‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ इस दिशा में लेखिका के द्वारा किये गए प्रयास कुछ इस प्रकार हैं| शादी के बाद लेखिका को कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागनकोट में रहना पड़ा जहाँ उनके बच्चों की शिक्षा की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। लेखिका ने वहाँ पर स्कूल खुलवाने के लिए बिशप से प्रार्थना की परन्तु बिशप तैयार नहीं हुए। Show लेखिका ने हार न मानते हुए अपनी कोशिशों तथा कुछ उत्साही लोगों की मदद से वहाँ स्कूल खोला। उसे सरकारी मान्यता दिलवाई, जिससे स्थानीय बच्चों को शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े। NCERT Solutions for Class 9 Hindi for Kritika पाठ 2 मेरे संग की औरतें Question 1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ? उत्तर:- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे निम्न कारणों से प्रभावित थीं – Question 2. लेखिका ने नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ? उत्तर:- लेखिका की नानी की वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आन्दोलन में किसी प्रकार की भागीदारी नहीं रही पर उन्होंने स्वतंत्रता की भावना को मन-ही-मन पनपने दिया। उन्होंने कभी अंग्रेजियत को स्वीकारा नहीं। जबकि उनके पति अंग्रेजों के भक्त थे, फिर भी नानी ने कभी अंग्रेजों की जीवन शैली को अपनाया नहीं । नानी ने अपनी बेटी की शादी क्रांतिकारी से करने की इच्छा व्यक्त की जिससे उनके देश प्रेम की भावना का ही पता चलता है । उनका सबसे बड़ा योगदान यह है कि अपने बच्चों को इस विवाह की घटना से अँग्रेज-भक्तों से मुक्त करा लिया और देश के क्रांतिकारियों को भी बड़ी प्रेरणा प्रदान की । इस तरह अप्रत्यक्ष रूप से लेखिका की नानी की स्वतंत्रता आन्दोलन में भागी दारी रही है।
उत्तर:- 1. लेखिका की माँ दुबली-पतली सुन्दर स्त्री थीं। इस कारण लेखिका
ने उन्हें पारिजात बताया है। Question 3.2 लेखिका की
माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी इस कथन के आलोक में – उत्तर:- लेखिका की दादी के घर का माहौल उस समयानुसार काफ़ी अलग था । दादी के घर में सब लोगों को अपनी मर्जीनुसार चलने की आज़ादी थी । घर में पुत्र-पुत्री में भेदभाव नहीं किया जाता था । स्वयं लेखिका की दादी ने अपनी बहू की पहली संतान बेटी ही माँगी थी ।घर का माहौल भी काफ़ी धार्मिक, स्त्रियों को उचित सम्मान देनेवाला और साहित्यिक था ।
उत्तर:- लेखिका की दादी स्वतंत्र और साहसी महिला थी । उस समय लड़की की चाह रखना मेरे अनुसार उनके साहस और लीक से हटकर सोचना था ।
उत्तर:- डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उसने उसे उपदेश भी नहीं दिया। उसने इतना ही कहा – अब तुम्हारी मर्जी – चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस सहज भावना से चोर का ह्रदय परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया। यदि शायद वे चोर के साथ बुरा बर्ताव या मारपीट करती तो चोर सुधरने के बजाए और भी गलत रास्ते पर चल पड़ता ।
उत्तर:- ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ – इस दिशा में लेखिका ने निम्न प्रयास किए ।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ऊँची भावना वाले दृढ़ संकल्पी लोगों को श्रद्धा से देखा जाता है । जो लोग कभी झूठ नहीं बोलते और सच का साथ देते हैं । जो किसी की बात को इधर-उधर नहीं करते जिनके इरादे मजबूत होते हैं, जो हीन भावना से ग्रसित नहीं होते तथा जिनका व्यक्तित्व सरल, सहज एवं पारदर्शी होता है, जो लोग सद्भावना से व्यवहार करते हैं तथा आवश्यकता पडने पर गलत रूढ़ियों को तोड़ डालने की हिम्मत रखतें हैं, उन्हें पूरा समाज श्रद्धा भाव से देखता है।
उत्तर:- लेखिका और उनकी बहन जो सोचती थी उसे करके ही दम लेती थी। उनकी बहन बड़ी जिद्दी थी परन्तु उनके इस जिद्दीपन ने उनका दृढ निश्चयी स्वभाव झलकता है। अत्यधिक बारिश होने के बावजूद, सब के मना करने के बावजूद लेखिका की बहन विद्यालय जाती है, तो दूसरी ओर लेखिका जब डालमिया नगर में रहतीं थीं तब उन्होंने स्त्री-पुरुष के नाटकों द्वारा सामाजिक कार्यों के लिए धन एकत्रित किया । कर्नाटक में स्कूल खोला । ये सारी बातें लेखिका के स्वतंत्र व्यक्तित्व, हिम्मत, धैर्य और लीक से हटकर अपनी अलग राह चलनेवाले वाले व्यक्तित्व की ओर संकेत करते हैं । क्या शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए?लेखिका बच्चों की शिक्षा के प्रति बहुत जागरूक थीं। उनके अनुसार हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार था। इसी उद्देश्य से उन्होंने कर्नाटक के छोटे से कस्बे, बागलकोट में बच्चों के लिए जहाँ स्कूल का अभाव था, कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने का आग्रह किया।
शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है इस बात को सिद्ध करने के लिए लेखिका ने क्या क्या प्रयास किए?लेखिका ने कहा कि गैर- क्रिश्चियन बच्चों को भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, परंतु विशप तैयार नहीं हुए । ऐसे में लेखिका ने आगे बढ़ते हुए अपने दम पर एक ऐसा स्कूल खोलने का मन बना लिया जिसमें अंग्रेज़ी,कन्नड़ और हिन्दी तीन भाषाएँ पढ़ाई जाएँगी।
लेखिका ने बच्चों की शिक्षा के लिए क्या प्रयास किया?लेखिका ने कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में स्कूल खोलने की प्रार्थना कैथोलिक विशप से की परंतु वहाँ क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम होने के बारण वे स्कूल खोलने को तैयार नहीं हुए। लेखिका ने वहाँ स्कूल खोलकर ऐसे बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवाई।
शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है यह कथन किसका है?बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक, मूल नाम केशव गंगाधर टिळक, 23 जुलाई 1856 - 1 अगस्त 1920), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे।
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