सम संख्याओं का योग कैसे निकालते हैं? - sam sankhyaon ka yog kaise nikaalate hain?

200 प्लस 1 से 20 तक की सभी सम संख्याओं का योगफल क्या होगा 101 से 500 1 से 20 तक की सभी सम संख्या क्या होगी 2468 से लेते हुए भी अगर देखें तो इसमें पहला पद दो तथा दोनों के बीच का अंतर दो है तथा अंतिम तक अंतिम जो पहनते हैं जिसकी मदद से दोस्तों हम लोग यह पता कर सकते हैं कि 2 से 20 तक में कुल कितने पद हैं तो हमारे पास समानांतर श्रेणी का जो सूत्र है अंतिम पद पर आप प्रथम पर जो पदों की संख्या - 1 गुने देना दोस्तों हमारे

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प्रथम पद हेतु हमें इनकी संख्या चाहिए दोस्तों एन वी मेक टेडी बियर दोस्तों 220 में दोगी या 18 बटा दो जाने दो गुने 3 - 120 न दोगे अट 12:00 एम नीम 12963 का माल पता चल गया दोस्तों 19 10 हमारे पास जो समानांतर श्रेणी के योग का फार्मूला है वह क्या है एसएन = 10 बटा 2 गुना प्रथम पांच जोगेंद्र d90 या प्रथम और अंतिम पता हुआ में पहला पर और अंतिम पद भी हम लोग पैसा जोड़कर निवेदन है दोस्तों हमारे पास 10-10

बता दो यह ज्यादा आसान होगा निकालना की प्रथम पद भी हमें पता है और अंतिम पद भी सही है अभी विष्णु भाई 22 बटा 21 1111 बराबर 110 जो हमारे प्रश्न का उत्तर है एक से बीस तक सभी सम संख्याओं के योग जो दिए हुए विकल्प पर मेरा चौथा नंबर धन्यवाद

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क्रमागत संख्याओं का योग कैसे निकालते है –

क्रमागत संख्याओं का योग कैसे निकालते है – किसी भी n क्रमागत प्राकृतिक संख्या या किसी भी क्रमागत सम या विषम संख्याओ के द्वारा एक श्रंखला श्रेणी बनती है किसी भी दो निकटवर्ती पदों या क्रमागत ओ में एक सामान अंतर होता है इस समान अंतर को ही सर्वान्तर या common difference कहा जाता है इसी प्रकार किसी संख्या के क्रमागत n गुणजो से भी एक श्रंखला बनती है जिसके पदों में समान अंतर होता है

जैसे,

36,37,38………………….49,50 का सर्वान्तर = 1

22,24,26………………….40,42 का सर्वान्तर = 2

11,13,15,…………………31,33 का सर्वान्तर = 2

25,30,35………………….55,60 का सर्वान्तर = 5

सम संख्याओं का योग कैसे निकालते हैं? - sam sankhyaon ka yog kaise nikaalate hain?
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पदों की संख्या n = ( अंतिम पद – प्रथम पद )/सर्वान्तर + १

n = (l – a)/d +1

किसी भी श्रेणी या श्रृंखला के सभी पदों का योग ज्ञात करने के लिए सूत्र

योग = (अंतिम संख्या + प्रथम संख्या )n/2

किसी श्रेणी के योग का सूत्र , s = (l+a)n/2

s = n/2 { 2a + ( n-1 )d }  

इसमें, किसी श्रेणी का अंतिम पद निकालने का सूत्र ,

अंतिम पद  l = a + ( n-1) d

प्राकृतिक संख्या की परिभाषा –

प्राकृतिक संख्या वे संख्याये है, जो धनात्मक होती है और 0 से लेकर अन्नत तक होती है। इनको धन पूर्णांक भी कहा जाता है। इनका उपयोग गणना के लिए किया जाता है। 0 को प्राकृतिक संख्या नहीं माना जाता है। उदाहरण – 1,2,3,4,………….अनन्त तक

क्रमागत संख्याओं का योग कैसे निकालते है

पर आधारित प्रश्न –

Qu. 1- 1,2,3,4,………………..40 का योग –

Solution. n = 40 , d = 1 , a = 1

s = ( l + a ) n / 2

s = ( 40 + 1 )40 / 2 = (41 40) / 2

s = 820

Ans = 820

Qu. 2- 22,24,26,28……………..50 का योग

Solution.. n = 15, a = 22, l = 50

s = (l+a)n/2

s = ( 50+22) 15 /2

s = 540

Ans. 540

Qu. 3- 3 के प्रथम 10 गुणजो का योग ज्ञात करना

Solution.. a= 3, l = 30, n = 10,

s = ( 3+30 ) 10 /2

s = 33 5

s = 165

Ans = 165

Qu. 4- प्रथम 20 visham प्राकृतिक संख्याओ का योग ज्ञात करना –

Solution.. a = 1, l = 39, n = 20

s = ( 1+39 ) 20 /2

s = 20 20

s = 400

Ans = 400

Qu.5- प्रथम 100 प्राकृतिक संख्याओ का योग ज्ञात करना –

Solution.. a = 1, l = 100, n = 100

s = ( 1+100 ) 100 / 2

s = 100 50

s = 5000

Ans = 5000

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दोस्तों आज का हमारा पोस्ट गणित के एक महत्वपूर्ण अध्याय सम संख्याएं एवं इसके महत्वपूर्ण प्रश्नों से संबंधित होने वाला है। इस पोस्ट के माध्यम से हमने Sam Sankhya के सभी तथ्य जैसे कि- सम संख्या क्या होती है?, सम संख्या की परिभाषा क्या है?

सम संख्याओं की पहचान कैसे करें?, सम संख्याओं का गुण, Sam sankhya ka yog nikalne ka formula, सम संख्या के वर्गों का योग, सम संख्या के घनों का योग, सम संख्याओं का औसत, सम संख्याओं के उदाहरण तथा सम संख्याओं से संबंधित कुछ प्रश्न इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।

उदाहरण सहित इन सब चीजों के बारे में आपको इस पोस्ट में बताया गया है। तो इसको अच्छी तरह समझने के लिए तथा इस टॉपिक के ऊपर अपनी अच्छी पकड़ बनाने के लिए आप सभी पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। जिससे कि आपको Sam Sankhya से संबंधित प्रश्नों को हल करने में कोई परेशानी न हो तथा आप आसानी से इनके प्रश्नों को हल कर पाएं।
तो आइए जानते हैं :-

  • सम संख्या क्या होती है – Sam Sankhya Kya Hoti Hai
  • सम संख्या की परिभाषा क्या है – Sam Sankhya Ki Paribhasha
  • सम संख्याओं की पहचान कैसे करें?
  • सम संख्याओं का गुण – Properties of Even Number in Hindi
    • सम सँख्याओ के योग का गुण
    • सम सँख्याओ के अंतर का गुण
    • सम सँख्याओ के गुणन का गुण
  • 1 सके 100 तक सम संख्या – 1 Se 100 Tak Sam Sankhya
  • सम संख्या के योग का सूत्र – Sam Sankhya Ka Yog Ka Sutra
    • 1. प्रथम n सम संख्याओं का योग
    • 2. लगातार n तक की सम‌ संख्याओं का योग
  • सम संख्या के वर्गों का योग का फार्मूला – Sam Sankhya Ke Vargo Ka Yog
  • सम संख्या के घनों का योग का फार्मूला – Sam Sankhya Ke Ghano Ka Yog
  • सम संख्या का औसत – Sam Sankhya Ka Ausat
  • सम संख्याओं के उदाहरण – Sam Sankhya Ke Udaharan
  • FAQ About Sam Sankhya
    • Q.1. सबसे छोटी सम संख्या कौन-सी होती है ?
    • Q.2. सबसे बड़ी सम संख्या कौन है ?
    • Q.3. 2 अंको की सबसे छोटी सम संख्या कौन-सी है ?
    • Q.4. 3 अंको की सबसे बड़ी सम संख्या कौन-सी होती है ?
    • Q.5. 3 अंको की सबसे छोटी सम संख्या कौन होती है ?
    • Q.6. क्या शून्य (0) एक सम संख्या है?
    • Q.7. क्या सम संख्या ऋणात्मक हो सकती है ?
    • Q.8. सम प्राकृत संख्या किसे कहते हैं?
    • Q.9. सम अभाज्य संख्या क्या है?
    • Q.10. सम संख्या को इंग्लिश में क्या कहते हैैं ?
    • Q.11. 1 से 100 तक सम संख्याएं कितनी है?

सम संख्या क्या होती है – Sam Sankhya Kya Hoti Hai

वैसी सभी पूर्णांक संख्याएं, जिसमें ‘2’ से पूरा-पूरा भाग लग जाए या ‘2’ से विभाजित करने पर शेषफल शून्य प्राप्त हो जाए, “सम संख्या” कहलाती है।
जैसे- 2,4,6,8,10,18,24,50,100 आदि। ये सभी संख्याएं 2 से विभाजित हो जाती है, इसलिए यह सम संख्याएं है।

सम संख्या की परिभाषा क्या है – Sam Sankhya Ki Paribhasha

वे सभी संख्याएं जो ‘2’ का गुणज होती है अर्थात वैसे सभी संख्याएं जो ‘2’ से पूर्णतः विभाजित हो जाती है, ऐसी संख्या को हमलोग “सम संख्या ( Even Number )” कहते हैं। जैसे- 12,14,16,34,44,52,60 इत्यादि।

सम संख्याओं की पहचान कैसे करें?

सम संख्याओं की पहचान करने के लिए हमलोग 2 तरीकों का उपयोग करके पता सकते हैं। जिसमें पहला तरीका है :-

अंतिम अंक या इकाई अंक देखकर – जब हमें Sam Sankhya की पहचान करनी हो तो सबसे पहले हम उस संख्या के अंतिम अंक पर या इकाई अंक पर ध्यान देंगे। यदि उस संख्या के अंतिम या इकाई अंक पर 0, 2, 4, 6, 8 में से कोई भी एक अंक है, तो वह एक सम संख्या होगी।

जैसे- 1352 एक सम संख्या है, क्योंकि इस संख्या का इकाई अंक 2 है। अंतिम अंक को ‘इकाई अंक’ भी कहा जाता है।

5467 यह एक Sam Sankhya नहीं है क्योंकि इसका अंतिम अंक 7 है और यदि किसी संख्या का अंतिम अंक या इकाई अंक 1, 3, 5, 7, 9 हो तो वह एक विषम संख्या होगी।

दी गई संख्या को ‘2’ से विभाजित करके –

सम संख्याओं की पहचान करने के लिए दूसरा तरीका है, यदि दी गई संख्या को 2 से विभाजित करने पर वह पूर्णतः कट जाता है और उसका शेषफल शून्य (0) प्राप्त होता है, तो इसका मतलब है कि वह एक ‘सम संख्या’ है।

जैसे- 2478, यह एक Sam Sankhya है क्योंकि इसे 2 से विभाजित करने पर इसका शेषफल ‘0’ प्राप्त हुआ है।

7425, यह एक सम संख्या नहीं है क्योंकि इसे 2 से विभाजित करने पर शेषफल ‘1’ प्राप्त हुआ है और वैसी संख्या जो 2 से पूर्णतः विभाजित न हो, ‘विषम संख्या’ कहलाती है।

सम संख्याओं का गुण – Properties of Even Number in Hindi

सम संख्याओं से संबंधित प्रश्नों को हल करने के लिए हमें इनके कुछ गुणों को जानना आवश्यक है, जिनकी सहायता से हम इनके प्रश्नों को आसानी से हल कर पाए। तो आइए जानते है

सम सँख्याओ के योग का गुण

  1. किसी भी दो सम संख्याओं का योग करने पर योगफल हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 4 + 2 = 6, यहां 4 एवं 2 सम संख्याएं है और इनका योगफल ‘6’ एक Sam Sankhya हैं। 1228 + 236 = 1464, यह एक Sam Sankhya हैं।
  2. दो विषम संख्याओं का योग करने पर योगफल हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 7 + 5 = 12, यहां 7 एवं 5 विषम संख्याएं हैं और इनका योगफल ’12’ एक Sam Sankhya है।
  3. एक सम संख्या और एक विषम संख्या का योग करने पर योगफल हमेशा एक विषम संख्या प्राप्त होता है। जैसे- 10 + 5 = 15, यहां 10 एक सम संख्या और 5 एक विषम संख्या है और इनका योगफल ’15’ एक विषम संख्या है।

सम सँख्याओ के अंतर का गुण

  1. किसी भी दो सम संख्याओं का अंतर करने पर हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 6 – 2 = 4, यहां 6 एवं 2 सम संख्याएं हैं और इनका अंतर ‘4’ जो कि एक सम संख्या है।
  2. किसी भी दो विषम संख्याओं का अंतर करने पर हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 15 – 13 = 2, यहां 15 एवं 13 विषम संख्याएं हैं और इनका अंतर ‘2’ जो कि एक Sam Sankhya है।
  3. एक सम संख्या और एक विषम संख्या का अंतर करने पर हमेशा एक विषम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 20 – 13 = 7, यहां 20 एक सम संख्या एवं 13 एक विषम संख्या है और इनका अंतर ‘7’ जो कि एक विषम संख्या है।

सम सँख्याओ के गुणन का गुण

  1. किसी भी दो सम संख्याओं को गुणा करने पर गुणनफल हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 6 × 8 = 48, यहां 6 एवं 8 सम संख्याएं हैं और इनका गुणनफल ’48’ एक सम संख्या हैं।
  2. एक सम और एक विषम संख्या को गुणा करने पर गुणनफल एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 4 × 7 = 28, यहां 4 एक सम एवं 7 एक विषम संख्या है और इनका गुणनफल ’28’ एक सम संख्या हैं।
  3. किसी भी दो विषम संख्याओं को गुणा करने पर गुणनफल एक विषम संख्या ही प्राप्त होगी। जैसे- 11 × 9 = 99, यहां 11 एवं 9 विषम संख्याएं हैं और उनका गुणनफल ’99’ एक विषम संख्या है।

1 सके 100 तक सम संख्या – 1 Se 100 Tak Sam Sankhya

2 4 6 8 10
12 14 16 18 20
22 24 26 28 30
32 34 36 38 40
42 44 46 48 50
52 54 56 58 60
62 64 66 68 70
72 74 76 78 80
82 84 86 88 90
92 94 96 98 100
1 To 100 Even Number

सम संख्या के योग का सूत्र – Sam Sankhya Ka Yog Ka Sutra

सम संख्याओं का योग ज्ञात करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण फार्मूले हैं, जिनका
उपयोग करके आप सम संख्या का योग ज्ञात कर सकते हैं।

1. प्रथम n सम संख्याओं का योग

प्रथम N सम सँख्याओ के योग का सूत्र = n (n+1)

2. लगातार n तक की सम‌ संख्याओं का योग

लगातार N तक की सम सँख्याओ के योग का सूत्र = n/2 (n/2 + 1)

सम संख्या के वर्गों का योग का फार्मूला – Sam Sankhya Ke Vargo Ka Yog

सम संख्या के वर्गों का योग निकालने के लिए एक महत्वपूर्ण फार्मूला होता है। जिसको जाना आवश्यक है, आप इस फार्मूला का उपयोग करके सम संख्याओं के वर्गों का योग आसानी से ज्ञात कर सकते हैं।

प्रथम n सम संख्याओं के वर्गों का योग = l (l + 1) (l + 2)/6

जहां l का मतलब अंतिम पद या अंतिम संख्या है।

सम संख्या के घनों का योग का फार्मूला – Sam Sankhya Ke Ghano Ka Yog

सम संख्याओं के घनों का योग ज्ञात करने के लिए आप निम्न फार्मूला का इस्तेमाल करके कर सकते हैं।

प्रथम n सम संख्याओं के घनों का योग = 2 (n(n+1))²

सम संख्या का औसत – Sam Sankhya Ka Ausat

सम सँख्याओ का औसत ज्ञात करने के लिए आप निम्न फार्मूला का इस्तेमाल करके कर सकते हैं।

1). प्रथम n सम संख्या का औसत = (n + 1)

2). लगातार n तक की सम संख्याओं का औसत = (n+2) / 2

3). लगातार n सम संख्याओं के वर्गों औसत = 2 (n + 1) (2n + 1) / 3

सम संख्याओं के उदाहरण – Sam Sankhya Ke Udaharan

1). प्रथम 6 सम संख्याओं का योग ज्ञात करें?

हल:- सूत्र से, S = n (n + 1)
जहां n = 6

        S = 6 (6 + 1)
           = 6 × 7  = 42 ans.

2). 2,4,6,8,10………22 तक की लगातार सम संख्याओं का योग निकालें?

हल:- सूत्र से, S = n/2 (n/2 + 1)
जहां n = 22

       S = 22/2 (22/2 + 1) 
          = 11 (11 + 1)
          = 11 × 12   = 132 ans.

3). 2² + 4² + 6² +………+ 20² तक की सम संख्याओं के वर्गों योग ज्ञात करें?

हल:- सूत्र से, S = l (l + 1) (l + 2)/6
जहां l = 20

   S = 20 (20 + 1) (20 + 2)/6
      = 20 × 21 × 22 / 6
      = 9240 / 6  = 1540 ans.

4). प्रथम 5 सम संख्याओं का औसत क्या होगा?

हल:- सूत्र से, A = (n + 1)
जहां n = 5

       A = (5 + 1) = 6 ans.

5). 2,4,6,8,………..12 तक की लगातार सम संख्याओं का औसत निकालें।

हल:- सूत्र से, A = (n + 2) / 2
जहां n = 12

      A = (12 + 2) / 2
         =  14 / 2  = 7 ans.

6). दो क्रमागत सम संख्याओं का एचसीएफ (H.C.F) ज्ञात कीजिए।

हल:- जैसे दो क्रमागत सम संख्या= 2,4 और 6,8 हैं।

2 = 1 × 2 6 = 2 × 3
4 = 2 × 2 8 = 2 × 2 × 2
H.C.F = 2 ans. H.C.F = 2 ans.
अतः इससे यह पता चलता है कि किसी भी दो क्रमागत सम संख्याओं का H.C.F ( do kramagat sam sankhya ka hcf ) हमेशा ‘2’ ही प्राप्त होता है।

7). दो क्रमागत सम संख्याओं का गुणनफल 528 है, तो संख्याएं ज्ञात कीजिए।

हल:- माना कि पहली संख्या = x
तो दूसरी संख्या = x + 2 , यहां हमनें 2 लिया क्योंकि वह सम संख्या है।

→ x (x + 2) = 528
→ x² + 2x = 528
→ x² + 2x - 528 = 0
→ x² + 24x - 22x - 528 = 0
→ x (x+24) - 22 (x+24) = 0
→ (x + 24) (x - 22) = 0
→ x - 22 = 0
→ x = 22 पहली संख्या ans.

दूसरी संख्या = x + 2
= 22 + 2 = 24 ans.

8). पांच क्रमागत सम संख्याओं का योग 80 है, सबसे छोटी सम संख्या ज्ञात करें।

हल:- माना कि पहली संख्या = x
दूसरी संख्या = x+2
तीसरी संख्या = x+4
चौथी संख्या = x+6
पांचवीं संख्या = x+8

→ x+x+2+x+4+x+6+x+8 = 80
→ 2x+2+3x+10+8 = 80
→ 5x-12+8 = 80
→ 5x-20 = 80
→ 5x = 80 – 20
→ 5x = 60
→ x = 60/5 = 12
अतः सबसे छोटी सम संख्या= 12 ans.

9). दो क्रमागत सम संख्याओं का योगफल 30 है तो उन संख्याओं को ज्ञात करें।

हल:- माना की पहली संख्या = x
तो दूसरी संख्या = x + 2

  →  x + x + 2 = 30
  →  2x + 2 = 30
  →  2x = 30 - 2 
  →  2x = 28
  →  x = 28 / 2  = 14

अतः पहली संख्या = x = 14 ans.
दूसरी संख्या = x+2
= 14+2 = 16 ans.

10). तीन क्रमागत सम संख्याओं का योगफल 48 है, तो संख्याएं ज्ञात कीजिए।

हल:- माना कि पहली संख्या = x
दूसरी संख्या = x + 2
तीसरी संख्या = x + 4

→   x+x+2+x+4 = 48
→   3x + 6 = 48
→   3x = 48 - 6
→   3x = 42
→    x  = 42 / 3  = 14

अतः पहली संख्या = x = 14 ans.
दूसरी संख्या=x+2= 14+2=16 ans.
तीसरी संख्या=x+4= 14+4=18 ans.

निष्कर्ष (Conclusion) :- दोस्तों तो जैसा कि हमने Sam sankhya kise kahate hain, Sam sankhya kaun si hai, Sam sankhya ka yog, Sam sankhya ka formula तथा सम संख्या से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों एवं प्रश्नों को उदाहरण सहित इस पोस्ट में आप सभी को समझाने का प्रयास किया है।

आशा करता हूं कि इस पोस्ट की जानकारी आपको हेल्पफुल लगी होगी और इसे समझने में कोई दिक्कत नहीं आई होगी। अगर कोई ऐसी चीज जो आपकी समझ में नहीं आयी हो। तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। हम उन्हें समझाने का पूरा प्रयास करेंगे। धन्यवाद !

FAQ About Sam Sankhya

Q.1. सबसे छोटी सम संख्या कौन-सी होती है ?

उत्तर:- सबसे छोटी सम संख्या ‘2’ होती है क्योंकि सम संख्या दो से ही शुरू होता है।

Q.2. सबसे बड़ी सम संख्या कौन है ?

उत्तर:- सबसे बड़ी सम संख्या का पता नहीं लगाया जा सकता है, क्योंकि सम संख्याएं अनंत है और आप जिस भी संख्या में ‘2’ को जोड़ते है तो आपको हमेशा उससे बड़ी Sam Sankhya ही प्राप्त होती रहेगी। इसलिए यह बताना असंभव है की सबसे बड़ी सम संख्या कौन है।

Q.3. 2 अंको की सबसे छोटी सम संख्या कौन-सी है ?

उत्तर:- ’98’ दो अंकों की सबसे छोटी सम संख्या है।

Q.4. 3 अंको की सबसे बड़ी सम संख्या कौन-सी होती है ?

उत्तर:- ‘998’ को तीन अंको की सबसे बड़ी सम संख्या कहा जाता है।

Q.5. 3 अंको की सबसे छोटी सम संख्या कौन होती है ?

उत्तर:- ‘100’ तीन अंको की सबसे छोटी सम संख्या होती है।

Q.6. क्या शून्य (0) एक सम संख्या है?

उत्तर:- जी हां शून्य एक सम संख्या होता है क्योंकि हम सब जानते हैं कि 2 से विभाजित होने वाली संख्या सम संख्या कहलाती है और 0 को जब 2 से भाग लगाया जाता है तो वह पूर्णतः विभाजित हो जाता है, इसलिए शून्य भी एक सम कहलाता है।

Q.7. क्या सम संख्या ऋणात्मक हो सकती है ?

उत्तर:- हां सम संख्या ऋणात्मक हो सकती है, क्योंकि जितनी भी पूर्णांक संख्याएं हैं सभी सम संख्याएं होती है और पूर्णांक धनात्मक और ऋणात्मक संख्याओं के मिलने पर ही बनता है। अतः हम कह सकते हैं कि सम संख्या ऋणात्मक भी होती है।

Q.8. सम प्राकृत संख्या किसे कहते हैं?

उत्तर:- ऐसी प्राकृतिक संख्याएं जिसमें 2 से पूरा-पूरा भाग लग जाए या 2 से कट जाए, ‘सम प्राकृत संख्या’ कहलाती है।

Q.9. सम अभाज्य संख्या क्या है?

उत्तर:- वैसी सम संख्या जो ‘1’ से और अपने आप से यानी खुद से विभाजित हो जाए, सम अभाज्य संख्या कहलाती है।
जैसे- केवल ‘2’ ही एक ऐसी सम अभाज्य संख्या है, जो एक और खुद से विभाजित होती है। इसके अलावा कोई सम अभाज्य संख्या नहीं होती है।

Q.10. सम संख्या को इंग्लिश में क्या कहते हैैं ?

उत्तर:- सम संख्या को इंग्लिश में ‘Even Number’ (इवेन नंबर) कहा जाता है।

Q.11. 1 से 100 तक सम संख्याएं कितनी है?

उत्तर: 1 से 100 तक 50 सम संख्याएं होती है लेकिन अगर हम 1 से 100 के बीच आने वाली सम सँख्याओ की बात करें तो ऐसी संख्या 49 होगी।

सम संख्या योग कैसे निकाले?

सम सँख्याओ के योग का गुण जैसे- 4 + 2 = 6, यहां 4 एवं 2 सम संख्याएं है और इनका योगफल '6' एक Sam Sankhya हैं। 1228 + 236 = 1464, यह एक Sam Sankhya हैं। दो विषम संख्याओं का योग करने पर योगफल हमेशा एक सम संख्या ही प्राप्त होता है। जैसे- 7 + 5 = 12, यहां 7 एवं 5 विषम संख्याएं हैं और इनका योगफल '12' एक Sam Sankhya है।

25 सम संख्याओं का योग क्या होगा?

इस प्रकार अभीष्ट योग= 5050। । धन्यवाद । माना , चार क्रमागत सम संख्याएँ क्रमशः x, ( x + 2 ) , ( x + 4 ) तथा ( x + 6 ) हैं ।

10 सम संख्याओं का योग कितना होगा?

Expert-Verified Answer प्रथम 10 सम पदों का योग 110 है। 2,4,6,8......20. n पद के योग का सूत्र, a प्रथम पद है, d सामान्य पद है और n पदों की संख्या है।

2 सम संख्याओं का योग कितना होता है?

दो सम संख्याओं का योग सदैव सम संख्या होता है।