Show पाठ 4 विदाई संभाषण आरोह भाग-1 हिंदी प्रश्न 1- शिव शंभू की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं। उत्तर- शिव शंभू की दो गायों के माध्यम से लेखक यह समझाना चाहते हैं कि जिस देश के प्रश्नों पर बिछड़ते समय ऐसी मनोदशा होती है वहां मनुष्यों की कैसी दशा हो सकती, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है कहानी में दो गाये होती हैं जिनमें से एक बलवान और दूसरी कमजोर थी वह कभी-कभी अपने सिंह की टक्कर से दूसरी कमजोर गाय को गिरा देती थी 1 दिन बलवान गाय पुरोहित को दे दी गई उसने जाने के बाद कमजोर गाय दिन भर भूखी रही उसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने अपने शासनकाल में भले ही भारत वासियों का शोषण किया हो लेकिन जाने का दुख सबको है। प्रश्न 2- करोड़ प्रजा के गिडगिडाकर विच्छेद ना करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया यहां किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है। उत्तर - लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन का निर्णय लेकर भारत की एकता को खंडित करने की योजना बनाई भारत वासियों ने लॉर्ड कर्जन की इस जिद के आगे बहुत विनती की, ताकि यह विभाजन ना हो लेकिन कर्जन ने इसे अनसुना कर दिया और आखिरकार बंगाल -विभाजन होकर रहा ऐसी ऐतिहासिक घटना की ओर लेखक ने संकेत किया है। प्रश्न 3 कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया? उत्तर - लार्ड कर्जन एक फौजी अफसर को अपने उचित पद पर नियुक्त करना चाहा पर ब्रिटिश सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया| इसी गुस्से के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और वह सरकार भी हो गया। प्रश्न -4- विचार तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई इतने ऊंचे होकर आप कितने नीचे गिरे आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर- लार्ड कर्जन भारत के तत्कालीन वायसराय थे उन्होंने अपने शासनकाल में हर तरह की सुविधाओं का आनंद उठाया था देश के अमीर तथा संपन्न कहे जाने वाले वर्ग उनके कहे अनुसार चलते थे वायसराय के पद पर रहते हुए भी उन्होंने जनता की हितो पर कभी ध्यान नहीं दिया और यही उनके पतन का कारण बना ब्रिटिश सरकार ने उनके स्थान पर को मंजूरी दी और उन्हें भारत से जाना पड़ा। 11th English सितंबर मासिक टेस्ट हल प्रश्न -आपकी और यहां के निवासियों के बीच में तीसरी शक्ति और भी है -यहां तीसरी शक्ति किसे कहा गया है? उत्तर - यहां तीसरी शक्ति ईश्वर को कहा गया है उसकी सबकी आगे ना लॉर्ड कर्जन का जोर चल सकता है और ना ही भारतवासियों का उन्हीं के इच्छा अनुसार दुनिया का संचालन होता है। 1. पाठ का यह अंश शिव शंभू के चिट्ठे से लिया गया है शिव शंभू नाम की चर्चा पाठ में भी हुई है बालमुकुंद गुप्त ने इस नाम का उपयोग क्यों किया है । उत्तर - पाठ का यह अंश शिव शंभू चिट्टे से लिया गया है लेखक बालमकुंज गुप्त ने शिवशंभू नाम का उपयोग लॉर्ड कर्जन तथा अंग्रेज के शासनकाल पोल खोलने के लिए किया है लेखक ने इस पत्र के जरिए अंग्रेजी शासकों के कुशासन पर व्यंग्य किया है शिव शंभू एक काल्पनिक पात्र जिसके माध्यम से लेखक उनकी तानाशाही को सामने लाने का प्रयास किया है| 2. नादिर से बढ़कर आपकी जिद है -कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही लगती है पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए । उत्तर - लेखक ने लॉर्ड कर्जन की तुलना नादिर से की है। लेखक के अनुसार नादिर में जब दिल्ली पर आक्रमण किया था तब उसने वहां की पीड़ित जनता की गुहार पर कत्लेआम की उसी समय रोक दिया लेकिन लॉर्ड कर्जन ने तो भारत वासियों के बंगाल विच्छेद ना करने की विनती को स्वीकार ना तो दूर उसे सुनना तक जरूरी नहीं समझा इसलिए यहां लेखक का कहना उचित है कि ना दिल से बढ़कर लॉर्ड कर्जन की जिद है । 3.क्या आंख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ ना सुनने का नाम ही शासन है -इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन किया है इस पर चर्चा कीजिए । उत्तर - लॉर्ड कर्जन ने अपने शासनकाल में प्रजा के हितों का ध्यान मैं नहीं रखा बल्कि उसने मनमाने हुक्म चलाकर शासन किया था इस दृष्टिकोण से शासन उसे कहते हैं जिसमें प्रजा की मर्जी के विरुद्ध शासक के जिद के अनुसार कानून बनाया जाता हो जनता के अनुरोध या प्रार्थना सुनने के लिए उन्हें अपने पास भी भटकने ना दिया जाता हो। 4.इस पाठ में आए अलिफ लैला, अलाउद्दीन, अबुल हसन और बगदाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए| उत्तर-छात्र स्वयं करें | भाषा की बात NCERT solution for class 11th: पाठ 4 विदाई संभाषण आरोह भाग-1 हिंदी (vidai sambhashan) 1. वे दिन-रात यही बात मनाते थे कि जल्द श्रीमान यहां से पधारे सामान्य तौर पर आने के लिए पधारें शब्द का इस्तेमाल किया जाता है| यहां पधारे शब्द का क्या अर्थ है। उत्तर -यहां शब्द का प्रयोग लॉर्ड कर्जन के भारत से जाने के लिए किया गया है। 2. पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है उन्हें समान हिंदी में लिखिए| (क). आगे भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, अंत में उनको जाना पड़ा। उत्तर- पहले भी इस देश में जो प्रधान शासक आए उन्हें अंत में जाना पड़ा| (ख) आप किसको आए थे और क्या कर चले| उत्तर -आप किस लिए आए थे और क्या कर के जा रहे हैं। (ग) उनका रखा है एक आदमी नौकर ना रखा। उनके रखवा ने से एक आदमी नौकर भी ना रखा गया। (घ) पर आशीर्वाद करता हूं कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर लाभ करें| परंतु मैं आशीर्वाद देता हूं कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करें | पाठ 2 मीरा के पद आरोह भाग-1 हिंदी रुप रेखा
मीरा के पद की व्याख्या मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरे ना कोई जा के सिर मोर -मुकुट मेरो पति सोई छाड़ी दयी कुल की कहानी कहां करिहै कोई? संतन ढिग बैठे-बैठे ,लोक लाज खोयी अंशुवन जल सीचि- सीचि, प्रेम बोलि बोइ अब त बेलि फैलि गरी , आनंद -फल होय दूध की मदनिया बड़े प्रेम से बिलोयी दधि मथि घृत काढि लियो, डारिदरी छोयी भगत देखी राजीव हुई ,जगत देखि रोई दासी मीरा लाल गिरधर! तारों अब मोही भावार्थ - भावार्थ पंक्तियां कवित्री मीरा के द्वारा रचित है जो पद नरोत्तम दास स्वामी द्वारा संकलित मेरा मुक्तावली से लिया गया है इन पंक्तियों के माध्यम से कवित्री मीरा मोर मुकुट धारण किए हुए श्री कृष्ण को अपना पति मानते हुए कहते हैं कि उनके सिवा इस जगत में मेरा कोई दूसरा नहीं आगे कवित्री कहती है कि मैंने कुल की मर्यादा का भी ध्यान छोड़ दिया है तथा संतो के साथ उठते बैठते लोक - लज्जा सब कुछ त्याग कर स्वयं को कृष्ण भक्ति में लीन कर लिया है कवित्री मीरा कहती हैं कि कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सीखने के लिए मैंने अपने आंसुओं को निस्वार्थ भाव से न्योछावर किया है। फलस्वरूप जिस बेल के बढ़ने से आनंद रूप फल की प्राप्ति हुई है आगे कवित्री एक दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए कहते हैं। कि जिस प्रकार दूध में मथानी डालकर दही से मक्खन निकाला जाता है और सिर्फ छाछ को पृथक कर दिया जाता है। ठीक उसी तरह मीरा ने भी संसारिकता के ढकोसलेपन से स्वयं को दूर रखा है और अपनी सच्ची और आत्मिक भक्ति से श्री कृष्ण के प्रेम को प्राप्त किया है आगे कवित्री मीरा कहती है कि जब मैं भक्तों को देखती हूं तो मुझे प्रसन्नता होती है और उन लोगों को देखकर मुझे दुख होता है जो संसार एकता के जाल में फंसे हुए हैं मीरा खुद को श्री कृष्ण की दासी मानती है और श्री कृष्ण से स्वयं का उद्धार करने की कामना करती है। (2)- पग घुंघरू बांध मीरा नाची, मैं तो मेरे नारायण सू , अपाहिज हो गई सांची, लोग कहे मीरा बाई बावरी: न्यात कहै कूल - नासी , विष का प्याला राणा भेज्या , पीवत मीरा हांसी , मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, सहज मिले अविनाशी भावार्थ - प्रस्तुति पंक्तियां कवित्री वीरा के द्वारा रचित है जो पद नरोत्तम दास स्वामी द्वारा संकलित मेरा मुक्तावली से लिया गया है इन पंक्तियों के माध्यम से कवित्री मीरा करती है कि वह श्री कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो गई है तथा पैरों में घुंघरू बांधकर नाचने में मग्न है कवित्री मीरा श्री कृष्ण के प्रेम में इतना रस विभोर हो गई है कि लोग उसे पागल की संज्ञा देने लगे हैं उनके संगे संबंधी कहते हैं कि ऐसा करके वह कुल का नाम खराब कर रही है आगे कवित्री मीरा कहती है कि राणा जी ने उसे मारने के लिए विष का प्याला भेजा था, जिसे वह हंसते-हंसते पीली और अमृत को प्राप्त हुए। आगे कवित्री कहती है कि यदि प्रभु की भक्ति सच्चे मन से की जाए तो वह सहजता से प्राप्त हो जाती है। ईश्वर को अविनाश जी की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि वह नच्श्रर है। मीरा के पद पाठ की सारांश प्रस्तुत पाठ या पद नरोत्तमदास स्वामी द्वारा संकलित मीरा मुक्तावली से लिया गया है प्रस्तुत पहले पद में कवित्री मीरा ने कृष्ण से अपने अन्यथा व्यक्त किए तथा व्यर्थ के कार्यों में व्यस्त लोगों के प्रति दुख प्रकट किया है दूसरे पद में , प्रेम रस में डूबी हुई कवित्री मेरा समस्त रीति-रिवाजों और बंधनों से मुक्त होने और गिरधर के स्नेह के कारण अमर होने के बाद कह रही है। मीरा के पद पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न -1- मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती है वह रूप कैसा है। उत्तर प्रस्तुत पाठ के अनुसार मीरा कृष्ण की उपासना पति परमेश्वर के रूप में करती है उनके सिर पर मोर का मुकुट है वह मन को हरने वाले हैं कवित्री मीरा स्वयं को उनकी दासी मानते हैं तथा उनके चरणों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दी है। प्रश्न -2- भाव का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। उत्तर भाव व शिल्प सौंदर्य। (क) भाव सौंद्र - प्रस्तुत पंक्तियां कवित्री मीरा द्वारा रचित पद कुदरत है कवित्री मीरा कहती है कि श्री कृष्ण के प्रेम रूपी बेल को सींचने के लिए मैंने अपने आंसुओं को निस्वार्थ भाव से नौ छावर किया है। फल स्वरुप दिस बेल के बढ़ने से आनंद रूपी फल की प्राप्ति हुई है अर्थात वह कहती हैं कि श्रीकृष्ण से प्रेम करने का मार्ग सरल नहीं है इस प्रेम की बेल को सीखने के लिए बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शिल्प सौंदर्य - यहां ब्रज भाषा में सुंदर अभिव्यक्ति हुई है जो राजस्थानी मिश्रित है सांग रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है जैसे- आनंद फल -आसमान जल, प्रेम बेलि बोरी अनुप्रास अलंकार का प्रयोग भी हुआ है। भाव सौंद्र - प्रसिद्ध पंक्तियां कवित्री मीरा द्वारा रचित पद से उद्धृत है कवित्री मेरा एक दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार दूध में मथानी डालकर दही से मक्खन निकाला जाता है और शेष छाछ को पृथक कर दिया जाता है ठीक उसी प्रकार उसने भी सांसारिक था के ढकोसला पन से स्वयं को दूर रखा है और अपनी सच्ची और आत्मिक भक्ति से श्री कृष्ण के प्रेम को प्राप्त किया है इन पंक्तियों में मीरा के मन का मंथन और जीवन जीने की सुंदर शैली का चित्रण हुआ है इसमें संसार के प्रति वैराग्य भाव निहित है प्रश्न 3-लोग मीरा को बाबरी क्यों कहते हैं। उत्तर प्रस्तुत पाठ के अनुसार मीरा कृष्ण भक्ति में इतनी लीन हो गई है। कि अपना सर्वस्व निछावर कर दी है संतों के साथ उठते बैठते उन्हें किसी मर्यादा का ध्यान नहीं रहा है कृष्ण के प्रेम में उन्होंने राजपरिवार छोड़ दिया, मंदिरों में भजन गाया और नृत्य किया लोक लज्जा का त्याग करके वह कृष्ण भक्ति में खोई रहे उनकी भक्ति के इसी बाबरेपन कारण लोग उन्हें बाबरी कहते हैं। प्रश्न 4 विष का प्याला राणा जी भेज्या राशि में क्या व्यंग्य छिपा है। उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति में कवित्री मीरा का अद्भुत आत्मविश्वास हुआ है राणा मीरा के ससुर ने उसे मारने के लिए विष का प्याला भेजा था जिसे वह हंसते-हंसते पीली और अमरत्व को प्राप्त हुई थी इस तरह मीरा को मारने वालों को सभी योजनाएं विफल हो गई और मीरा आनंदित होकर हंसने में मग्न थी। प्रश्न 5 - मीरा जगत को देख कर रोती क्यों है। उत्तर कवित्री मीरा जगत को देखकर इसलिए रोती है कि उन्हें संसार के लोग मोहमाया में लिप्त नजर आते हैं मीरा के अनुसार ऐसे लोगों का जीवन व्यर्थ है। प्रश्न 6 लोक - लज्जा खोने का अभिप्राय क्या है। उत्तर - लॉक लग जा खोने का अभिप्राय अपनी परिवारिक व सामाजिक सीमाओं के बंधनों को ध्वस्त करके आगे बढ़ना है अर्थात समाज के मर्यादाओं का उल्लंघन करके मीरा साधु संतों के साथ नाचती गाती है। प्रश्न 7 मेरा ने सहज मिले अविनाशी क्यों कहा है उत्तर कवित्री मीरा के अनुसार क्रश न्यानेश्वर हैं जिसे पाने के लिए सच्चे मन से साइज भक्ति करनी पड़ती है अतः इसी भक्ति से ईश्वर प्रसन्न होकर भक्तों को मिल जाया करते हैं। मीरा के पद पाठ के कठिन शब्द शब्दार्थ अंसुवन जल - आजसू रूपी जल से आणद- आनंदमय फल - परिणाम कानि- मर्यादा ढिग- साथ बेलि- प्रेम की बेल विलोयी- मथी छोयी- सारहीन , छाछ सांची- सच्ची , सत्य नियाज- कुटुंब या घर के लोग कुल - नासी- कुल का नाश करने वाली विष- विश्व ,गरल पीतल- पीती हुई हांसी- हंस पड़ी हंसने की क्रिया सहज- स्वभाविक तौर पर राजी- खुश रोइ- दुखी हुई पाठ 14 वे आंखे आरोह भाग-1 हिंदी NCERT Solutions for class 11th: कविता के साथ 1. अंधकार की गुहा सरीखी उन आंखों से डरता है मन (क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है? (ख) उन आंखों से किस की ओर संकेत किया गया है? (ग) कवी को उन आंखों से डर क्यों लगता है? (घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आंखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है? (ड़) यदि कवी इन आंखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता? उत्तर- (क) आमतौर पर हमें जीवन में अचानक घटने वाली दुर्घटनाओं से डर लगता है जिसमें आर्थिक हानि, प्रिय जन की मृत्यु, अपमान या मुसीबत जैसी घटनाएं शामिल होती हैं। (ख) उन आंखों से किसानों की दयनीय स्थिति की ओर संकेत किया गया है। (ग) कवी को उन आंखों से डर लगता है क्योंकि उनमें निराशा, शोषण, पीड़ा और रुदन के सिवाय कुछ नहीं है। (घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आंखों की पीड़ा का वर्णन किया है जिससे कि अन्य लोगों को किसानों की वास्तविक स्थिति का पता चल सके | किसानों की जिस पीड़ा का अनुभव कवि ने किया है उसे सभी महसूस कर सकें। (ड़) यदि कवी इन आंखों से नहीं डरता तब भी वह कविता अवश्य लिखता क्योंकि कविता लिखने के लिए भावों का होना जरूरी है। कवी के मन में उठते भाव जिस विषय की ओर उन्मुख होते, कविता भी उसी विषय पर आधारित होती। 2. कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है? उत्तर- कविता में किसान की पीड़ा के लिए शासक वर्ग जिसमें महाजन, साहूकार तथा कोतवाल आदि होते हैं, को जिम्मेदार बताया गया है। महाजन ने अपने ऋण की वसूली के लिए किसान के घर, बैल, खेत यहां तक कि उसकी गाय को भी नीलाम करवा दिया। साहूकार के दरिंदो ने किसान के बेटे की निर्मम हत्या कर दी। पत्नी भी दवा के अभाव में चल बसी। इस प्रकार इन सभी के अत्याचार किसान की पीड़ा के लिए जिम्मेदार हैं। 3. "पिछले सुख की स्मृति आंखों में क्षणभर एक चमक है लाती" में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है? उत्तर- इन पंक्तियों में किसान के पिछले उन सुखों की ओर संकेत किया गया है जिसे याद करके किसान की आंखों में चमक आ जाती है। किसान के छोटे परिवार में उसकी पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधू, सभी थे जिसके साथ वह सुखी जीवन व्यतीत कर रहा था। उसके हरे-भरे लहलहाते खेत थे तथा दूध देने वाली गाय और खेती के लिए बैलों की जोड़ी थी। यहां इन्हीं सुखो की ओर संकेत किया गया है। 4. संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करो। (क) उजरी उसके सिवा किसे कब पास दुहाने देती? (ख) घर में विधवा रही पतोहु लक्ष्मी थी, यद्यपि पति घातिन (ग) पिछले सुख की स्मृति आंखों में क्षणभर एक चमक है लाती तुरंत शून्य में गड़ वह चितवन तीखी नोक सहश बन जाती उत्तर- (क) संदर्भ- प्रस्तुत पंक्तियां पंत जी द्वारा रचित 'वे आंखें' कविता से ली गई है। कवि ने स्वतंत्रता से पूर्व के भारतीय किसानों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है। किसान के पास उजरी नाम की गाय थी जिसे महाजन ने अपना कर्ज वसूलने के लिए बिकवा दिया था। आशय- किसान के पास उजरी नाम की गाय थी जिससे किसान को बहुत लगाव था। गाय भी उससे स्नेह रखती थी। अतः गाय उसके सिवाय अन्य किसी को अपने पास दूध दुहने नहीं आने देती थी। महाजन द्वारा ऋण वसूली के लिए गाय के बेचे जाने पर आज भी किसान की आंखों के सामने गाय का इसने उमड़ पड़ता है। (ख) संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियां पंत जी द्वारा रचित 'वे आंखें' कविता से ली गई है। साहूकार के दरिंदों ने किसान के बेटे को मार डाला था। उसकी विधवा अर्थात किसान की पुत्रवधू अब घर में अकेली रह गई थी और पति की हत्या का आरोप उसी पर मढ़ा जा रहा था। आशय- किसान के बेटे की हत्या के बाद उसकी जवान विधवा पत्नी अकेली रह गई थी। जब वह इस घर में आई थी तो उसे गृह लक्ष्मी माना जाता था लेकिन पति की मृत्यु के बाद उसे पति घातिन अर्थात पति की हत्यारिन कहा जाने लगा। (ग) संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियां पंत जी द्वारा रचित 'वे आंखें' कविता से ली गई है। कवि ने उन सुखद स्मृतियों का वर्णन किया है जिन्हें याद करके किसान की आंखों में चमक आ जाती है। अपने अतीत को याद करके किसान क्षण भर के लिए सुख की प्राप्ति होती है लेकिन वर्तमान का दुख उसे व्याकुल कर जाता है। आशय- कवि ने इन पंक्तियों में किसान को सुखद स्मृतियों को याद करते हुए सिखाया हैं। किसान अपने अतीत के सुख और आनंद भरे पलों को याद करके बहुत खुश होता है लेकिन यह खुशी अधिक देर तक नहीं टिकती। जैसे ही उसे वास्तविकता का अनुभव होता है उसका दर्द और भी अधिक बढ़ जाता है। उसकी नजरें शून्य की ओर गड़ जाती हैं अर्थात उसे चारों तरफ निराशा ही नजर आती है। 5. "घर में विधवा रही पतोहू.../ खैर पैर की जूती, जोरू/एक ना सही दूजी आती" इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए "वर्तमान समाज और स्त्री"विषय पर एक लेख लिखें। उत्तर- भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज है जहां स्त्रियों की स्थिति आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक रूप से बहुत खराब है। गांव में स्त्रियों की स्थिति और भी अधिक दयनीय हैं। विधवा होने के बाद औरतों को अभिशाप माना जाता है और पति की हत्या का कारण भी उन्हें ही माना जाता है। पत्नी को अपने पैर की जूती समझने वाले पुरुष उनके मरने के बाद दूसरी शादी करने में अधिक समय नहीं लगाते। जबकि विधवा महिला का पुनर्विवाह समाज के परंपरा के विरुद्ध माना जाता है। इस प्रकार वर्तमान समाज में भी स्त्रियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। कविता के आस-पास 1. किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं। इस विषय पर परिचर्चा आयोजित करें तथा कारणों की पड़ताल करें। उत्तर- यह सच है कि किसान अपने व्यवसाय से पलायन कर रहे हैं। किसानों के बच्चों की भी खेती से दिलचस्पी कम हो रही है जिसका कारण कृषि कार्य में निहित अत्यधिक श्रम है। मानसून की अनियमितता, प्रकृति का प्रकोप, जैसे- बाढ़, सूखा, कम आय, कृषि के आधुनिक संसाधनों का अभाव, सिंचाई तथा उवर्रकों का अभाव तथा जमींदारों द्वारा शोषण किसानों के कृषि से पलायन के कई कारणों में से हैं। Download pdf पाठ 4 विदाई संभाषण आरोह भाग-1 हिंदी पाठ 2 मीरा के पद आरोह भाग-1 हिंदी पाठ 14 वे आंखे आरोह भाग-1 हिंदी शिव शंभू की दो गाय की कहानी के माध्यम से लेकर क्या कहना चाहता है?शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? उत्तर: लेखक ने शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से बताया है कि भारत में मनुष्य तो मनुष्य, पशुओं में भी अपने साथ रहने वालों के प्रति लगाव होता है। वे स्वयं को दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति के बिछुड़ने पर भी दुखी होते हैं।
शिव शंभू की दो भाइयों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या करना चाहता है?प्रतिपाद्य शिवशम्भू के चिट्ठे बनाम लार्ड कर्ज़न बालमुकुन्द गुप्त का प्रसिद्ध निबन्ध है ।
शिव शंभू की दो लड़कियों की कहानी के माध्यम से लेख क्या कहना चाहता है?शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि भारत के लोग अत्यंत दयालु एवं भावुक हैं। वे स्वयं को दुख पहुँचाने वाले व्यक्ति के बिछुड़ने पर भी खुश होने के स्थान पर दुखी होते हैं। यहाँ तक कि इस देश के पशुओं में भी यही भावना पाई जाती है।
शिव शंभू के चौथे चिट्टे का शीर्ष क्या है?ये चिट्ठे १९०३ ई॰ से १९०५ ई॰ के मध्य 'भारतमित्र' में प्रकाशित हुए थे।
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शिवशम्भु के चिट्ठे/भूमिका. |