स्वर यंत्र में कौन सी उपास्थि होती है? - svar yantr mein kaun see upaasthi hotee hai?

विषयसूची

  • 1 उपास्थि क्या होता है?
  • 2 कपाल की कौन सी अस्थि गति करती है?
  • 3 अस्थि और उपास्थि में क्या अंतर है?
  • 4 हड्डी और उपास्थि में क्या अंतर है?
  • 5 कंदूक खली का संधि क्या है?
  • 6 हमारी कोहनी पीछे की तरफ क्यों नहीं मुड़ सकती है?
  • 7 अस्थि संस्थान के क्या कार्य है?

उपास्थि क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंउपास्थि मानव शरीर एवं अन्य प्राणियों में पाया जाने वाला लचीला संयोजी उत्तक है। यह हमारी मज्जा में स्थापित कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकाओं से बने होते हैं। कान की हड्डी, नाक की हड्डी, अस्थियों के जोड़ आदि उपास्थि के बने हैं। उपास्थि की संरचना के अनुसार ये कोलेजन या एलॉस्टिन के बने होते हैं।

कपाल की कौन सी अस्थि गति करती है?

इसे सुनेंरोकें(ख) कपाल की कौन सी अस्थि गति करती है? उत्तर: कपाल में केवल नीचे वाले जबड़े की अस्थि, गति करती है ।

तरुण अस्थि का स्थान क्या है इसके भेद और कार्य भी समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंअस्थियाँ या हड्डियाँ रीढ़धारी जीवों का वह कठोर अंग है जो अन्तःकंकाल का निर्माण करती हैं। यह शरीर को चलाने (स्थानांतरित करने), सहारा देने और शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करने मे सहायता करती हैं साथ ही यह लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने और खनिज लवणों का भंडारण का कार्य भी करती हैं।

अस्थि और उपास्थि में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंअस्थि एवं उपास्थि में क्या अंतर है? अस्थि – यह कठोर होती है। उपास्थि –यह लचीली होती है।

हड्डी और उपास्थि में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंएक हड्डी एक कठोर संयोजी ऊतक है, जबकि उपास्थि नरम संयोजी ऊतक है। हड्डियां शरीर के कंकाल की संरचना बनाती हैं, जबकि उपास्थि नाक, कान, पसलियों, स्वरयंत्र और जोड़ों में मौजूद होती है और इन जोड़ों में सदमे अवशोषक के रूप में भी कार्य करती है।

कोहनी में कौन सी संधि पाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंकोर संधि हमारे शरीर की कोहनी में पाई जाने वाली एक अस्थि है। इस तरह की संधि में एक अस्थि का सिरा गोल होता है जो दूसरी अस्थि के अवतल भाग से जुड़ा रहता है। इस तरह कोर संधि बनती है।

कंदूक खली का संधि क्या है?

इसे सुनेंरोकें(क) कंदुक खल्लिका संधि क्या है? उत्तर: कंदुक खल्लिका संधि में अस्थि का गोल सिरा दूसरी अस्थि के कटोरी रूपी गुहिका में ध्ंसा होता है। इस के कारण कंधे और घुटने जैसे जौड़ो में, सभी दिशाओं में गति सम्भव हो जाती है।

हमारी कोहनी पीछे की तरफ क्यों नहीं मुड़ सकती है?

इसे सुनेंरोकेंकोहनी पीछे की ओर नहीं मुड़ सकती क्योंकि इसमें हिंज संधि होती है । जो केवल आगे-पीछे की गति प्रदान करती है तथा एक तल में गति कर सकती है।

अस्थियों के कितने प्रकार हैं?

इसे सुनेंरोकेंअस्थि दो प्रकार की होती है: कलाजात अस्थि और उपास्थि जात अस्थि। वयस्क अवस्था में मनुष्य शरीर में 206 अस्थियां होती हैं जबकि अभी जन्मे शिशु में लगभग 300 अस्थियां पाई जाती हैं। उपास्थि:- उपास्थि का निर्माण कंकाल के संयोजी ऊतकों से होता है।

अस्थि संस्थान के क्या कार्य है?

इसे सुनेंरोकेंइनका निर्माण कैल्शियम, फास्फेट, कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्निशियम फास्फेट आदी खनिज पदार्थों के योग से होता है। एक तरफ तो अस्थि संस्थान शरीर को बुनियादी ढांचा प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर यह शरीर के आंतरिक अंगों को कार्य करने के लिए सुरक्षा कवच तथा कार्य करने के लिए उचित स्थान प्रदान करता है।

मानव शरीर में किस अंग में उपास्थि होती है

मानव शरीर में किस अंग में उपास्थि होती है अस्थि एवं उपास्थि में अंतर स्पष्ट कीजिए उपास्थि वाले का क्या कार्य होता है हड्डी को हड्डी से कौन जोड़ता है स्वर यंत्र में कितनी उपास्थि पाई जाती है किस जीव में हड्डी नहीं होती अस्थि क्या है उपास्थि in English जोड़ों के कितने प्रकार होते हैं

1 Answers

उपास्थि में लचीलापन होता है। हमारी नाक की चोटी और बाह्य कान इसी का बना होता है। वैसे यह ऊतक हमारे शरीर के अंगों में बहुत ही कम होता है। शार्क मछलियों का पूरा कंकाल तंत्र उपास्थि का बना होता है।

HomeScience शशक का स्वर-यंत्र तथा ध्वन्योत्पादन || shashak ka svar-yantr dhvanyotpaadan

इसे पिछेल पोस्ट में हमनें  शशक का श्वसन तन्त्र के बार में जाना था और अब हम  शशक का स्वर-यंत्र तथा ध्वन्योत्पादन के बारे में जानेगें

स्वर यंत्र में कौन सी उपास्थि होती है? - svar yantr mein kaun see upaasthi hotee hai?



 स्वर-यंत्र तथा ध्वन्योत्पादन(LARYNX AND SOUND PRODUCTION)

स्वर-यंत्र (Larynx) शशक में श्वासनाल के अग्र छोर पर एक छोटा-सा बक्सेनुमा कण्ठ या स्वर-यंत्र अर्थात् लैरिंक्स (larynx) होता है, जो कण्ठद्वार (glottis) से ग्रसनी में खुलता है। वायु-मार्ग (windpipe) का एक भाग होने तथा ग्रसनी एवं वायुनाल के बीच हवा के आवागमन में एक संकोचक (sphincter) की भाँति काम करने के अतिरिक्त, लैरिंक्स ध्वन्योत्पादन (sound-production) का भी काम करता है। इसकी दीवार में चार उपास्थीय प्लेटें होती हैं जो इसे फैलाये एवं साधे रखती हैं। ये प्लेटें झिल्लियों एवं स्नायुओं (ligaments) द्वारा परस्पर जुड़ी होती हैं। कई पेशियाँ इन्हें हिलाने-डुलाने का काम करती हैं। ये प्लेटें होती हैं-

(1) थाइरॉइड (Thyroid) यह सबसे आगे स्थित, लैरिक्स की सबसे बड़ी एवं चौड़ी छल्लेनुमा हायलाइन उपास्थि की प्लेट होती है। यह लैरिक्स की दीवार के केवल अधर एवं पाव भागों का कंकाल बनाती है। (चित्र 1)। इसके अयपृष्ठ (antero- dorsal) कोणों से एक-एक प्रवर्ध निकल कर हाइऔइड (hyoid) के पश्च भूगों (posterior cornu) पर सधे रहते हैं। इन प्रवर्धो के अतिरिक्त, थाइरॉइड के अग्र-अघर छोर से घाँटीढापन (epiglottis) की पतली एवं लचीली तन्तुमय उपास्थि आगे प्रसनी में बढ़ी रहती है। यह कण्ठद्वार (glottis) को भोजन निगलते समय बन्द करने का काम करती है। मनुष्य में थाइरॉइड का ही अधर भाग फूलकर टेंटुआ या कण्ठमणि (Adam's apple or pomum Adami) बनाता है।

स्वर यंत्र में कौन सी उपास्थि होती है? - svar yantr mein kaun see upaasthi hotee hai?
    
                                 चित्र 1 स्वर-यंत्र के A. पाश्र्व एवं B. पृष्ठ दृश्य


(2) क्रिकॉइड (Cricoid) 

यह थाइरॉइड के पीछे स्थित छोटी, परन्तु मोटी एवं मजबूत हायलाइन उपास्थि होती है। यह पूरे छल्ले के आकार की होती है, परन्तु इसका पृष्ठ भाग कुछ चौड़ा तथा अघर भाग सँकरा होता है।


(3) ऐरिटीनॉइड्स (Arytenoids)

ये क्रिकॉइड के अग्रपृष्ठ किनारे से लगी दो छोटी हायलाइन उपास्थियाँ होती हैं। प्रत्येक ऐरिटीनॉइड के स्वतंत्र सिरे पर लचीली तन्तुमय उपास्थि की एक छोटी घुण्डी होती है जिसे सैन्टोरिनि की उपास्थि (cartilage of Santorini) कहते हैं। कण्ठद्वार से क्रिकॉइड उपास्थि के पश्च किनारे तक फैली लैरिंक्स की गुहा को कण्ठ कोष (laryngeal chamber) कहते हैं। इस पर श्लेष्पिका का आवरण होता है। इसमें, मेंढक की भाँति, लचीले वाक् या स्वर-तन्तु (vocal cords) होते हैं, परन्तु इनकी एक नहीं, वरन् दो जोड़ियाँ होती हैं और ये पेशीय न होकर महीन झिल्ली के बने होते हैं। इनकी पहली जोड़ी ऐरिटीनॉएड उपास्थियों के अगले सिरों से तथा दूसरी इन्हीं के पिछले सिरों से थाइरॉइड उपास्थि तक फैली होती हैं। प्रथम जोड़ी के तन्तु मिथ्या स्वर तन्तु (false vocal cords) तथा दूसरी के यथार्थ स्वर-तन्तु (true vocal cords) कहलाते हैं। दोनों जोड़ी स्वर-तन्तु कण्ठ-कोष की श्लेष्मिका के ही भंज (folds) होते हैं जिनमें भीतर इलास्टिन तंतु उसे रहते हैं। मिथ्या स्वर-तन्तु मोटे एवं गुलाबी से तथा यथार्थ तन्तु महीन एवं सफेद-से होते हैं। दोनों जोड़ी स्वर-तन्तु इस प्रकार स्थित होते हैं कि इनके बीच एक पतली-सी दरार रह जाती है। यह दरार ही घाँटीद्वार या कण्ठद्वार (glottis) होती है। फेफड़ों से बाहर निकलते समय जब हवा यथार्थ तन्तुओं के बीच से निकलती है तो इनमें कम्पन होता है। इसी से ध्वनि उत्पन्न होती है। वैसे शशक अधिकतर चुप ही रहता है। मिथ्या स्वर-तन्तु ध्वन्योत्पादन में भाग नहीं लेते। ध्वनि को तीव्र या मन्द करने के लिए स्वर-तन्तु फैलकर या सिकुड़कर घाँटीद्वार को छोटा या बड़ा करने की क्षमता रखते हैं। स्वर-तन्तुओं का फैलना या सिकुड़ना उपास्थीय प्लेटों से लगी पेशियों की क्रिया पर निर्भर करता है।
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स्वर यन्त्र में कौन सी उपास्थि होती है?

Solution : स्वर यंत्र में नौ उपास्थि पाई जाती हैं।

स्वरयंत्र के तीन प्रमुख उपास्थि कौन से हैं?

स्वरयंत्र के कंकाल में तीन अयुग्मित मिडलाइन कार्टिलेज और चार जोड़ी छोटे कार्टिलेज होते हैं। तीन अयुग्मित उपास्थि एपिग्लॉटिस, थायरॉयड और क्रिकॉइड हैं।

स्वर यंत्र से क्या उत्पन्न होता है?

ठीक इसी समय अनुनादक अर्थात् स्वरयंत्र का ऊपरी भाग, ग्रसनी, मुख तथा नासा अपनी अपनी क्रियाओं द्वारा स्वर में विशेषता तथा मृदुता उत्पन्न करते हैं। इसके उपरांत उक्त स्वर का शब्द उच्चारण के रूपांतर उच्चारक अर्थात् कोमल, कठोर तालु, जिह्वा, दाँत तथा ओंठ करते हैं। इन्हीं सब के सहयोग से स्पष्ट शुद्ध स्वरों की उत्पत्ति होती है।

निम्नलिखित में से कौन से स्वरयंत्र उपास्थि लोचदार उपास्थि हैं?

एपिग्लॉटिक कार्टिलेज जिसे एपिग्लॉटिस या केवल ग्लोटिस के रूप में भी जाना जाता है, एक लोचदार कार्टिलेज है जो पत्ती की तरह दिखता है। जब मौखिक सामग्री को निगल लिया जाता है, तो यह स्वरयंत्र के प्रवेश द्वार को बंद करके कार्य करता है।