त्रिजटा ने कौन सा सपना देखा था? - trijata ne kaun sa sapana dekha tha?

रावण के भाई विभीषण की पत्नी का गन्धर्व कन्या सरमा थीं। सरमा की पुत्री का नाम त्रिजटा था। जब राम ने माता सीता का हरण कर लिया था तो उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया था। इस वाटिका में त्रिजटा को उनकी देखरेख के लिए नियुक्त किया गया था। रामायण में त्रिजटा का जिक्र बहुत बार हुआ है।

दोनों मां और बेटी ने माता सीता की बहुत मदद की थी। रामभक्त त्रिजटा हर मोड़ पे सीता का हौसला बनाए रखती थीं। एक बार त्रिजटा ने अपने स्वप्न में बहुत ही भयानक दृश्य देखा। उसने देखा की पूरी लंका धू-धू कर जल रही है। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। उसने यह भी देखा की इस लंका को एक वानर उड़ उड़ कर जला रहा है। यह दृश्य देखकर वह सहम गई। बाद में उसने सभी राक्षसनियों को अपना स्वप्न सुनाया।
बाद में जब हनुमानजी सीता माता को ढूंढते-ढूंढते अशोक वाटिका पहुंचे तो उन्होंने माता सीता को राम की अंगूठी दी। फिर जब हनुमानजी लंका का दहन कर रहे थे तब उन्होंने अशोक वाटिका को इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि वहां सीताजी को रखा गया था। दूसरी ओर उन्होंने विभीषण का भवन इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि विभीषण के भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था। भगवान विष्णु का पावन चिह्न शंख, चक्र और गदा भी बना हुआ था। सबसे सुखद तो यह कि उनके घर के ऊपर ‘राम’ नाम अंकित था। यह देखकर हनुमानजी ने उनके भवन को नहीं जलाया।
त्रिजटा ने जब यह दृश्य देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्‍वास नहीं हुआ।

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विषयसूची

  • 1 छाया राक्षसी कौन थी?
  • 2 रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्यों दिया?
  • 3 शूर्पणखा की मृत्यु कैसे हुई?
  • 4 त्रिजटा के पति का नाम क्या है?
  • 5 हनुमान जी लंका में आग क्यों लगाई?
  • 6 अशोक वाटिका नाम क्यों पड़ा?
  • 7 हनुमान को सीता कहाँ मिली?

छाया राक्षसी कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंहनुमान ने लंका की ओर प्रस्थान किया, इस बीच सागर में सुरसा ने हनुमान की परीक्षा ली। परीक्षा में पास होने के बाद उन्हें योग्य आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान ने छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वध किया और लंकिनी पर प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। उनकी विभीषण से भेंट हुई।

त्रिजटा ने कौन सा सपना देखा था?

इसे सुनेंरोकेंरामायण (Ramayan) को टीवी पर देखते समय सभी ने देखा कि किस तरह अशोक वाटिका में एक राक्षसी त्रिजटा (Trijata) सीता (Sita) की मदद करती है. उसने सपने में राम की जीत देखी थी.

रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्यों दिया?

इसे सुनेंरोकेंइसके बाद रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का सोचा क्योंकि वानरों को अपनी पूँछ से अत्यधिक प्रेम होता है। यदि हनुमान अपनी जली हुई पूँछ लेकर वापस जायेगा तो वानर सेना में उसका अपमान होगा, यही सोचकर रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी।

मायावी हिरण का वध राम ने कैसे किया?

इसे सुनेंरोकेंराम को कुटी से निकलते देख मायावी हिरण जोर-जोर से दौड़ने लगा और वह उन्हें दूर तक ले गया। राम जब उसे पकड़ने में असफल रहे तब उन्होंने उस पर बाण छोड़ दिया जिससे वह ज़मीन पर गिर पड़ा। उसने अपने असली रूप में वापस आकर कहा हा सीते! हा लक्ष्मण!

शूर्पणखा की मृत्यु कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंशूर्पणखा की मृत्यु कैसे हुई? शूर्पणखा का चित्रण केवल अर्यांड कांड तक दिया गया है। उसके पद रावरन-वध का कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए हम मान सकते हैं कि या तो वह शांति से विभीषण के शासन में रहती थी, या फिर वह लंका छोड़ सकती है।

त्रिजटा पूर्व जन्म में कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंत्रिजटा का जन्म (Trijata Kaun Thi In Hindi) सबसे प्रमुख मान्यता के अनुसार त्रिजटा को रावण के छोटे भाई विभीषण व उनकी पत्नी सरमा की पुत्री (Trijata Ke Pita Ka Naam) बताया गया हैं। कुछ अन्य रामायण में त्रिजटा को रावण व विभीषण की बहन के रूप में दर्शाया गया है (Trijata Daughter Of Vibhishana)।

त्रिजटा के पति का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंथाईलैंड में विभीषण को फिपेक और त्रिजटा को बेंचाकेई कहा जाता है. थाई रामायण कहती है कि हनुमान के साथ शादी से त्रिजटा को एक बेटा असुरपद हुआ था. यद्यपि वो राक्षस था लेकिन उसका सिर बंदर जैसा था. रामायण के मलय वर्जन के अनुसार, युद्ध के बाद विभीषण ने हनुमान से अनुरोध किया कि वो उनकी बेटी से शादी कर लें.

हनुमान जी की पूंछ में आग कैसे लगी?

इसे सुनेंरोकेंसीता जी का पता लगाते लगते जब हनुमान लंका पहुचे, तो अशोक वाटिका में माता सीता को देख प्रभु श्रीराम की निशानी दी। अशोक वाटिका में फल खाकर व पेड़ों को तोड़ते देख रावण के सैनिक हनुमान को बंधक बनाकर रावण के सामने पेश किया। रावण ने पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया। पूंछ में आग लगाते ही हनुमान ने लंका में आग लगा दी।

हनुमान जी लंका में आग क्यों लगाई?

इसे सुनेंरोकेंवहां हनुमान ने जब रावण को उसके द्वारा किये गए अधर्म के कार्य को सबके सामने रखा। उन्होंने उसे समझाने का प्रयत्न किया लेकिन रावण ने अपने अहंकार में चूर होकर हनुमान को अपशब्द कह डाले। साथ ही उन्होंने उनकी पूँछ में आग लगने की आज्ञा अपने सैनिकों को दी। इसके बाद हनुमान को बाहर ले जाया गया व उनकी पूँछ में आग लगा दी गयी।

अशोक वाटिका का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकें’अशोक वाटिका’ प्राचीन राजाओं के भवन के समीप की विशेष वाटिका कहलाती थी। वाल्मीकि रामायण के अनुसार अशोक वाटिका लंका में स्थित एक सुंदर उद्यान था, जिसमें रावण ने सीता को बंदी बनाकर रखा था। इसका एक दूसरा नाम ‘प्रमदावन’ भी था।

अशोक वाटिका नाम क्यों पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंरावण ने माता सीता का हरण करने के पश्चात उन्हें बहुत ही सुंदर अशोक वाटिका में रखा गया था। यह अशोक वाटिका रावण ने बनवाई थी। इस वाटिका में एक गुफा भी है। यह वाटिका आज भी श्रीलंका के एक पर्वत पर स्थित है।

अशोक वाटिका में कौन सा वृक्ष था?

इसे सुनेंरोकेंक्या वह अशोक का वृक्ष था या कोई और वृक्ष? – Quora. अक्सर हम जिसे अशोक समझ कर घर पर लगाते हैं, वह अशोक नही अपितु नकली अशोक polyathia longifolia हैं….।

हनुमान को सीता कहाँ मिली?

इसे सुनेंरोकेंभगवान राम, लक्ष्मण व हनुमान जी के साथ वानरों की सेना सीता की खोज में निकली। लंका की अशोक वाटिका में हनुमान जी को मां सीता मिली।

त्रिजटा ने सपने में क्या देखा था?

रामचरित मानस और रामायण के अनुसार त्रिजटा राक्षसी विभीषण की बेटी थी. अपने पिता विभीषण की तरह वो भी रामभक्त थी. ये भी उल्लेख हुआ है कि मंदोदरी ने उसे खासतौर पर सीता की देखरेख के लिए रखा था.

त्रिजटा ने कौन सा सपना देखा था * 1 Point?

दोनों मां और बेटी ने माता सीता की बहुत मदद की थी। रामभक्त त्रिजटा हर मोड़ पे सीता का हौसला बनाए रखती थीं। एक बार त्रिजटा ने अपने स्वप्न में बहुत ही भयानक दृश्य देखा। उसने देखा की पूरी लंका धू-धू कर जल रही है।

त्रिजटा जी का सपना सुनकर राक्षसियों ने क्या किया?

त्रिजटा नें उन सब राक्षसियों से कहा कि मेरा यह स्‍वप्‍न चार दिनों में (साधारणतः कुछ दिनों) बाद सत्‍य होकर रहेगा। त्रिजटा की यह बात सुनकर सब राक्षसियाँ डर गई और जानकीजी के चरणों में गिर गई ।

त्रिजटा के अनुसार कितने समय में उनका सपना स्वप्न सत्य होगा?

मैं (त्रिजटा) निश्चय के साथ कहती हूं कि यह स्वप्न चार (कुछ ही) दिनों बाद सत्य होकर रहेगा। उसके वचन सुनकर वे सब राक्षसनियां डर गईं और जानकी के चरणों पर गिर पड़ीं। बाद में यह सपना सच होता है और हनुमान जी लंका जला देते हैं। रावण की मृत्यु के बाद श्रीराम उस लंका का राज-पाट विभीषण को सौंप देते हैं।