दल-बदल विरोधी कानून: चुनौतियाँ और समाधान
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में दल-बदल विरोधी कानून व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भहाल ही में मणिपुर में सत्ताधारी गठबंधन सरकार गहरे राजनीतिक संकट में फँस गई है। इस राजनीतिक संकट के साथ ही दल-बदल विरोधी कानून की प्रासंगिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगता दिखाई दे रहा है। बीते दिनों मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कॉंग्रेस के टिकट पर निर्वाचित एक सदस्य को अयोग्य करार दिया गया है, जिससे दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection law) राजनीतिक पटल के विमर्श के केंद्र में आ गया है। चुनावी लोकतंत्र का यह घटनाक्रम स्पष्ट तौर पर दल-बदल विरोधी कानून में बदलाव की ओर इशारा करता है, क्योंकि इस घटनाक्रम ने चुनावी दलों के समक्ष दल-बदल विरोधी कानून के दुरुपयोग का एक उदाहरण प्रस्तुत किया है और संभव है कि ऐसी घटनाएँ भविष्य में भी देखने को मिलें। मणिपुर में दलबदल की यह राजनीति अनोखी नहीं है, इससे पूर्व कर्नाटक, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य भी दल-बदल विरोधी कानून के प्रत्यक्षदर्शी रह चुके हैं। इस आलेख में दल-बदल विरोधी कानून, इसकी आवश्यकता, कानून के अपवाद, दल-बदल विरोधी कानून की समस्याएँ तथा इसकी प्रासंगिकता के पक्ष व विपक्ष में प्रस्तुत तर्कों का परीक्षण किया जाएगा। दल-बदल विरोधी कानून से तात्पर्य
अयोग्यता संबंधी प्रावधान
दल-बदल विरोधी कानून की आवश्यकता
दल-बदल कानून के अपवाद
अपवाद के प्रभाव
91वां संविधान संशोधन अधिनियम,2003
अयोग्य घोषित करने की शक्ति
किहोतो होलोहन बनाम ज़ाचिल्हू(Kihoto Hollohan vs Zachillhu)
प्रमुख चुनौतियाँ
दल-बदल विरोधी कानून के पक्ष में तर्क
विपक्ष में तर्क
आगे की राह
प्रश्न- ‘दल-बदल विरोधी कानून को भारत की नैतिक राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जाता है।’ कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये। दल बदल क्या है इस पर नियंत्रण लगाने के लिए भारतीय संविधान में कौन संविधान संशोधन किया गया है?पर यदि किसी पार्टी के एक साथ दो तिहाई सांसद या विधायक (पहले ये संख्या एक तिहाई थी)(2/3) पार्टी छोड़ते हैं तो उन पर ये कानून लागू नहीं होगा पर उन्हें अपना स्वतन्त्र दल बनाने की अनुमति नहीं है वो किसी दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं।
राजनीतिक दल बदल विरोधी कानून कौन सा संविधान संशोधन है?दल-बदल विरोधी कानून का प्रावधान भारतीय संविधान की 10 वीं अनुसूची में दिया गया है और इसे 52वें संशोधन अधिनियम द्वारा सम्मिलित किया गया है। दल-बदल विरोधी कानून संसद के किसी भी सदस्य को किसी भी व्यक्तिगत कारणों से दल बदलने से रोकता है। अनुच्छेद 102(2) और 191(2) संविधान में दलबदल विरोधी से संबंधित है।
भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची दल बदल कानून से संबंधित है?सही उत्तर दसवीं अनुसूची है। भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दलबदल के आधार पर संसद और राज्य विधायिका के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित प्रावधानों से संबंधित है। भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दलबदल विरोधी कानून दिया गया है। यह 30 जनवरी 1985 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
दल बदल कानून क्या है UPSC?दल-बदल कानून
यदि कोई विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ जा कर दूसरी पार्टी का समर्थन करता है तो उसकी इस प्रक्रिया को दल-बदल माना जाता है। ऐसे में उस विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी जाती है। दल-बदल कानून भारत में 1 मार्च 1985 से लागू हो गया था। ये कानून संविधान में 10वीं अनुसूची के रूप में डाला गया था।
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