College, Agra, as head of the English department.He retired finally as Director of KM
Hindi Institute, Agra.Basically a critic, he gave new dimension to biographical-historical criticism, and analysed linguistic and literary issues from a Marxist viewpoint. Among the Hindi writers those who impressed him most, besides Nirala the poet, are Acharya Shukla the critic, Bhartendu the pioneer and Premchand the novelist.He took them up for detailed study and wrote authentic literary criticism on them, though from the progressive angle.He analysed their personality and brought out their contribution to Hindi literature. According to him Bhartendu Harishchandra, Premchand and Nirala are
outstanding not only as litterateurs but also as men endowed with magnanimity of soul.[ List of works रामविलास शर्मा की मृत्यु कब और कहां हुई?डॉ॰ रामविलास शर्मा (१० अक्टूबर, १९१२- ३० मई, २०००) आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
रामविलास शर्मा के गांव का नाम क्या था?रामविलास शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के ऊँचगाँव-सानी गाँव में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. तथा पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
डॉ रामविलास शर्मा के रचना का क्या नाम है?आदि उनके प्रसिद्ध आलोचना ग्रंथ हैं। रूप तरंग तथा सदियो के सोये जाग उठे आदि उनकी कविता संग्रह हैं। चार दिन उनके लिखे उपन्यासों, अपनी धरती अपने लोग व घर की बात आत्मकथात्मक रचनाओं तथा आस्था और सौन्दर्य व विराम चिह्न उनके निबंध साहित्य के चुने हुए उदाहरण हैं।
अपनी धरती अपने लोग के लेखक कौन हैं?वृन्दावनलाल वर्मा : अपनी कहानी वृन्दावनलाल वर्मा की आत्मकथा है।
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