सेवा करने से क्या लाभ होता है? - seva karane se kya laabh hota hai?

जैसे कचरे का ढेर पड़ा हो तो उसमें कई तरह की चीजें रहती है अच्छी भी खराब भी, पर हम उसे कचरा ही कहते हैं, जबकि कबाड़ी उसमें से छांट कर अलग अलग करके दोनो की कीमत वसूल करता है।

हमारे भी संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं। जब हम डेरे में सेवा करते हैं, मान लो हमने रोड बनाने की सेवा की। प्रोग्राम के समय कई संगत उस पर चलती है, उनमें कई रुहें ऐसी भी होती हैं जिनके हम कर्जदार हो।

यह हम नही जानते पर मालिक को सब पता होता है। न सिर्फ रोड की सेवा, बल्कि डेरे हर सेवा में, प्याऊ, लंगर, कैंटिन, सिक्युरिटी, मोटर, सायकल स्टेंड, टॉयलेट, लॉन, पंडाल, ट्रांसपरंट, ट्रेफिक, बुक स्टॉल, पाठी आदि तरह की हर सेवा जो भी होती हैं, सब में यह नियम लागू होता है।

यही नही बल्कि जो भी जिस घर से सेवा पर  जाता है, उसके घर वालों को भी उसका फायदा होता है, क्योंकि कुछ उस सेवादार की जिम्मेदारियां भी उसके घर वालों ने ली हैं तो

सेवा सबसे बड़ा धर्म होता है। सेवा की भावना इंसान में न हो तो माना जाता है कि वह पशु प्रवृत्ति वाला है। सेवा भाव के बारे में कवियों व विचारकों ने भी अपनी रचनाओं में स्थान दिया है, कि मनुष्य की प्रवृत्ति सेवा व परोपकार की होती है और जो सिर्फ अपने बारे में सोचता है उसे जानवर की श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि अपने बारे में सोचने की प्रवृत्ति पशुओं की होती है। इस कविता का यही मतलब था कि हम एक समाज में एक राष्ट्र में रहते हैं। ऐसे में हमें एक दूसरे के साथ जुड़कर रहना चाहिए। समय पड़ने पर एक दूसरे की सहायता व सेवा करनी चाहिए। हमें बच्चों को इन गुणों के बारे में बताना चाहिए। सेवा का धर्म बच्चों को अच्छे संस्कार देने से अपने आप आ जाता है।

अभिभावकों व शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों के सामने स्वयं उदाहरण बनें और उन्हें दिखाएं कि सेवा क्या होती है। उन्हें सेवा पढ़ाकर नहीं सिखाई जा सकती है। बल्कि अपने आचरण में ढाल कर उन्हें दिखाना होता है कि यह सेवा होती है और इससे क्या लाभ होता है। घर में बड़ों की सेवा जब तक माता पिता नहीं करेंगे तब तक बच्चों को भी समझ में नहीं आएगा। ऐसे में बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए, ताकि बच्चा देखे व वह खुद सीखे कि सेवा क्या होती है।

दूसरों के लिए सेवा व समर्पण जीवन की सफलता का मूलमंत्र माना गया है। हमारे वेद पुराण, ग्रंथ उपनिषद इंसान को परहित में लगे रहने की सीख देते हैं। परोपकार को मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा गुण माना गया है। चाणक्य ने कहा है कि जिसके हृदय में सदा सेवा की भावना रहती है उनकी विपत्तियां नष्ट हो जाती हैं और संपत्तियां प्राप्त होती हैं। उनकी बात का यही मतलब था कि अगर समाज का हर व्यक्ति सेवा भाव वाला हो जाए तो समाज का स्वरूप बदला जा सकता है। कोई परेशान नहीं रहेगा और सभी एक दूसरे के साथ मिलकर चलेंगे। इससे स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा। बच्चों में इस भावना को डालने के लिए उनके सामने उदाहरण पेश करने होंगे। शिक्षकों व अभिभावकों को अपने मन में सेवा की भावना रखकर काम करना होगा, ताकि विद्यार्थियों में भी इन गुणों का संचार किया जा सके। इस भावना को लेकर बड़े बड़ी कवियों व ग्रंथ रचयिताओं ने भी कहा है। उदाहरण भी दिए हैं। कवि कबीर दास ने कहा था कि पेड़ कभी अपने फलों को नहीं खाता और न नदी अपना पानी पीती है। इसका मतलब, उनमें दूसरों के प्रति की भावना होती है। इसलिए इंसान को नदी व वृक्ष के समान अपने आप को बनाना चाहिए, ताकि दूसरों की सहायता कर सकें। दूसरों की सहायता करके हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। परोपकार ऐसा सदगुण है जिसे अपनाने से असीम सुकून व शांति का अहसास होता है। भागदौड़ भरे इस जीवन में लोग इस शब्द को भूल ही गए हैं। ऐसे में समाज विघटन की ओर अग्रसर हो रहा है। अगर भावी पीढ़ी में इन गुणों का संचार किया जाए तो निश्चित रूप से हम समाज का पुनर्निर्माण कर सकेंगे। इसकी आवश्यकता भी है। बच्चों में विभिन्न गतिविधियों व क्रियाकलापों के माध्यम से इस गुण को भरा जा सकता है। बच्चों में एक दूसरे के परस्पर सहयोग की भावना को भरने से ईष्र्या जैसी चीजों को जड़ से निकाल कर फेंका जा सकता है। जीवन में इस गुण को अपना कर अपने जीवन के साथ साथ दूसरों के जीवन में भी सकारात्मकता का संचार किया जा सकता है। इसी सकारात्मक परिवेश व माहौल से सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा जा सकता है। ऐसे में हमें जीवन पर्यत परोपकार का दामन नहीं छोड़ना चाहिए। समाजसेवा के माध्यम से समाज के तमाम वर्ग की दूरी को पाटा जा सकता है। माता पिता व शिक्षकों से संयुक्त प्रयासों से बच्चों में इन गुणों का संचार आसानी से किया जा सकता है।

- संगीता सक्सेना, प्राचार्य, डीपीएसजी, पालमविहार।

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शिक्षकों की बात

बच्चों में सेवा की भावना डालने के लिए उनके सामने पहले खुद वैसे काम करने होंगे। उनमें बचपन से ही इस भावना का संचार करना होगा कि केवल अपनी भलाई तक ही सीमित न रहें। दूसरों को कष्ट में देखकर भी चुप रहने की जगह उनकी सहायता करें। जैसा हम करते हैं वैसे बच्चे भी करते हैं। लिहाजा हमें सतर्क रहना चाहिए।

- विनोद बाला, शिक्षिका, सेक्टर 57।

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आज के दौर में समाज में संवेदनहीनता की स्थिति बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब समाज को बदलने की जरूरत है। यह काम एकदम से संभव नहीं है इसके लिए भावी पीढ़ी को सचेत करने की आवश्यकता है। युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति'ललक पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

- रुचिका, शिक्षिका, सेक्टर 15।

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बच्चों में सेवा की भावना भरी जा सकती है। उन्हें उन स्थानों पर ले जाया जाना चाहिए जहां कि जरूरतमंद लोग रहते हैं। उन्हें किस तरह की समस्याएं आती हैं इस बारे में बच्चों को बताया जाना चाहिए। धीरे धीरे उनके अंदर दया भावना व सेवा के गुण आ जाएंगे।

- मनीषा शर्मा, शिक्षिका, सुशांत लोक।

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विद्यार्थियों की बात

हमें एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए व बड़ों तथा कमजोर वर्ग की सेवा करनी चाहिए। ऐसा करके हम किसी के जीवन में खुशी भर सकते हैं। हमारी थोड़ी से मदद से किसी को खुशी व सहायता मिल जाए तो हमें भी अच्छा महसूस होगा।

- आदर्श द्विवेदी, कक्षा 12, डीपीएसजी, पालम विहार।

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कभी किसी को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए। किसी को दुखी करने से अपना मन भी दुखी होता है। समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास संसाधन नहीं हैं ऐसे में हमें उनकी मदद करनी चाहिए। समाजसेवा में अपने आप को लगाना चाहिए। इससे हमारे देश की तरक्की हो सकेगी।

- निक्की त्यागी, कक्षा 11 डीपीएसजी, पालम विहार।

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कभी भी किसी की सेवा करने से हमें खुशी मिलती है। किसी को हमारी मदद व सेवा की जरूरत है तो उसकी मदद करनी चाहिए। इससे हमारा व्यक्तित्व भी अच्छा माना जाता है। तनिका यादव, कक्षा 12, डीपीएसजी, पालम विहार।

सेवा करने से क्या लाभ मिलता है?

निस्‍वार्थ सेवा आपको बनाती है ज्‍यादा बेहतर इंसान, जानिए दूसरों की मदद करने के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य लाभ.
औरों की मदद करने से मिलती है संतुष्टि ... .
अपनेपन की भावना आती है ... .
आपको जीवन का उद्देश्य समझ आता है ... .
आपका नजरिया पॉजिटिव होता है ... .
आपका आत्मविश्वास बढ़ता है ... .
आप बेहतर दोस्त बना पाते हैं.

सेवा करने से क्या होता है?

क्या होता है, सेवा से सेवा करने की भावना, सेवा के लिए संबंध ,हमारे जीवन को प्रसन्नता और खुशियों से भरता है। हमारी इस भावना से मन में हमें शांति , खुशियां ,और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलती है।

माता पिता की सेवा करने से क्या फल मिलता है?

माता-पिता और गुरु की सेवा एवं सम्मान करने पर दीर्घायुभव, आयुष्मान भव, खुश रहो आदि आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। वृद्धजनों का आशीर्वाद हृदय से मिलता है। कहा गया है कि जिस तरह वनस्पतियों में सूर्य से जीवन प्राप्त होता है, वैसे ही माता-पिता आदि वृद्धजनों के आशीर्वाद से जीवन संचारित होता है।