स्विट्जरलैंड के प्रत्यक्ष प्रजातंत्र से आप क्या समझते हैं? - svitjaralaind ke pratyaksh prajaatantr se aap kya samajhate hain?

  • प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन, गुण व दोष
  • प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन
    • 1. लोक निर्णय-
    • 2. आरम्भक-
    • 3. प्रत्यावर्तन-
    • 4. प्रारम्भिक सभाएँ-
  • प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के गुण-
  • प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के अवगुण-
      • Important Links
    • Disclaimer

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन, गुण व दोष

स्विट्जरलैंड के प्रत्यक्ष प्रजातंत्र से आप क्या समझते हैं? - svitjaralaind ke pratyaksh prajaatantr se aap kya samajhate hain?

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है?

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है? – लोकतंत्र प्राय: दो प्रकार का होता है-अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष। अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र में सम्प्रभुता सम्पन्न जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से प्रभुसत्ता का प्रयोग न कर अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्य करती है। इसे प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र की संज्ञा भी प्रदान की जाती है । हर्नशा के अनुसार, ‘यह प्रतिनिधियों के माध्यम से सर्वोत्तम सत्तावान जनता का शासन होता है।” अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र अमरीका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, भारत आदि देशों में है। किन्तु जब प्रभुसत्तावान जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन कार्यों में भाग लेती है, नीति-निर्धारण करती है, विधि निर्माण करती है और प्रशासनाधिकारी नियुक्त कर उन पर नियंत्रण रखती है, तो उसे प्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहते हैं । हर्नशा के अनुसार, “शुद्ध रूप में लोकतंत्रीय शासन वह शासन है जिसमें सम्पूर्ण जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से बिना कार्यवाहकों या प्रतिनिधियों के प्रभुसत्ता का प्रयोग करती है। प्राचीन काल में यूनानी नगर राज्यों और भारत के वज्जिसंघ में प्रजातंत्र प्रत्यक्ष रूप में ही था।वर्तमान समय में स्विट्जरलैण्ड के 5 कैण्टनों आउटर अपनजैल, ऊरी, अण्टकवाल्डेन तथा ग्लारस में प्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रचलित है।

इस तरह जब नागरिक स्वयं प्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक विषयों पर अपना मत प्रकट करें और शासन संचालन में प्रत्यक्षतः निर्णायक भूमिका का निर्वाह करें तो ऐसे शासन को प्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहते हैं। वस्तुतः प्रत्यक्ष प्रजातंत्र में स्वयं जनता राज्य का संचालन करती है और सार्वजनिक विषयों पर अपनी इच्छा प्रकट करती है। यह व्यवस्था छोटे राज्यों में ही सम्भव है। प्राचीन यूनान के छोटे आकार वाले नगर राज्यों में तो यह सरलतापूर्वक सम्भव था, लेकिन आधुनिक पर परिस्थितियों में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र को बड़े पैमाने पर लागू करने के मार्ग में कठिनाइयों को महसूस किया जाता है। हालाँकि आज भी स्विट्जरलैण्ड के कुछ उपराज्यों में, जिन्हें केन्टन कहा जाता है, प्रत्यक्ष प्रजातंत्र प्रचलित है। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के लिए समाज में यथेष्ट समानता एवं सम्पन्नता होनी चाहिए तथा लोगों के पास सार्वजनिक कार्यों के लिए पर्याप्त समय होना चाहिए।आधुनिक युग की विशाल जनसंख्या वाले देशों जैसे भारत, चीन, रूस, आदि में तो प्रत्यक्ष प्रजातंत्र असम्भव ही है। इनमें से अनेक का क्षेत्रफल कई लाख वर्ग मील है। यही कारण है कि आजकल अधिकांश देशों में प्रतिनिधि मूलक प्रजातंत्र को अपनाया जाता है। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के लिए निम्नांकित आवश्यकताएँ हैं, जिनको एक साथ प्राप्त करना आज के युग में असम्भव है-

1. छोटे आकार का राज्य जिसके नागरिक सरलतापूर्वक एकत्रित हो सकें और जिसमें प्रत्येक नागरिक दूसरे नागरिक को आसानी से पहचान सकें।

2. व्यवहार की एकदम सादगी।

3. पद-प्रतिष्ठा और सम्पत्ति में पर्याप्त समानता।

4. बहुत कम विलासप्रियता और विलासहीनता।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के साधन

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र एक ऐसा लक्ष्य है जो आधुनिक युग के विशाल राष्ट्र राज्यों में प्राप्त नहीं किया जा सकता इसलिए कुछ आधुनिक राज्यों में प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्नांकित साधनों का प्रयोग किया जाता है, हालांकि वे सर्वत्र उपयोग प्रमाणित नहीं हुए हैं-

1. लोक निर्णय-

इस साधन के द्वारा विधान मण्डल द्वारा पारित विधियों पर साधारण जनता का मत जाना जाता है। लोक निर्णय को जनमत संग्रह भी कहते हैं, जिसका अभिप्राय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किये गये कानूनों को जनता के समक्ष उनकी स्वीकृति या अस्वीकृति के लिए रखने से है। जनमत संग्रह प्राय: दो प्रकार का होता है-एक-अनिवार्य जनमत जनता की स्वीकृति के लिए उसके सामने रखा जाता है; दो-ऐच्छिक या वैकल्पिक जनमत संग्रह, जिसमें व्यवस्थापिका द्वारा पारित किया हुआ कोई कानून जनता के सामने उसकी स्वीकृति हेतु तभी रखा जाता है जब नागरिकों की एक निश्चित संख्या इस संबंध में प्रार्थना करे।

2. आरम्भक-

इसके द्वारा जनता को प्रत्यक्ष रूप में विधि निर्माण का अधिकार मिलता है। यह नागरिकों की कुछ संख्या के द्वारा अपनी विधियों को प्रस्तुत करने यानी विधियों के सुझाव रख सकने का साधन है। इसके अन्तर्गत प्रायः संविधान के संशोधन या पुनर्निरीक्षण के संबध में विधि रखने की व्यवस्था रहती है। कहने का अभिप्राय यह है कि नागरिकों को सभी विषयों पर विधि निर्मित करने का अधिकार नहीं होता बल्कि संविधान में संशोधन करने मात्र की माँग का अधिकार होता है। यह संशोधन आंशिक एवं पूर्ण दोनों ही हो सकता है। यह संख्या निश्चित होती है (स्विट्जरलैण्ड में 50 हजार निर्धारित है) और यदि उस संख्या में नागरिक संशोधन की याचिका प्रस्तुत करते हैं तो उस पर जनमत लेना आवश्यक होता है।

यदि जनता ने आरम्भक द्वारा संविधान के पूर्ण संशोधन या पुनर्निर्वाचन की माँग की है अथवा पूर्ण संशोधन संबंधी प्रस्ताव का प्रारम्भ व्यवस्थापिका के किसी एक सदन ने माँग की है, लेकिन दूसरा सदन उससे सहमत नहीं है, तो निम्न प्रक्रिया अपनाने की व्यवस्था होती है-

(क) प्रस्ताविक संशोधन स्विस मतदाताओं के जनमत-संग्रह के लिए प्रस्तुत किया जायेगा कि संशोधन की आवश्यकता है अथवा नहीं।

(ख) मतदाताओं के बहुमत द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत होने पर संघीय व्यवस्थापिका का पुनर्निर्वाचन होता है। यहाँ राज्यों (कैंटनो) के बहुमत की आवश्यकता नहीं होती।

(ग) पुनर्निर्वाचन के पश्चात् नई संघीय व्यवस्थापिका के दोनों सदन उक्त प्रस्तावित संशोधन पर विचार करेंगे और उनके बहुमत द्वारा पारित होने पर वह संशोधन प्रस्ताव सर्वसाधारण और राज्यों के जनमत-संग्रह के लिए प्रस्तुत किया जायेगा तथा लोक निर्णय के पक्ष में होने पर वह संशोधन प्रस्ताव क्रियान्वित होगा।

आंशिक संशोधन के लिए प्रस्तुत आरम्भक के विषय में यह व्यवस्था है कि यह प्रस्ताव पूर्ण विधेयक के रूप में भी दिया जा सकता है और मोटे सुझावों के रूप में दिया जा सकता है। यदि आंशिक संशोधन का आरम्भक मोटे सुझावों के रूप में होता है तो निम्न प्रक्रिया निर्धारित है-

(क) व्यवस्थापिका की स्वीकृति प्राप्त हो जाने पर उसका विधेयक निर्मित होता है और उस विधेयक को सामान्य जनता एवं राज्यों (इकाइयों) की स्वीकृति प्राप्त होने पर क्रियान्वित किया जाता है।

(ख) यदि व्यवस्थापिका संशोधन प्रस्ताव को अस्वीकृत कर देती हैतोसंशोधन प्रस्ताव सामान्य जनता की स्वीकृति के लिए उसके सम्मुख रखा जाता है। इस स्थिति में राज्यों का मत जानने की आवश्यकता नहीं होता। यदि बहुमत उसे स्वीकार कर लेता है, तो व्यवस्थापिका उसके अनुरूप विधेयक तैयार करती है और उसे सामान्य जनता एवं राज्यों के जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत करेगी।

यदि आंशिक संशोधन की याचिका पूर्ण विधेयक के रूप में प्रस्तुत की जाती है, तो उसके संबंध में जो प्रक्रिया अपनायी जाती है वह निम्न प्रकार है-

(क) पक्ष में होने पर व्यवस्थापिका उस विधेयक को सामान्य जनता एवं राज्यों के जनमत- संग्रह हेतु पेश करेगी।

(ख) विपक्ष में होने पर व्यवस्थापिका के सम्मुख दो विकल्प हो सकते हैं-एक, वह सिफारिश करे प्रस्तावित संशोधन स्वीकृत कर दिया जाय; दो, वह जनता द्वारा प्रारूप के साथ अपने द्वारा निर्मित प्रारूप भी जनमत संग्रह के लिए प्रस्तुत कर सकती है। संशोधन प्रस्ताव को जनमत- संग्रह में जनता एवं राज्यों दोनों के बहुमत का समर्थन मिलना आवश्यक है।

यहाँ स्विट्जरलैण्ड के संदर्भ में यह बात अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि सामान्य विधियों के संदर्भ में आरम्भ की व्यवस्था नहीं है। किन्तु संवैधानिक संशोधन की आड़ में सामान्य विधियों से संबंधित प्रस्ताव भी प्रस्तुत कर दिये जाते हैं।

3. प्रत्यावर्तन-

यदि जनता चाहे तो अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को सभा से उनकी अवधि समाप्त होने से पहले ही वापस बुला सकती है। यदि मतदाताओं की एक निश्चित संख्या अपने प्रतिनिधि को वापस बुलाने का प्रस्ताव रखे और वह प्रस्ताव बहुमत से पारित हो जाय तो प्रतिनिधि के लिए अपने पद से हटने के सिवा कोई और विकल्प नहीं रहता।

4. प्रारम्भिक सभाएँ-

निर्धारित समय पर राज्य के वयस्क नागरिक एक स्थान पर एकत्रित होते हैं और विधियों एवं नीतियों का निर्माण करके प्रभुसत्ता का प्रयोग करते हैं। यह व्यवस्थ स्विट्जरलैण्ड के 4 अर्द्ध कैंटनों (राज्यों) तथा एक पूर्ण कैंटन में विद्यमान है। इन प्रारम्भिक सभाओ को लैण्डसजीमाइण्ड की संज्ञा प्रदान की जाती है।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के गुण-

1. सरकार की लोकप्रियता में वृद्धि

2. सरकार के व्यय और भ्रष्टाचार में भी कमी आ जाती है।

3. दलगत राजनीति के दोष कम हो जाते हैं।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के अवगुण-

1. राष्ट्रीय संकट के समय यह दोषपूर्ण और अनुचित हो जाता है।

2. इसमें पेशेवर राजनीतिज्ञों का विकास होने लगता है।

3. इसमें राजनीतिक दम्भ विकसित हो जाता है।

4. प्रत्येक व्यक्ति समान नहीं होता, जैसा कि यह मानता है।

5. सामान्य सामाजिक जीवन में कलह को बढ़ावा मिलता है।

6. इसमें अयोग्यता की पूजा होती है।

7. विधायकों में उदासीनता आ जाती है।

8. सभी निर्णय जनता पर छोड़ दिया जाता है, जबकि यह आवश्यक नहीं होता कि बहुमत द्वारा लिया गया निर्णय हमेशा उचित ही हो।

  • भारत के संविधान की विशेषताएँ

Important Links

  • प्लेटो के अनुसार शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य, पाठ्यक्रम, विधियाँ, तथा क्षेत्र में योगदान
  • प्रथम विश्व युद्ध (first world war) कब और क्यों हुआ था?
  • भारत में अंग्रेजों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के कारण
  • 1917 की रूसी क्रान्ति – के कारण, परिणाम, उद्देश्य तथा खूनी क्रान्ति व खूनी रविवार
  • फ्रांस की क्रान्ति के  कारण- राजनीतिक, सामाजिक, तथा आर्थिक
  • द्वितीय विश्व युद्ध 1939-1945 (2nd world war)- के कारण और परिणाम
  • अमेरिकी क्रान्ति क्या है? तथा उसके कारण ,परिणाम अथवा उपलब्धियाँ
  • औद्योगिक क्रांति का अर्थ, कारण एवं आविष्कार तथा उसके लाभ
  • धर्म-सुधार आन्दोलन का अर्थ- तथा इसके प्रमुख कारण एवं परिणाम

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us:

स्विट्जरलैंड में कौन सा प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का उपकरण है?

प्रशासन यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एकमात्र उदाहरण है।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र से क्या आशय है?

प्रत्यक्ष लोकतंत्र या सीधा लोकतंत्र में सभी नागरिक सारे महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों पर मतदान करते हैं। इसे प्रत्यक्ष कहा जाता है क्योंकि सैद्धांतिक रूप से इसमें कोई प्रतिनिधि या मध्यस्थ नहीं होता। सभी प्रत्यक्ष लोकतंत्र छोटे समुदाय या नगर-राष्ट्रों में हैं। इसे सीधा कहा जाता है क्योंकि ये लोकतंत्र का साधारण/सरल रूप है।

प्रजातंत्र का अर्थ क्या है?

लोकतन्त्र (संस्कृत: प्रजातन्त्रम् ) या प्रजातन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके अन्तर्गत जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी उम्मीदवार को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है, तथा उसे विधायिका का सदस्य बना सकती है। लोकतन्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है, "लोक + तन्त्र"।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का क्या अर्थ है?

प्रतिनिधिक लोकतंत्र (Representative democracy) वह लोकतन्त्र है जिसके पदाधिकारी जनता के किसी समूह द्वारा चुने जाते हैं। यह प्रणाली, 'प्रत्यक्ष लोकतंत्र' (direct democracy) के विपरीत है और इसी लिए इसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र (indirect democracy) और प्रतिनिधिक सरकार (representative government) भी कहते हैं।