Second विश्व युद्ध में अमेरिका कब शामिल हुआ और क्यों? - saichond vishv yuddh mein amerika kab shaamil hua aur kyon?

यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Attack on Ukraine) के बाद दुनिया संघर्ष का नया दौर देख रही है. रूस के इस कदम ने द्वितीय विश्वयुद्ध के उस दौर की यादें ताजा कर दी हैं जब उसकी सेना (रेड आर्मी) ने हिटलर की नाजी सेना (Hitler's Nazi Army) पर जीत हासिल की थी और रूस के सैनिकों की बहादुरी ने ही सेकेंड वर्ल्ड वॉर में टर्निंग पॉइंट लाने का काम किया था...

तस्वीर 1 - जर्मनी के 2 लाख सैनिकों का सामना रूस के 9 लाख सैनिकों से था... अप्रैल 1945 की एक तस्वीर में सोवियत रेड आर्मी, पूर्वी जर्मनी की Oder नदी को पार करती हुई दिखाई दे रही है.

तस्वीर 2 - अप्रैल 1945 : एक तस्वीर में सोवियत रेड आर्मी के सैनिक एक मोर्टार से फायर करते हुए नजर आ रहे हैं.

तस्वीर 3 - अप्रैल 1945 : सीलोवर होहेन मोर्चे पर सोवियत रेड आर्मी के सैनिक जर्मनी की आर्मी पर निशाना साधते हुए दिखाई दे रहे हैं.

तस्वीर 4 - अप्रैल 1945 : सोवियत रेड आर्मी के सैनिक एक नाजी जर्मन झंडे को पकड़े हुए नजर आ रहे हैं... ये झंडा जर्मन के नाजी सैनिकों से मिला था.

तस्वीर 5 - इस तस्वीर में रेड आर्मी के सैनिक एक मोर्चे पर लड़ाई करते नजर आ रहे हैं.

तस्वीर 6 - सोवियत रेड आर्मी के सैनिकों की एक और तस्वीर.

तस्वीर 7 - Carpathian mountains पर सोवियत रेड आर्मी. आज ये जगह रोमानिया में है.

तस्वीर 8 - 1945 : बर्लिन के नजदीक कैद करके रखे गए ब्रिटिश सैनिकों को जब रेड आर्मी ने आजाद किया, तब उनके चेहरे की खुशी देखने लायक थी.

तस्वीर 9 - सेकेंड वर्ल्ड वार का यह ऐसा मोड़ था जब रूस ने जर्मनी के 57 हजार सैनिकों को पकड़ा था. हिटलर की सेना ने 22 जून 1941 को सोवियत यूनियन पर हमला किया था.

तस्वीर 10 - यूएसएसआर ने 1944 में दोबारा मजबूती हासिल कर ली थी और 2 मई 1945 को बर्लिन पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था.

तस्वीर 11 - 26 अगस्त 1944 : फ्रांस की फोर्स को देखकर ऐसे झूम उठी पेरिस की पब्लिक. यह पेरिस के आजाद होने के बाद का दिन था.

तस्वीर 12 - 3 जून 1944 : रूस के नागिरक मिन्स्क में नाजी सेना के हमले का शिकार हुई इमारत को देखते हुए.

तस्वीर 13 - रूस में अमेरिकन एयरक्राफ्ट के लिए इस्तेमाल हो रहे एयरबेस पर अमेरिका के और रेड आर्मी के सैनिक हाथ मिलाते हुए.

तस्वीर 14 - 2 जून 1944 से ही अमेरिका ने रूस के एयरबेस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था... अमेरिका ने ऐसे बम जर्मनी पर गिराए गए जिनपर लिखा था- "to Hitler".

तस्वीर 15 - अमेरिका के जहाज इटली में मौजूद एयरबेस से उड़ान भरते और रूस के एयरबेस पर उतरते थे.

तस्वीर 16 - 1944 : इस युद्ध में रूस किस तरह लड़ा, इसका उदाहरण देखिए... सोवियत यूनियन के Yaroslav region की इस तस्वीर में रेड आर्मी के लिए सामान पहुंचाते आम लोग दिखाई दे रहे हैं.

तस्वीर 17 - रेड आर्मी में टैंक चलाने वाले सैनिक और म्यूजिशियन फुर्सत के पलों में.

तस्वीर 18 - मार्च 1943 : तस्वीरें Karelia (USSR) की हैं. जर्मनी के सैनिक बर्फ से ढके क्षेत्र में अपने घायल कमांडर को लेकर जाते हुए.

तस्वीर 19 - रेड आर्मी की गुरिल्ला सैनिक Nastya की तस्वीर. फोटोग्राफर Boris Yaroslavtsev ने इस तस्वीर को 1943 में स्टालिनग्राद के मोर्चे से कैमरे में कैद किया.

तस्वीर 20 - स्तालिनग्राद की लड़ाई 1942 से 1943 तक सर्दियों में लड़ी गई और विश्वयुद्ध में यहीं की शिकस्त ने नाजी सेना की हार की पटकथा लिखनी शुरू की.

तस्वीर 21 - स्तालिनग्राद की शिकस्त के बाद जर्मन के टैंकों की तस्वीर.

तस्वीर 22 - स्तालिनग्राद की लड़ाई के वक्त जर्मनी के सैनिक सुरक्षात्मक ढंग से हमले को देखते हुए.

तस्वीर 23 - 1942 में ली गई इस तस्वीर में सोवियत सैनिक Volgograd में युद्ध लड़ते दिखाई दे रहे हैं.

80 बरस पुरानी हो चुकीं ये तस्वीरें आज भी दुनिया के लिए एक ऐसी तस्वीर दिखाती हैं जिसे हर किसी को अपनी स्मृति में जरूर रखना चाहिए.

कई बार केवल एक घटना ही बहुत बड़े नतीजे दिखा देती है. इसी तरह की एक घटना द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) में भी हुई थी जिसने अमेरिका (USA) और फिर पूरी दुनिया को बदल दिया था. यह कुछ और नहीं बल्कि 1941 में अमेरिका के पर्ल बंदरगाह (Pearl Harbour) पर हुआ वह हमला था जिसने ना केवल युद्ध बल्कि दुनिया को बदलने के लिए भी नींव का काम किया था. 7 दिसंबर को  हुई इस घटना ने युद्ध की दिशा को बदलने का काम किया जिसमें अमेरिका की विश्वयुद्ध में एंट्री हुई थी और सब कुछ बदल गया था.

क्या थी इस दिन के पहले की स्थिति
द्वितीय विश्व युद्ध में 7 दिसंबर 1941 से पहले और बाद की स्थिति में बहुत अंतर था. ऐसा कम से कम अमेरिका के मामले में तो कुछ ज्यादा ही था, लेकिन इसका पूरी दुनिया पर कितना असर होगा इसका किसी को अंदाजा ना था. इस विश्व युद्ध में इस तारीख से पहले अमेरिका तटस्थ संधियों से बंधा से और युद्ध में शामिल नहीं था. अमेरिकी शासन, राजनीति से लेकर लोगों तक में इस बात पर मतैक्य नहीं था कि क्या अमेरिका को इस युद्ध में शामिल होना चाहिए या नहीं.

क्या था तब युद्ध का हाल
7 दिसंबर 1941 से पहले जर्मनी फ्रांस, बेल्जियम नॉर्वे आदि पर कब्जा कर चुका था. जर्मनी इटली और जापान के साथ मिलकर अपनी ताकत बढ़ा रहा था. ब्रिटेन और जर्मनी के बीच भीषण लड़ाई हो रही थी. अमेरिका युद्ध में शामिल नहीं था. रूस भी जर्मनी और उसके सहयोगियों से भिड़ा हुआ था.

7 दिसंबर को क्या हुआ था
7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के हवाई द्वीपों में से एक होनोलुलू द्वीप पर स्थित पर्ल बंदरगाह पर भीषण हमला कर उसे तबाह कर दिया. इस हमले के पीछे  जापान का उद्देश अमेरिका की पूर्वी एशिया में गतिविधियों को रोकना था जिससे अमेरिका ब्रिटेन, नीदरलैंड के उपनिवेशों में मदद ना मिल सके. इस हमले में अमेरिका के आठ युद्ध पोतों में से चार डूब गए और चार को भारी नुकसान हुआ. इसके अलावा 188 अमेरिकी वायुयान तबाह हुए और 2400 से ज्यादा अमेरिकी मारे गए.

Second विश्व युद्ध में अमेरिका कब शामिल हुआ और क्यों? - saichond vishv yuddh mein amerika kab shaamil hua aur kyon?
इस घटना के बाद अमेरिका (USA) की वैश्विक राजनीति में स्थिति पूरी तरह से बदल गई थी. (तस्वीर: Pixabay)

क्या हुआ युद्ध पर असर
अमेरिका पर यह हमला पूरी तरह से चौंकाने वाला था. लेकिन इस घटना के बाद अमेरिका के युद्ध में शामिल होने से यूरोप में युद्ध के हालात पर बहुत असर पड़ा. इसमें भी सबसे प्रमुख ब्रिटेन की स्थिति रही. उसे अमेरिका से अब मदद मिलनी शुरू हो गई जिससे उसकी स्थिति कमजोर होने बच गई. जापान को लेकर भी अमेरिका में बहुत विरोध हुआ. और कई विशेषज्ञ यही मानते हैं कि अगर यह हमला ना हुआ होता तो शायद जापान  पर परमाणु बम ना गिराए गए होते.

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और क्या हुआ असर
वहीं पर्ल हार्बर पर हमले से सोवियत संघ की एशिया में विस्तार की रफ्तार भी थम गई. युद्ध के अंत में अमेरिका ब्रिटेन से ज्यादा शक्तिशाली राष्ट्र उभर कर सामने आया. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दो नए ध्रुव पैदा हुए जिसमें एक सोवियत संघ तो दूसरा अमेरिका था, लेकिन ब्रिटेन अमेरिका के पीछे ही रहा.

Second विश्व युद्ध में अमेरिका कब शामिल हुआ और क्यों? - saichond vishv yuddh mein amerika kab shaamil hua aur kyon?
आज पर्ल बंदरगाह (Pearl Harbour) की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है. (तस्वीर: shutterstock)

अमेरिका की संवेदनशीलता
इस बदले परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय राजनीति को एक अलग ही दिशा मिली. तो वहीं अमेरिका में अपने सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता बहुत बढ़ती दिखाई दी. साल 1812 के युद्ध के बाद यह अमेरिका पर पहला विदेशी हमला था. इस स्तर का हमला इसके बाद साल सिंतबर 2001 में हुआ था.

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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच प्रतिस्पर्धा, अमेरिका के वैश्विक मामलों में ज्यादा दखल और संवेदनशीलता सभी की नींव पर्ल हार्बर का युद्ध माना जा सकता है. पूर्वी एशिया में जापान के साथ अमरिका के संबंध भी द्वितीय विश्व युद्ध में बहुत उतार चढ़ाव में दिखे. लेकिन युद्ध के बाद भी अमेरिका ने जापान को अपनी खुद की सेना रखने नहीं दी और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आज भी अमेरिका के पास है.

द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका कब शामिल हुआ था?

सही उत्‍तर 1941 है। 1941 में अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया।

अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में क्यों शामिल हुआ?

द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका कब और क्यों शामिल हुआ - सितंबर 1939 में पोलैंड पर नाज़ी जर्मनी के हमले के साथ द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, उस समय अमेरिका युद्ध में शामिल नहीं था, लेकिन 7 दिसंबर, 1941 को पर्ल हार्बर, हवाई स्थित अमेरिकी बेड़े पर जापानी बमबारी के बाद अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया।

अमेरिका विश्व युद्ध में कब और क्यों शामिल हुआ?

6 अप्रैल, 1917 – जि‍मर्मन टेलीग्राम के अवरोधन और प्रकाशन और जर्मन यू-नौकाओं द्वारा तीन अमेरिकी व्यापारी जहाजों के डूबने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

द्वितीय विश्व युद्ध कब और क्यों हुआ था?

एक सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) की शुरुआत हुई थी. करीब 6 साल (01 सितंबर 1939 से 2 सितंबर 1945 तक) चले इस महायुद्ध में 7 से 8 करोड़ लोग मारे गए थे. विश्व युद्ध के बाद आर्थिक व्यवस्था चरमार गई थी, जो लोग युद्ध में बचे थे वे भूखमरी, महंगाई और तंगहाली की सूली पर लटके हुए थे.