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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि (Agriculture) का अग्रणी स्थान है। राज्य की कुल आय में कृषि तथा पशुपालन द्वारा सर्वाधिक (41.5%) योगदान प्राप्त होता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है। राज्य के कुल कर्मकारों में कृषि कर्मकारों का योगदान 65.9% है। उत्तर प्रदेश की कुल कृषि योग्य भूमि 25,304 हजार हेक्टेयर है, जो देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 12% है। उत्तर प्रदेश का देश की कृषि (Agriculture) उपज में उल्लेखनीय योगदान रहता है। देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है। उत्तर प्रदेश में औसत भूमि का आकार 0.9 हेक्टेयर है जो कृषि की प्रगति में एक प्रमुख अवरोधक है। राज्य के पूर्वी हिस्से में कुल बोए क्षेत्र का सिंचित हिस्सा केवल 60.4 प्रतिशत है, जबकि पश्चिमी हिस्से में यह 80.8 प्रतिशत और मध्यांचल में 65.8 प्रतिशत है। प्रदेश में आम, आलू, गन्ना आदि प्रमुख फसलें हैं। देश का 40-45% आलू उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है। प्रमुख खाद्यान्न कृषि उपजों में उत्तर प्रदेश का योगदान इस प्रकार है (Uttar Pradesh’s contribution to Major Food Grains Agriculture)
कृषि उत्पादन में उत्तर प्रदेश का स्थान (Position of Uttar Pradesh in Agricultural Production)
उत्तर प्रदेश की मुख्य फसलें (Major Crops of Uttar Pradesh)प्रदेश में प्रमुख रूप से तीन फसलें पैदा की जाती हैं, जो इस प्रकार हैं – रबी फसल – यह फसल अक्टूबर-नवम्बर में बोयी जाती है और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती है। जैसे – चना, गेहूँ, जौ, मटर, सरसों, तम्बाकू, आलू आदि इसके अंतर्गत आने वाली मुख्य फसलें हैं। खरीफ फसल – यह फसल अप्रैल-जुलाई में बोयी जाती है और अक्टूबर-नवम्बर में काट ली जाती है। जायद फसल – यह जून-जुलाई में बोयी जाती है। इसके अंतर्गत फल, फूल, सब्जियाँ, जैसे-खरबूजे, ककड़ी तथा कुछ विशेष प्रकार की चावल की फसलें उगायी जाती हैं। उत्तर प्रदेश में प्रमुख फसलों के उत्पादक स्थान
फल उत्पादनप्रदेश में उत्पादित किए जाने वाले प्रमुख फल इस प्रकार हैं –
राज्य के कुल प्रमुख फल पट्टी क्षेत्र
कृषि-जलवायु प्रदेश (Agro-Climatic Region)कृषि को प्रभावित करने वाले मृदा प्रकार, वर्षा, तापमान, जल एवं मानव संसाधन आदि कारकों को आधार मानते हुए प्रदेश को 9 कृषि-जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया गया है: यथा –
फसल-चक्र (Crop Circle)किसी निश्चित क्षेत्र में एक नियत अवधि में फसलों का इस क्रम में उगाया | जाना कि उर्वरा शक्ति का कम-से-कम ह्रास हो फसल-चक्र कहलाता है। इसके कई लाभ हैं; यथा-मृदा की उर्वरा शक्ति सुरक्षित रहती है; रोग, कीट तथा खरपतवार के नियन्त्रण में मदद मिलती है, सीमित साधनों का अधिकतम उपयोग कर अधिक उत्पादन लेना सम्भव होता है; मृदा अपरदन में कमी आती है। प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न फसल-चक्र अपनाएँ जाते हैं, जो इस प्रकार हैं – पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए फसल-चक्र
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए फसल-चक्र
बुन्देलखण्ड के लिए फसल-चक्र
उत्तर प्रदेश में कृषि कार्यक्रम (Agricultural programs in Uttar Pradesh)उत्तर प्रदेश का कुल प्रतिवेदित क्षेत्रफल 241.70 लाख हेक्टेअर है जिसमें से लगभग 165.62 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में खेती की जाती है। प्रदेश में लघु तथा सीमान्त कृषकों की संख्या क्रमशः 15.45 प्रतिशत व 73.99 प्रतिशत है। जोत का औसत आकार 0.90 हेक्टेअर है। प्रदेश में ऊसर भूमि 4.99 लाख हेक्टेअर, बीहड़ भूमि 8.77 लाख हेक्टेअर और परती भूमि 18.02 लाख हेक्टेअर है। प्रदेश में सकल सिंचित क्षेत्रफल 196.12 लाख हेक्टेअर है तथा शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 134.35 लाख हेक्टेअर है। जो कुल शुद्ध बोए गए क्षेत्र का 77.3% प्रतिशत है। प्रदेश की फसल सघनता 148.25 प्रतिशत है जबकि फसल सघनता का राष्ट्रीय स्तर 131.5 प्रतिशत है। वर्तमान में 165.62 लाख हेक्टेअर शुद्ध क्षेत्र व 241.70 लाख हेक्टेअर सकल क्षेत्र में फसलों का उत्पादन होता है।
कृषि क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को पुरस्कार (Prize for Uttar Pradesh in Agriculture Sector)कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ। पहले वर्ग में उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब को संयुक्त विजेता घोषित किया गया। प्रदेश में कृषिगत प्रदर्शन, यथा वर्ष 2010-11 में कुल 4.75 करोड़ टन अनाज के उत्पादन, पूर्वी क्षेत्र में गेहूं की बुवाई, धान के संकर बीजों का उपयोग तथा गन्ने के साथ उड़द की बुवाई में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के 83वें स्थापना दिवस पर जुलाई, 2011 में विजेताओं को प्रशस्ति पत्र के साथ दो-दो करोड़ के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। राज्य में गन्ना विकास (Sugarcane Development in the State)
राज्य के कृषि औद्योगिक संस्थानों के क्रियाकलाप (Activities of State Agricultural Industrial Institutions)राजकीय खाद्य-प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ (Institute of Food Processing Technology, Lucknow)
औद्योगिक प्रयोग तथा प्रशिक्षण केन्द्र, मलिहाबाद (Industrial Experiment and Training Center, Mallihabad)
ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला अलीगंज, लखनऊ (Tissue Culture Laboratory, Aliganj, Lucknow)
औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, खुशरुबाग, इलाहाबाद (Industrial Experiment and Training Center, Kharubag, Allahabad)
पान प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र, महोबा (Pan Experiment and Training Center, Mahoba)
आलू तथा अनुसन्धान केन्द्र, बाबूगढ़, गाजियाबाद (Potato and Research Center, Babujarh, Ghaziabad)
कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना (Establishment of agricultural science centers)राज्य सरकार ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के शत-प्रतिशत वित्त पोषण से बक्सा जौनपुर, पछपेड़वा बलरामपुर, लेदारौ आजमगढ़, चन्दौली जाजपुर, बंजारा फर्रुखाबाद, खिरियामिश्र ललितपुर, कुरारा हमीरपुर, जमुनाबाद लखीमपुर खीरी, रामकोट सीतापुर, रुस्तमनगर मुरादाबाद, रूरामल्लू जालौन, बिलग्राम रोड हरदोई, बुलन्दशहर तथा तलहेटा गाजियाबाद में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्रों की जमीनों को कृषि विश्वविद्यालयों को हस्तान्तरित करने एवं उनसे सम्बद्ध करने का निर्णय भी लिया है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्धन प्राधिकरण (Agricultural Technology Management Authority)उत्तर प्रदेश में किसानों की भूमि सम्बन्धी समस्याओं के समाधान व उन्हें सभी प्रकार की प्रौद्योगिकीय सूचनाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक नए कृषि तकनीकी प्रबन्धन प्राधिकरण की स्थापना का निर्णय राज्य सरकार ने 24 जनवरी, 2006 को लिया। उद्योग व आवास क्षेत्र की तर्ज पर किसानों के लिए अपने किस्म का यह पहला प्राधिकरण उन्हें ‘सिंगल विडो’ सुविधा कृषिगत समस्याओं के निराकरण हेतु उपलब्ध कराएगा। प्राधिकरण (ATMA) की संरचना द्विस्तरीय होगी। राज्य स्तर पर कृषि उत्पादन आयुक्त इसके अध्यक्ष होंगे, जबकि जिला स्तर पर सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी इसके प्रमुख होंगे। कृषि नीति, 2005 (Agricultural Policy, 2005)राज्य सरकार ने 29 दिसम्बर, 2005 को कृषि नीति को स्वीकृति प्रदान की। डॉ० राम मनोहर लोहिया की ‘सप्तक्रान्ति’ पर आधारित इस नीति को लागू कर 1.5 प्रतिशत की वर्तमान कृषि विकास दर को बढ़ाकर 4 प्रतिशत वार्षिक करने का लक्ष्य रखा गया। कृषि विभागों के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव कर उसे आधुनिक कृषि के तौर-तरीकों के आधार पर व्यावहारिक रूप देने का प्रयास भी नीति में किया गया। इसके अन्तर्गत कई पदनामों को भी बदल दिया गया। नयी नीति कृषि उत्पादों की ब्रान्डिग, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में हिस्सेदारी, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से किसानों के समझौते के आधार पर खेती कराने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा गांव स्तर पर ही किसानों के लिए जल प्रबन्ध व मृदा परीक्षण की व्यवस्था की गयी। खेती की उर्वरक क्षमता बढ़ाने, किसानों को उन्नतशील बीज व खाद आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने, मशीनरी, शोध तथा कृषि विविधीकरण के क्षेत्र में किसानों को गांवों में ही लाभान्वित करने की व्यवस्था इस नीति की मुख्य विशेषता है। नई कृषि नीति-2013 (New Agricultural Policy, 2013)28 फरवरी, 2013 को राज्य मन्त्रिमण्डल ने नई कृषि नीति को मंजूरी दी। इस नीति के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं –
Notes –
UP में सबसे ज्यादा क्या पैदा होता है?सही उत्तर गेहूँ है। उत्तर प्रदेश की मुख्य फसल गेहूँ है। गेहूं राज्य की प्रमुख खाद्य फसल है और गन्ना मुख्य व्यावसायिक फसल है। यह राज्य के सबसे बड़े हिस्से में लगभग 24% कृषि भूमि में उत्पादित होता है।
उत्तर प्रदेश का मुख्य उत्पादन क्या है?1.19 वर्ष 2019-20 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन 22.39 मिलियन टन अनुमानित है जो वर्ष 2018-19 के दौरान 21.28 मिलियन टन के उत्पादन की तुलना में 1.11 मिलियन टन अधिक है। वर्ष 2019-20 के दौरान तिलहन का औसत उत्पादन पिछले 5 वर्षों के तिलहन उत्पादन की तुलना में 2.17 मिलियन टन अधिक है।
उत्तर प्रदेश में कौन कौन सी फसलें होती हैं?इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ भूमि पर जनसंख्या का दबाव अधिक होता है ।
जो उत्पादन में उत्तर प्रदेश का कौन सा स्थान है?देश के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है। उत्तर प्रदेश में औसत भूमि का आकार 0.9 हेक्टेयर है जो कृषि की प्रगति में एक प्रमुख अवरोधक है। राज्य के पूर्वी हिस्से में कुल बोए क्षेत्र का सिंचित हिस्सा केवल 60.4 प्रतिशत है, जबकि पश्चिमी हिस्से में यह 80.8 प्रतिशत और मध्यांचल में 65.8 प्रतिशत है।
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