वन्यजीवों का महत्व समझें और समझाएं: डीएफओसीतापुर। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वावधान में सेक्रेड हार्ट डिग्री कॉलेज... Show
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,सीतापुरSun, 10 Oct 2021 03:02 AM सीतापुर। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वावधान में सेक्रेड हार्ट डिग्री कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग द्वारा वन्य जीव सप्ताह के अंतर्गत समापन व पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। इसका शुभारंभ वन विभाग के प्रभागीय निदेशक बृजमोहन शुक्ला ने दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर डीएफओ ने वन्यजीवों का पारिस्थितिकी में महत्व बताते हुए कहा कि पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीव जंतु पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं और उनके आपसी सामंजस्य से ही पारिस्थितिक संतुलन बना हुआ है। अनाधिकृत मानवीय हस्तक्षेप से कई जीव प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसलिए इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है और इसके लिए सभी को जागरूक करने का कार्य करना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सेक्रेड डिग्री कॉलेज के प्राचार्य फादर डॉक्टर डैनी मैथ्यू ने वन्य जीव सप्ताह के अंतर्गत प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए आह्वान किया कि वह आमजन मानस को वन्य जीव संरक्षण के लिए जागरूक करें। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. योगेशचंद्र दीक्षित ने अपने संबोधन में जैव शृंखला के विषय में बताते हुए इसका पारिस्थितिक तंत्र में उपस्थित सभी घटकों, जीव जंतुओं की पारस्परिक निर्भरता पर व्याख्यान दिया। उप प्रभागीय वन अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने युवाओं को वन्य जीव संरक्षण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया। वन्य प्राणी सप्ताह के अंतिम दिन विभिन्न प्रतियोगिताएं हुईं, जिनकेे विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर वन क्षेत्राधिकारी महमूद आलम, डॉ. योगेश चंद्र दीक्षित, सुष्मिता श्रीवास्तव सहित छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। दुनिया में मनुष्य को मिली हुई सबसे बड़ी भेट प्रकृति है। क्योकि प्रकृति ने हमे वन, नदिया और पहाड़ जैसे कई उपहार दिए है। इन सभी चीज़ों के बिना मनुष्य या अन्य जीवों की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसकी वजह से ही धरती पर मनुष्य, पशु, पक्षी, जानवर आदि निवास करते है। लेकिन दुनिया के कई देशों में प्राकृतिक संसाधनों की कमी है। जबकि भारत प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है।
जैसे की, पुरे विश्व का 7% से अधिक प्राणी जगत और 11% से अधिक वनस्पति जगत हमारे देश में उपस्थिति है। इसके अलावा विश्व की सभी जीव प्रजातियाँ मे 8% प्रजातियाँ भारत में विद्यमान है। लेकिन पिछले कुछ सालो से मनुष्य लगातार प्रकृति का विनाश कर रहा है। इसी वजह से वर्तमान भारत में स्तनधारी जीवों की 20% और वनस्पतियों की 100% प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर है। यह हमारे लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण समस्या है। इसीलिए आज वन्य जिव संरक्षण करना हमारे लिए अति-आवश्यक हो गया है। Table of Contents
वन्यजीव संरक्षण क्या है?पेड़-पौधे और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए किए गए प्रयास को वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और नीतियों को अमल में लाया जाता है। क्योकि अगर हम वन्यजीवों का संरक्षण नहीं करते है, तो पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होगा। जिसका खामियाजा हम मनुष्यों को ही भुगतना पड़ेगा। इस धरती पर मानवी और अन्य जीवों का समान अधिकार है। (यह भी पढे- प्रकृति पर निबंध) वन्यजीव संरक्षण का महत्वदुनिया में कई ऐसे जीव हैं जिन्हें हम पालतू नहीं बना सकते। जैसे पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े और जंगली जानवर जो केवल जंगल पर निर्भर है। उनके खाने से लेकर घर तक सब कुछ जंगल है। वन्यजीव हमारी खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनके कारण ही हमारी प्रकृति में संतुलन बना रहता है। परंतु जब हम वन्य जीवो का विनाश करते है तब प्रकृति में असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण हमे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में हम केवल मानव बस्ती का निर्माण करके वन्यजीवों को नष्ट कर रहे है। लेकिन अब हमें उनके बारे में सोचना होगा, क्योंकि इससे न केवल देश की प्रकृति को नुकसान होता है, बल्कि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। जैसे अफ्रीका के सवाना जंगल में कई प्रकार के वन्यजीव है और यहाँ हर साल लाखो लोग इन्हें देखने आते है। इससे अफ्रीका कि अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होता है। इसके अलावा वन्यजीव अभ्यारण में जो गार्ड होते है, उनको भी वन्यजीवों से रोजगार प्रदान होता है। वन्यजीवों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?आज का मानवी अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति और सभी जीवों को हानि पहुंचा रहा है। कुछ पैसों के लालच में वह पूरे जंगल को तबाह कर रहा है। इससे बेज़बान जानवरो के घर तबाह हो रहे है। इसके साथ ही जानवरों के अंगों को पाने के लिए मनुष्य उन्हें मार देता है। यह कितनी शर्म की बात है कि इंसान अपने स्वार्थ के लिए उन्हें लगातार मार रहा है। 2014 में डेनमार्क की आरहूस यूनिवर्सिटी के शोध कर्मियों ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार हिमयुग में विशालकाय हिरण, दांतेदार बिल्लियां, तेंदुए के आकार वाले शेर और बड़े कंगारू पाए जाते थे। परंतु वर्तमान में इन सभी जीवों का अन्त हो चुका है। इस रिपोर्ट में यहा भी कहा गया की, जहां इन सभी जीवों का अन्त हो रहा था वहीं मनुष्यों की संख्या बड़ी तेजी से बढ रही थी। इस शोध से यह स्पष्ट हो गया कि पृथ्वी पर वन्य जीवों की प्रजातियों के विनाश के पीछे मनुष्य ही एक जिम्मेदार कारण रहा है। इसके अलावा भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण के मुताबिक हमारे देश में पहाड़ी कुऔल, चीता और लाल सिर वाली बत्तख विलुप्त हो चुके है। अगर कोई हमे चोट पहोचाए तो उसके खिलाफ हम कार्यवाही कर लेते है । लेकिन हम रोजाना कई जनवारों को मारते है, क्या उनमे प्राण नहीं है। उनको भी इस धरती पर रहने का पूरा अधिकार है। वह भी हमारी तरह इस पृथ्वी के संतुलन मैं अहम भूमिका निभाते है। अगर हम उनको हानी पहोचाएंगे तो हम भी बच नहीं पाएंगे। क्योकि वनो के विनाश से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याए लगातार बढ़ रही है। इसीलिए हमे वन्यजीवों का संरक्षण करना आवश्यक है। पेड़ों की भारी कटाई से जंगल नष्ट हो रहे है और इससे वन्यजीवों के आवास खत्म हो रहा है। अगर हम ऐसे जंगलों को नष्ट करते रहेंगे तो हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ-साथ पृथ्वी की सुन्दरता भी खत्म हो जाएगी। इसलिए हमें आज से ही वन्य जीवों को बचाने के प्रयास करने चाहिए। (यह भी पढे- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध) वन्यजीवों के विलुप्त होने के कारणवन्यजीवों के विलुप्त होने का पहला कारण मनुष्य द्वारा उनके आवास और भोजन का नुकसान पहुंचाना है। वर्तमान में मनुष्य सड़क, रेलवे लाइन और कारखाने जैसे बड़े-बड़े निर्माण कार्य कर रहा है। लेकिन इसके लिए लाखों पेड काटे जाते है। जिससे वनो का लगातार विनाश हो रहा है। वनों के नष्ट होने से कई वन्यजीव भूख के कारण मर जाते है और धीरे धीरे उनकी प्रजाति विलुप्त होने लगती है। यदि हम किसी का घर और भोजन छीन लेते है तो उसके लिए जीना मुश्किल हो जाता है। संसाधनों का अत्यधिक इस्तेमाल और दोहन भी वन्यजीवों के विलुप्त होने का कारण है। आज के आधुनिक युग में संसाधनो की कोई कमी नही है। लेकिन हमे संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करना है। क्योकि इसके अप्राकृतिक उपयोग से प्रकृति को नुकसान होता है और इसका सीधा असर वन्यजीवों पर पड़ता है। इसके अलावा मनोरंजन के लिए या अवैध रूप से जानवरों का शिकार करना इंसानों का घिनौना कार्य है। कई लोग उनके शरीर से कुछ उत्पाद प्राप्त करने के लिए जानवरों की हत्या करते है। इससे भी वन्यजीवों को खतरा है। रिसर्च के लिए भी कई जगह जानवरो को मारा जाता है। कई प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए जानवरो पर प्रयोग किया जाता है। इससे भी कई वन्यजीव विलुप्त होने के कगार पर है। वन्यजीवों के विलुप्त होने का एक बड़ा कारण प्रदूषण भी है। क्योंकि पर्यावरण की स्थिति में अनावश्यक परिवर्तन के कारण कई जानवरों के लिए पर्यावरण अनुकूल नहीं होता। इसकी वजह से भी पेड़-पौधे और वन्यजीवों की प्रजातियों की संख्या में कमी आती है। इस तरह वनो की कटाई, अवैध शिकार, बढ़ता प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, तापमान और संसाधनों का अत्यधिक दोहन आदि वन्यजीवों की समाप्ति के प्रमुख कारण है। वन्यजीव संरक्षण के उपायवन्यजीवों के संरक्षण के लिए सबसे पहले हमे अवैध गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना होगा। जैसे कई लोग जानवरों के खाल, नाखून, दांत, सींग, पंख के लिए उनका शिकार करते है। सरकार को एसी अवैध गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा और जुर्माना देना चाहिए। ताकि अगली बार जानवरों का शिकार करने से पहले एसे लोग दस बार सोचें। इसके अलावा हमें वन्यजीव अभ्यारण्य को और अधिक महत्व देना होगा। क्योंकि अभयारण्य उनके लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। अगर हम लोगो में वन्यजीवों के प्रति जागरूकता बढ़ाए तो हम वन्यजीवों को विलुप्त होने से बचा सकते है। इसके लिए हमे पेटाजैसी संस्थाएँ स्थापित करनी चाहिए और हर गाव-शहर में इसकी जागरूकता के लिए अभियान भी करने चाहिए। मनुष्य को पेड़ काटना बंद करना होगा। क्योंकि अगर हम उनका घर छीन लेते हैं तो उनका जीवन बहुत कठिन हो जाएगा। इसकी वजह से कई वन्यजीव विलुप्त हो गए है। इसलिए हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़ काटने से रोकना होगा और उन्हें इसके बारे में जागरूक करना होगा। इसके साथ-साथ हमे प्रदूषण को भी कम करना होगा। क्योकि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण से पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इससे पशु प्रजातियों का आवास नष्ट होता है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करना भी हमारे लिए जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या से मनुष्य के रहने लायक जगह कम होती जा रही है। जिसकी वजह से इंसान निवास के लिए वनो का विनाश कर रहा है। परंतु अगर जनसंख्या की वृद्धि धीमी होगी तो इससे भी वन्यजीवों के संरक्षण पर एक बड़ा प्रभाव होगा। जन्मदिवस, त्योहार और पर्व पर हर व्यक्ति को सिर्फ एक पौधा लगाने का संदेश लोगो तक पहोचाना चाहिए। इससे पेड़ों की संख्या बढ़ेगी और जंगल भी बढ़ेंगे। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का निर्माण भी हमे वनों से दूर करना है। ताकि यह लोग प्रकृती को कोई हानी न पहुंचाए। इन सब उपायो के अलावा हमे प्लास्टिक के उपयोग को कम करना है। क्योकि प्लास्टिक खाने से भी कई वन्यजीवों की मृत्यु हो जाती है। निष्कर्ष दुनिया के सभी वन्यजीव और पेड़-पौधे हमारी प्रकृति की सुंदरता में चार चांद लगाते है। पक्षियों और जानवरों की आवाज हमारे पर्यावरण और आवास को बहुत खूबसूरत बनाती है। लेकिन फिर भी आज पैसे के लालच में इंसान उन्हें मार रहा है। उसने पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का घर और भोजन छीन लिया है। वर्तमान मे सिर्फ भारत में ही एसी कई जानवरों की प्रजातीय है, जो पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है। परंतु अब हमे उनको बचाना होगा, क्योकि प्रकृति उन पर निर्भर है। अगर प्रकृति हमसे नाराज़ हो गयी तो हमारा और हमारे आने वाले बच्चो का भविष्य एक बड़े खतरे में पड़ सकता है। इसलिए आज से ही वन्यजीवों का संरक्षण करना शुरू करदे। अगर आपको इस निबंध से कुछ भी लाभ हुआ हो, तो इसे share करना ना भूले । वन्य जीव संरक्षण पर निबंध पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद (Esays on Wildlife Conservation in Hindi)
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