सोवियत संघ ने विकास का कौन सा मॉडल अपनाया? - soviyat sangh ne vikaas ka kaun sa modal apanaaya?

राष्ट्रवादी नेताओं के मन में यह बात बिलकुल साफ थी कि आज़ाद भारत की सरकार के आर्थिक सरोकार अंग्रेजी हुकूमत के आर्थिक सरोकारों से एकदम अलग होंगे तथा वे उनको पूरा करने के लिए आर्थिक प्रणालियाँ अपनाएँगे। विकास के मॉडल को लेकर भारतीय नेताओं में मतभेद था कि विकास का कौन-सा मॉडल अपनाया जाए। आजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। अत:भारत के कई राजनेता व विचारक भारत को आधुनिक बनाने के लिए विकास के इसी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे।

इसके विपरीत दूसरा मॉडल था: समाजवादी मॉडल, यह मॉडल समाजवादी मार्क्सवादी विचारधारा पर आधारित था। इसमें आर्थिक क्रियाओं में राज्य या सरकार का हस्तक्षेप होता है। इसे सोवियत संघ ने अपनाया था। भारतीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मतभेद था कि विकास के किस मॉडल को अपनाया जाए। कुछ लोग पश्चिमी देशों की तरह आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को अपनाने के पक्ष में थे तो कुछ लोग समाजवादी मॉडल को अपनाने के पक्ष में थे। इस प्रकार कुछ लोग औद्योगीकरण को उचित रास्ता मानते थे और इसके माध्यम से भारत को विकास की दशा की और मोड़ना चाहते थे। और कुछ लोगों की नजर में कृषि का विकास करना और ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी को दूर करना सर्वाधिक जरूरी था।

भारतीय नेतृत्व में दूसरा मतभेद निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र की प्राथमिकताओं को लेकर था। कुछ लोग निजी क्षेत्र को तथा कुछ लोग सार्वजनिक क्षेत्र को प्राथमिकता देने के पक्ष में थे। इन सभी विचारों को लेकर सरकार असमंजस में थी कि विकास के किस मॉडल को और किस क्षेत्र को पहले प्राथमिकता दी जाए। अंत में इन मतभेदों को बातचीत के द्वारा हल लिया गया। फलस्वरूप भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया गया है जिसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों आते हैं। औद्योगीकरण और कृषि दोनों को समान रूप से महत्त्व देने का निर्णय लिया गया।

इसे सुनेंरोकेंदूसरे विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के अंकुश में आ गये। सोवियत सेना ने इन्हें फासीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था। इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या ‘दूसरी दुनिया’ कहा जाता है।

भारत में आजादी के बाद कौन सा मॉडल अपनाया?

इसे सुनेंरोकेंभारत में उदारीकरण और निजीकरण की नीति की शुरूआत से आर्थिक सुधार आया है। एक लचीली औद्योगिक लाइसेंसिंग नीति और एक सुगम एफडीआई नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ देना शुरू कर दिया।

देश में आजादी के बाद कौन सा मॉडल अपनाया था?

इसे सुनेंरोकेंविकास के मॉडल को लेकर भारतीय नेताओं में मतभेद था कि विकास का कौन-सा मॉडल अपनाया जाए। आजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ।

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मांग आधारित विधि का मॉडल किसका है?

इसे सुनेंरोकेंहैरोड-डोमर मॉडल आर्थिक विकास की प्रक्रिया में निवेश को एक महत्वपूर्ण तत्व मानते है क्योंकि निवेश दोहरी भूमिका निभाता है। एक ओर तो आय का निर्माण होता है और वहीं दूसरी ओर पूंजी स्टॉक में वृद्धि करके देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। निवेश की इस पहली विशेषता को ‘मांग प्रभाव’ और दूसरी को ‘पूर्ति प्रभाव’ कहा जाता है।

आजादी के समय विकास के कौन से दो मॉडल भारत के सामने थे?

इसे सुनेंरोकेंआजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

इसे सुनेंरोकेंभारतीय अर्थव्यवस्था, विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसका विकास- मॉडल अन्य पूर्वी या पश्चिमी एशियाई देशों की अपेक्षा भिन्न है। उनका विकास-मॉडल फॉर्म से फैक्टरी का है, जो तेज गति से औद्योगीकरण, शहरीकरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर आधारित है।

विकास के कौन कौन से मॉडल हैं?

विकास के पाँच मॉडल और भारत

  • आधुनिक अर्थों वाले विकास के कुल पाँच प्रमुख मॉडल हैं।
  • जापान को छोड़कर अन्य चारों मॉडल में एक बात सर्वमान्य और सर्वज्ञात रही है कि किसानों और खेती के साथ अन्याय और शोषण करके ही वह अतिरिक्त मूल्य संचित किया जाता है, जिससे आधुनिक विकास के लिए पूंजी जुटेगी।

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देश में आजादी के बाद कौन सा मॉडल अपनाया था?

इसे सुनेंरोकेंव्यापक निरक्षरता से खुद को बाहर निकालकर, भारत ने अपनी शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर के समतुल्य लाने में कामयाबी हासिल कर ली है। आजादी के बाद स्कूलों की संख्या में आकस्मिक वृद्धि देखी गई। संसद ने 2002 में संविधान के 86 वें संशोधन को पारित करके 6-14 साल के बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा का मौलिक अधिकार बनाया।

वृद्धि और विकास से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवृद्धि एवं विकास में अंतर : वृद्धि करने या होने का अर्थ संख्या या आकार में बढ़ना है, जबकि विकास का अर्थ किसी की क्षमता व ज़रूरतों को पूरा करने की ललक को बढ़ाने के साथ ही उनकी आवश्यकताओं को विधिक बनाना भी है, जो की मात्र उनसे संबंधित ना होकर सभी के लिए हो.

सोवियत संघ में विकास का कौन सा मॉडल अपनाया गया था?

इसे सुनेंरोकेंदूसरे विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के अंकुश में आ गये। सोवियत सेना ने इन्हें फासीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था। इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या ‘दूसरी दुनिया’ कहा जाता है।

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के समय विकास के कौन से दो मॉडल भारत के सामने थे?

इसे सुनेंरोकेंआजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

यूरोप एवं अमेरिका में विकास का कौन सा मॉडल प्रचलित था?

इसे सुनेंरोकेंअमेरिकी मूल-निवासियों का उल्लेख करने के लिए प्रयुक्त शब्दावलियाँ विवादास्पद हैं; यूएस सेंसस ब्यूरो के सन 1995 के घरेलू साक्षात्कारों के एक समुच्चय के अनुसार, अभिव्यक्त प्राथमिकता वाले उत्तरदाताओं में से अनेक ने अपना उल्लेख अमेरिकन इन्डियन्स अथवा इन्डियन्स के रूप में किया।

आजादी के समय विकास के कौन कौन से 2 मॉडल भारत के सामने थे?

भारत में स्वतंत्रता के बाद अर्थव्यवस्था का मॉडल क्या था?

इसे सुनेंरोकेंजब पी. वी. नरसिम्हा राव ने 1991 में प्रधान मंत्री के रूप में पदभार संभाला तब उन्होंने एक नई औद्योगिक नीति की घोषणा की जिसने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण पर जोर दिया, जिससे भारत की विकास दर, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई।

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वृद्धि और विकास से आप क्या समझते हैं दोनों में अंतर स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंवृद्धि में होने वाले बदलाव सिर्फ शारीरिक व रचनात्मक ही होते हैं। वृद्धि केवल परिपक्व अवस्था तक ही सीमित होती है जबकि विकास जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। विकास– विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया मानी जाती है जो जन्म से लेकर जीवन पर्यंत तक अविराम गति से निरंतर चलती रहती है।

सोवियत संघ में विकास का कौन सा मॉडल?

सोवियत सेना ने इन्हें फासीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था। इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या 'दूसरी दुनिया' कहा जाता है। इस खेमे का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था ।

Vikas के 2 मॉडल कौन से हैं?

मिश्रित मॉडल इसे तीसरी दुनिया के देशों के विकास मॉडल के रूप में मान्यता मिली हुई है। यह उपरोक्त दोनों मॉडलों, पूँजीवादी और समाजवादी मॉडलों के मध्य समन्वय स्थापित करने का प्रयत्न करता है।

आजादी के समय विकास के कौन से दो मॉडल?

आजादी के वक्त हिंदुस्तान के सामने विकास के दो मॉडल थे। पहला उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल था। यूरोप के अधिकतर हिस्सों और संयुक्त राज्य अमरीका में यही मॉडल अपनाया गया था और वहाँ यह मॉडल कारगर साबित हुआ। इस मॉडल एक मुख्य विशेषता यह होती हैं की आर्थिक क्रियाओं में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

सोवियत व्यवस्था में अर्थव्यवस्था को कौन नियंत्रित करता था?

संवैधानिक रूप से सोवियत संघ 15 स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा।