सृजनात्मकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन कौन है? - srjanaatmakata ko prabhaavit karane vaale vibhinn kaarak kaun kaun hai?

सृजनात्मकता का अर्थ और परिभाषा,Meaning and definition of creativity in hindi :सृजनात्मकता जिसे हम creativity के नाम से भी जानते है। hindivaani आज सृजनात्मकता के बारे में विस्तृत वर्णन करेगा।

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  • सृजनात्मकता का अर्थ और परिभाषा,Meaning and definition of creativity in hindi
  • सृजनात्मकता का अर्थ और परिभाषा,Meaning and definition of creativity in hindi
  • सृजनात्मकता की परिभाषाएं (Definition of creativity)
  • सृजनात्मकता के सिद्धांत ( theories of creativity)
    • मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत(psychoanalytic theory)
    • साहचर्यवाद –
    • पूर्णाकार या अन्तदृष्टिवाद –
    • अस्तित्ववाद(existentialism)
    • अन्तर्व्यक्तिकवाद(interpersonalism) –
    • संकुलवाद (Trait theaory) –
  • सृजनात्मकता के परीक्षण
    • इसे भी पढ़े – uptet study material free pdf notes
  • सृजनत्मकता के तत्व (elements of creativity)
      • तात्कालिक स्थिति से परे जाने की योग्यता
      • सामंजस्य
      • अन्यो के विचारों में परिवर्तन
  • सृजनत्मकता को प्रभावित करने वाले कारक
  • सृजनत्मकता को पोषित करने हेतु सुझाव
    • इसे भी पढ़े – uptet study material free pdf notes

सृजनात्मकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन कौन है? - srjanaatmakata ko prabhaavit karane vaale vibhinn kaarak kaun kaun hai?
सृजनात्मकता का अर्थ और परिभाषा

सृजनात्मकता का अर्थ और परिभाषा,Meaning and definition of creativity in hindi

सृजनात्मकता शब्द अंग्रेजी के क्रिएटिविटी शब्द का हिंदी रूपांतरण है।इस शब्द के समानांतर विधायकता तथा उत्पादन रचनात्मकता ,डिस्कवरी आदि का प्रयोग किया जाता है।सृजन वह अवधारणा है जिसमें उपलब्ध साधनों से नवीन या अनजाने वस्तु विचार या धारणा को जन्म दिया जाता है। सृजनत्मकता से अभिप्राय रचना संबंधी योग्यता नवीन उत्पाद की रचना से है।

सृजनात्मकता की परिभाषाएं (Definition of creativity)

सृजनत्मकता की निम्नलिखित परिभाषाएं हैं।

रूश के अनुसार

“सृजनात्मकता मौलिकता है।जो वास्तव में किसी भी प्रकार की क्रिया में घटित होती है।”

रॉबर्ट फ्रास्ट के अनुसार

“मौलिकता क्या है ? यह मुक्त साहचर्य है जब कविता की पंक्तियां या उसके विचार आपको उद्वेलित करते हैं साधारणीकरण के लिए बाध्य करते हैं।या दो वस्तुओ का संबंध होता हैं, परंतु साहचर्य को देखने की कामना आप नहीं करते हैं आप तो उसका आनंद उठाते हैं।”

मेदनिक के अनुसार

“सृजनात्मकता चिंतन में साहचर्य के तत्वों का मिश्रण रहता है। जो विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संयोग सील होते हैं या किसी अन्य रूप में लाभदायक होते हैं7।नवीन सहयोग के विचार जितने कम होते हैं,सृजनात्मकता की संभावना उतनी ही अधिक होगी।”

स्टेन के अनुसार

“जब किसी कार्य का परिणाम नवीन हो।जो किसी समय में समूह द्वारा उपयोगी मानने हो ,वह कर सृजनत्मकता कहलाता है।”

सी वी गुड़ के अनुसार सृजनात्मकता की परिभाषा

“सृजनत्मकता एक विचार है।जो किसी समूह में विस्तृत सातत्य का निर्माण करता है। सृजनात्मकता के कारक हैं। साहचर्य आदर्शत्मक, मौलिकता अनुकूलता सातत्य लोच तथा तार्किक विकास की योग्यता।”

क्रो एंड क्रो के अनुसार सृजनात्मकता की परिभाषा

“सृजनत्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।”

जेम्स ड्रेवर के अनुसार सृजनत्मकता की परिभाषा

“सृजनत्मकता मुख्यतः नवीन रचना उत्पाद में होती है।”

कोल एंड ब्रूस के अनुसार सृजनात्मकता की परिभाषा

” सृजनात्मकता एक मौलिक उत्पादन के रूप में मानव मन की ग्रहण करक अभिव्यक्त करने और गुणांकन करने की योग्यता एवं क्रिया है।”

सृजनात्मकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन कौन है? - srjanaatmakata ko prabhaavit karane vaale vibhinn kaarak kaun kaun hai?

सृजनात्मकता के सिद्धांत ( theories of creativity)

सृजनात्मकता के निम्नलिखित सिद्धांत है।

मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत(psychoanalytic theory)

फ्रायड ने कलात्मक सृजनात्मकता में मनोविश्लेषणात्मक व्यवस्था प्रस्तुत की शायद नहीं लियोनार्डो द विंसी कवि तथा अन्य लेखकों का अध्ययन किया।तथा उदात्तीकरण की अवधारणा का विकास किया शायद मान्यता है। कि जीवन की कठिनाइयों के साथ अनुकूलितकरण के लिए तीन बातें आवश्यक होती हैं।

  • रुचि का सशक्त विचलन जो कपट की चिंता कम करें।
  • परितुष्टि हेतु प्रतिस्थापितकरण।
  • उत्तेजनात्मक उपादान सृजनात्मकता स्थापनन्तता में देखी गई है।

साहचर्यवाद –

सृजनात्मकता को साहचर्य के साथ जोड़ने का कार्य पहले पहल रिबोट ने किया था।उसका विचार यह था कि साहचर्य वह क्रिया है।जिसके द्वारा मानसिक स्थिति इस प्रकार जुड़ जाती है।जिससे वह जागृत होती है साहचर्य वाद चिंतन की योग्यता तथा उत्पादकता के सहयोग द्वारा उपयोगों पर विचार करता है ।सृजनात्मकता इन सहयोगो का पुनर्गठन है।

पूर्णाकार या अन्तदृष्टिवाद –

वर्दीमर ने सृजनात्मक चिंतन तथा समस्या समाधान, उत्पादक चिंतन ,पारस्परिक तर्क और साहचर्य मत के लिए दोनों अभिगमनो पर विचार किया।तथा उसकी आलोचना की उनका यह कहना था।कि मनोविश्लेषणात्मकता तथा साहचर्य वाद दोनों ही घटना के साथ न्याय नहीं कर सकते। इसीलिए उसने पूर्ण आकार या अंतर्दृष्टि के मत को अवरोध की अभिवृद्धि करने, दोबारा प्रश्न करने एवं चिंतन की प्रक्रिया की खोज करने हेतु प्रस्तावित किया है।

अस्तित्ववाद(existentialism)

अस्तित्ववाद वैचारिक रूप से पूर्ण आकार या अंतर्दृष्टि अधिक निकट है ।अस्तित्ववाद संपूर्ण को अंशों में विभक्त नहीं करता।अस्तित्ववाद मिलन में विश्वास करता है। सृजनात्मकता को किसी नवीन वस्तु के जन्म को मिलन अथवा संघर्ष की प्रक्रिया द्वारा जाना जाता है।

अन्तर्व्यक्तिकवाद(interpersonalism) –

यह वाद सृजनात्मकता के लिए सर्जन या आविष्कारक या अन्य व्यक्ति के लिए सर्जन की स्वीकृति के संदर्भ में अध्ययन करता है।इस दिशा में ऐडलर व्यक्ति की सृजनात्मकता शक्ति शब्द गढ़ा।परंतु लिंडजे सृजनात्मक स्व शब्द इस हेतु इस्तेमाल किया।इस वाद वाले व्यक्ति को उसके सामाजिक परिवेश में देखते हैं।व्यक्ति – व्यक्ति, व्यक्ति तथा वस्तु ,समाज ,सतत समाज के मध्य के संबंधों में संपूर्ण व्यक्तित्व निहित होता है। सृजनात्मकता स्वयं में कार्य है।मोरेनो ने सांस्कृतिक तत्वों को सर्जनात्मक से उतपन्न माना है।यह सांस्कृतिक विरासत का निर्वाह करने में सक्षम होते हैं।

संकुलवाद (Trait theaory) –

यह बात मनोविश्लेषण , साहचर्य अस्तित्ववाद तथा अंतर वैयक्तिक वाद से भिन्न है। संकल व्यक्ति की विशेषताएं होती हैं। एवं इन्हें व्यक्तिगत विभिन्नता द्वारा समझा जा सकता है। इसके माध्यम से ही एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भी ने माना जाता है।

गिलफोर्ड ने सृजनात्मकता के संदर्भ में कुछ बताई हैं जो कि निम्न हैं

  • समस्या के प्रति सामान्य संवेदना।
  • चिंतन की सत्यत्ता, साहचर्य सातत्य ,अभिव्यक्ति सातत्य, वैचारिकी सातत्य, चिंतन में लोच चित्र तथा विचार ,चित्र ग्रहण ,अनुकूलन मौलिकता एवं वैचारिक विस्तार हो।

सृजनात्मकता के परीक्षण

सृजनात्मकता की पहचान के लिए गिल्फोर्ड ने अनेक परीक्षणों का निर्माण किया है।यह परीक्षण निरंतरता, लोचन नीयता,मौलिकता तथा विस्तार का मापन करते हैं।

सृजनात्मकता के परीक्षण निम्नलिखित हैं।

चित्र पूर्ति परीक्षण

चित्र पूर्ति परीक्षण में अपूर्ण चित्रों को पूरा करना पड़ता है।

वृत परीक्षण

इस परीक्षण में वृत में चित्र बनाए जाते हैं।

प्रोडक्ट इंप्रूवमेंट टास्क

चुने के खिलौने द्वारा नूतन विचारों को लेखबद्ध करके सृजनत्मकता पर बल दिया जाता है।

टिन के डिब्बे

खाली डिब्बों से नवीन वस्तुओं का सृजन कराया जाता है।

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सृजनत्मकता के तत्व (elements of creativity)

गिल्फोर्ड ने सृजनत्मकता के निम्न तत्व बताये है।

तात्कालिक स्थिति से परे जाने की योग्यता

जो व्यक्ति वर्तमान परिस्थितियों से हटकर , उससे आगे की सोचता है। और अपने चिंतन को मूर्त रूप देता है। उसमे सृजनात्मक तत्व पाया जाता है

सामंजस्य

जो बालक तथा व्यक्ति असामान्य किन्तु प्रासंगिक विचार तथा तथ्यों के साथ समन्वय स्थापित करते है। वे सृजनात्मक कहलाते है।

अन्यो के विचारों में परिवर्तन

ऐसे व्यक्तियों में सृजनत्मकता पाई जाती है। जो अपने विचारों, तथ्यों से दूसरे के विचारों में परिवर्तन ला सकते है।

सृजनत्मकता को प्रभावित करने वाले कारक

सृजनत्मकता को प्रभवित करने वाले निम्नलिखित कारक है।

  1. तानाशाही विद्यालय वातावरण
  2. संसाधनों की कमी अपर्याप्त सुविधाएं
  3. अपर्याप्त शिक्षा का आर्थिक संकट
  4. बाहरी परिवेश से संयोजन में कमी
  5. अभिभावकों से पर्याप्त संयोजन की कमी
  6. शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण में कमी विद्यार्थियों की अनियमितता
  7. विद्यालयों में व्यवसायिक विकास के कार्यक्रमों के आयोजन की कमी
  8. शिक्षकों को पुरस्कार सम्मान आदि में ढील

सृजनत्मकता को पोषित करने हेतु सुझाव

  1. कक्षा में बौद्धिक वातावरण प्रदान करें
  2. प्रजातांत्रिक विद्यालय वातावरण
  3. मौलिकता और लचीलापन को बढ़ावा
  4. विद्यालय में उपरयुक्त भौतिक वातावरण
  5. समुदाय के सृजनात्मक संसाधनों का उपयोग
  6. अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करें
  7. शिक्षकों को पर्याप्त प्रशिक्षण
  8. बच्चों में अच्छी आदतों के विकास पर बल
  9. पर्याप्त संसाधन

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सृजनात्मकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

सृजनात्मकता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखत हैं.
(1) आनुवंशिकता-.
(2) वातावरण-.
(3) पारिवारिक वातावरण-.
(4) विद्यालय का वातावरण-.
(5) जिज्ञासा-.
(6) समस्या समाधान व ज्ञान प्राप्ति का अवसर-.
(7) उत्साहपूर्ण वातावरण पैदा करके ( Creating an encourage climate ).

सृजनात्मकता के तत्व कौन कौन से हैं?

सृजनात्मकता के तत्व: गिलफोर्ड (1986) ने रचनात्मक सोच को अपसारी सोच के रूप में माना, जिसमें वाक्पटुता, नम्रता, मौलिकता और विस्तार जैसे चार तत्व शामिल हैं

सृजनात्मकता का प्रमुख लक्षण क्या है?

अपसारी चिंतन सृजनात्मकता की पहचान का प्रमुख लक्षण है क्योंकि यह कई संभावित समाधानों की खोज करके किसी समस्या को हल करने का एक तरीका है। यह इस विचार पर जोर देता है कि किसी भी समस्या के लिए असीम दृष्टिकोण होते है।

सृजनात्मकता कितने प्रकार की होती है?

सृजनात्मकता के प्रकार.
शाब्दिक सृजनात्मकता.
अशाब्दिक सृजनात्मकता.