द्विज का क्या अर्थ बताया गया है गलत उत्तर चुनिए? - dvij ka kya arth bataaya gaya hai galat uttar chunie?

द्विज शब्द 'द्वि' और 'ज' से बना है। द्वि का अर्थ होता है दो और ज (जायते) का अर्थ होता है जन्म होना अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुपमे माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प लेता है। द्विज शब्द का प्रयोग किसी एक प्रजाती या केवल कोइ जाती विशेष के लिये नहि किया जाता हैं। मानव जब पैदा होता है तो वो केवल पशु समान होता है परन्तु जब वह संस्कारवान और ज्ञानी होता है तव ही उसका जन्म दुवारा अर्थात असली रुपमे होता है। जन्म से कोहि भी ब्राह्मण नहीं होता अपितु अपने अच्छे कर्म और ज्ञान प्राप्त करने के वाद कोई भी ब्राह्मण बन जाता हैं। .

4 संबंधों: बसंत, शूद्र, सेनापति, अन्नप्राशन संस्कार।

बसंत में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार के जिले .

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शूद्रों का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल के पुरुष सुक्त में मिलता है, जिसमें शूद्रों को विराट पुरुष के पैरों से उत्पन्न बताया गया है। यजुर्वेद में शूद्रों की उपमा समाजरूपी शरीर के पैरों से दी गई है; इसीलिये कुछ लोग इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के पैरों से मानते हैं। परन्तु वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखा जाए तो किसी मानव के विभिन्न अंगों से किसी व्यक्ति को पैदा नहीं किया जा सकता है l यह केवल भारतीय काल्पनिक ग्रंथों में ही संभव है l हालाँकि की कुछ मुर्ख स्टेम सेल के उदाहरण देते हैं, परन्तु जहां लोगों को रहने और खाने का तरीका न वहां स्टेम सेल की बात करना मूर्खता है l शूद्रों को दलित, हरिजन, अछूत आदि नामो से संबोधित किया जाता है l .

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कोई विवरण नहीं।

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जब शिशु के दाँत उगने लगे, मानना चाहिए कि प्रकृति ने उसे ठोस आहार, अन्नाहार करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। स्थूल (अन्नमयकोष) के विकास के लिए तो अन्न के विज्ञान सम्मत उपयोग का ज्ञान जरूरी है यह सभी जानते हैं। सूक्ष्म विज्ञान के अनुसार अन्न के संस्कार का प्रभाव व्यक्ति के मानस पर स्वभाव पर भी पड़ता है। कहावत है जैसा खाय अन्न-वैसा बने मन। इसलिए आहार स्वास्थ्यप्रद होने के साथ पवित्र, संस्कार युक्त हो इसके लिए भी अभिभावकों, परिजनों को जागरूक करना जरूरी होता है। अन्न को व्यसन के रूप में नहीं औषधि और प्रसाद के रूप में लिया जाय, इस संकल्प के साथ अन्नप्राशन संस्कार सम्पन्न कराया जाता है। .

द्विज(English:secondary) शब्द 'द्वि' और 'ज' से बना है। द्वि का अर्थ होता है दो और ज (जायते) का अर्थ होता है जन्म होना अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुपमे माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प लेता है। द्विज शब्द का प्रयोग किसी एक प्रजाती या केवल कोइ जाती विशेष के लिये नहि किया जाता हैं। मानव जब पैदा होता है तो वो केवल पशु समान होता है परन्तु जब वह संस्कारवान और ज्ञानी होता है तव ही उसका जन्म दुवारा अर्थात असली रुपमे होता है।

  • "दूसरा जन्म होना(शिक्षा व ज्ञान की दृष्टि से) मातृ की कोख से जन्म के पश्चात अर्थात जन्म के पश्चात कर्मणा वर्ण को प्राप्त करने वाला" यह अर्थ है द्विज़ का। द्वि+ज अर्थात द्वि=दो,ज=जायते, यानि जो संसार मे जन्म लेने के पश्चात अपने संस्कार व विद्या के अनुसार जिस वर्ण को प्राप्त करता है,वही द्विज कहलाता है!

मूलतः यह संस्कृत शब्द है।

  • विद्वान, वह विद्वान जो ज्ञान का दान करे!
  • दो बार जन्म लेने वाला
  • अंडे से जन्म लेने वाला
  • विप्र
  • भूसुर
  • ब्राह्मण
  • खग
  • पक्षी
  • अंडज
  • साँप

अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द[संपादित करें]

द्विज शब्द का क्या अर्थ होता है?

द्वि का अर्थ होता है दो और ज (जायते) का अर्थ होता है जन्म होना अर्थात् जिसका दो बार जन्म हो उसे द्विज कहते हैं। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुपमे माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का संकल्प लेता है।

द्विज का अनेकार्थी शब्द क्या है?

द्विज के एक से अधिक अर्थ – पक्षी, दाँत, ब्राह्मण, गणेश।

द्विज किसका पर्यायवाची शब्द है?

उत्तर :- द्विज का पर्यायवाची शब्द – ब्राह्मण, ब्रह्मज्ञानी, वेदविद्, पण्डित, विप्रा।

द्विज का क्या अर्थ है * राजा ब्राम्हण भिखारी भगवान?

द्विज का अर्थ है दो बार जन्म लेने वाला। ये शायद आपने भी सुना होगा कि ब्राह्मणों में एक संस्कार होता है, ' यज्ञोपवित संस्कार' जिसे उपनयन या जनेऊ संस्कार भी कहते है। कोई भी ब्राह्मण सिर्फ उस कुल में जन्म लेने से ब्राह्मण नही होता, उसे ब्राह्मण बनने के लिए उसका यज्ञोपवित होना आवश्यक है