परिचय Show यह कविता कवि के निजी अनुभवों पर आधारित है | सन्दर्भ :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है | प्रसंग :- ज़िंदगी में जो कुछ है, जो भी है व्याख्या इस काव्यांश में कवि अपने रहस्यमय प्रिय को संबोधित करता है,परन्तु स्पष्ट रूप से उसका नाम , लिंग आदि नहीं बताया गया है | अपने प्रिय का प्यार कवि को सब कुछ सहने की क्षमता भी प्रदान करता है
| प्रसंग :- जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है व्याख्या इस काव्यांश में कवि अपने ‘प्रिय’ से स्वयं के संबंधों की व्याख्या करता है | प्रसंग :- सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं भूलूँ मैं व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि प्रिय की आत्मियता एवं पूर्ण समर्पित कोमल भावनाओं से वह इतना विव्हल है की स्वयं को उसका उचित पात्र नहीं समझता | प्रसंग :- इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित व्याख्या प्रिय का प्रेम पूर्ण रूप से उसके ऊपर छाया हुआ | प्रिय के साथ का मनोरम उजाला ,सुखमय साथ अब कवि को सहा नहीं जा रहा | प्रसंग :- सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ व्याख्या इन
पंक्तियों में कवि कहना चाहता है की सचमुच मुझे दंड दिया जाए तथा आजतक कवि की ज़िन्दगी में जो भी कुछ था या है उसे कवि ने सहर्ष स्वीकार किया है | विशेष :- इस कविता की रचना आत्मकथात्मक शैली में हुई है | VIDEO WATCH
सहर्ष स्वीकारा है कविता के लेखक कौन हैं?सहर्ष स्वीकारा है / गजानन माधव मुक्तिबोध
कवि को क्या सहर्ष स्वीकार है?उत्तर (क) कवि को अपने जीवन की हर उपलब्धि व स्थिति इसलिए सहर्ष स्वीकार है क्योंकि यह सब कुछ उसकी माँ या प्रेयसी को प्रिय लगता है; क्योंकि उसे कवि की हर उपलब्धि पसंद है। (ख) कवि स्वाभिमानयुक्त गरीवी, जीवन के गंभीर अनुभव, वैचारिक चिंतन, व्यक्तित्व की दृढ़ता और अंत:करण की भावनाओं को मौलिक मानता है।
सहर्ष स्वीकारा है के कवि के दिल में क्या बहता है?जो-जो बातें उसके प्रिय को पसंद हैं, उन्हें कवि सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि के पास अपनी गर्वीली गरीबी है, जीवन के गहरे अनुभव हैं, प्रौढ़ विचार हैं, भावनाओं का बहता प्रवाह है, प्रेयसी का प्यार है। वह इन सबको सहर्ष स्वीकार कर लेता है।
सहर्ष स्वीकारा है कविता किसको व क्यों?'सहर्ष स्वीकारा है' कविता किसको व क्यों स्वीकारने की प्रेरणा देती है? मुक्तिबोध की यह कविता अपनी सुख-दु:ख की अनुभूतियों, गरबीली गरीबी प्रौढ़ विचार, व्यक्तिगत दृढ़ता, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव, प्रेमिका का प्रेम व नूतन भावनाओं के वैभव को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। इससे व्यक्ति का जीवन सहज होता है।
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