द्रव्य की अवस्था परिवर्तन (Change of State of Matter) क्या है?:परिभाषा, विधियां, उदाहरण Show द्रव्य का ताप परिवर्तन करके उसकी अवस्था में परिवर्तन किया जा सकता है। ठोस को द्रव या गैस अवस्था में, द्रव को ठोस या गैस अवस्था में व गैस को द्रव या ठोस अवस्था में परिवर्तित किया जा सकता है। द्रव्य की अवस्था परिवर्तन के विभिन्न प्रकार की विधियाँ है जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं- 1. गलन (Melting) जब किसी ठोस का ताप उसके गलनांक के बराबर हो जाता है तो वह ठोस गलने लगता है अर्थात् द्रव में परिवर्तित होने लगता है। इस स्थिति में ठोस जो ऊष्मीय ऊर्जा ग्रहण करता है उससे उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा नहीं बढ़ती है लेकिन उसके अणुओं की आन्तरिक ऊर्जा (internal energy) बढ़ती है। चूँकि इस स्थिति में ठोस के अणुओं की गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, अतः इस स्थिति में ठोस का ताप नियत रहता है। गलनांक पर अपद्रव्यों का प्रभाव - किसी ठोस में अपद्रव्य (impurity) मिलाने से उसका गलनांक कम हो जाता है। गलनांक पर दाब का
प्रभाव - जब ठोस द्रव के रूप में परिवर्तित होता है तो सामान्यतः उसका आयतन बढ़ जाता है परन्तु कुछ ठोस (जैसे बर्फ) ऐसे भी हैं जिनके गलने पर उनका आयतन कम हो जाता है।
वाष्पन (Evaporation) प्रत्येक द्रव सामान्य ताप पर धीरे-धीरे गैस अवस्था में परिवर्तित होता रहता है। इस क्रिया को वाष्पन (evaporation) कहते हैं। वाष्पन की गति निम्न अवस्थाओं में अधिक होती है -
वाष्पन की गति द्रव की प्रकृति पर भी निर्भर करती है। कुछ द्रव (जैसे-पेट्रोल व ईथर) तेजी से वाष्पित होते हैं। वाष्पन के गुण को वाष्पशीलता (volatility) कहते हैं। जिन द्रवों
का वाष्पन शीघ्रता से होता है, उनकी वाष्पशीलता अधिक होती है। दूसरे शब्दों में ये द्रव अधिक वाष्पशील (more volatile) द्रव कहलाते हैं। गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर वाष्पन (evaporation) की व्याख्या द्रव में उसके अणु अनियमित रूप से गति करते हुए परस्पर टकराते रहते हैं। द्रव के सभी अणुओं की गतिज ऊर्जा एक-सी नहीं होती है। द्रव की सतह पर स्थित अधिकांश अणु भीतर की ओर लगने वाले आकर्षण बल के विपरीत गति नहीं कर पाते हैं तथा द्रव का तल नहीं छोड़ पाते लेकिन कुछ अणुओं की गति ऊर्जा इतनी अधिक हो जाती है कि भीतर की ओर लगने वाला आकर्षण बल उनकी बाहर की ओर की गति को नहीं रोक पाता है। इस कारण द्रव के कुछ अणु उसकी सतह को छोड़कर वायुमण्डल में जाने लगते हैं। इस क्रिया को वाष्पन कहते हैं। गतिज आणविक सिद्धान्त के अनुसार द्रव्य की किसी अवस्था में उसका ताप उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा पर निर्भर करता है। अधिक ताप पर अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक तथा कम ताप पर अणुओं की गतिज ऊर्जा कम होती है। द्रव के वाष्पन की क्रिया में द्रव के अधिक गतिज ऊर्जा वाले अणु द्रव की सतह को छोड़कर वायुमण्डल में विलीन हो जाते हैं तथा कम गतिज ऊर्जा वाले अणु द्रव में ही रह जाते हैं। इस कारण द्रव का ताप कम हो जाता है। क्वथन (Boiling) द्रव का ताप बढ़ाने पर जब सम्पूर्ण द्रव तेजी से गैस अवस्था में परिवर्तित होने लगता है तथा उसमें बुलबुले उठने लगते हैं तो इस क्रिया को क्वथन (boiling) कहते हैं। जिस ताप पर यह क्रिया होती है, उसे क्वथनांक (boiling point) कहते हैं। गतिज आणविक सिद्धान्त के आधार पर क्वथन (boiling) की व्याख्या क्वथनांक पर दाब का प्रभाव - किसी द्रव का वाष्प दाब उसका ताप बढ़ाने पर बढ़ता है। अतः यदि द्रव पर लगे वायुमण्डलीय दाब में कमी कर दी जाये तो कम ताप पर ही द्रव का वाष्प वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जायेगा और द्रव उबलने लगेगा। इसी प्रकार यदि द्रव पर लगे वायुमण्डलीय दाब में वृद्धि कर दी जाये तो वह अधिक ताप पर उबलेगा। प्रेशर कुकर में जल के वाष्पन से प्राप्त वाष्प बाहर नहीं जा पाती है। फलतः प्रेशर कुकर में जल पर लगे दाब का मान अधिक हो जाता है। अतः जल का क्वथनांक बढ़ जाता है। उच्च ताप प्राप्त हो जाने के कारण दाल शीघ्रता से गल जाती है। 4. ऊर्ध्वपातन
(Sublimation) 5. संघनन (Condensation) संघनन के उदाहरण-
आसवन = क्वथन + संघनन
द्रव्य की कितनी अवस्थाएं होती हैं?“यह सर्वविदित है कि द्रव्य तीन रूप में विद्यमान होते हैं - ठोस, द्रव और गैस।”
द्रव अवस्था क्या है?इस अवस्था में पदार्थ का आयतन तो निश्चित रहता है लेकिन इसका आकार बदलता रहता है। द्रव अवस्था में पदार्थ के अणुओं के मध्य आकर्षण बल पृथककारी बल से थोड़ा बहुत ही अधिक होता है। इसी वजह से द्रव अवस्था में पदार्थ के कण गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यह एक मध्य अवस्था होती है जो ठोस तथा गैस के बीच स्थित होती है।
द्रव्य क्या है इसकी कितनी अवस्थाएं होती है उदाहरण सहित अन्तर स्पष्ट कीजिए?द्रव्य पदार्थ की तीन भौतिक अवस्थाएं होती हैं। ठोस, द्रव और गैस। द्रव्य की ठोस अवस्था में ठोसों का आयतन व आकार निश्चित होता है। तथा इनके कण एक दूसरे के पास-पास होते हैं।
द्रव की चौथी अवस्था कौन सी है?प्लाज्मा के गुण ठोस,द्रव्य और गैस के गुण से काफी विपरीत होते है इसलिए इसे पदार्थ की चौथी अवस्था माना जाता है।
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