ऊँचे कुल में जन्म लेने का क्या अर्थ है? - oonche kul mein janm lene ka kya arth hai?

ऊँचे कुल के कारणै

ऊँचे कुल के कारणै, ब्राह्मन कोय होय।

जउ जानहि ब्रह्म आत्मा, रैदास कहि ब्राह्मन सोय॥

मात्र ऊँचे कुल में जन्म लेने के कारण ही कोई ब्राह्मण नहीं कहला सकता। जो ब्रहात्मा को जानता है, रैदास कहते हैं कि वही ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी है।

स्रोत :

  • पुस्तक : रैदास ग्रंथावली (पृष्ठ 100)
  • रचनाकार : डॉ. जगदीश शरण
  • प्रकाशन : साहित्य संस्थान
  • संस्करण : 2011

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ऊँचे कुल में जन्म लेने का क्या अर्थ है? - oonche kul mein janm lene ka kya arth hai?

ऊंचे कुल क्या जनमिया जे करनी ऊंच न होय।सुबरन कलस सुरा भरा साधू निन्दै सोय ॥

अर्थ: यदि कार्य उच्च कोटि के नहीं हैं तो उच्च कुल में जन्म लेने से क्या लाभ? सोने का कलश यदि सुरा से भरा है तो साधु उसकी निंदा ही करेंगे.

कबीर दास

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ऊँचे कुल में जन्म लेने से क्या ऊँचा होना चाहिए?

कबीर के अनुसार ऊँचे कुल में जन्म लेने पर भी अच्छे कर्म ना करने पर आदमी निंदा का पात्र ही होता है। जिस प्रकार किसी सोने के घड़े में शराब रख देने से सोने पर ही संदेह किया जाता है, उसी तरह ऊँचे कुल में गलत व्यक्ति के जन्म लेने से उनकी ही बदनामी होती है।

ऊंचे कुल में जन्म लेने पर भी मनुष्य की निंदा कब होती है?

सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि ऊँचे कुल में जन्म तो ले लिया लेकिन अगर कर्म ऊँचे नहीं है तो ये तो वही बात हुई जैसे सोने के लोटे में जहर भरा हो, इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।

माला तो कर में फिरे पंक्ति में कर का क्या अर्थ है?

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