दृष्टि दोष क्या है in Hindi? - drshti dosh kya hai in hindi?

दृष्टि दोष क्या है

दृष्टि दोष क्या है – किसी सामान्य व्यक्ति के आँख की फोकस दूरी लगभग 17 से 22 मिलीमीटर के बीच होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में नेत्र धीरे-धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं, नेत्र में अपवर्तन संबंधी विकार होने से दृष्टिदोष उत्पन्न होते हैं। मुख्य रूप से तीन दृष्टिदोष होते हैं- (1) निकट दृष्टिदोष, (2) दूर दृष्टिदोष, (3) जरा-दृष्टिदोष.

निकट दृष्टि दोष क्या है

जब कोई व्यक्ति पास में रखी वस्तु को तो स्पष्टता से देख लेता है, किंतु दूर रखी वस्तु को आसानी से नहीं देख पाता है तब उसे निकट दृष्टि दोष है कहते हैं.

निकट दृष्ट दोष का कारण तथा उपाय

अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है या नेत्र का गोलक लंबा हो जाता है। ऐसे दोष से प्रभावित व्यक्ति के नेत्र में दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटिना के पहले बनता है। उचित क्षमता वाले अवतल लेंस को प्रयुक्त कर इस दोष का निवारण किया जा सकता है।

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दूर दृष्टिदोष क्या है

इस दोष से प्रभावित व्यक्ति, दूर रखी वस्तुओं को तो आसानी से देख सकता है, परंतु पास रखी वस्तु को स्पष्टता से नहीं देख पाता है।

दूर दृष्टिदोष का कारण तथा उपाय

अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का बहुत अधिक बढ़ जाना या नेत्र के गोलक के छोटे हो जाने के वजह से यह दोष होता है. इस दोष से प्रभावित व्यक्ति के नेत्र के पास में रखी वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र की रेटिना पर न बनकर रेटिना के पीछे बनता है। उपयुक्त क्षमता वाले उत्तल लेंस को उपयोग में लाकर इस दोष का निवारण किया जा सकता है।

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जरा दृष्टि दोष क्या है

वृद्धावस्था में आँख की समंजन क्षमता में कमी अथवा समाप्त होने से व्यक्ति न तो दूर की वस्तु स्पष्टता से देख पाता है और न ही पास की तब इस बिमारी को जरा दृष्टि दोष कहते हैं. उचित क्षमता वाले द्विफोकल लेंस की सहायता से इस समस्या का निवारण किया जा सकता है।

अबिंदुकता (Astigmatism)

इस दृष्टिदोष का कारण आँख के गोलक की असममित वक्रता है जिसके कारण मुख्य प्रतिबिंब के अतिरिक्त एक अन्य धुंधला प्रतिबिंब बनता है। वर्णांधता (Colour Blindness) एक आनुवंशिक रोग है, जिसमें व्यक्ति लाल तथा हरे रंग में विभेद नहीं कर पाता है। इसे किसी लेंस के प्रयोग से सही नहीं किया जा सकता है।

Solution : आँख के दोष-एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल (रटिना) पर बन जाए, परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है। इससे दृष्टिपटल (रटिना) पर ठीक से प्रतिबिंब नहीं बनता, जिससे दीर्घ-दृष्टि तथा निकट-दृष्टि दोष हो जाते हैं। <br> (1) निकट-दृष्टि दोष-इस दोष के व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं। इसका कारण यह कि दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (दृष्टिपटल) के सामने बनता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। <br> <img src="https://doubtnut-static.s.llnwi.net/static/physics_images/DPK_HIN_SCI_X_C11_E03_186_S01.png" width="80%"> <br> निकट-दृष्टि दोष के कारण -इस दोष के उत्पन्न होने के कारण अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा नेत्र गोलक लंबा हो जाता है। <br> निकट-दृष्टि दोष को दूर करना-किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस के उपयोग द्वारा इस दोष को दूर किया जा सकता है। उपयुक्त क्षमता का अवतल लेंस वस्तु के प्रतिबिंब को वापस दृष्टिपटल (रटिना) पर ले आता है जिससे इस दोष का संशोधन किया जा सकता है। <br> (2) दूर-दृष्टि दोष—इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती। इसका कारण यह है कि निकट की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। <br> <img src="https://doubtnut-static.s.llnwi.net/static/physics_images/DPK_HIN_SCI_X_C11_E03_186_S02.png" width="80%"> <br> दूर-दृष्टि दोष के कारण - दूरी-दृष्टि दोष के निम्नलिखित कारण हैं - <br> (1) नेत्र गोलक का छोटा हो जाना। (2) अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना। <br> दूर-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है। इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा निकट पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं। <br> कभी-कभी किसी व्यक्ति के नेत्र में दोनों निकट-दृष्टि तथा चित्र दीर्घ-दृष्टि दोष हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को प्रायः द्विफोकसी लेंसों (Bifocal lens) की आवश्यकता होती है। द्विफोकसी लेंसों के अधिकांश सामान्य प्रकारों में द्विफोकसी लेंस का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तुओं को देखने के लिए होता है। द्विफोकसी लेंस का निचला भाग उत्तल लेंस होता है जो पढ़ने में उपयोग होता है।

दृष्टि दोष क्या है: इनके प्रकार,कारण तथा निवारण

आप जानते ही होंगे कि जब हम अपनी आँखों से साफ़ नहीं देख पाते हैं तो इसका मतलब उसमें कोई न कोई दोष उत्पन्न हो गया है गया है। आज हम इन्ही दोषों के बारेम जानेंगे कि यह कितने प्रकार के होते हैं और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है-:

दृष्टि दोष क्या है (Visual impairment)

दृष्टि दोष क्या है in Hindi? - drshti dosh kya hai in hindi?


नेत्रों की सहायता से हम अपने आसपास के सभी वस्तुओं को देख पाते हैं लेकिन कुछ लोगों को जब नेत्र में दृष्टि संबंधी दोष उत्पन्न हो जाते हैं तो उसे दृष्टि दोष कहते हैं। यह दोष मुख्यतः दो तरह के हो सकते हैं निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष। इन दृष्टि दोषों का निवारण चश्मा के द्वारा किया जा सकता है।

दृष्टि दोष दो प्रकार के होते हैं -

  1. निकट दृष्टि दोष 
  2. दूर दृष्टि दोष 

निकट दृष्टि दोष (Myopia or Short-sightedness)

इस दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र निकट की वस्तुओं को तो स्पष्ट रूप से देख पाते हैं परंतु अधिक दूरी पर रखी हुई वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है अर्थात नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर ना होकर कम दूरी पर आ जाता है। यह दोष 10 से 16 वर्ष की आयु में होता है अतः समंजन छमता पूर्ण होने के कारण नेत्र का निकट बिंदु भी सामान्य नेत्र के निकट बिंदु से कम दूरी पर आ जाता है जो कि 25 सेंटीमीटर होता है। अतः दूर दृष्टि दोष के कारण व्यक्ति को दूरस्थ चीजों को स्पष्ट देखने में कठिनाई होती है।

दोष के कारण

निकट दृष्टि दोष के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  1. नेत्र लेंस की वक्रता-बढ़ जाए जिससे उसकी फोकस-दूरी कम हो जाए।
  2. नेत्र लेंस और रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाए अर्थात नेत्र के गोले का व्यास बढ़ जाए। तब अनंत से चलने वाली किरणें नेत्र में अपवर्तित होकर बजाए रेटिना R पर मिलने के रेटिना से पहले ही एक बिंदु C पर मिल जाती हैं। अतः अनंत अर्थात दूर पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

दृष्टि दोष क्या है in Hindi? - drshti dosh kya hai in hindi?

निकट दृष्टि दोष के निवारण का उपाय
निकट दृष्टि दोष में नेत्र का दूर-बिंदु F अनंत से कम दूरी पर ऐसी स्थिति में होता है जहां से चलने वाली किरणें बिना समंजन क्षमता लगाए रेटिना पर मिलती हैं। 

दृष्टि दोष क्या है in Hindi? - drshti dosh kya hai in hindi?



अतः इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेंस के चश्मे का प्रयोग किया जाता है कि अनंत पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के दूर-बिंदु F से चली हुई प्रतीत हो। तब यह किरणें नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना R पर मिलती हैं जहां वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब बन जाता है। इस प्रकार नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or Long-sightedness)

इस दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु पास की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है अर्थात नेत्र का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर हो जाता है। अतः जिस मनुष्य के नेत्र में यह दोष होता है उसे पढ़ते समय पुस्तक को 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर रखना पड़ता है।

दूर दृष्टि-दोष के कारण  : 

इस दोष के निम्नलिखित दो कारण हो सकते हैं-
• नेत्र लेंस की वक्रता कम हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।
• नेत्र लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोले का व्यास कम हो जाए। तब अनंत पर अथवा दूर की वस्तु से आने वाली समांतर किरणें नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना के पीछे एक बिंदु C पर प्रतिबिंब बनाती हैं। लेकिन इस दशा में नेत्र समंजन-क्षमता लगाकर नेत्र लेंस की फोकस दूरी को कम कर लेता है, जिससे यह प्रतिबिंब रेटिना पर बन जाता है। अतः दूर की वस्तुओं को देखने में कठिनाई नहीं होती है।

चूँकि अब समंजन क्षमता अनंत अथवा दूरी की वस्तुओं को देखने के लिए भी लगाई जा रही है, अतः वस्तु के नेत्र से 25 सेंटीमीटर तक आने से पहले ही व समाप्त हो जाती है। इस प्रकार दोषित नेत्र का निकट बिंदु N, सामान्य नेत्र के निकट बिंदु O(25 cm)  से अधिक दूरी पर होता है (चित्र a)। इस स्थिति में N पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब तो रेटीना R पर बन जाता है, परंतु नेत्र के और समीप जैसे O पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे किसी बिंदु जैसे C पर बनता है 

(चित्र b)। अतः O पर रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।

दूर दृष्टि दोष के निवारण के उपाय : इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे उत्तल लेंस के चश्मे का प्रयोग किया जाता है जो दोषित नेत्र से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के निकट बिंदु N से आती हुई प्रतीत हो (चित्र c)। तब यह किरणें नेत्र में अपवर्तित होकर रेटिना पर मिल जाती हैं जिससे नेत्रों को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

जरा दूरदर्शिता (A little foresight)

जैसे जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ने लगती है वैसे वैसे उसके नेत्रों की समंजन क्षमता भी घटती जाती है। अधिकांश व्यक्तियों का निकट बिंदु दूर हट जाता है जिससे इन व्यक्तियों को पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। इस दोष को जरा दूरदर्शिता कहते हैं। यह दोष मांस-पेशियों के दुर्बल होने तथा नेत्र लेंस के लचीलेपन में कमी आ जाने के कारण उत्पन्न होता है। कभी-कभी व्यक्ति के नेत्र में दोनों ही प्रकार के दोष (निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष) उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को वस्तु को देखने के लिए द्विफोकसी लेंसों का प्रयोग करना होता है। इन द्विफोकसी लेंसों में अवतल तथा उत्तर दोनों प्रकार के लेंस होते हैं। चश्मे का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तु को स्पष्ट देखने में सहायता करता है वही नीचे का भाग उत्तल लेंस होता है जो पास की वस्तुओं को स्पष्ट देखने में सहायता करता है।

मानव के नेत्रों में दृष्टि दोषों का होना आम बात है। इन दोषों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के लेंस और चश्मों आदि का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा व्यक्ति वस्तुओं को सरलता से देख सकता है।

दृष्टि दोष क्या है परिभाषा in Hindi?

दृष्टि दोष क्या है – किसी सामान्य व्यक्ति के आँख की फोकस दूरी लगभग 17 से 22 मिलीमीटर के बीच होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में नेत्र धीरे-धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं, नेत्र में अपवर्तन संबंधी विकार होने से दृष्टिदोष उत्पन्न होते हैं।

दृष्टि दोष क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं?

दृष्टिदोष के कारण अनेक हो सकते हैं, लेकिन कुछ कारण व्यापक हैं, अत: उनका विवेचन आवश्यक है। मोटे तौर पर दृष्टिदोष के कारणों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : (१) क्रमिक उद्भव (gradual onset) के दृष्टिदोष और (२) अचानक उद्भव (sudden onset) के दृष्टिदोष

दृष्टि निर्बंध क्या है ?`?

दृष्टि निर्बंध किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर 1/10 सेकण्ड तक रहता है अतः यदि वस्तु को आँख के सामने से हटा दिया जाए तो वस्तु 1/10 सेकण्ड तक दिखाईं देती रहेगी। दृष्टि का यह विशेष गुण दृष्टि निर्बंध कहलाता है चलचित्र इसी सिद्धांत पर बनाया जाता है।