शांतिनिकेतन छोड़ने का विचार गुरुदेव के मन में क्यों आया ? - shaantiniketan chhodane ka vichaar gurudev ke man mein kyon aaya ?

Ek Kutta Aur Ek Maina Question Answer | एक कुत्ता और एक मैना प्रश्न-उत्तर | NCERT Solutions for Class-9 kshitij bhag-1 chapter-8

          आज हम आप लोगों को क्षितिज भाग -1  कक्षा-9 पाठ-8 (NCERT Solution for class -9 kshitij bhag-1 chapter-8) एक कुत्ता और एक मैना (Ek Kutta or Ek Maina Question Answer) गद्य खंड के प्रश्न-उत्तर के बारे में बताने जा रहे है जो कि हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 1 : गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया?

उत्तर: गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़कर दूसरे जगह रहने का मन बना लिया क्योंकि – 

  • वे कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
  • वे असमय मिलने-जुलने आने वालों से परेशान थे।
  • वे आराम, शांति और एकांत की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।

प्रश्न 2 : मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मूक प्राणी भी कम संवेदनशील नहीं होते हैं। यह ‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ से कुत्ते की स्वामिभक्ति एवं व्यवहार से प्रकट होता है-

  • गुरुदेव जब श्री निकेतन के तितल्ले भवन में आकर रहने लगते हैं तो उनका कुत्ता उनको खोजते-खोजते वहाँ आजाता है। वह गुरुदेव का स्पर्श पाकर आनंद अनुभव करता है।
  • गुरुदेव की मृत्यु के उपरांत कुत्ता अस्थिकलश के पास कुछ देर तक उदास बैठा रहता है। वह भी अन्य लोगों कीतरह ही शोक प्रकट करता है।
  • लँगड़ी फुदकती मैना की चाल में लेखक को एक प्रकार की करुणा दिख रही थी।

प्रश्न 3 : गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया?

उत्तर : लेखक जब गुरुदेव द्वारा लिखी इस कविता को पढ़ा कि मैना कीड़ों को चुनकर गिरे हुए पत्ते पर उछल-कूद कर रही है जबकि दूसरी मैनाएँ शिरीष पेड़ पर बैठ कर बात-चित कर रही हैं। जब मैना उड़कर दूसरे जगह चली जाती है तब लेखक समझाते हैं कि अन्य मैनाओं के साथ न मिलने के कारण वह उड़ गई। उसका यूँ गायब हो जाना लेखक को बहुत करुण लगा। 

प्रश्न 4 : प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं ? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: इस निबंध में लेखक ने अपने भावों और विचारों को बहुत ही कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में व्यक्त किया है। इस विशेषता को हम निम्नलिखित वाक्यों द्वारा समझ सकते है –

  1. लेखक ने मानवीकरण की शैली अपनाकर कुत्ता तथा मैना को मानव सदृश संवेदनशील बना दिया है।
  2. लेखक ने मधुर व्यंग्य शैली में कौओं को याद करके आधुनिक लेखकों, साहित्यकारों पर सरस व्यंग्य से टिप्पणी की है जो पाठक का मनोरंजन कर आनंदित करती है।
  3. लेखक ने इस निबंध में अनेक कल्पनाओं का सहारा लिया, जैसे-विधुर पति या विधवा पत्नी के रूप में मैना का अकेले घूमना तथा मैना दंपती का संवाद। इस प्रकार की अद्भुत कल्पना द्वारा किया गया वर्णन बहुत ही रोचक तथा सजीव बन गया है।
  • आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए, एक दिन हमने सपरिवार उनके ‘दर्शन’ की ठानी।
  • यहाँ दुख के साथ कह देना चाहता हूँ कि दर्शनार्थियों में कितने ही इतने प्रगल्भ थे कि समय-असमय, स्थान-अस्थान, अवस्था-अनवस्था की एकदम परवा नहीं करते और रोकते रहने पर भी आ ही जाते थे। ऐसे दर्शनार्थियों से गुरुदेवकुछ भीत-भीत से रहते थे। अस्तु, मैं मय बाल-बच्चों के एक दिन श्री निकेतन जा पहुँचा।
  • उस समय लँगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा, “देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है, ठीक यही आकरमुझे इसकी चाल में एक करुण भाव दिखाई देता है।”
  • पक्षियों की भाषा तो में नहीं जानता, पर मेरा निश्चित विश्वास है कि उनमें कुछ इस तरह की बातें हो जाया करती थी। पत्नी-ये लोग यहाँ कैसे आ गए जी? पति कहता है – जब ऊँह बेचारे सब आ गए हैं, तो रहने दो। ये लोग क्या कर लेंगे! पत्नी कहती है – लेकिन फिर भी इन लोगों को इतना तो ख्याल करना ही चाहिए कि यह हम दोनों का प्राइवेट घर है। तभी पति कहता है – आदमी जो हैं, इनके पास इतनी अक्ल कहाँ।

प्रश्न 5 : आशय स्पष्ट कीजिएइस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता।

उत्तर: आशय यह है कि जब कवि रवीन्द्रनाथ जी ने उस कुत्ते को अपने प्यार भरे हाथों से छुआ तो कुत्ते ने भी अपनी आखें बंद कर ली और उस प्यार को महसूस किया। तब कुत्ते को ऐसा लगा मानो की उसके अतृप्त मन को गुरुदेव जी के द्वारा छू लेने से तृप्ति मिल गयी हो। इस प्रकार कवि ने अपने अतिदुखद दृष्टि से उस भाषाहीन प्राणी के करुण दृष्टि के अंदर उस महान या विशाल मानव सत्य को पहचान लिया था।

आज का मानव जीवन खुद में इतना व्यस्त हो गया है कि वे लोग एक दूसरे की भावनाओं को समझ नहीं पा रहे है जबकि कवि रवीन्द्रनाथ जी एक भाषाहीन या मूक पशु के अंदर उपस्थित भावनाओं को महसूस कर लिये।

क्षितिज भाग -1 ( गद्य खंड )

  सारांश  प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- दो बैलों की कथा प्रश्न -उत्तर
अध्याय- 2 ल्हासा की ओर प्रश्न -उत्तर
अध्याय- 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति  प्रश्न -उत्तर
अध्याय- 4 साँवले सपनों की याद  प्रश्न -उत्तर
अध्याय- 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रश्न -उत्तर
अध्याय- 6 प्रेमचंद के फटे जूते प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 7 मेरे बचपन के दिन प्रश्न-उत्तर 
अध्याय- 8 एक कुत्ता और एक मैना  

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6: पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।

उत्तर: मेरे गाँव में रामू नाम का एक आदमी था, वह एक गाय पाल रखा था। वह हमेशा गाय की सेवा किया करता था। वह भोजन करने के पश्चात गाय को रोज एक रोटी खिलाता था। गाय भी उसका हाथ चाटकर अपना प्रेम दिखाती थी। ठंड का दिन था। रामू की तबीयत बहुत खराब हो गई। शाम को वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा था। रोज की तरह उसका बेटा रोटी लेकर गाय को खिलाने आया, पर गाय ने रोटी न खाई। रामू को न देखकर गाय बहुत दुखी था। उसने न ही चारा खाया और न ही रोटी खाई। चौथे दिन जब रामू की तबीयत थोड़ी ठीक हो गई और वह उठकर गाय के पास आया तो गाय बहुत देर तक उसे देखती रही। उसकी आँखों में आँसू आ गए। शाम को उसने रामू के हाथ से रोटी खाई और धीरे-धीरे गाय ने खाना-पीना भी शुरू कर दिया। लोगों ने इस घटना को देखकर कहा कि जरूर इन दोनों का पिछले जन्म में कोई रिश्ता रहा होगा। 

कुछ और प्रश्न 

प्रश्न 1 : श्री निकेतन में ऐसा कौन सा आकर्षण था, जिसके कारण गुरुदेव ने वहाँ रहने का मन बनाया?

उत्तर : गुरुदेव ने शांति निकेतन छोड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनका स्वास्थ्य खराब था। वे आराम करना चाहते थे। शांति निकेतन में उनसे मिलने वाले बहुत लोग आया करते थे। श्री निकेतन में एकांत का आकर्षण था, जिसके कारण गुरुदेव ने वहाँ रहने का मन बनाया।

प्रश्न 2 : ‘एक कुत्ता एक मैना’ पाठ के आधार पर गुरुदेव की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर : ‘एक कुत्ता एक मैना’ पाठ के आधार पर गुरुदेव की निम्नलिखित विशेषताएँ पता चलती हैं –

(क) गुरुदेव पशु-पक्षियों से अत्यधिक प्रेम करते थे। उनका कुत्ता सदैव उनके साथ ही रहता था।

(ख) वे संवदेनशील व्यक्ति थे। वे प्रकृति से घनिष्ठ लगाव रखते थे।

(ग) वे सहदय कवि थे, जिन्होंने लँगड़ी मैना पर मर्मस्पर्शी कविता लिखी थी। 

(घ) गुरुदेव हास्य प्रिय व्यक्ति थे। यह उनके दर्शनार्थी प्रसंग से ज्ञात होता है।

प्रश्न 3 : गुरुदेव ने लँगड़ी मैना को देख क्या कल्पना की थी? ‘एक कुत्ता एक मैना’ पाठ के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : गुरुदेव लँगड़ी मैना को देख कहने लगे कि या तो यह नर मैना विधुर पति है जो पिछली स्वयंवर सभा के युद्ध में आहत और परास्त हो गया था अथवा यह मादा मैना वह विधवा पत्नी है जिसका पति विडाल के आक्रमण में मारा गया और यह तबसे एकांतवास करते हुए जीवन बिता रही है।

प्रश्न 4: गुरुदेव किस तरह के दर्शनार्थियों से भीत-भीत रहते थे?

उत्तर: गुरुदेव से मिलने वाले लोगों में कुछ लोग ऐसे भी थे जो बिना समय के आया जाया करते थे। उन लोगों की ज्यादातर बातें निरर्थक हुआ करती थीं। वे समय-असमय, स्थान आदि की थोड़ी भी चिंता किए बिना गुरुदेव के पास आ जाते थे। गुरुदेव द्वारा मना करने पर भी वे अंदर आ जाते थे। गुरुदेव का स्वास्थ्य अच्छा नहीं होने के कारण वे ऐसे दर्शनार्थियों से भीत-भीत रहते थे।

प्रश्न  5 : गुरुदेव मनुष्यों के साथ ही नहीं वरन् पशुओं से भी आत्मीयता रखते थे-पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: लेखक जब गुरुदेव से मिलने गया था, उसी समय उनका कुत्ता उनको ढूँढ़ता हुआ वहाँ आ गया। वह गुरुदेव के पैरों के पास खड़ा होकर पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा। वह आँखें बंद किए हुए अपने रोम-रोम से उस स्नेह-रस का अनुभव करने लगा। इससे पता लगता है, गुरुदेव पशुओं से भी आत्मीयता रखते थे। 

प्रश्न  6 : मैना को देखते समय गुरुदेव और लेखक की दृष्टि में क्या अंतर था?

उत्तर : मैना को देखते समय गुरुदेव और लेखक की दृष्टि में यही अंतर था कि लेखक को मैना की चाल में छिपा हुआ करुण भाव नजर नहीं आ रहा था। वह तो यही समझता था कि मैना एक अनुकंपा दिखाने वाली पक्षी है, जबकि गुरुदेव को मैना के अंदर छुपा हुआ करुण भाव दिख रहा था। वह उसे यूथभ्रष्ट समझते थे।

I. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न  1 : गुरुदेव ने जब शांतिनिकेतन को छोड़कर अन्यत्र रहने का मन बनाया उस समय उसकी शारीरिक दशा केसी थी?

उत्तर : गुरुदेव ने जब शांतिनिकेतन को छोड़कर अन्यत्र रहने का मन बनाया उस समय उनका स्वास्थ्य अच्छा न था। वे वृद्ध और क्षीणवपु हो चुके थे। दूसरी-तीसरी मंजिल तक सीढ़ियाँ चढ़ पाना उनके लिए संभव न था। उनको ऊपर ले जाने में बड़ी कठिनाई होती थी।

प्रश्न 2 : गुरुदेव का कुत्ता उनसे विशेष लगाव रखता था, इसे प्रमाणित करने वाली घटना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर गुरुदेव का कुत्ता उनसे बहुत लगाव रखता था, वह कुत्ता भी दूसरे लोगों के साथ शांतभाव से उत्तरायण तक गया और चिताभस्म के कलश के पास थोड़ी देर तक चुपचाप बैठा भी रहा। इसी प्रमाणित घटना द्वारा हम यह कह सकते है कि गुरुदेव का उस कुत्ते के साथ विशेष लगाव था।

प्रश्न 3 : लँगड़ी मैना के बारे में गहराई से विचार करने पर लेखक ने उसके बारे में क्या अनुमान लगाया?

उत्तर : गुरुदेव की बात पर गहराई से विचार करने पर लेखक ने महसूस किया कि सचमुच ही लँगड़ी मैना के मुँह पर एक करुण भाव है। उसने अनुमान लगाया कि शायद वह विधुर है जो पिछली बार स्वयंवर सभा के युद्ध में आहत और परास्त हो गया था, या विधवा पत्नी है जो पिछले बिडाल के आक्रमण के समय पति को खोकर एकांत विहार कर रही है।

प्रश्न  4 : गुरुदेव ने एकांत विहार करने वाली मेना तथा अन्य मेनाओं के बारे में क्या लिखा है?

उत्तर: गुरुदेव ने लिखा है कि वह मैना जो एकांत विहार कर रही है, एक पैर से लँगड़ा रही है। वह अपने दल से अलग होकर कीड़ों का शिकार करती है तथा पेड़ के गिरे पत्तों पर फुदकती है। इसके विपरीत कुछ ही दूरी पर अन्य मैनाएँ शिरीष के वृक्ष की शाखाओं पर बकझक कर रही हैं। वे हरी घास पर उछल-कूद कर रही हैं तथा प्रसन्नचित्त हैं। 

II. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1 : एक कुत्ता तथा एक मेना’ पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर: ‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए। उनसे प्रेम तथा अपनत्व का भाव रखना चाहिए। हमें ईश्वर की अन्य कृतियों, अपने पर्यावरण के मित्र इन पशु-पक्षियों के प्रति भी गहरी रुचि रखना चाहिए। उन्हें मनुष्य की दृष्टि से नहीं बल्कि उनकी या प्रकृति के दृष्टिकोण से उन्हें देखना चाहिए। हमें उनके सुख-दुख का भी ध्यान रखना चाहिए। हमें उनके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हुए इन निरीह प्राणियों को अपना बना लेना चाहिए। 

प्रश्न  2 : ‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए?

उत्तर: एक कुत्ता और एक मैना पाठ में लेखक ने पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम का प्रदर्शन किया है। उसने इन निरीह प्राणियों से मिलनेवाले प्रेम, भक्ति, करुणा तथा विनोद जैसे मानवीय भावों का उल्लेख किया है। लेखक ने कुत्ते और मैना के माध्यम से मानवीय और संवेदनशील जीवन का बहुत सूक्ष्म और गहनता से निरीक्षण किया है तथा हमें इन प्राणियों से प्यार करने का संदेश दिया है। लेखक ने बताया है कि गुरुदेव ने ‘कुत्ते’ और ‘मैना’ जैसे पशु-पक्षियों को भी अपनी कविता का वर्ण्यविषय बनाया है तथा उस कविता द्वारा यह बताने का प्रयास किया है कि कोई भी पशु हो या पक्षी, उनमें भी हमारी तरह भावनाएँ और संवेदनाएँ होती हैं। वे भी हमारी तरह दुख-सुख का अनुभव कर सकते हैं। 

प्रश्न  3 : ‘पशुओं में भी संवेदनशीलता होती है – एक कुत्ता और एक मैना नामक पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– इस पाठ में लेखक ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के एक कुत्ते के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि पशुओं में भी संवेदनशीलता होती है। वे भी मनुष्यों की तरह संवेदनशील प्राणी हैं। परंतु इन वाणीहीन प्राणियों को हमारी भाषा में संवेदना व्यक्त करना नहीं आता है और जिस प्रकार वे पशु संवेदना व्यक्त करते हैं उसे देखने और समझने की अंतदृष्टि या मर्मभेदी दृष्टि हमारे पास नहीं है। पाठ के अनुसार जब गुरुदेव श्री निकेतन में आकर रहने लगते हैं तो उनका कुत्ता उन्हें खोजता हुआ वहाँ भी पहुँच जाता है। गुरुदेव का स्पर्श पाकर वह कुत्ता रोम-रोम आनंद-रस में डूब जाता है। गुरुदेव की मृत्यु के बाद उनके अस्थिकलश को ले जाते हुए अन्य लोगों के साथ उस कुत्ते का उत्तरायण तक जाना, अस्थिकलश के पास कुछ देर तक शांत होकर चुपचाप बैठना आदि देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि पशुओं में भी संवेदनशीलता होती है। 

प्रश्न  4 : गुरुदेव द्वारा लिखी गई कविता पढ़कर मैना के बारे में लेखक की सोच में क्या बदलाव आया? पाठ के आधार पर लिखिए ।

उत्तार: लेखक जिस मकान में रहते थे , उस मकान के निर्माताओं ने दीवार में चारों ओर एक-एक छेद छोड़ रखे थे। उन्हीं सूराखों में आकर एक मैना दंपति नियमित रूप से हार साल अपनी गृहस्थी बसा लिया करते थे। वे उसमें प्रसन्न होकर नृत्य करते थे और मधुर वाणी में विजयोद्घोष गाया करते थे। यह सब देखकर लेखक को लगता था कि मैना करुण भाव दिखाने वाली पक्षी हो ही नहीं सकती। जब उसने गुरुदेव द्वारा लँगड़ी मैना पर लिखी हुई कविता को पढ़ा और उस पर गहराई से विचार किया तब उन्हें  ध्यान आया कि सचमुच ही उस मैना के मुंह पर करुण भाव है। इस प्रकार गुरुदेव की कविता पढ़कर मैना की करुण दशा के बारे में लेखक की सोच में बदलाव आया। 

एक कुत्ता और एक मैना पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘एक कुत्ता और एक मैना’  Read More

          इस पोस्ट के माध्यम से हम क्षितिज भाग -1  कक्षा-9 पाठ-8 (NCERT Solution for class -9 kshitij bhag-1 chapter-8) एक कुत्ता और एक मैना (Ek Kutta or Ek Maina Question and Answer) गद्य खंड के प्रश्न-उत्तर के बारे में जाने, जो कि  हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi) द्वारा लिखित है। उम्मीद करती हूँ कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया होगा। पोस्ट अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। किसी भी तरह का प्रश्न हो तो आप हमसे कमेन्ट बॉक्स में पूछ सकतें हैं। साथ ही हमारे Blogs को Follow करे जिससे आपको हमारे हर नए पोस्ट कि Notification मिलते रहे।

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शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया?

गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं ओर रहने का मन इसलिए बनाया क्योंकि उनका स्वास्थ्य अच्छा न था। वे स्वास्थय लाभ लेने के लिए श्रीनिकेतन चले गए। उन्हें आराम और शांति चाहिए थी, मिलने वाले लोगो की वजह से जो सम्भव नहीं हो रहा था।

श्री निकेतन में ऐसा कौन सा आकर्षण था जिसके कारण गुरुदेव ने वहां रहने का मन बनाया?

श्री निकेतन में एकांत का आकर्षण था, जिसके कारण गुरुदेव ने वहाँ रहने का मन बनाया। प्रश्न 2 : 'एक कुत्ता एक मैना' पाठ के आधार पर गुरुदेव की विशेषताएँ लिखिए।

शांतिनिकेतन छोड़कर गुरुदेव कहाँ रहने लगे?

उत्तर : गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़कर श्रीनिकेतन में रहने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था और शांतिनिकेतन में छुट्टियां भी चल रही थी। श्रीनिकेतन शांतिनिकेतन से 2 मील दूर था।

गुरुदेव द्वारा मीणा को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेकर कब समझ पाया?

गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक तब समझ पाए जब रविन्द्रनाथ के कहने पर लेखक ने मैना को ध्यानपूर्वक देखा। मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते।