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‘स्वागत है’ काव्य मेंदी गई सलाह। ____________ मॉरिशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत करते हुए कवि कहता है कि हे मेरे हृदय के टुकड़ो, उस पुरानी कथा को भूल जाओ। भूल जाओ कि किस प्रकार आप लोगों को अपने परिजनों से अलग कर दिया गया। इस प्रकार अपनी मातृभूमि से अलग होना ही आपकी किस्मत में था। अब उस पर रोने से कोई लाभ नहीं है। जहाजों द्वारा आप सबको यहाँ लाए जाने की घटना को सोचकर दुखी होने पर भी अब उसे अनहुआ नहीं किया जा सकता। आज युगों के बाद हम सब मिल रहे हैं। देखो, आज सब कैसे साथ-साथ हैं। ऐसा लगता है मानो इस धरती पर एक लघु भारत बन गया हो। और उस अपने छोटे-से भारत के प्रांगण में आज युगों के बाद हम एक ही माता के बालक मिल रहे हों। मॉरिशस तो अब हमारे मायके के समान है। वहीं हमें हमारे परिवार के लोग मिलेंगे। अब हमारे बीच देश-विदेश का भेद नहीं रहेगा। हम सभी एक ही समाज के सदस्य हैं। इस धरती पर जब हम लाए गए, तो यह जंगलों और पत्थरों से भरी थी। हमारे बंधुओं ने अपने अथक प्रयासों से इन पत्थरों में प्राण डाले। उन्होंने पसीने के रूप में अपना लहू बहाया। तब यह भूमि मॉरिशस का सुंदर रूप ले पाई। हे मेरे बंधुओ, इस भूमि पर तुम सभी की स्मृति गहराई तक अंकित है। हमारे पूर्वजों ने इस सुंदर देश का निर्माण किया है। तुम भी आओ और इस भूमि को स्वर्ग में परिवर्तित कर दो। स्वागत है ! स्वागत-स्वागत-स्वागत है । आओ, आओ, आओ! ओ मेरे भाइयो! बिखरे हुए मेरे परम दोस्तो! आप सबों का सप्रेम स्वागत है एक ही माँ के बालक हैं हम और अनेक देशों में बिखरे हैं आज मिलन हमारा हो रहा कई युगों के बाद तुम सब मॉरिशस की भूमि पर पधार रहे हो आज स्वागत है! हम सब जहाजिया भाई ठहरे कोई इस जहाज पर चढ़ा था, तो कोई उस जहाज पर और जब जहाज पानी में बहने लगे, तो एक ही देश में नहीं पाए गए लंगर पड़ा जब समुद्र तट पर, हक्का-बक्का ताकने लगे, अरे! कहाँ आ गए हम इतनी दूर! अरे! मेरे भाई-भतीजे कहाँ हैं? इस जहाज में जगह नहीं थी फिर उस जहाज पर तो चढ़े थे स्वागत है! भल जाओ वह पुरानी कथा मेरे हृदय के टुकड़ो! भूल जाओ वह जहाजी कारनामे जो होना था प्रारब्ध में, वही तो हुआ हम सबके साथ अब रोना, रोने से क्या होगा? जहाजी प्रणयन को सोचना क्या, आज तो हम मिल ही रहे हैं, युग-युगांतरों बाद देखो, हम सब कैसे साथ हैं आज, लघु भारत के प्रांगण में! स्वागत है! पनिया-जहाज पर कौन चढ़ेगा अब भैया, बड़ा डर लग रहा है उससे तो कहीं पुनः दोहरा न दे इतिहास हमारा इस-उस धरती पर बिखर न जाएँ, खोजते हुए निज बंधुओं को आसमान की राह पकड़ आगे चल, मॉरिशस की भूमि पर उतरेंगे सब नैहर हो जैसे वही हमारा बाबुल के लोग वहीं मिलेंगे देश परदेश के नाम मिटेंगे, आँसू थामे वहीं मिलेंगे स्वागत है! हे मेरे गिरमिटिया भाई! ‘परमीट’ अपनी जिगरछाप थी, पर दासता पंक में जा गिरे थे कितने युग लगे पंकज बनने में, ‘मारीच’ से मॉरिशस बनने में, देखो इस पावन भूमि पर बन बांधवों का सफल प्रणयन यह तो तब था, घास ही पत्थर पत्थर में प्राण हमने डाले देखो इस देश को घूम-घूमकर बिछड़े बंधुओं के लहू कणों का स्वागत है! फीजी-सूरीनाम-पाक-गयाना ! साऊथ अफ्रीका, यूके-यूएसए-कनाडा! फ्रांस रेनियन आदि के सहोदर बंधुओ! इस भूमि में तुम सभी की स्मृति अंकित है तल तक, कहते हैं ‘स्वर्ग’ इसे हिंद महासागर का कल्पना है या सत्य है? प्रिय भाइयो, कल्पना भी हो तो स्वर्ग इसे तुम बना जाओ स्वागत-स्वागत-स्वागत है ! स्वागत है कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]कवि परिचय -
काव्य प्रकार -
काव्य परिचय -
स्वागत है कविता 11वी हिंदी [ स्वाध्याय भावार्थ ]
स्वागत है कविता के अनुसार हम सब क्या हैं *?'स्वागत हैं' काव्य में दी गई सलाह। उत्तर : युग-युगांतरों के बाद आज हम मिले हैं – हमारा इतिहास, कष्ट सब भूलकर हमें इकट्ठा होना है – नैहर आकर अपनों को मिलना है, शेष जिंदगी सुखपूर्वक बितानी है।
स्वागत किसकी कविता है *?स्वागत -आरसी प्रसाद सिंह
स्वागत है कविता में कवि ने किसका स्वागत किया है *?प्रस्तुत कविता में कवि प्रवासी भारतीयों को अपनी विगत दुखद स्मृतियाँ भुलाकर मॉरिशस आने के लिए प्रेरित कर रहा है। अब माॅरिशस की भूमि नैहर के समान है, जहाँ परिजनों से मिलाप होगा। लघु भारत के आँगन में कवि सभी का स्वागत कर रहा है। कवि ने गिरमिटियों के जीवन में आए सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया है ।
स्वागत है .इस कविता में कवि ने मॉरीशस की भूमि को क्या कहा है?कवि दानिश्वर 'स्वागत है' कविता में कहते हैं कि मारीशस की पावन धरती पर सभी देशवासियों का स्वागत है। मेरे देशवासियो जब हम इस धरती पर लाए गए थे, तो यह बंजर भूमि का टुकड़ा थी, लेकिन हमारे पूर्वजों ने इसे अपने पसीने से सीख कर उन्नत बनाया। अब यह भूमि हमारे लिए मायके के समान है।
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