दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है वे दोनों उसको - dukaanadaar aur draivar ke saamane appoo kee kya sthiti hai ve donon usako

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कंचा

Exercise : Solution of Questions on page Number : 97


प्रश्न 1: कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?

उत्तर : अप्पू की कल्पना में जार का आकार आसमान के समान बहुत ऊँचा हो जाता है। वह स्वयं को जार में कंचो के साथ बिल्कुल अकेला पाता है। परन्तु इस स्थिति में भी वह बहुत प्रसन्न है क्योंकि उन कंचो के साथ वो बिल्कुल अकेला है। वो उनको चारों ओर बिखेरता हुआ आनन्द ले रहा है, क्योंकि किसी की भी हिस्सेदारी इसमें नहीं है।
वहीं कक्षा में जब मास्टर जी ट्रेन के विषय में पढ़ा रहे थे । बॉयलर के विषय में आते ही, ”बॉयलर लोहे का बड़ा पीपा है” वह दुबारा अपनी कल्पना में विलीन हो जाता है कि लोहे के एक बड़े काँच के जार में हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे, बड़े आँवले जैसे उसमें कंचे भरे होंगे जॉर्ज और वो उनसे खेलेंगे और किसी को भी उस खेल में सम्मिलित नहीं करेंगे।


प्रश्न 2: दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।

उत्तर : दुकानदार और ड्राइवर दोनों के आगे ही अप्पू की स्थिति एक चंचल बालक की है। दुकानदार के आगे अप्पू कंचो की तरफ़ आकर्षित हो कल्पना में विलीन हो जाता है। इस मनोस्थिति में उसका ज़रा भी ध्यान नहीं रहता कि उससे जार टूट जाएगा, दुकानदार इसी बात से थोड़ा खिन्न, परेशान होता है, वहीं दूसरी तरफ अप्पू को सड़क के बीचों-बीच से कंचो को उठाते देखकर ड्राइवर को बड़ी असुविधा होती है । इस बात से हैरानी भी कि इसको कंचो की तो परवाह है पर अपनी जान की नहीं। उसकी इस मनोदशा को देखकर पहले वो परेशान होते हैं, परन्तु जब उसका कंचों के प्रति प्रेम देखते है तो दोनों को हँसी आ जाती है।


प्रश्न 3: ‘मास्टर जी की आवाज’ अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।’ ‘मास्टर जी की आवाज़’ धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।

उत्तर : जब मास्टर जी रेलगाड़ी का पाठ पढ़ाने की मुद्रा में थे। वो ज़ोर-ज़ोर से बोल रहे थे, ताकि कक्षा का प्रत्येक विद्यार्थी पाठ को भली-भाँति सुन पाए, परन्तु जब वह बच्चों को समझाने की मुद्रा मे थे, प्रत्येक विद्यार्थी को इस विषय में सही व पूरी जानकारी प्राप्त हो, वह धीमी आवाज़ में समझाने लगें।


Exercise : Solution of Questions on page Number : 98


प्रश्न 1: नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
• माँ ने दाँतों तले उँगली दबाई।
• सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।

उत्तर : दाँतों तले उँगली दबाई –
(1) आश्चर्य चकित होना – श्याम को तैरता देखकर मैं आश्चर्य चकित हो गया।
(२) हैरान होना – शीला को रोटी बनाता देखकर माँ हैरान हो गई।
साँस रोके हुए –
(1) भय से काँपना – शेर को देखते ही मैं भय से काँप गया।
(२) पसीना-पसीना होना – पकड़े जाने पर चोर डर से पसीना-पसीना हो गया।


प्रश्न 2: विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमश: रकम और कंचे के बारे में बताते हैं, इसलिए वे विशेषण हैं।
पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे।
बढ़िया सफे़द गोल कंचे
इसी प्रकार के कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएँ-
ठंडी अँधेरी रात खट्टी-मीठी गोलियाँ
ताज़ा स्वादिष्ट भोजन स्वच्छ रंगीन कपड़े

उत्तर : (1) ठंडी अंधेरी रात :- शिमला की ठंडी अँधेरी रात में हम घूमते रहे।
(2) खट्टी-मीठी गोलियाँ :- नानी ने हमारे खाने के लिए खट्टी-मीठी गोलियां खरीदी।
(3) ताज़ा स्वादिष्ट भोजन :- हमें हमेशा ताज़ा स्वादिष्ट भोजन खाना चाहिए।
(4) स्वच्छ रंगीन कपड़े :- मेरी छोटी बहन को स्वच्छ रंगीन कपड़े ही पहनना अच्छा लगता है।


दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है वे दोनों?

उत्तर : दुकानदार और ड्राइवर दोनों के आगे ही अप्पू की स्थिति एक चंचल बालक की है। दुकानदार के आगे अप्पू कंचो की तरफ़ आकर्षित हो कल्पना में विलीन हो जाता है।

दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति होती है क्या कारण है कि वे पहले तोपरेशान होते हैं और फिर हंसते हैं?

वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फ़िर हँसतें हैंकारण बताइए। उत्तर : दूकानदार ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा चंचल बालक है। पहले तो दुकानदार उससे परेशान होता है क्योंकि वह कंचों को केवल देख रहा है कहीं उससे जार फूट ना जाए परन्तु अप्पू ने कंचे खरीद लिए तो वह हँस पड़ा।

दुकानदार और ड्राइवर अप्पू के ऊपर क्यों हँस रहे थे कारण बताइए?

Solution : दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की एक छोटे नादान बच्चे की स्थिति है। दुकानदार पहले उसे देखकर परेशान होता है, क्योंकि वह कंचे देखता ही है, खरीदता नहीं है, फिर वह उतने कंचे एक साथ खरीदता है, जितने किसी बच्चे ने एक साथ नहीं खरीदे थे। यह देखकर वह हँस दिया।

दुकान में रखे कंचों के जार को देखते ही अप्पू के मन की क्या दशा हुई?

उत्तर:- कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तो वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। उसे लगता है की जैसे कंचों का जार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर चला गया। वहाँ और कोई नहीं था। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मजे से खेल रहा था।