Show राजमा चावल उत्तरी भारत के क्षेत्रों में बहुत खाया जाता है। अब आप ये भी जान लें कि राजमा भी हमारे भारत का नहीं है, यह मेक्सिको से भारत आया है।स्वादिष्ट खान-पान का शौकिन कौन नहीं है। जब भी किसी लजीज पकवान की बात होती है तो मुंह में पानी आ जाता है। चाहे उसमें समोसा हो, गुलाब जामुन हो, जलेबी या अनानास हो। ऐसी चीजें भारत में बड़े चाव से खाई जाती हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये चीजें भारत की नहीं हैं। जी हां, चलिए आज हम आपको बताते हैं कि हिंदी में ये नाम हमारे जीवन में रच-बस गए हैं आखिर वो कहां से आई हैं और इनके असली नाम क्या हैं। गुलाब जामुन गरम गरम गुलाब जामुन, नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। हिंदी के दो शब्दों से जानी जाने वाली ये मिठाई ‘गुलाब जामुन’ का असल नाम है luqmat al qadi जो शब्द “गुलाब” फारसियों द्वारा दिया गया है जिसका मतलब है कि गोल यानी फूल। समोसा भारत में समोसे के शौकिन बहुत हैं। लेकिन असल में समोसा भारत का नहीं बल्कि मध्य एशिया का है। जी हां, मध्य एशियाई देशों में इसे सोम्सा कहा जाता है। इसका असली नाम सम्बोसा है। चाय भारत में लोगों के दिन की शुरुआत ही गर्म-गर्म एक कप चाय की प्याली से होती है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हर नुक्कड़ पर मिलने वाली चाय भारत की नहीं बल्कि चीन की है। चीन की मैंडरीन और कैंटनीज भाषा में इसे चा कहा जाता है। दाल-भात राजमा अनानास पाइनएप्पल को हिंदी में अनानास कहा जाता है, और यह भी भारतीय नहीं बल्कि साउथ अमेरिकन शब्द है। नान जलेबी मीठे का नाम लो और जलेबी याद न आए ऐसा होना मुश्किल लगता है। लेकिन शायद आप ये नहीं जानते होंगे कि जलेबी असल में भारत की नहीं बल्कि मध्य एशिया की स्वीट डिश है। अरब में जलेबी को ज़लाबिया के नाम से जाना जाता है। समोसे की भारत पहुंचने की दास्तां
24 जून 2016 इमेज स्रोत, THINKSTOCK आप समोसे को भले ही 'स्ट्रीट फूड' मानें लेकिन ये सिर्फ स्ट्रीट फूड नहीं है, उससे बहुत बढ़कर है. समोसा इस बात का सबूत है कि ग्लोबलाइजेशन कोई नई चीज़ नहीं है, समोसा खाने के बाद आपको समझ जाना चाहिए कि किसी चीज़ की पहचान देश की सीमा से तय नहीं होती है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है. दरअसल, समोसा मीलों दूर ईरान के प्राचीन साम्राज्य से आया है. कोई नहीं जानता कि इसे पहली बार तिकोना कब बनाया गया लेकिन इतना जरूर पता है कि इसका नाम समोसा फारसी भाषा के 'संबुश्क:' से निकला है. समोसे का पहली बार ज़िक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है. उन्होंने ग़ज़नवी साम्राज्य के शाही दरबार में पेश की जाने वाली 'नमकीन' चीज़ का ज़िक्र किया है जिसमें कीमा और सूखे मेवे भरे होते थे. इसे तब तक पकाया जाता था जब तक कि ये खस्ता न हो जाए लेकिन लगातार भारत आने वाले प्रवासियों की खेप ने समोसे का रूप-रंग बदल दिया. समोसा भारत में मध्य एशिया की पहाड़ियों से गुज़रते हुए पहुंचा जिस क्षेत्र को आज अफ़ग़ानिस्तान कहते हैं. बाहर से आने वाले इन प्रवासियों ने भारत में काफ़ी कुछ बदला और साथ ही साथ समोसे के स्वरूप में भी काफ़ी बदलाव आया. लेकिन समय के साथ जैसे ही समोसा ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान पहुंचा इसमें बहुत बदलाव आया. और जैसा कि भारतीय खानों के विशेषज्ञ पुष्पेश पंत बताते हैं यह 'किसानों का पकवान' बन गया. अब यह एक ज़्यादा कैलोरी वाला पकवान बन गया है. ख़ास तरह का इसका रूप तब भी कायम था और इसे तल कर ही बनाया जाता था लेकिन इसके अंदर इस्तेमाल होने वाले सूखे मेवे और फल की जगह बकरे या भेड़ के मीट ने ले ली थी जिसे कटे हुए प्याज और नमक के साथ मिला कर बनाया जाता था. सदियों के बाद समोसे ने हिंदूकुश के बर्फ़ीले दर्रों से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप तक का सफ़र तय किया. प्रोफ़ेसर पंत का कहना है, "मेरा मानना है कि समोसा आपको बताता है कि कैसे इस तरह के पकवान हम तक पहुंचे हैं और कैसे भारत ने उन्हें अपनी जरूरत के हिसाब से पूरी तरह से बदलकर अपना बना लिया है." भारत में समोसे को यहां के स्वाद के हिसाब से अपनाए जाने के बाद यह दुनिया का पहला 'फ़ास्ट फूड' बन गया. समोसे में धनिया, काली मिर्च, जीरा, अदरक और पता नहीं क्या-क्या डालकर अंतहीन बदलाव किया जाता रहा है. इसमें भरी जानी वाली चीज़ भी बदल गई. मांस की जगह सब्जियों ने ले ली. भारत में अभी जो समोसा खाया जा रहा है, उसकी एक और ही अलग कहानी है. अभी भारत में आलू के साथ मिर्च और स्वादिष्ट मसाले भरकर समोसे बनाए जाते हैं. सोलहवीं सदी में पुर्तगालियों के आलू लाने के बाद समोसे में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ. तब से समोसे में बदलाव होता जा रहा है. भारत में आप जहां कहीं भी जाएंगे यह आपको अलग ही रूप में मौजूद मिलेगा. अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह के समोसे मिलते हैं. यहां तक कि एक ही बाज़ार में अलग-अलग दुकानों पर मिलने वाले समोसे के स्वाद में भी अंतर होता है. कभी-कभी यह इतना बड़ा होता है कि लगता है कि पूरा खाना एक समोसे में ही निपट जाएगा. समय के साथ समोसा शादियों में होने वाले भोज और पार्टियों का हिस्सा तक बन गया. मोरक्कन यात्री इब्न बतूता ने मोहम्मद बिन तुग़लक़ के दरबार में होने वाले भव्य भोज में परोसे गए समोसे का जिक्र किया है. उन्होंने समोसे का वर्णन करते हुए लिखा है कि कीमा और मटर भरा हुआ पतली परत वाली पैस्टी थी. पंजाब में अक्सर पनीर भरा समोसा मिलता है, वहीं दिल्ली में कई जगह उसमें काजू किशमिश डाले जाते हैं. इन दिनों मिलने वाले सभी समोसे स्वादिष्ट हों, ऐसा भी नहीं है. बंगाली लोग समोसे जैसी मिठाई 'लबंग लतिका' बहुत पसंद करते हैं जो कि मावे भरा मीठा समोसा होता है. दिल्ली के एक रेस्तरां में चॉकलेट भरा हुआ समोसा मिलता है. समोसा बनाने के तरीके भी अलग-अलग होते हैं. जो आम तौर पर समोसा है, वो अब भी भूरे रंग का होने तक तल कर ही बनाया जाता है लेकिन कभी-कभी आप कम कैलोरी वाले बेक्ड समोसे भी खा सकते हैं. प्रोफेसर पुष्पेश पंत बताते हैं कि कुछ शेफ भाप से समोसे पकाने का भी प्रयोग करते हैं लेकिन यह एक भूल है, प्रोफ़ेसर पंत कहते हैं कि समोसे को जब तक तेल में न तला जाए उसमें स्वाद आता ही नहीं है. और हां, यह भी बहुत साफ़ है कि समोसा का सफर भारत में ही सिर्फ ख़त्म नहीं होता है. ब्रिटेन के लोग भी समोसा खूब चाव से खाते हैं और भारतीय प्रवासी पिछली कुछ सदियों में दुनिया में जहां कहीं भी गए अपने साथ समोसा ले गए. इस तरह से ईरानी राजाओं के इस शाही पकवान का आज सभी देशों में लुत्फ उठाया जा रहा है. एक बात तो तय है कि समोसा दुनिया के किसी कोने में भी बनेगा और उसमें जो कुछ भी भरा जाए उसमें आपको भारतीयता का एहसास होगा. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.) समोसा को हिंदी में क्या कहा जाता है?समोसा खासकर उत्तर भारतीयों को पसंदीदा स्नैक्स है. इंग्लिश में भी जब इसे लिखना, बोलना होता है तो अक्सर लोग Samosa ही लिखते-बोलते हैं, लेकिन इसका एक प्रॉपर इंग्लिश नाम भी है. समोसा, जलेबी समेत इन आइटम्स के अंग्रेजी नाम पता है आपको? पानीपुरी, समोसे, जलेबी, कचौड़ी वगैरह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होते हैं.
बिहार में समोसा को क्या कहते हैं?न जाने कितने वैज्ञानिक, नेता, अधिकारी, कर्मचारी ने फल का सेवन किया। इसका सेवन टमाटर की चटनी के साथ करने से मंगल बलवान होता है जिससे आनंद की अनुभूति होती है। धनिया की चटनी से सेवन करने पर बुध अनुकूल होकर वाणी को प्रखर करता है। इमली की चटनी से शनी देवता प्रसन्न होते हैं और जीवन में तृप्ति प्रदान करते हैं।
समोसा का आविष्कार कहाँ हुआ था?दरअसल, समोसा मीलों दूर ईरान के प्राचीन साम्राज्य से आया है. कोई नहीं जानता कि इसे पहली बार तिकोना कब बनाया गया लेकिन इतना जरूर पता है कि इसका नाम समोसा फारसी भाषा के 'संबुश्क:' से निकला है. समोसे का पहली बार ज़िक्र 11वीं सदी में फारसी इतिहासकार अबुल-फज़ल बेहाक़ी की लेखनी में मिलता है.
समोसा कौन से देश का है?माना जाता है कि समोसा की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व में हुई थी. और यह 13वीं से 14वीं शताब्दी के बीच भारत में आया.
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