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सफेद बाघों का कौतूहल देखना है तो चलें बांधवगढ़घने जंगलों में जानवरों की हरकतों और रंगबिरंगे पक्षियों के कौतुहल को कैद करना हर कोई चाहता है। जंगल में घूमते बाघों को देखने का अनुभव तो और ज्यादा अद्भुत और रोमांच भरा होता है। वन्य जीवों से लगाव रखने वाले सैलानी बाघों को करीब से देखने और जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बां घने जंगलों में जानवरों की हरकतों और रंगबिरंगे पक्षियों के कौतुहल को कैद करना हर कोई चाहता है। जंगल में घूमते बाघों को देखने का अनुभव तो और ज्यादा अद्भुत और रोमांच भरा होता है। वन्य जीवों से लगाव रखने वाले सैलानी बाघों को करीब से देखने और जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान शुरू से ही मनोरंजन का केंद्र रहा है। वर्ष 1968 में बनाया गया बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान विश्वभर में अपने सफेद बाघों के लिए भी जाना जाता है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र वनस्पतियों और झाड़ियों की विभिन्न जातियों से भरा हुआ है। इस उद्यान में शेर, तेंदुआ, बारहसिंघा, बाइसन (जंगली भैंसे की एक दुर्लभ प्रजाति), जंगली सुअर, जंगली श्वान, चीतल, नीलगाय, चिंकारा सांभर जैसे पशुओं की 22 और लगभग 250 प्रकार की पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। आप हाथी पर सवार होकर या फिर वाहन में बैठकर इन वन्य प्राणियों को देख सकते हैं। पढ़ें:चलें बिहार के इन अभयारण्य की सैर पर. कहा जाता है कि रीवा के महाराज अपना कौशल दिखाने के लिए इसी बांधवगढ़ के जंगल में आया करते थे और बाघों का शिकार करके अपने महलों में सजाते थे। ऐसी मान्यता है कि रीवा के महाराज द्वारा 109 बाघों का शिकार करना एक अच्छा शगुन माना जाता था। सन् 1914 में महामहिम महाधिराज वेंकटरमन सिंह द्वारा 111 बाघों का शिकार किया गया था जो उस समय सबसे ज्यादा था। इस उद्यान के अंदर ही 2 हजार वर्ष पुराना बांधवगढ़ का किला है, जिसके परकोटे इस पार्क के एक ओर को घेरते हैं। इस पार्क में गुफाएं भी हैं जिनमें मानव द्वारा बनाए चित्र स्पष्टत: देखे जा सकते हैं। कैसे पहुंचें हवाई मार्ग द्वारा-जबलपुर (164 किलोमीटर) और खजुराहो (237 किलोमीटर) निकटतम एयरपोर्ट हैं।
स्पर्श से मर्ज का समाधान करते हैं शेरा भाईलाखोंरुपए खर्च कर चिकित्सा के क्षेत्र में उतरने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों से मर्ज का समाधान पाने वालों की भीड़ क्लीनिक में तो अक्सर देखी जाती है। बावजूद इसके ऐसे भी लोग हैं जो बिना किसी डिग्री के लोगों को मर्ज से छुटकारा दिलाने केवल दावा करते हैं वरन हाथों के स्पर्श मात्र से ही समाधान खोज लेते हैं। इन्हीं में से एक हैं मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ (उमरिया) निवासी शेर खान। पूरे उमरिया जिले में शेरा भाई के नाम से चर्चित शेर खान स्लीप िडस्क के जानकार हैं। बुधवार को श्रीकांत बुधिया के निवास पर पहुंचे थे, उनके आगमन की जानकारी जैसे जैसे लोगों को मिलती गई, नस से संबंधित बीमारी से ग्रसित लोगों की भीड़ जुटती गई। उनसे समाधान पाने केवल कोरबा जिले के लोग पहुंचे वरन जांजगीर चांपा जिले से भी लोग उनसे उपचार कराकर राहत महसूस किए। उपचार कराने वालों में शहर के आम ही नहीं खास लोग भी शामिल थे। शेर खान नस के रोग से परेशान अपने पेसेंट को कोई दवा नहीं देते, अपने दोनों हाथों से व्यक्ति के नस को सही स्थान पर कब ला देते हैं मरीज को उसका पता ही नहीं चलता। उनका मानना है कि बीमार व्यक्ति की नस प्रभावित होने पर ही उससे संबंधित अनेक बीमािरयां पैदा होती हैं। इसलिए नसों को सही स्थान पर कैसे लाया जाए इसका उन्हें 40 साल का अनुभव है। इस क्षेत्र में लंबे समय से जुड़ कर केवल एमपी वरन देश के कई प्रातों के लोगों को राहत पहुंचा चुके हैं। वे मंगलवार को कटघोरा स्थित नारायण आश्रम में श्रीराम अग्रवाल के यहां 60 लोगों का उपचार किए थे। स्पर्श पद्धति से उपचार करते शेर खान। विषयसूची सफेद शेर कहाँ पाए जाते हैं?इसे सुनेंरोकेंमध्य प्रदेश का विंध्याचल क्षेत्र (जिला रीवा और सतना के आसपास का क्षेत्र) हमेशा से अपने यहां पाए जाने वाले सफेद शेरों के लिए प्रसिद्ध रहा है. सफेद बाघ कौन से राष्ट्रीय उद्यान में हैं?इसे सुनेंरोकेंमध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान शुरू से ही मनोरंजन का केंद्र रहा है। वर्ष 1968 में बनाया गया बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान विश्वभर में अपने सफेद बाघों के लिए भी जाना जाता है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र वनस्पतियों और झाड़ियों की विभिन्न जातियों से भरा हुआ है। टाइगर सफारी क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंटाइगर सफारी का स्वरूप यह है कि एक स्थान विशेष को विकसित कर उसमें वन्यजीवों को रखा जाता है। ऐसा करने से वन्यजीवों को आसानी से देखा जा सकता है। टाइगर रिजर्व में ऐसा नहीं है। टाइगर रिजर्व में नेचुरल वाटर होल, शाकाहारी वन्यजीव पाए जाते हैं, लेकिन टाइगर सफारी में व्यवस्था करनी होगी। मुकुंदपुर कब बंद रहता है?इसे सुनेंरोकेंसेंट्रल जू अथारिटी आफ इंडिया द्वारा मुकुंदपुर के चिडिय़ाघर और सफारी के लिए बुधवार का दिन साप्ताहिक अवकाश का निर्धारित किया गया है। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस भी बुधवार के दिन पड़ रहा है। रॉयल बंगाल टाइगर कहाँ पाए जाते हैं?इसे सुनेंरोकेंरॉयल बंगाल टाइगर या बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे यह सम्मान इसकी खूबसूरती और ताकत को देखते हुए दिया गया है। जंगल का राजा कहलाने वाला पेंथेरा टाइग्रिस भारत की शान है। बाघ यह उप-प्रजाति भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और दक्षिण तिब्बत के तराई वाले जंगलों में पाई जाती है। संसार में कितने सफेद शेर हैं? इसे सुनेंरोकेंअब सफारी में सफेद बाघों की संख्या चार हो गई है, जिसमें दो नर बाघ, गापी और दो मादा विंध्या और सोनम हैं। इसमें से बारी-बारी से ह्वाइट टाइगर सफारी में छोड़ा जाएगा। पर्यटक बाघों के साथ तमाम वन्य जीवों के भी दर्शन कर सकेंगे। यह दुनिया की पहली टाइगर सफारी है, जिसे विशेषतौर पर सफेद बाघों के लिए बनाया गया है। सफेद बालों के लिए मध्यप्रदेश का कौनसा क्षेत्र विख्यात है *?इसे सुनेंरोकेंमध्य प्रदेश के रीवा में सफेद बाघों के लिए दुनिया का पहला अभयारण्य खुला है। मुकुंदपुर में कौन कौन से जानवर हैं?फोटो गैलरी
बंगाल टाइगर किसका उपनाम है? व्यक्तियों के उपनाम
उमरिया जिला क्यों प्रसिद्ध है?उमरिया जिले का क्षेत्रफल 4548 वर्ग किमी है। यह उत्तर से दक्षिण में लगभग 100 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम में 66 किलोमीटर तक फैला हुआ है। जिले का क्षेत्रफल 4503 वर्ग किलोमीटर है।
उमरिया में कौन सा बांध है?बिरसिंहपुर बांध उमरिया - Birsinghpur Dam Umaria
बिरसिंहपुर बांध को पाली बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बांध उमरिया का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह बांध बहुत सुंदर है। यह बांध उमरिया के बिरसिंहपुर पाली में स्थित है।
उमरिया का पिन नंबर क्या है?484661उमरिया / ज़िप कोडnull
उमरिया जिले के कलेक्टर का नाम क्या है?कलेक्टर कार्यालय. |