रतलाम कौन से जिले में आता है? - ratalaam kaun se jile mein aata hai?

ऊपर दिया हुआ रतलाम जिले का नक्शा राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़क, रेलवे, नदी, जिला मुख्यालय, जिला सीमा, प्रमुख शहरों और गांवों को दर्शाता है|

Disclaimer: All efforts have been made to make this image accurate. However Compare Infobase Limited and its directors do not own any responsibility for the correctness or authenticity of the same.

रतलाम जिला मध्यप्रदेश की पश्चिमी सीमा पर मालवा के पठार

रतलाम जिला मध्यप्रदेश की पश्चिमी सीमा पर मालवा के पठार पर स्थित है। जिले का क्षेत्रफल 48.61 वर्ग किलोमीटर है तथा 23.06 डिग्री एवं 24.25 डिग्री उत्तरी अक्षांश व 71.31 डिग्री तथा 73.42 डिग्री पूर्व देशांतर के मध्य फैला हुआ है। यह जिला माही तथा चंबल नदी के कछार में स्थित है। क्षिप्रा, पिंगला एवं मलेनी नदी चंबल की सहायक नदियां हैं। इसी प्रकार रत्तागढ़ नाला एवं जामड़, माही की मुख्य सहायक नदियां हैं। जिले में औसत वर्षा 830.60 मिली मीटर होती है। जिले की पश्चिमी सीमा राजस्थान के बांसवाड़ा जिले को स्पर्श करती है तथा पूर्व में उज्जैन, दक्षिण में धार-झाबुआ तथा उत्तर में मंदसौर व राजस्थान की सीमाएं हैं। सीमावर्ती जिला होने के कारण जिले की संस्कृति में राजस्थान, गुजरात तथा मालवा की लोक संस्कृति का संगम दिखाई देता है। यहां का औसत तापमान अधिकतम 45 डिग्री सेंटीग्रेट तथा न्यूनतम लगभग 5 डिग्री सेंटीग्रेट तक रहता है। जिले में छह विकासखंड हैं, जिनमें दो आदिवासी विकासखंड तथा चार विकासखंडों में सामान्य, अनुसूचित जाति एवं आदिवासियों की मिश्रित जनसंख्या निवास करती है।

रतलाम जिला विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक विविधताओं से परिपूर्ण है। राजस्थान से सटा सीमावर्ती क्षेत्र का जायजा लें तो उस क्षेत्र में राजस्थानी लाल मिट्टïी और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाली वनस्पतियां पाई जाती हैं। इसी प्रकार जिले के शेष भाग में मालवा की प्रकृति के अनुरूप उपजाऊ मिट्टïी, नदियां, नाले तथा छोटी-बड़ी पहाडिय़ां मौजूद हैं। जिले में लगभग 16 प्रतिशत वन क्षेत्र है, किंतु सघन वनों का अभाव है। बाजना, सैलाना तथा रावटी क्षेत्र में आंशिक वनसम्पदा वाले विरल वन मौजूद हैं। जबकि आलोट, जावरा तथा रतलाम विकासखंड में वन भूमि पड़त भूमि के रूप में है। जिले के सैलाना विकासखंड में खरमोर पक्षी का अभयारण्य, तीन भागों में फैला हुआ है। इस प्रकार माही, चंबल तथा क्षिप्रा, मलेनी, जामड़ तथा पिंगला नदियों से जिले की कई एकड़ जमीनों की सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति होती है।

रतलाम जिले के उपलब्ध इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि रतलाम की स्थापना करीब 450 वर्ष पूर्व महाराज रतनसिंह ने की थी। प्राचीन काल में रतलाम का नाम रतनपुरी अथवा र|ललाम था, किंतु ऐतिहासिक आधारों पर इस मत की पुष्टिï होने के प्रमाण उपलब्ध नहीं है। जोधपुर, मारवाड़ के राठौर शासकों की मुगल सम्राटों से संधि के फलस्वरूप शाहजहां ने राठौर राजवंश के महेश दास को जालौर की जागीर दी थी। रतलाम के संस्थापक रतनसिंह भी महेश दास के वंशज थे।

रतनसिंह की मृत्यु के बाद उनके वंशजों ने रतलाम पर रियासत के मध्यभारत में विलय हो जाने तक राज्य किया। रतनसिंह के वंश के अंतिम उत्तराधिकारी के रूप में लोकेंद्रसिंह ने रतलाम के राजवंश की संपत्ति का उपभोग किया।

रतलाम (Ratlam) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मालवा क्षेत्र में स्थित एक नगर है। यह रतलाम ज़िले का मुख्यालय भी है।[2][3]

रतलाम शहर समुद्र सतह से १५७७ फीट कि ऊन्चाई पर स्थित है। रतलाम के पहले राजा महाराजा रतन सिंह थे। यह नगर सेव, सोना, सट्टा, मावा, साडी तथा समोसा, कचोरी, दाल बाटी के लिये प्रसिद्ध है। रतलाम की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रतलामी सेव हैं जिसका पुराना नाम भीलडी सेव था, सेव की खोज भील जनजाति ने करी थी।[4]

महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमशः रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रतलाम जागीर को रतन सिह को एक हाथी के खेल में, उनकी बहादुरी के उपलक्ष में प्रदान की थी। उसके बाद, जब शहजादा शुजा और औरंगजेब के मध्य उत्तराधिकारी की जों जंग शरू हुई थी, उसमे रतलाम के राजा रतन सिंह ने बादशाह शाहजहां का साथ दिया था। औरंगजेब के सत्ता पर असिन होने के बाद, जब अपने सभी विरोधियो को जागीर और सत्ता से बेदखल किया, उस समय, रतलाम के राजा रतन सिंह को भी हटा दिया था और उन्हें अपना अंतिम समय मंदसौर जिले के सीतामऊ में बिताना पड़ा था और उनकी मृत्यु भी सीतामऊ में भी हुई, जहाँ पर आज भी उनकी समाधी की छतरिया बनी हुई हैं। औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के क़ाज़ी और सरवनी जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया।

इसके आलावा रतलाम जिले का ग्राम सिमलावदा अपने ग्रामीण विकास के लिये पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हे। यहाँ के ग्रामीणों द्वारा जनभागीदारी से गांव में ही कई विकास कार्य किये गए हे। रतलाम से 30 किलोमीटर दूर बदनावर इंदौर रोड पर सिमलावदा से 4 किलोमीटर दूर कवलका माताजी का अति प्राचीन पांडवकालीन पहाड़ी पर स्थित मन्दिर हे। यहाँ पर दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और खासकर सन्तान प्राप्ति के लिए यहाँ पर मान लेते हे।

रतलाम जिला जून 1948 में बनाया गया था और जनवरी 1949 में इसे पुनर्गठित किया गया था। यह रतलाम, जोरा, सैलाना, पिपलोदा की पूर्व रियासत के क्षेत्र को कवर करता है। देवास सीनियर की रिंगनोद तहसील, देवास जूनियर की आलोट तहसील और ग्वालियर राज्य की मंदसौर तहसील के कुछ हिस्से, धार राज्य के कुछ गाँव और पंत पिपलोदा के मुख्य आयुक्त प्रांत हैं।

रतलाम मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है जो राज्य के उत्तर पश्चिम भाग “मालवा” क्षेत्र में स्थित है। रतलाम के न्यू टाउन की स्थापना कैप्टन बोरथविक ने 1829 में नियमित और चौड़ी सड़कों और अच्छी तरह से बने घरों के साथ की थी। रतलाम कभी मध्य भारत के पहले वाणिज्यिक शहरों में से एक था, जो अफीम, तंबाकू और नमक के व्यापक व्यापार का केंद्र था। यह मालवा में अपने सत्स नामक सौदागरों के लिए भी प्रसिद्ध था। 1872 में काहंदवा तक रेलवे लाइन खुलने से पहले, रतलाम से बेहतर कोई मार्ट नहीं था।

जिला मुख्यालय शहर, रतलाम के बाद जाना जाता है जो रतलाम की रियासत का मुख्यालय भी था।

रतलाम जिला कौन से राज्य में है?

रतलाम मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है जो राज्य के उत्तर पश्चिम भाग “मालवा” क्षेत्र में स्थित है।

रतलाम का पुराना नाम क्या है?

रतलाम को पहले 'रत्नपुरी' कहा जाता था, जिसका अर्थ है 'कीमती रत्नों का शहर'।

रतलाम का क्या फेमस है?

रतलाम जिले में एक समृद्ध ऐतिहासिक परंपरा है और जिले में ऐतिहासिक महत्व के कई स्थान हैं। रतलाम जिले में मुख्य आकर्षण बीबरोड तीर्थ (जैन मंदिर), कैक्टस गार्डन, खरमौर पक्षी अभयारण्य, श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ, धोलावाड़ बांध आदि हैं।

रतलाम की राजधानी क्या है?

रतलाम ज़िला.