दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए? - door drshti dosh ko door karane ke lie kya karana chaahie?

हाइपरोपिया, या दूरदृष्टि-दोष, दृष्टि से जुड़ी एक आम समस्या है जिससे मुख्य तौर पर बच्चे प्रभावित होते हैं।

40 अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के एक हालिया विश्लेषण में यह बात सामने आई कि हाइपरोपिया के प्रसार की रेंज 6 साल के बच्चों में 8.4 प्रतिशत, 9 से 14 साल के बच्चों में 2 से 3 प्रतिशत, और 15 साल के बच्चों में लगभग 1 प्रतिशत थी।

दूरदृष्टि-दोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, लेकिन उसे निकट की वस्तुओं पर फ़ोकस करने में परेशानी होती है।

इस अवस्था को हाइपरमेट्रोपिया भी कहते हैं।

हाइपरोपिया के संकेत और लक्षण

दूरदृष्टि-दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को कभी-कभार सरदर्द या आई स्ट्रेन होता है और निकट दूरी में काम करते हुए वे आँखें आंशिक रूप से बंद कर सकते हैं या थकान महसूस करते हैं।

यदि आपको ये लक्षण अपना चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंसपहनने पर होते हैं, तो आपको आँखों की जाँच कराने और एक नए चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता हो सकती है।

हाइपरोपिया / हाइपरमेट्रोपिया होने का कारण क्या है?

हाइपरोपिया वाली आँख में, आँख में प्रवेश करने वाली प्रकाश की किरणें सीधे रेटिना पर फ़ोकस करने के बजाय, रेटिना के पीछे फ़ोकस करती हैं।

आम तौर पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दूरदृष्टि-दोष से ग्रस्त व्यक्ति का नेत्र-गोलक (आई बॉल) सामान्य से छोटा होता है।

कई बच्चे जन्म के समय दूरदृष्टि-दोष से ग्रस्त होते हैं जब नेत्र-गोलक सामान्य विकास के साथ लंबाई में बढ़ता है तो उससे "उबर" जाते हैं।

कभी-कभार लोग हाइपरोपिया को प्रेसबायोपिया (जरा दूरदृष्टि) समझने की भूल कर बैठते हैं, जो कि लोगों में 40 की उम्र के बाद विभिन्न कारणों से नज़दीकी दृष्टि से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न करता है।

हाइपरोपिया का उपचार

दूरदृष्टि-दोष को चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से सुधारा जा सकता है जो आँखों में जाते समय प्रकाश किरणों के मुड़ने का तरीका बदल देते हैं।

यदि आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के प्रिसक्रिप्शन की शुरुआत धनात्मक संख्याओं से होती है, जैसे +2.50, तो आपको दूरदृष्टि-दोष है।

आपको अपना चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत या तो हमेशा या केवल पढ़ने, कंप्यूटर पर काम करने या निकट दूरी का कोई अन्य कार्य करने के दौरान पड़ सकती है।

दूरदृष्टि-दोष के सुधार के लिए चश्मे का चयन करते समय एस्फ़ेरिक (अगोलीय) हाई-इंडेक्स लेंस चुनें –- खासकर अगर प्रिसक्रिप्शन की संख्या काफी बड़ी हो। ये लेंस अधिक पतले, हल्के होते हैं और इनकी प्रोफ़ाइल अधिक पतली, अधिक आकर्षक होती है।

एस्फ़ेरिक लेंस हाइपरोपिया के लिए प्रयुक्त लेंसों द्वारा अक्सर पैदा की जाने वाली विस्तारित "निकली हुई आँखों" जैसी प्रतीति को भी कम करते हैं।

हालाँकि, इस बात का ध्यान रखें कि हाई-इंडेक्स एस्फ़ेरिक लेंस मानक प्लास्टिक लेंस की तुलना में अधिक प्रकाश परावर्तित करते हैं। सर्वश्रेष्ठ आराम और दिखावट के लिए, सुनिश्चित करें कि लेंस में एंटी-रिफ़्लेक्टिव कोटिंगचढ़ी है, जो लेंस के ध्यान भंग करने वाले परावर्तनों को हटा देती है।

साथ ही, बेहतर आराम और टूटने से बचाव के लिए, दूरदृष्टि-दोष से ग्रस्त बच्चों के चश्मों के लेंस हल्की पॉलीकार्बोनेट लेंस सामग्री से बने होने चाहिए।

और फ़ोटोक्रोमैटिक लेंस जो सूर्य के प्रकाश में प्रतिक्रियास्वरूप अपने आप गहरे रंग के हो जाते हैं, की सलाह बच्चों के लिए विशेष तौर दी जाती है क्योंकि वे घर से बाहर काफी समय बिताते हैं।

दूरदृष्टि-दोष के गंभीर मामलों के लिए, आम तौर पर चश्मे के लेंस की जगह कॉन्टैक्ट लेंस को वरीयता दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हाइपरोपिया के सुधार के लिए, चश्मों की तुलना में कॉन्टैक्ट लेंस अधिक प्राकृतिक दृष्टि और बेहतर गौण (पेरिफ़ेरल) दृष्टि प्रदान करते हैं।

गैजेट्स का लगातार बढ़ता चलन, घर और ऑफिस की चहार दीवारी में सीमित जीवन, शारीरिक सक्रियता की कमी और जंक फूड्स का बढ़ता चलन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ही नहीं हमारी आंखों की सेहत को भी प्रभावित कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरे विश्व में मायोपिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, आज विश्वभर में एक अरब चालीस करोड़ लोगों को निकट दृष्टि दोष है, 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर पांच अरब हो जाएगा। इनमें से लगभग दस प्रतिशत लोगों का मायोपिया इतना गंभीर होगा कि उनके लिए दृष्टिहीनता का खतरा अत्यधिक बढ़ जाएगा।

क्या है निकटदृष्टि दोष?

दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए? - door drshti dosh ko door karane ke lie kya karana chaahie?
निकट दृष्टि दोष को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी आती है। मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है। ऐसा होने से दूर की वस्तुएं धुंधली और अस्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन पास की वस्तुएं देखने में कोई परेशानी नहीं होती है। एक अनुमान के अनुसार भारत की 20-30 प्रतिशत जनसंख्या मायोपिया से पीड़ित है।

मायोपिया तब होता है, जब आंख की पुतली बहुत लंबी हो जाती है या कार्निया (आंखों की सबसे बाहरी सुरक्षात्मक परत) की वक्रता बहुत बढ़ जाती है। इससे जो रोशनी आंखों में प्रवेश करती है वो ठीक प्रकार से फोकस नहीं होती है, जिससे प्रतिबिंब रेटिना के थोड़ा आगे फोकस होते हैं। इससे नज़र धुंधली हो जाती है। जब मायोपिया की समस्या बहुत बढ़ जाती है तो मोतियाबिंद और ग्लुकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।

मायोपिया धीरे-धीरे या तेजी से विकसित हो सकता है। बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि उनका शरीर और आंखें विकसित हो रही होती हैं। आंखों का आकार बढ़ने से कार्निया और रेटिना में तेज खिंचाव हो सकता है। हालांकि, जिन बच्चों को मायोपिया है अट्ठारह वर्ष की आयु होने तक उनका दृष्टि स्थिर हो जाती है।

दिल्ली स्थित, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 5-15 वर्ष की आयुवर्ग के 17 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से पीड़ित हैं।

निकट दृष्टि दोष के कारण

निकट दृष्टि दोष विश्वभर में दृष्टि प्रभावित होने का सबसे प्रमुख कारण है। अनुवांशिक कारण, पर्यावर्णीय स्थितियां और जीवनशैली इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

  • यह परिवार में चलता है। अगर आपके माता या पिता दोनों में से किसी को यह समस्या है तो आपके लिए इसका खतरा बढ़ जाता है। अगर माता-पिता दोनों को निकट दृष्टि दोष है तो खतरा अधिक बढ़ जाता है।
  • स्क्रीन (टीवी, कम्प्युटर, मोबाइल) के सामने अधिक समय बिताना।
  • किताबों या स्क्रीन से आवश्यक दूरी न रखना मायोपिया के खतरे को अधिक बढ़ा देता है।
  • कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि प्रकृतिक रोशनी में कम समय बिताने से मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है।

इन लक्षणों से पहचानें

मायोपिया का सबसे प्रमुख लक्षण है दूर की चीजें स्पष्ट दिखाई न देना, इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं;

  • बार-बार आंखे झपकाना।
  • दूर की चीजें देखने पर आंखों में तनाव और थकान महसूस होना।
  • ड्रायविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में।
  • सिरदर्द।
  • पलकों को सिकुड़कर देखना।
  • आंखों से पानी आना।

बच्चों में इनके अलावा निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं;

  • क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
  • लगातार आंखें मसलना।
  • पढ़ाई पर फोकस न कर पाना।

उपचार

उपचार का उद्देश्य दृष्टि को सुधारना होता है। इसके लिए सर्जिकल और नान सर्जिकल दोनों तरह के उपचार उपलब्ध हैं।

नान-सर्जिकल

मायोपिया के नान-सर्जिकल उपचार में नेगेटिव नंबर के चश्मे या कांटेक्ट लेंसों की आवश्यकता पड़ती है। जितना नंबर अधिक होगा उतना ही आपका मायोपिया गंभीर है।

चश्में

यह दृष्टि को स्पष्ट और तेज करने का एक सामान्य और सुरक्षित तरीका है। इनमें जो आई ग्लास लेंस इस्तेमाल किए जाते हैं वो कईं प्रकार के होते हैं जैसे सिंगल विज़न, बाइ-फोकल्स, ट्राय-फोकल्स और प्रोग्रेसिव मल्टी-फोकल।

कांटेक्ट लेंसेस

यह लेंस सीधे आंखों पर लगाए जाते हैं। ये विभिन्न प्रकार के पदार्थों से बने होते हैं और इनकी डिजाइनें भी अलग-अलग होती हैं, जिनमें सम्मिलित हैं मुलायम और कठोर, टोरिक और मल्टी-फोकल डिजाइन्स।

रिफ्रेक्टिव सर्जरी

मायोपिया को रिफ्रेक्टिव इरर कहते हैं, इसलिए इसे दूर करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को रिफ्रेक्टिव सर्जरी कहते हैं। रिफ्रेक्टिव सर्जरी, चश्मों और कांटेक्ट लेंसों पर निर्भरता कम कर देती है। इसमें आई सर्जन कार्निया को पुनः आकार देने के लिए लेज़र बीम का इस्तेमाल करता है। इससे निकट दृष्टि दोष में काफी सुधार आ जाता है। कईं लोगों को सर्जरी के बाद चश्मे या कांटेक्ट लेंसों की जरूरत नहीं पड़ती है, जबकि कईं लोगों को इनकी जरूरत पड़ सकती है। रिफ्रेक्टिव सर्जरी की सलाह तब तक नहीं दी जाती जब तक कि आपके लेंस का नंबर स्थिर नहीं हो जाता।

लेसिक और फोटो-रिफ्रेक्टिव केरैटेक्टोमी (पीआरके) सबसे सामान्य रिफ्रेक्टिव सर्जरियां हैं। दोनों में कार्निया का आकार बदला जाता है ताकि प्रकाश बेहतर तरीके से रेटिना पर केंद्रित हो सके।

रोकथाम

मायोपिया को रोकना संभव नहीं है, लेकिन कईं उपाय हैं, जिनके द्वारा आप इसके विकास को धीमा कर सकते हैं। आप अपनी आंखों और दृष्टि को सुरक्षित रखने के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं।

  • नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच कराएं।
  • अगर आपको डायबिटीज और उच्च रक्तदाब है तो अपना उपचार कराएं, क्योंकि इनके कारण आपकी दृष्टि प्रभावित हो सकती है।
  • अपनी आंखों को सूरज की परा-बैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए जब भी घर से बाहर निकलें तो गॉगल लगाकर जाएं।
  • अपने डाइट चार्ट में रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों तथा मछलियों को को शामिल करें।
  • पढ़ने और कम्प्युटर पर काम करने के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लें।
  • अच्छी रोशनी में पढ़ें।
  • धुम्रपान न करें; धुम्रपान आपकी आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
  • बच्चों को चहारदीवारी में बंद न रखें। उन्हें बाहर धूप में खेलने दें।
  • स्क्रीन के सामने कम समय बिताएं।
  • किताबों और आंखों के बीच में सही दूरी बनाकर रखें।
  • बच्चों को दो घंटे से अधिक टीवी और मोबाइल न चलाने दें।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

आंखें अनमोल हैं, इनसे संबंधित समस्याओं की अनदेखी न करें। अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को मायोपिया है तो डॉक्टर को दिखाने में बिल्कुल देरी न करें। चश्में, कांटेक्ट लेंसों और सर्जरी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आई 7, चौधरी आई सेंटर, दिल्ली से संपर्क करें।

दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए क्या करना होगा?

दूरदृष्टि-दोष को चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से सुधारा जा सकता है जो आँखों में जाते समय प्रकाश किरणों के मुड़ने का तरीका बदल देते हैं। यदि आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के प्रिसक्रिप्शन की शुरुआत धनात्मक संख्याओं से होती है, जैसे +2.50, तो आपको दूरदृष्टि-दोष है।

दूर दृष्टि दोष क्या है इसका कारण एवं निवारण?

दूर दृष्टि दोष के कारण आँखों के लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाती है। इस वजह से आँखों के लेंस की अभिसारी क्षमता कम हो जाती है। अतः इस दोष के निवारण के लिए ऐसा लेंस प्रयुक्त करना चाहिए, जिससे आँखों के लेंस की अभिसारी क्षमता बढ़ जाए। इस दोष के निवारण के लिए चश्मे के रूप में 'उत्तल लेंस' का प्रयोग किया जाता है।

ख दूर दृष्टि दोष क्या है इसका निवारण कैसे किया जाता है ?`?

दूर दृष्टि दोष के कारणः यह रोग निम्न में से एक कारण से हो सकता है। (1) लेंस से रेटिना की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोले की त्रिज्या कम हो जाए। (2) लेंस के पृष्ठो की वक्रता कम हो अर्थात् लेंस पतला हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए। निवारणः- इस दोष में लेंस की फोकस दूरी अधिक हो जाती है।

दूर दृष्टि दोष क्या है इसका निवारण किस प्रकार किया जा सकता है?

दूर दृष्टि दोष का निवारण - इस दोष के निवारण के लिए ऐसे अभिसारी (उत्तल) लेंस की आवश्यकता होगी, जो 25 सेमी दूर-बिंदु S पर रखी वस्तु (किताब) से आने वाली किरणों को इतना अभिसरित कर देगी किरणें दूषित आंख के निकट-बिंदु N से आती हुई नेत्र लेंस पर आपतित हों तथा प्रतिबिंब रेटिना R पर बने।