परिभाषाकाव्य की शोभा बढ़ानेवाले तत्वों का अलंकार कहते है। अलंकार के मुख्य दो भेद है- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जहाँ शब्दों में चमत्कार आ जाता है वहाँ शब्दालंकार तथा जहां अर्थ के कारण रमणीयता आ जाती है उसे अर्थालंकार कहते है। Show
शब्दालंकार तीन प्रकार के होतें है
अर्थालंकार नौ प्रकार के होते है
अलंकार किसे कहते हैं, कुछ परीक्षाएं आईएएस परीक्षा, यूपीएससी परीक्षा, इलाहाबाद हाई कोर्ट, वीडियो, बी ई ओ, लेखपाल, आरो, एसआई, पुलिस कांस्टेबल, CTET, UPTET, REET और SUPER TET, PET जिनमें हिंदी व्याकरण से संबंधित काफी प्रश्न पूछे जाते हैं। काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं, अलंकार 2 शब्दों को मिलाकर बनता है- ‘अलम + कार’ अलम का शाब्दिक अर्थ आभूषण, सजावट, श्रृंगार होता है। जिस प्रकार एक स्त्री अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए अपने शरीर पर आभूषणों को धारण करती है उसी प्रकार भाषा की सुंदरता को बढ़ाने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kahate Hain), अलंकार की परिभाषा, अलंकार के भेद और अलंकार कितने प्रकार के होते हैं इन सभी की जानकारी आपको उदाहरण के साथ दी जा रही है। अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kahate Hain)यह भी पढ़े – UPSSSC PET Admit Card Download for Examination 2022: यूपीएसएसएससी पीईटी 2022 परीक्षा के एडमिट कार्ड हुए जारी ऐसे करें डाउनलोड अलंकार व्याकरण का एक ऐसा विषय है जो आईएएस परीक्षा, यूपीएससी परीक्षा, यूपी टेट परीक्षा, सीटेट परीक्षा, सुपर टेट परीक्षा, वीडियो, बी ई ओ, लेखपाल, आरो, एसआई, पुलिस कांस्टेबल ऐसी परीक्षा जिसमें हिंदी विषय के प्रश्न आते हैं उसमें अलंकार के बारे में अवश्य पूछा जाता है। यहां पर आपको अलंकार की जानकारी विस्तार से दी गई है। अलंकार की परिभाषाजिन शब्दों या साधनों से भाषा और अर्थ की शोभा में वृद्धि होती है अलंकार कहलाते हैं। अलंकार का शाब्दिक अर्थ – अलम, धातु – अलम, उपसर्ग – अलम होता है। अलम धातु का अर्थ होता है आभूषण। अलंकार वादी कवि हैं केशवदास, अलंकार के आचार्य वामन और भट्ट हैं। यह भी पढ़े – वाच्य किसे कहते हैं, वाच्य को पहचानने की आसान ट्रिक। अलंकार के भेदअलंकार के तीन भेद होते हैं।
नोट:- मुख्यत अलंकार के दो भेद होते हैं – शब्दालंकार और अर्थालंकार। पश्चात्य अलंकार (आधुनिक अलंकार) – आधुनिक काल में पश्चात साहित्य से आए अलंकार जिसके कारण हिंदी पर पश्चिमी प्रभाव पड़ा पाश्चात्य अलंकार कहलाता है। यह भी अलंकार का ही हिस्सा है। उभयालंकार अलंकार का भाग नहीं होता है। शब्दालंकार किसे कहते हैंकाव्य में जहां कहीं भी शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है वह शब्दालंकार कहलाता है। शब्दालंकार के 7 भेद होते हैं:-
अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैंजब एक ही वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है, अनुप्रास अलंकार कहलाता है। अनु का अर्थ है बार-बार, प्रास का अर्थ है
वर्ण या अक्षर।
अनुप्रास अलंकार के भेदअनुप्रास अलंकार के 5 भेद होते हैं:-
छेकानुप्रास अलंकार किसे कहते हैंछेकानुप्रास अलंकार :- जहां एक वर्ण की आवृत्ति क्रमशः एक बार या दो बार होती है वह छेकानुप्रास अलंकार कहलाता है। उदाहरण:-
वृत्यानुप्रास अलंकार किसे कहते हैंवृत्यानुप्रास अलंकार :- जहां एक वर्ण की आवृत्ति लगातार होती है वृत्यानुप्रास अलंकार कहलाता है। उदाहरण:-
श्रृत्यानुप्रास अलंकार किसे कहते हैंश्रृत्यानुप्रास अलंकार :- एक ही स्थान से उच्चारित होने वाले वर्गों की समानता श्रृत्यानुप्रास अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- इधर चतुर ने जाल बिछाया । तुलसीदास सीदति निसिदिन देखत तुम्हार निठुराई।। अन्त्यानुप्रास अलंकार किसे कहते हैंअन्त्यानुप्रास अलंकार :- जहां प्रथम पद के अंतिम शब्द तथा द्वितीय पद के अंतिम शब्द एक दूसरे से मिलते जुलते हो या इन में समानता होने पर अन्त्यानुप्रास अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। तू रूप है किरण में। पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रूप। लाटानुप्रास अलंकार किसे कहते हैंलाटानुप्रास अलंकार :- जहां पर समानार्थक शब्द या वाक्यांशों की आवृत्ति हो। या जहां शब्दों या वाक्य की अनुवृति एक जैसी होने पर लाटानुप्रास अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- पूत सपूत तो क्यों धन संचय। (अच्छा पुत्र) लड़का तो (सामान्य लड़का) वे घर है वन ही सदा, जो है बंधु- वियोग। यमक अलंकार किसे कहते हैंयमक अलंकार :- जहां पर शब्दों की आवृत्ति एक से अधिक बार हो और उसके अर्थ अलग-अलग हो यमक अलंकार कहलाता है। यमक का मतलब – जोड़ा होता है। उदाहरण:- तीन बेर खाती थी (समय) काली घटा का घमंड घटा (घटा-मेघ; घटा -कम) कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय (कनक-धतूरा; सोना) माला फेरत जुग भया फिरा न मन का फेर। श्लेष अलंकार किसे कहते हैंश्लेष अलंकार :- जहां पर शब्द एक बार हो परंतु उसके अर्थ एक बार से अधिक हो श्लेष अलंकार कहलाता है। श्लेष अलंकार का शाब्दिक अर्थ है -“चिपकना”। उदाहरण:- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहुं ओर। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार (विप्सा अलंकार) किसे कहते हैंपुनरुक्ति प्रकाश अलंकार (विप्सा अलंकार) :- कथन में जहां आदर के साथ एक ही शब्द की आवृत्ति दो बार हो वह पुनरुक्ति प्रकाश या विप्सा अलंकार कहलाता है। विप्सा का शाब्दिक अर्थ -‘दोहराना’ चिह्न- ! उदाहरण:- हा! हा! इन्हें रोकने को टेक
न लगावो तुम। पुनरुक्तिवादा भास अलंकार किसे कहते हैंपुनरुक्तिवादा भास अलंकार :- कथन में पुनरुक्ति का आभास होने पर पुनरुक्ति वादा पास अलंकार कहलाता है। इसकी पहचान है – ‘पुनि’ उदाहरण:- पुनि फिर राम निकट सो आई। वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते हैंवक्रोक्ति अलंकार :- जहां पर वक्ता द्वारा कहे कथन को श्रोता उसका सही अर्थ ना समझे वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है। इसे टेढ़ा कथन भी कहा जाता है। इसकी पहचान:- प्रश्नवाचक चिन्ह या प्रश्नवाचक के शब्द इसकी मुख्य पहचान है। उदाहरण:- कौन द्वार पर, हरी मैं राधे मो सम कौन कुटिल खल कामी। वक्रोक्ति अलंकार के भेदवक्रोक्ति अलंकार के 2 भेद होते हैं:-
श्लेष मूला वक्रोक्ति किसे कहते हैंश्लेष मूला वक्रोक्ति :- जहां पर श्लेष के द्वारा अनुकूल अर्थ ग्रहण करें वहां/मुला वक्रोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण:- उसने कहा पर कैसा ?वह उड़ गया सपर है।। काकू मुला वक्रोक्ति किसे कहते हैंकाकू मुला वक्रोक्ति :- ध्वनि में विकार आवाज में परिवर्तन के द्वारा जब दूसरा अर्थ निकलता है वहां का फार्मूला वक्रोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण:- आप जाइए तो।- आप जाइए पहचान :- (वक्रोक्ति के दोनों भेद श्लेष मूला और काकू मूला में भी प्रश्नवाचक चिन्ह आता है।) भाग 2 अर्थालंकार किसे कहते हैंपरिभाषा :- काव्य में जहां कहीं भी अर्थ में चमत्कार उत्पन्न होना अर्थ अलंकार कहलाता है। अर्थालंकार के 51 भेद होते हैंअर्थालंकार में 51 भाग होते हैं लेकिन इनमें से कुछ को ही पढ़ने के लिए उपयोग में लाया जाता है। अर्थालंकार के केवल 27 भेद के बारे में पढ़ा जाता है और इन्हीं में से ही परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं।
उपमा अलंकार :- जहां एक वस्तु की तुलना दूसरे वस्तु से समान, गुण ,धर्म ,दशा व स्वभाव के आधार पर की जाए तब उपमा अलंकार कहलाता है। उपमा का शाब्दिक अर्थ- ‘उप- समीप’ ‘मा-तुलना’, उपमा से तात्पर्य – दो प्रसिद्ध वस्तुओं की आपस में तुलना। उपमा के 3 भेद और उपमा के 4 अंग (अवयव ) होते हैं। उपमा अलंकार के 4 अंग (अवयव):-
इसकी अन्य पहचान:- (-) इस चिन्ह के साथ सदृश्यवाचक शब्द उदाहरण:-
उपमा अलंकार के कितने भेद हैंउपमा अलंकार के तीन भेद होते हैं:-
पूर्णोपमा अलंकारपूर्णोपमा :- जिसमें उपमा के चारों अंग मौजूद हो पूर्णोपमा अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- मुख चंद्र-सा सुंदर है। लुप्तोपमा अलंकारलुप्तोपमा :- जिसमें 1 अंग या 2 अंग या 3 अंग हो लुप्तोपमा अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- मुख चंद्र सा है। मालोपमा अलंकारमालोपमा :- जिसमें एक उपमेय हो तथा कई सारे उपमान हो मालोपमा अलंकार कहलाता है। (कौन – सा रूप, प्रताप दिनेश – सा) रूपक अलंकार किसे कहते हैंरूपक अलंकार :- उपमेय व उपमान में अभिन्नता दर्शना रूपक अलंकार कहलाता है। गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाता है। इसकी पहचान 1. (-) योजक का चिन्ह के साथ उपमा अलंकार के वाचक शब्दों का प्रयोग ना होना। 2. बंदौ, महंत, भगवान के नाम लगा कर आना तथा उसके साथ मुनि का जुड़ना। उदाहरण:- चरण कमल बंदौ हरिराई। उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैंउत्प्रेक्षा अलंकार :- जब उपमेय मे उपमान की संभावना प्रकट की जाए तो वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसकी पहचान – (मनु ,मानहु, जनु, जनहु, जानो, मानो ,निश्चय , ईव, ज्यों, ज्वाला) है। उदाहरण:- ले चला साथ में तुझे उस काल मारे क्रोध के तनु कांपने उनका लगा। नेत्र मानो कमल है। प्रतीप अलंकार किसे कहते हैंप्रतीप अलंकार :- जहां उपमेय का कथन उपमान के रूप में तथा उपमान का उपमेय के रूप में व्यक्त किया जाता है प्रतीप अलंकार कहलाता है। प्रतीप का अर्थ – ‘उल्टा’ या ‘विपरीत’ प्रतीप अलंकार उपमा अलंकार का उल्टा होता है। उदाहरण:- मुख चंद्रमा के समान सुंदर है। उपमेयेयोपमा अलंकार किसे कहते हैंउपमेयेयोपमा अलंकार :- (प्रतीप + उपमा) इन दोनों के संयुक्त मेल से बने अलंकार को उपमेयेयोपमा अलंकार कहते हैं। पहचान:-1.लगातार 2 वाचक शब्दों का एक ही पंक्ति में प्रयोग होना। 2.’और’ है। उदाहरण:- मुख – सा चंद्र और चंद्र सा- मुख है। संदेह अलंकार किसे कहते हैंसंदेह अलंकार (सम् + देह ) :- जब उपमेय में अन्य किसी वस्तु का संशय उत्पन्न हो जाए तो वहां संदेह अलंकार
होता है। या फिर उपमेय में उपमान का संदेह होना संदेह अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- यह मुख है या चंद्र है। सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है। भूखे बर को भूलकर, हरि को देते भांग। अपहुति अलंकार किसे कहते हैंअपहुति अलंकार :- जब किसी सत्य बात या वस्तु का निषेध कर उसके स्थान पर मिथ्या या वस्तु का आरोप किया जाए अपहुति अलंकार कहलाता है। अर्थ- ‘छिपाना’, पहचान- ‘ना’ , ‘नहीं’ शब्द का आना है। उदाहरण:- यह चंद्र नहीं मुख है। विमल व्योग में देख दिवाकर अग्नि चक्र से फिरते हैं। उल्लेख अलंकार किसे कहते हैंउल्लेख अलंकार :- एक वस्तु का अनेक प्रकार से वर्णन करना उल्लेख अलंकार कहलाता है। पहचान:-वस्तु एक। उदाहरण:- नवल सुंदर श्याम शरीर। भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते हैंभ्रांतिमान अलंकार :- सादृश्य के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लेना भ्रांतिमान अलंकार कहलाता है। जहां समानता के कारण एक वस्तु में किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो वहां भ्रांतिमान अलंकार होता है। इसकी पहचान:-भ्रम ,भ्रांति ,जानि, मानि, समुझि ,समझकर है। संदेह:-‘या’ अथवा ‘कि’ है। उदाहरण:- जानि श्याम घनश्याम को नाचि उठे वन मोर। मुन्ना तब मम्मी के सर पर देख -देख दो चोटी । पाय महावर देन को नाइन बैठी आय। दीपक अलंकार किसे कहते हैंदीपक अलंकार :- प्रस्तुत व प्रस्तुत दोनों का एक धर्म में संबंध बताना दीपक अलंकार कहलाता है। पहचान:-(वस्तु अलग होने पर भी संबंध एक जैसा होना) है। उदाहरण:- मन और पक्षी डोलते हैं। मुख और चंद्र शोभते हैं। सभा और पागल दोनों चिल्लाते हैं। दृष्टांत अलंकार किसे कहते हैंदृष्टांत अलंकार :– जहां किसी बात को स्पष्ट करने के लिए सादृश्य मुल्क दृष्टांत प्रस्तुत किया जाता है दृष्टांत अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- सुख-दुख के मधुर
मिलन से,यह जीवन हो परिपूर्ण। करत- करत अभ्यास के जड़मति होत सुजात। अनन्वय अलंकार किसे कहते हैंअनन्वय अलंकार :- एक ही वस्तु को उपमेय और उपमान दोनों में प्रकट करना अनन्वय अलंकार कहलाता है। या जहां पर उपमेय की तुलना उपमेय ऐसे ही कर दी जाए वहां अनन्वय अलंकार होता है।पहचान:-कर्ता का लगातार दो बार आना है। उदाहरण:- भारत के संग भारत है। राम से राम, सिया सी सिया। मुख मुख ही सा है। व्यक्तिरेक अलंकार किसे कहते हैंव्यक्तिरेक अलंकार :- उपमान की अपेक्षा उपमेय का व्यक्तिरेक यानी उत्कर्ष वर्णन व्यतिरेक अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- चंद्र संकलक, मुख जिब्कलंक, दोनों में समता कैसी? विरोधाभास अलंकार किसे कहते हैंविरोधाभास अलंकार :- जहां पर वास्तविक विरोध ना होने पर भी विरोध का आभास होता है विरोधाभास अलंकार कहलाता है। पहचान:-विलोम शब्द का एक साथ होना, मीठी ,बूडे, श्याम, इतिरंग है। उदाहरण:- या अनुरागी चित्त की गति समुझै नहीं कोय। ज्यों- ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्जवल होय।। मीठी लगे अखियान लुनाई। विभावना अलंकार किसे कहते हैंविभावना अलंकार :- जहां बिना कारण के भी कार्य का होना पाया जाए वहां विभावना अलंकार होता है। पहचान – ‘बिनु’ है। उदाहरण:- बिनु पद चले सुने बिनु काना। निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय। विशेषोक्ति अलंकार किसे कहते हैंविशेषोक्ति अलंकार :- जहां कारण होते हुए भी कार्य ना हो वहां विशेषोक्ति अलंकार होता है। पहचान:- (प्यासा या प्यासी या पिपासा) इन शब्दों के आने पर विशेषोक्ति अलंकार होता है। उदाहरण:- देखो दो -दो मेघ बरसते हैं, मैं प्यासी की प्यासी। पानी बिच मीन पिपासी , मोहि सुनि -सुनि आवे हांसी।। असंगति अलंकार किसे कहते हैंअसंगति अलंकार :- जहां कारण कहीं और हो और उसका कार्य कहीं और हो असंगति अलंकार कहलाता है। पहचान:-(कारण कहीं और हो और उसका प्रभाव कहीं और हो) उदाहरण:- ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीर। (घाव लक्ष्मण के में पीड़ा का अनुभव श्री राम को) तुमने पैरों में लगाई मेहंदी, मेरी आंखों में समाई मेहंदी। (मेहंदी लगाने का कार्य पैरों में परंतु उसका परिणाम नेत्रों के द्वारा स्पष्ट हो रहा है।) अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैंअतिशयोक्ति अलंकार :- जहां किसी विषय वस्तु के चमत्कार द्वारा लोक मर्यादा के विरुद्ध बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाता है अतिशयोक्ति अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- हनुमान
जी की पूंछ में लगन न पाई आग। आगे नदिया पड़ी अपार घोड़ा कैसे उतरे पार। धनुष उठाया ज्यों ही और चढ़ाया उस पर बाण। अर्थान्तरन्यास अलंकार किसे कहते हैंअर्थान्तरन्यास अलंकार :- जहां किसी सामान्य बात का विशेष बात से तथा विशेष बात का सामान्य बात से समर्थन किया जाए अर्थान्तरन्यास अलंकार कहते हैं। सामान्य-अधिक व्यापी जो बहुतों पर लागू हो, विशेष-अल्प व्यापी जो थोड़ो पर ही लागू हो, पहचान – (रहीम शब्द) है। उदाहरण:- जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। रहिमन नीच कुसंग सों, लागत कलंक न कहीं। लोकोक्ति अलंकार किसे कहते हैंलोकोक्ति अलंकार :- प्रसंग वश लोकोक्ति का प्रयोग करना लोकोक्ति अलंकार कहलाता है। पहचान :-(किसी भी लोकोक्ति का आना) है। उदाहरण :- आछे दिन पाछे गये, हरी से कियो ने हेत। तुल्ययोगिता अलंकार किसे कहते हैंतुल्ययोगिता अलंकार :- अनेक प्रस्तुतों या अप्रस्तुतों का एक ही धर्म में संबंध बताना तुल्ययोग्यता अलंकार कहलाता है। पहचान:-(स्त्री के संपूर्ण अंगों का वर्णन) है। उदाहरण:- अपने तन के जाने के, जोबन
नृपति प्रबीन। अन्योक्ति/प्रस्तुत प्रशंसा अलंकार किसे कहते हैंअन्योक्ति/प्रस्तुत प्रशंसा अलंकार :- यहां किसी व्यक्ति या वस्तु को लक्ष्य कर कहीं जाने वाली बात दूसरे के लिए कहीं जाए वहां अन्योक्ति या प्रस्तुत अलंकार होता है। यह समासोक्ति का उल्टा होता है यानी अब प्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करना अन्योक्ति अलंकार कहलाता है। पहचान:- गुलाब -कुसुम, माली -नकली, बाज -कली ,पराग- हवाल , स्वास्थ। उदाहरण:- माली आवत देखकर कलियां करि है पुकार। जिन दिन देखे वे कुसुम ,गई सु बीती बाहर। समासोक्ति अलंकार किसे कहते हैंसमासोक्ति अलंकार :- प्रस्तुत के माध्यम से अप्रस्तुत का वर्णन समासोक्ति अलंकार कहलाता है समासोक्ति अलंकार का विपरीत अन्योक्ति / अप्रस्तुत अलंकार होता है। उदाहरण:- चंप लगा सुकुमार तू, धन तव भाग्य बिसाल। उदाहरण अलंकार किसे कहते हैंपरिभाषा :- एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहना उदाहरण अलंकार कहता है। पहचान:- (ज्यों शब्द आने पर) है। उदाहरण:- वे रहीम नर धन्य है ,पर उपकारी अंग। काव्य लिंग अलंकार किसे कहते हैंकाव्य लिंग अलंकार :- किसी कथन का कारण देना ही काव्यलिंग अलंकार कहलाता है। पहचान:-(क्योंकि ,इसलिए , चूंकि की सहायता से अर्थ) है। काव्य लिंग-(लिंग -कारण)। उदाहरण:- कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। यथा संख्य / क्रम अलंकार किसे कहते हैंयथा संख्य / क्रम अलंकार :- कुछ पदार्थों का उल्लेख करके उसी क्रम (सिलसिले) से उनसे संबंध अन्य पदार्थों कार्यों के गुणों का वर्णन करना यथा संख्य/ क्रम अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- मनि मानिक मुक्ता छबि जैसी। मणि- (मनि) स्मरण अलंकार किसे कहते हैंस्मरण अलंकार :- सदृश या विसदृश वस्तु के प्रत्यक्ष से पूर्वानुभूत वस्तु का स्मरण, स्मरण अलंकार कहलाता है। पहचान:- प्रस्तुत (उपमान) को देखकर प्रस्तुत (उपमेय) याद आता है। उदाहरण:- चंद्र को देखकर मुख याद आता है। मन को डोलता देख पक्षी याद आता है। पागल को देखकर सभा याद आती है। शिशु को सोता देख कर कमल याद आता है। आधुनिक अलंकार / पाश्चात्य अलंकार किसे कहते हैंआधुनिक अलंकार / पाश्चात्य अलंकार के पांच भेद होते हैं
मानवीकरण अलंकार किसे कहते हैंमानवीकरण अलंकार :- जहां प्रकृति पदार्थ अथवा अमूर्त भावों को मानव के रूप में चित्रित किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है ।अमानव (प्रकृति, पशु ,पक्षी व निर्जीव पदार्थ ) में मानवीय गुणों का आरोपण मानवीकरण अलंकार कहलाता है। उदाहरण:- दिवसावसान का समय, मेघमय आसमान से उतर रही है। जागी वनस्पतियां अलसाई मुख, धोती शीतल जल से।। ध्वन्यर्थ अलंकार किसे कहते हैंध्वन्यर्थ अलंकार :- जहां ऐसे शब्दों का प्रयोग होना जिन से वर्णित वस्तु प्रसंग की ध्वनि चित्र अंकित हो वहां ध्वन्यर्थ अलंकार होता है। उदाहरण:- चरमर – चरमर चूं चरर मरर। शब्द अलंकार कितने होते हैं?भारतीय साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं। उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है।
शब्दालंकार कितने प्रकार के होते हैं class 9?शब्दालंकार मुख्य रुप से सात हैं, जो निम्न प्रकार हैं-अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश, पुनरुक्तिवदाभास और वीप्सा आदि।
शब्दालंकार क्या होता है?शब्दालंकार किसे कहते हैं? जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण कोई चमत्कार उपस्थित हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों के रख देने से वह चमत्कार समाप्त हो जाता है, वह शब्दालंकार माना जाता है।
अलंकार कितने प्रकार के होते हैं Class 12?अलंकार Alankar के दो भेद होते हैं—(क) शब्दालंकार तथा (ख) अर्थालंकार।
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