धातु और अधातु में अंतरहमने हमारे पर्यावरण में बहुत से पदार्थ ऐसे देखे होंगे जो चमकदार, कठोर तथा मजबूत होते हैं, जैसे कि लोहा, एल्युमीनियम। हमारे घरों में इनसे बनी अनेक चीजें दिख जाती हैं। हमने कुछ ऐसे भी पदार्थ देखे होंगे जो कि नरम, कमजोर और नाजुक होते हैं, जैसे कि शीशा आदि। आप इन वस्तुओं को इनके गुणों के आधार पर आसानी से विभेदित कर सकते हैं। Show आवर्त सारणी के सभी तत्वों को भी इन गुणों के आधार पर मुख्यतः दो वर्गों में विभेदित किया गया है-
निम्न गुणों के आधार पर धातु एवं अधातु में विभेदन किया जा सकता है।
धातु (Metals)आवर्त सारणी (periodic table) के अधिकांश तत्वों में धात्विक गुण पाये जाते हैं, जैसे- लोहा, सोना, सोडियम, कैल्सियम आदि। आवर्त सारणी में धातु तत्वों को मुख्य रूप से बॉयी तरफ और बीच में स्थान दिया गया है, अर्थात वर्ग IA IIA (क्षारीय धातु) वर्ग IB, VIIIBn(संक्रमण धातु) आदि मुख्य धात्विक तत्व हैं।
धातुओं के गुण (Properties of Metals)धातुओं के गुणों को दो वर्गों में बाँट कर देखा जा सकता है
धातुओं के भौतिक गुण (Physical properties of metals) 1. चमकदार सतह (Shining surface) 2. ठोस अवस्था (Solid state) अपवाद स्वरूप पारा (Murcury) कमरे के ताप में द्रव अवस्था में पाया जाने वाला धातु है। 3. उच्च गलनांक (High melting point) सभी धातुओं का गलनांक अत्यधिक होता है, अतः उन्हें ठोस से द्रव अवस्था में लाने के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है। 4. अत्यधिक घनत्व (High Density) सभी धातुओं का घनत्व अत्यधिक होता है, अर्थात उनके प्रति इकाई आयतन में परमाणुओं की मात्रा अत्यधिक होती है, तथा वायु का अवकाश कम होता है। 5. बड़ी परमाण्विक त्रिज्या (Large atmomic radius) अधातुओं की तुलना में धातुओं के परमाणुओं का आकार बड़ा होता है। 6. अभंगुरता - धातुओं में अभंगुरता का गुण होता है, जिसके कारण इनको पीटने पर ये टूटते नहीं बल्कि फैलने लगते हैं। एक ही स्थानीय तापमान पर, लकड़ी की किसी वस्तु की अपेक्षा लोहे की वस्तु को छूने पर लोहे की वस्तु अधिक ठंडी प्रतीत होती है- लोहा एक धातु है जो लकड़ी जो कि एक अधातु है की अपेक्षा ऊष्मा का अधिक अच्छा चालक होता है। अतः लोहे की वस्तु को छून पर स्पर्श-स्थल का ताप पिण्ड में संवाहित हो जाता है और शीतल-स्पर्श का अनुभव होता है। लकड़ी की वस्तु ताप का कुसंवाहक है, अतः इसके स्पर्श से इसका ताप शरीर में प्रवेश करने लगता है, जिससे शीतलता का अनुभव नहीं होता है। 24 कैरेट सोना कैरेट माप की इकाई है, जिसके द्वारा बहुमूल्य धातुओं और हीरों की तौल ली जाती है। सोना की विशुद्धता भी कैरेट में व्यक्त की जाती है। 24 कैरेट सोना विशुद्ध सोना माना जाता है, जिसमें किसी धातु की मिलावट नहीं रहती है। परन्तु यह मुलायम होता है कि आभूषण बनाने के कार्य में इसका उपयोग, किसी कठोर धातु के साथ मिश्र धातु बनाये बिना, नहीं किया जा सकता है। आभूषण बनाने के लिए सामान्यतः तांबे के साथ इसकी मिश्र-धातु तैयार की जाती है। 7. विद्युत के सुचालक (Conductor of Electricity) धातु विद्युत के सुचालक होते हैं, इसलिए इनसे विद्युत के तार एवं अन्य उपकरण बनाए जाते हैं। 8. ऊष्मा के सुचालक (Conductor of Heat) धातु ऊष्मा के भी सुचालक होते हैं, इसलिए विभिन्न प्रकार के बर्तन बनाने में इनका उपयोग किया जाता है। धातुओं के रासायनिक गुण (Chemical properties of metals) 1. निम्न आयनीकरण ऊर्जा (Low inonizing energy) : अधातुओं की तुलना में धातुओं की आयनीकरण ऊर्जा कम होती है, अतः इन्हें आसानी से आयनीकृत किया जा सकता है। 2. निम्न विद्युतऋणता (Low electronegativity) : अधातुओं की तुलना में इनकी विद्युतऋणता भी कम होती है, क्योंकि इनके संयोजी कोश के इलेक्ट्रोन आसानी से निकाले जा सकते हैं। 3. अधिकांश धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड प्रदान करते हैं। जंग लगने पर लोहे की छड़ का भार बढ़ जाता है : जंग लगना एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसमें लोहा आर्द्रता की उपस्थिति में ऑक्सीजन अवशोषित करता है और लौह ऑक्साइड के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जंग लगने पर लोहे के भार में उतनी ही वृद्धि होती है, जितना यह ऑक्सीजन अवशोषित करता है। अतः जंग लगा लोहा लौह-ऑक्साइड (लोहा+ऑक्सीजन) है, जिसका भार जंगरहित लोहे से निश्चय ही अधिक होगा। 4. धातुओं की ऑक्सीजन से क्रिया (Reactions with Oxygen) : लगभग सभी धातुएँ ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्साइड बनाती हैं। उदाहरण
5. धातुओं की जल से अभिक्रिया (Reactions with water) : धातुओं की जल से अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस और धातु ऑक्साइड उत्पन्न होता है। उदाहरण
6. धातुओं की अम्ल के साथ अभिक्रिया (Reactions with Acid) धातुएँ अम्ल से क्रिया करके लवण और हाइड्रोजन गैस का निर्माण करती हैं। उदाहरण
धातुओं की क्रियाशीलता का क्रम (Reactivity order of Metals) सभी धातुएँ उपयुक्त अभिक्रियाएँ करेंगी परंतु उनकी क्रियाशीलता कम या ज्यादा हो सकती है. क्रियाशीलता की यह कमी कई कारणों पर निर्भर करती है जैसे धातुओं की भिन्न-भिन्न आयनीकरण ऊर्जा, परमाणुओं का भिन्न-भिन्न आकार, संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की भिन्न-भिन्न संख्या, नाभिक से संयोजी कोश की दूरी आदि। इन तथ्यों के आधार पर धातुओं की क्रियाशीलता के आरोही क्रम को इस प्रकार दिखाया जा सकता है-
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि धातुओं में पोटैशियम सबसे अधिक क्रियाशील तथा सोना सबसे कम क्रियाशील धातु है। धातुओं के उपयोग (Uses of Metals)धातुओं के उपर्युक्त गुणों के कारण इनका उपयोग अनेक कार्यों के लिए किया जाता है। जैसे कल-कारखानों की अधिकतर मशीनें धातुओं से बनी होती है। सोने जैसे कुछ धातुओ की अभंगुरता एवं तन्यता का लाभ उठाकार इनके आभूषण बनाए जाते हैं। ताँबे के तार बनाए जाते हैं, जो विद्युत का सुचालक होने के साथ-साथ जल्दी टूटता भी नहीं है। ऊष्मा का कुचालक होने के कारण इनसे बर्तन बनाये जाते हैं। आदि। क्षारीय धातु (Alkali metals) क्षारीय धातुओं में अन्य धातुओं की तुलना में कुछ विशेष गुण होते हैं। आर्वत सारणी में इनका स्थान (There position in Periodic Table) : आवर्त सारणी में क्षारीय धातुओं को बॉयी तरफ अर्थात वर्ग IA में रखा गया है। क्षारीय धातुओं के उदाहरण (Examples of Alkali Metals)
क्षारीय धातओं के सामान्य गुण (Common Properties of Alkali Metals)
अधातु (Non Metals)आवर्त सारणी के कुछ तत्व अधातु हैं। इन्हें मुख्यतः आवर्त सारणी में दाहिने तरफ ऊपर की ओर स्थान (इनका p उपकक्षक आधा भरा होता है) मिला है।
अधातुओ के उदाहरण (Examples of Nonmetals)
अधातुओं के भौतिक गुण
अधातुओं के रासायनिक गुण (Chemical properties of Nonmetals) 1. अधातुओं की धातुओं से क्रिया : उच्च विद्युतऋणात्मकता वाले अधातु धातुओं का ऑक्सीकृत करके उनके ऑक्साइड बना देते हैं। उदाहरण
2. निम्न विद्युतऋणात्मकता वाले अधातु धातुओं के यौगिकों से क्रिया करके विच्छेदन (Reduction) कर देते हैं। उदाहरण
सारांश
रासायनिक गुण के आधार पर धातु और अधातु में क्या अंतर है?रासायनिक गुण के आधार पर
धातुएं इलेक्ट्रॉन त्याग कर धन आयन बनाती है, और अपचायक के रूप में कार्य करती है। अधातुएं इलेक्ट्रॉन त्याग कर ऋण आयन बनाती है। इसलिए ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करती है। धातुएं में क्लोराइड के साथ विद्युत संयोजी आबंध बनाती है।
धातु और अधातु गुणों में क्या अंतर है?जो तत्त्व विद्युत व ऊष्मा के सुचालक , आघातवर्धनीय , तन्य तथा विशेष चमक (धात्विक चमक) वाले होते हैं तथा धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं , धातु कहलाते हैं। जो तत्त्व विद्युत व ऊष्मा के कुचालक तथा भंगुर होते हैं तथा सामान्यत : ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं , अधातु कहलाते हैं ।
अधातु के रासायनिक गुण क्या है?अधातु के रासायनिक गुण :
उनके बाह्यतम शेल में प्रायः 4 से 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। तेजी से संयोजी इलेक्ट्रॉन प्राप्त करते हैं या साझेदारी करते हैं। ऑक्साइडों का निर्माण करते हैं जो अम्लीय होते हैं। उच्च विद्युत ट्टणात्मक होते हैं।
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