शारीरिक पुष्टि के घटक कौन कौन से हैं वर्णन कीजिए? - shaareerik pushti ke ghatak kaun kaun se hain varnan keejie?

आज इस आर्टिकल में हम आपको शारीरिक पुष्टि के घटक या अंग के बारे में बताने जा रहे है.

वर्ग तथा वर्गमूल से जुडी जानकारी

भारत के प्रमुख झील, नदी, जलप्रपात और मिट्टी के बारे में जानकारी

भारतीय जल, वायु और रेल परिवहन के बारे में जानकारी

बौद्ध धर्म और महात्मा बुद्ध से जुडी जानकारी

विश्व में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब

भारत में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब

Important Question and Answer For Exam Preparation

गति

गति से अभिप्राय मनुष्य के उस योग्यता से है जो किसी भी स्थिति में कम-से-कम समय लेकर अपने कार्य को पूरा करती है. गति दूसरे शारीरिक योग्यता अगों: जैसे शक्ति तथा सहनशीलता से भिन्न है. यह प्रणाली पर आधारित है| गति को साधारणतया लगभग 20 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता,क्योंकि गति बहुत सारी बातों पर आधारित है. भिन्न-भिन्न खेलों में गति भिन्न-भिन्न किस्मों में देखने को मिलती है. सभी खेलें तेज तथा विस्फोटक मूवमैंट पर आधारित होती है.

शक्ति

शक्ति शारीरिक पुष्टि का एक महत्वपूर्ण घटक है. शक्ति हमारे शरीर की मासपेशियोँ द्वारा उत्पन्न की गई वह ऊर्जा है जिसके द्वारा हम कुछ कार्य कर सकते है. शक्ति को मापने के लिए पौड या डाइन का प्रयोग किया जाता है| शक्ति को मुख्यतः दो भगौं में बाटा जाता है-

(1) स्थित शक्ति,
(2) गतिशील शक्ति.

स्थित शक्ति को ‘आइसोमीट्रिक शक्ति’ के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर यह शक्ति खेलकूद में प्रयोग नही की जाती, परन्त्तु वजन उठाना में इसका प्रयोग थोड़ा मात्रा में किया जाता है.

गतिशील शक्ति को ‘आइसोटोनिक शक्ति’ के नाम से जाना जाता है. खीचने वाली क्रियाओं में इसका अधिक प्रयोग किया जाता है.

सहनशीलता

सहनशीलता शक्ति की तरह शारीरिक पुष्टि का एक महत्वपूर्ण घटक है. दुर्भाग्य की बात यह है की भारत में इस योग्यता की और कम ध्यान दिया जाता है. सहनशीलता एक प्रतिरोध योग्यता के विरुद्ध होती है. साधारण शब्दों में,यह खिलाड़ी की वह योग्यता है, जिसके कारण खिलाड़ी बिना किसी थकावट के क्रिया करता है. सहनशीलता प्रत्येक खेल में अच्छे कुशलता के लिए एक महत्वपूर्ण योग्यता है. एक अच्छे सहनशीलता वाला खिलाड़ी अधिक ट्रेनिग का भार सहन करके अपनी कुशलता बढ़ा सकता है. कूपर और पीटर जैसे विद्वानों का विचार है की सहनशीलता ह्रदय की बीमारियों और सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है.

लचकीलापन/लचक

व्यक्ति के शरीर के जोड़ो की गतिक्षमता को लचक कहते है. अधिक लचक वाला व्यक्ति बिना किसी कष्ट के अघिक देर तक कार्य कर सकता है. आधेक लचक वाले व्यक्ति भी व्यक्तित्व भी अच्छा होता है. लचकदार शरीर वाले व्यक्ति जब कोई गतिविधि करते है तो उनकी मांसपेशियां में कम तनाव उत्पन्न होता है जिस कारण ऊर्जा या शक्ति का बचाव होता है.

स्फूर्ति/चुस्ती

खिलाड़ी जब अपने शरीर अथवा शरीर के किसी हिस्से को हवा में तेजी के साथ और सही ढंग से उसकी दिशा को बदलता है, तो उसको स्फूर्ति कहा जाता है. इसमें शरीर की बड़ी तेजी तथा ठीक ढंग से तालमेल करती है. इसको पूरा करने के लिए अनुभव ,तकनीक और हुनर की बहुत आवश्यकता होती है. यह विशेषतौर पर हर्डल्ज,कुश्ती,ऊँची छलांग ,फुटबॉल और बास्केटबाल जैसी खेलों में बहुत महत्वपूर्ण है.

तालमेल

शारीरिक अंगो के आपस में मिलकर कार्य करने की शक्ति को तालमेल कहते है. मानवीय विकास शक्ति और वृद्धि के तालमेल के बिना नहीं हो सकता. तालमेल से शरीर का प्रत्येक अंग मिल-जुलकर कार्य करता है. जब मानवीय शरीर तालमेल से कार्य करता है तो मनुष्य के व्यक्तित्व में वृद्धि होती है. यदि मनुष्य के सारे अंग ठीक ढंग से कार्य करते हो परंतु दिमाग कार्य न करता हो तो शरीर के बाकी सारे अंग बेकार हो जाते है. इसलिए दिमाग,शरीर और स्थिति तालमेल की माँग करते है. तालमेल के बिना शारीरिक पुष्टि विकसित नही हो सकती.

संतुलन

एक ही स्थिति में अधिक समय तक रहने की शक्ति को संतुलन कहते है. यह शरीरिक पुष्टि के लिए बहुत आवश्यक है. उदाहरण के लिए, मनुष्य जब अपने शरीर को एक संतुलन में रखने में समर्थ हो तो उसको यह शारीरिक योग्यता की एक खास विशेषता है अर्थात जब मनुष्य एक टांग के बल पर कुछ समय के लिए खड़ा होने में सक्षम हो तो इसको उसका संतुलन कहेंगे. हैंड स्टैड और शीर्षासन भी ऐसी क्रियाएँ है जो संतुलन की उदाहरण है. शारीरिक शिक्षा में ऐसी बहुत सारी क्रियाएँ है जो संतुलन के लिए काफी लाभदायक है. शारीरिक पुष्टि के लिए संतुलन का होना आवश्यक है.

शारीरिक पुष्टि के अंगों की व्याख्या कीजिए।


शारीरिक पुष्टि के अंग निम्नलिखित है:

  1. शक्ति: किसी भी कार्य को करने के लिए कार्य करने की शारीरिक क्षमता शक्ति कहलाती है। मेडिसन बॉल के साथ व्यायाम करना आईसोमीट्रिक व्यायाम खींचना आदि शक्ति के उदाहरण है।
  2. गतिः यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह एक ही तरह की क्रिया बहुत तेज गति से करता है या शरीर के अगों को अधिकतम घुमाने की क्षमता को प्रदर्शित करती हैं। गति प्रदर्शन विभिन्न खेलों में भिन्न-भिन्न खेल रूपों में प्रकट होता है, उदाहरण तेजी से लय के साथ अभ्यास, अति धैर्य पुनरावृति व त्वरण दौड़ी का अभ्यास आदि।
  3. सहनक्षमता: यह कार्य को जारी रखने या थकावट को रोकने या विरोध की योग्यता कहलाती है। इसे आंतरिक बल भी कहते है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहनक्षमता का प्रयोग अधिकतम खेलों में होता है। यह मध्यम व लम्बी दूरी की दौड़ों का अंग है।
  4. लचकः यह शरीर के जोड़ो में गति की क्षमता है या लचीलापन एक संयुक्तता संरचना चारों और गति की सीमा, मांसपेशियों की लम्बाई, संयुक्तता संरचना और अन्य कारकों से प्रभावित होती हैं। इसे फलेक्यूसेमीटर द्वारा मापा जाता है।
  5. तालमेल संबंधी योग्यताएं: यह ऐसी योग्यता है उसेइस योग्य बनाती है कि वह विभिन्न गति क्रियाएँ सुचारू तथा प्रभावशाली का सेकर सके। यह दिशा बदलने की क्षमता व कम समय में गति बिना असंतुलित हुए करने की योग्यता है।


सकारात्मक जीवन शैली के घटक लिखिए।


सकारात्मक जीवन शैली के घटक निम्नलिखित है:

  1. स्वास्थ्यवर्धक आहार: स्वास्थ्य वर्धक आहार या अच्छा पोषण सकारात्मक जीवन शैली का मुख्य घटक है। ताजे फल और सब्जियाँ साबुत अनाज, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद स्वास्थ्य वर्धक आहार के मौलिक तत्व है।
  2. शारीरिक क्रियाशीलता गतिविधि: यह सकारात्मक जीवन शैली का महत्वपुर्ण घटक है। शरीर के वजन को सामान्य बनाए रखने, उसकी शक्ति व लचक को बढ़ाने तथा बनाए रखने के लिए शारीरिक क्रियाशीलता आवश्यक है।
  3. तनाव प्रबन्धन: तनाव प्रबन्धन भी सकारात्मक जीवन शैली का एक घटक है। भावनात्मक से उदरीय वजन तथा हृदय संबंधी बिमारियों में वृद्धि होती है। तनाव को केवल ध्यान व शिथिलन की तकनीकों के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है।
  4. सामाजीकरण: प्रत्येक व्यक्ति को सहभागियों तथा पड़ोसियों से अच्छे सामाजिक सम्बन्ध विकसित करने चाहिए। हमें अपने साथियों से समय-समय पर मिलते रहना चाहिए। इससे उनके बीच सामाजिक सम्बन्ध स्थापित होते है।
  5. व्यक्तिगत स्वच्छता: व्यक्तिगत स्वच्छता, जैरने-आँख, कान, नाक, गला, बाल, दाँत, जीभ, पैर आदि की सफाई व उचित देखभाल स्वच्छ आवश्यक है।
  6. पर्याप्त निद्रा: यह भी स्वस्थ जीवन शैली का महत्वपुर्ण हिस्सा है। इसकी कमी से थकान हो सकती है। इसकी कमी से हृदय सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती है। मस्तिष्क को चार्ज करने के लिए निद्रा का होना आवश्यक है।


स्वास्थ्य सम्बन्धी पुष्टि के विभिन्न घटकों को सुचिबद्ध कीजिए। प्रत्येक घटक का सविस्तार वर्णन कीजिए?


स्वास्थ्य सम्बन्धी पुष्टि के निम्नलिखित घटक होते है:

  1. शरीर रचना अथवा संयोजन
  2. हृदय- श्वसन सहनक्षमता
  3. लचक
  4. मांसपेशीय सहन क्षमता
  5. मांसपेशीय शक्ति
  1. शरीर की संरचना अथवा संयोजन: इसका अर्थ शरीर के भार में वसा मुक्ति मात्रा से है। यह एक जाना पहचाना तथ्य है कि शरीर के कुल भार में शरीर की वसा का उच्च प्रतिशत हानिकारक होता है तथा यह स्थूलता की ओर अग्रसर करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से युवा पुरूषों व स्त्रियों के लिए शरीर की वसा का सामान्य प्रतिशत क्रमश: 15 व 25 से अधिक नहीं होनी चाहिए। व्यक्तियों द्वारा शरीर की संरचना अथवा संयोजन को मापने के लिए विभिन्न विधियों जैसे- पानी के अन्दर भार मापना, स्कीनफोल्ड मापन और एंथ्रोपोमेट्रिक मापन आदि प्रयोग में लाई जाती है। इसका अर्थ यह है कि स्वास्थ्य संबन्धी पुष्टि के लिए एक व्यक्ति को आदर्श शरीर भार व वसा प्रतिशत रखना चाहिए।
  2. हृदय-श्वसन सहनक्षमता: यह हृदय-श्वसन संस्थान की अधिकतमकार्य सम्बन्धी क्षमता है जो मांसपेशीय समूह को अधिक समय तक शारीरिक क्रिया या कार्य जारी रखती है।
  3. लचक: स्वास्थ्य सम्बन्धी पुष्टि का लचक एक महत्वपूर्ण घटक है। यह जोड़ो की गति की क्षमता है। दैनिक जीवन में लचक सभी के लिए आवश्यक है। इसको सक्रिय लचक व असक्रिय लचक में वर्गीकृत किया जाता है। सक्रिय लचक को पुन: स्थिर लचक व गतिशील लचक में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  4. मांसपेशीय सहन क्षमता: मांसपेशीय सहनक्षमता एक मांसपेशी या मांसपेशीय समूह द्वारा अधिकतम समय तक संकुचन जारी रखने या फिर किसी शक्ति के विरूद्ध बार-बार मांसपेशीय संकुचन करने की योग्यता होती हैं।
  5. मांसपेशीय शक्ति: मांसपेशीय शक्ति, शक्ति की अधिकतम मात्रा होती है। जिसको एक मांसपेशीय या मांसपेशीय समूह के द्वारा एक संकुचन के दौरान किसी प्रतिरोध के विरूद्ध लगायी जाती है।


सुयोग्यता के अंगों की व्याख्या कीजिए।


सुयोग्यता एक ऐसी क्षमता है जो एक व्यक्ति को स्वस्थ और संतुलित आजीविका का आदर्श रूप प्रदान करती है। इस क्षमता के द्वारा एक व्यक्ति का केवल शारीरिक विकास ही नहीं वरन मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास भी होता है। शारीरिक सुयोग्यता के बहुत सारे अंग हैं जिसके द्वारा अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनमें से कुछ निम्नलिखित है:

  1. शारीरिक क्रियाएँ या गतिविधियाँ: यह व्यक्ति को स्वस्थ एवं सक्रिय बनाती हैं। यह शरीर की विभिन्न प्रणालियों और स्वास्थ्य में सुधार लाती हैं। यह हमारे विकास और वृद्धि का आधार हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार शारीरिक क्रियाएँ करनी चाहिए।
  2. संतुलित भावनात्मक जीवन: एक व्यक्ति के लिए अपनी आंतरिक भावनाओं और मनो-वेग को व्यक्त करने के लिए सुयोग्यता कार्यक्रम महत्वपूर्ण है, यह हताशा को कम करता है और खुशी में बढ़ोतरी करता है।
  3. बौद्धिक कल्याण या सुयोग्यता: सुयोग्यता सकारात्मक बौद्धिक रवइए का आधार है। यह हमारे व्यवहार, बुद्धि, सतर्कता, भविष्य व अंदर की सोच को बेहतर बनाता है।
  4. आध्यात्मिक कल्याण या सुयोग्यता: सुयोग्यता व्यक्ति को नैतिकता की दृष्टि से अच्छा एवं नैतिक रूप से शांत बनाती हैं। इसके अलावा यह जीवन के मुल्यों को दिशा प्रदान करती है।
  5. व्यावसायिक कल्याण: यह व्यक्ति को एक कठिन कार्यकर्ता और ईमानदारी से रोज़ी -रोटी कमाने के लिए प्रेरित करती है। यह काम और आराम के बीच संतुलन को प्राप्त करने में मदद करती है तथा संतुष्टि भी प्रदान करती है।
  6. तनाव प्रबन्धन में मदद: यह मानसिक तनाव में कमी लाने में मदद करती है। सुयोग्यता से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य तो अच्छा होता ही है, साथ ही साथ हारमोन भी संतुलित रहते हैं । यह हारमोन्स मानसिक तनाव को कम करने में सहायता करते है।


जीवन शैली में बदलाव के द्वारा स्वास्थ्य के खतरो, जोखिमों को कैसे रोका जा सकता हैं। विवेचना कीजिए।


स्वस्थ जीवन के निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए:

  1. मोटापा उच्च रक्तदाब हृदय: संबंधी व्याधियों, मधुमहे कुछ प्रकार के कैंसरों, कब्ज, अवसाद तथा स्वास्थ्य के अन्य खतरों को रोकने में मदद मिलती है।
  2. भोजन करने की स्वास्वथ्यप्रद आदतें: इन आदतों से व्यक्ति को उच्च रक्त दाब, हृदय सम्बन्धी व्याधियों, मधुमेह अस्थि सुचिरता (ओरन्टोपोरिसिस) गुर्दे की पथरी, दाँतों की बीमारियों तथा कुछ कैंसर के प्रकारों से बचाव तथा नियंत्रण करने में सहायता मिलती हैं।
  3. दूरदर्शन (टी.वी) देखने की सीमित अवधि: अनेक अनुसंधानों से पता चला है कि बच्चों तथा बड़ों का नियंत्रित रूप से टीवी. देखते रहना उनकी बढ़ती हुई मोटापे दर से संबंधित है। इससे शारीरिक क्रियाशीलता में गिरावट आती है।
  4. धूम्रपान को त्यागना: एक स्वास्थ जीवन शैली के लिए धुम्रपान का कोई स्थान नहीं है। उसे शीघ्र छोड़ देना चाहिए। किसी भी रूप में धुम्रपान या तम्बाकु सेवन करने से उच्च रक्त चाप बढ़ता हैं जो अनेक हृदय सम्बन्धी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  5. पर्याप्त निंद्रा: पर्याप्त मात्रा में सोना भी स्वास्थ्य जीवन शैली का एक मुख्य अंग है, विशेषता इससे चित्रवृति मिज़ाज (MOOD) और मनोदशा पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  6. चोट से बचाय: स्वस्थ्य जीवन शैली को बनाए रखने से घातक दुर्घटनाओं के कारण होने वाली चोटो से बचाव किया जा सकता है।
  7. मदिरा की सीमित मात्रा: मदिरा की मात्रा को सीमित करना स्वस्थ्य जीवन शैली का एक मुख्य भाग है।


शारीरिक पुष्टि के घटक अंग कौन कौन से हैं वर्णन कीजिए?

चपलता या फुर्ती.
संतुलन.
समन्वय.
प्रतिक्रिया समय.

स्वास्थ्य पुष्टि का मुख्य घटक क्या है?

स्वास्थ्य परिचर्या प्रणालियों के पुष्टि, प्रमाण और अनुसंधान को बढ़ाना शामिल होगा। ज्ञान का एक सामान्य पूल विकसित होगा।

शारीरिक पुष्टि को निर्धारित करने वाले कितने घटक होते हैं?

शारीरिक फिटनेस में फेफड़े, हृदय और मांसपेशियों के प्रदर्शन को अनुकूलित करना शामिल है। हम जो भी शारीरिक रूप से करते हैं उसका हमारे विचारों पर तत्काल प्रभाव पड़ता है। दूसरे शब्दों में, शारीरिक स्वास्थ्य का हमारे मानसिक ध्यान और भावनात्मक स्थिरता पर प्रभाव पड़ता है।

शारीरिक पुष्टि से आप क्या समझते हैं?

शारीरिक पुष्टि का क्या अर्थ है। शारीरिक पुष्टि एक व्यक्ति की बिना किसी थकावट के दैनिक कार्य करने की योग्यता से है। ऐसे व्यक्ति में खेल क्रियाओं में भाग लेने और आकस्मिक घटनाओं का सामना करने के लिए अन्य की तुलना में अधिक ऊर्जा रहती हैं।