साथी हाथ बढ़ाना कविता में आपने क्या सीखा? - saathee haath badhaana kavita mein aapane kya seekha?

पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और सार - साथी हाथ बढ़ाना वसंत भाग - 1

सार

'साथी हाथ बढ़ाना' गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया है। यह गीत 'नया दौर' फिल्म के लिए लिखा गया था। यह गीत आजादी के कुछ समय बाद लिखा गया था जब देश का निर्माण हो रहा था। यह गीत हमें मिल-जुलकर कर काम करने को प्रेरित करता है। कवि ने इस गीत में बताया है कि जब-जब मनुष्य ने मिलकर काम किया है, तब-तब उसने हर मुश्किल को आसानी से पार किया है। कवि के अनुसार सुख-दुःख का चक्र जीवन में हमेशा आता रहता है। हमें हर परिस्थिति में हमेशा अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना चाहिए। दुनिया में हर बड़ा चीज़ छोटे-छोटे चीजों से मिलकर ही बना है।

साथी हाथ बढ़ाना ... आज अपनी खातिर करना।

व्याख्या - इन पंक्तियों में कवि ने लोगों को साथ मिलकर काम करने को प्रेरित किया है। एक अकेला काम करते-करते थक जाएगा इसलिए भारत के निर्माण में सभी को हिस्सेदार बनने के लिए कहा है। भारतीयों का हौसला अफजाई करने के लिए कवि ने बताया है कि जब भी लोगों ने एकता के साथ काम किया तब समुद्र ने अपना रास्ता छोड़ मदद की है तथा पर्वत ने भी उनके सामने अपना सिर झुकाकर उन्हें जगह दी है। कवि के अनुसार हमारी बाहें और सीना फौलाद से बना है जिससे हम  मुश्किल काम कर सकने की क्षमता रखते हैं। कवि ने याद दिलाते हुए कहा कि हमने पहले भी गैरों (ब्रिटिश) के लिए काम किया है और आज हमें खुद आजाद भारत का निर्माण करना है।

अपना दुःख भी एक है साथी ... साथी हाथ बढ़ाना।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने सुख-दुःख को लोगों का साथी बताया है चूँकि इनका क्रम जीवन में हमेशा चलता रहता है। हमें दुःख में घबराना नहीं चाहिए वहीं सुख में ज्यादा उत्साहित भी नहीं होना चाहिए और अपनी मंजिल को ओर सदा कदम बढ़ाते रहना चाहिए।

कवि ने एकता की ताकत को स्पष्ट करते हुए बताया है कि एक-एक बूँद के मिलने से ही दरिया बनता है। छोटे-छोटे अंशों को मिलाकर सेहरे का निर्माण होता है। छोटे राई के दानों से पर्वत बन जाता है उसी प्रकार अगर हर व्यक्ति एक-दूसरे से मिलकर काम करे तो किस्मत को भी पलट कर उसे सुनहरा रूप दिया जा सकता है। इसीलिए हमें मिल-जुलकर काम करना चाहिए।

कठिन शब्दों के अर्थ

• फौलादी - मजबूत

• राहे - रास्ते

• लेख की रेखा - भाग्य में लिखा होना

• गैर - पराए

• कतरा - बूँद

• ज़र्रा  - कण

• इंसाँ - मनुष्य  

CBSE Class 6 Saaransh Lekhan Sathi Hath Badhana

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Sathi Hath Badhana Synopsis

सारांश

प्रस्तुत गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया है। यह गीत ‘नया दौर’ फिल्म के लिए लिखा गया था। यह गीत आजादी के कुछ समय बाद लिखा गया था। यह गीत सभी को मिलजुलकर काम करने की प्रेरणा देता है। इस गीत के द्वारा कवि ने बताने का प्रयास किया है कि जब भी हम मनुष्य ने मिलजुलकर काम किया है तब उसने हर मुश्किल को आसानी से पार किया है। परिश्रमी मनुष्य जब मिलकर कार्य करते हैं तो समंदर में भी राह निकल आती और पर्वत को भी पार किया जा सकता है। कवि के अनुसार सुख-दुःख का चक्र जीवन में हमेशा आता रहता है। हमें हर परिस्थिति में हमेशा अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना चाहिए। दुनिया में हर बड़ा चीज़ छोटे-छोटे चीजों से मिलकर ही बना है।
भावार्थ
साथी हाथ बढाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोडा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना
नए शब्द/कठिन शब्द
साथी- साथ देने वाला
हाथ बढ़ाना- मदद करना
बोझ- भारी वस्तु
मेहनतवाले- परिश्रमी
कदम बढ़ाना- आगे चलना
परबत- पर्वत
सीस- सिर
फ़ौलादी- लोहे की तरह मजबूत
सीना- छाती
चट्टान- बड़े पत्थर
पैदा कर दें राहें- रास्ता निकाल दें
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों के द्वारा कवि ने लोगों को साथ मिलकर काम करने को प्रेरित किया है। गीत की इन पंक्तियों में कवि बताते है कि अकेला व्यक्ति अगर कुछ पाने का प्रयास करे तो थक जाता है परंतु अगर सब मिल-जुलकर के कार्य करे तो बड़े से बड़े लक्ष्य तक आसानी से पहुँच सकते हैं। इसलिए कवि चाहते हैं कि भारत निर्माण में सभी हिस्सेदार बने। कवि कहते हैं कि मेहनती लोगों ने जब भी मिलजुलकर काम किया है सागर और पर्वतों को भी पार कर दिया है। कवि कहते हैं हमारी बाहें और सीने फौलाद के बने हैं, बस जरुरत है तो सबको साथ मिलकर काम करने की जरुरत है।

मेहनत अपनी लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना
कल गैरों की खातिर की, अब अपनी खातिर करना
अपना दुःख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक
अपनी मंजिल सच की मंजिल, अपना रास्ता नेक
साथी हाथ बढ़ाना
नए शब्द/कठिन शब्द
लेख की रेखा- भाग्य की रेखा
गैरों- परायों
खातिर- के लिए
मंजिल- लक्ष्य
नेक- भलाई
भावार्थ- कवि प्रेरणा देते हुए कहता है कि मेहनत ही हमारी नियति है। अत: इससे क्या डरना। अभी तक दूसरों के लिए परिश्रम करते थे अब परिश्रम करने की बारी अपने लिए आई है। यहाँ पर कवि का तात्पर्य लोगों को याद दिलाने से है कि कल तक गैरों (अंग्रेजों) के लिए काम किया अब अपने लिए अर्थात् आजाद भारत के निर्माण के काम करना है।

साथ ही कवि ने सुख-दुःख को लोगों का साथी बताया है क्योंकि यह तो एक क्रम की तरह जीवन में चलता ही रहता है। अत: अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा ज़र्रा
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है पर्वत
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत
साथी हाथ बढ़ाना
नए शब्द/कठिन शब्द
दरिया- नदी
ज़र्रा- कण
सेहरा- रेगिस्तान
राई- सरसों
भावार्थ- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि एकता की ताकत को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि एक-एक बूंद मिलकर दरिया ब जाता है। छोटे-छोटे जर्रा से मिलकर सेहरा बन जाते हैं। छोटे राई के दाने मिलकर पर्वत बना देने की क्षमता रखते हैं। उसी प्रकार यदि प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करें तो भाग्य को भी पलट कर रख सकते हैं।

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साथी हाथ बढ़ाना गीत से क्या सीख मिलती है?

इस गीत से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें प्रत्येक कार्य मिल-जुलकर करना चाहिए, परिश्रम से कभी घबराना नहीं चाहिए। और सभी के सुख-दुख में सहयोग देना चाहिए। यह कविता हमें एकता और संगठन की शक्ति के बारे में भी बताती है।

साथी हाथ बढ़ाना कविता का संदेश क्या है?

Class 6 Hindi साथी हाथ बढ़ाना (Sathi Hath Badhana) Full Explanation | भावार्थ - YouTube.