Varsha Kitne Prakar Ki Hoti HaiGkExams on 12-05-2019 Show
वर्षा - वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं। वर्षा के प्रकार वर्षा तीन प्रकार की होती है : संवहनीय वर्षा (Convectional rain) संवहनीय वर्षा प्रकार की वर्षा अधिकतर भूमध्यरेखीय प्रदेशों में प्राय: प्रति दिन होती है। भूमध्यरेखा पर अधिक गरमी पड़ने से समुद्रों से प्रचुर मात्रा में जलवाष्प बनकर वायु में मिला करता है गरमी और वाष्प के कारण आर्द्र वायु हल्की होकर ऊपर उठती है और इसका स्थान ग्रहण करने के लिए अन्य हवाएँ आती रहती हैं। वायु ऊपर जाकर ठंडी होती है तथा फैलती है। वाष्प की मात्रा अधिक होने से ओसांक तक पहुंचने के लिए ताप को कम गिरना पड़ता है। अत: वाष्प शीघ्र जल का रूप ले लेता है और प्रति दिन प्राय: दो बजे के बाद घनघोर वर्षा होती है। इस वर्षा को संवहनीय वर्षा कहते हैं। पर्वतकृत वर्षा (Orographical rain) पर्वतकृत वर्षा वाष्प से भरी हवाओं के मार्ग में पर्वतों का अवरोध आने पर इन हवाओं को ऊपर उठना पड़ता है जिससे पर्वतों के ऊपर जमे हिम के प्रभाव से तथा हवा के फैलकर ठंडा होने के कारण हवा का वाष्प बूँदों के रूप में आकर धरातल पर बरस पड़ता है। ये हवाएँ पर्वत के दूसरी ओर मैदान में उतरते ही गरम हो जाती हैं और आसपास के वातावरण को भी गरम कर देती है। विश्व के अधिकतर भागों में इसी प्रकार की वर्षा होती है। मानसूनी प्रदेशों (भारत) में भी इसी प्रकार की वर्षा होती है। इस वर्षा को पर्वतकृत वर्षा कहते हैं। चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic rain) चक्रवाती वर्षा इस प्रकार की वर्षा गरम और शीतल वायुराशियों के आपस में मिलने से होती है, क्योंकि हल्की गरम वायु ऊपर उठती है तथा भारी शीतल वायु नीचे बैठती है। अत: ऊपर उठनेवाली वायु ठंडी होकर वर्षा करने लगती है। इस प्रकार वर्षा प्राय: शीतोष्ण कटिबंध में हुआ करती है। Comments What is rain on 02-02-2022 What is rain India ka sbse bda jila hai on 30-10-2021 India of big district name Pari on 08-10-2021 वायु वर्षा किसे कहते है Riyaz Riyaz on 01-03-2021 Oxygen ka sutra Varsha kya h on 14-11-2020 Vrsha Kamal on 11-02-2020 शुष्क वर्षा किसे कहते हैं Sudhanshu verma on 11-12-2019 Suth maruastalya bann keya hai Chhotu kumar on 11-12-2019 Peghali hue chatany keshy khty hai Amit dhakar on 28-08-2019 Smantarmadhiy ka sootr varsha on 26-05-2019 tati हारुन on 26-02-2019 सर्दी के मौसम में कोन सी बारिश होती है? पृथ्वी पर उपलब्ध जल के वाष्पीकरण होने से वाष्प वायुमंडल में पहुँचता है तथा ऊँचाई पर तापमान कम होने से उसका संघनन होता है। फलस्वरूप मेघ बनते हैं तथा वर्षा बूंदों का निर्माण होता है। जब जलवाष्प की बूंदें जल के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं उसे वर्षा (Rainfall) कहते हैं। जब जलवाष्प युक्त वायु ऊपर की तरफ उठती है तो तापमान में कमी होने के कारण उसका संघनन होने लगता है। इस तरह बादलों का निर्माण होता है। कुछ समय बाद जलवाष्प की मात्रा अधिक होने के कारण वायुमंडल उसे संभाल नहीं पाता है और जलवाष्प वर्षा की बूंदों में परिवर्तित हो जाता है। तथा वर्षा होने लगती है। वर्षा के प्रकारवर्षा तीन प्रकार की होती है :
(1) सवहनीय वर्षाइसकी उत्पत्ति गर्म एवं आर्द्र पवनों के ऊपर उठने से होती है। विषुवतीय प्रदेशों अथवा शान्त पेटी में यही वर्षा होती है। उच्च तापमान तथा आर्द्रता के कारण इन क्षेत्रों में दोपहर 2 से 3 बजे के बीच घनघोर बादल छा जाते है। कुछ क्षणों की मूसलाधार वर्षा के बाद सायं 4 बजे तक वर्षा रूक जाती है। आसमान साफ हो जाता है। (2) पर्वतीय वर्षाजब जलवाष्प से लदी हुई गर्म वायु को किसी पर्वत या पठार की ढलान के साथ ऊपर चढ़ना होता है तो यह वायु ठण्डी होने लगती है। ठण्डी होने से यह संतृप्त हो जाती है और संघनन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। संघनन के पश्चात होने वाली इस प्रकार की वर्षा को 'पर्वतीय वर्षा' कहते है। यह वर्षा उन क्षेत्रों में अधिक होती है जहाँ पर्वत श्रेणी समुद्र तट के निकट तथा उसके समानान्तर हो। संसार की अधिकांश वर्षा इसी रूप में होती है। जिस पर्वतीय ढाल पर वर्षा होती है, उसे वर्षा पोषित या पवनाभिमुख क्षेत्र कहते हैं, जबकि विमुख ढाल पर वर्षा नहीं होती है तथा इसे वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं। (3) चक्रवाती वर्षाचक्रवातों के कारण होने वाली वर्षा को चक्रवाती वर्षा कहते है। इस प्रकार की वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातीय क्षेत्रों में होती है। या चक्रवातों द्वारा होने वाली वर्षा को चक्रवातीय या वाताग्री वर्षा कहते हैं। दो विपरीत स्वभाव वाली हवाएं जब आपस में टकराती हैं तो वाताग्र का निर्माण होता है। इस वाताग्र के सहारे गर्म वायु ऊपर की ओर उठती है और वर्षा होती है। यह वर्षा मुख्य रूप से मध्य एवं उच्च अक्षांशों में होती है। वर्षा को प्रभावित करने वाले कारक (Factros affecting Reianfall)पृथ्वी पर वर्षा का वितरण सर्वत्र एकसमान नहीं है। इसे कुछ कारक प्रभावित करते है जो निम्नलिखित है:
विश्व में वर्षा का वितरणविश्व में औसत वार्षिक वर्षों के वितरण सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित है:
कृत्रिम वर्षा (Artificial Precipipation)कृत्रिम वर्षा को मेघों का कृत्रिम बीजारोपण भी कहा जाता है। इसका तात्पर्य वस्तुतः उस प्रक्रिया से है जिसमें एक विशेष प्रकार के मेघों को संतृप्त करके वर्षा कराई जाती है। सिल्वर आयोडाइड' प्रविधि द्वारा कृत्रिम वर्षा हेतु प्रयास किया जाता है। इसमें बहुत ऊँचे तापमान पर गर्म करने पर सिल्वर आयोडाइड वाष्पीकृत हो जाता है एवं शीतल होने पर इसे सिल्वर आयोडाइड के अत्यंत सूक्ष्म कणों (व्यास 0.01 से 0.1 माइक्रॉन) का निर्माण हो जाता है जो धुएँ के रूप में अति शीतलित जल कणों से निर्मित मेघों में जमा हो जाते है। ये -5°C से निम्न तापमान पर अति सूक्ष्म नाभिकों के रूप में कार्य करते है जिन पर हिम का निर्माण होता है। इस प्रकार ये मेघों को हिमकणों से निर्मित मेघों में तत्काल परिवर्तित कर देते है एवं इनके सूक्ष्म कणों पर हिम क्रिस्टलों का विकास होने लगता है। इन सूक्ष्म नाभिकों व हिम कणों को संरचना में समानता होती है, अतः अतिशीलता कपासी वर्षा मेघों में इनके कणों को छोड़े जाने पर गत्यात्मक प्रभाव दिखाई पड़ता है। सिल्वर आयोडाइड को इन मेघों में पहुँचने के लिए पहले इसके घोल को एसीटोन नामक अत्यधिक ज्वलनशील तरल पदार्थ में गर्म किया जाता है जिनसे सूक्ष्म क्रिस्टलों का निर्माण होता है। धरातल पर जेनरेटरों को थोडी-थोडी दूरी पर एक पंक्ति में रखकर यदि कई घंटे तक सिल्वर आयोडाइड को मेघों की ओर छोडा जाये तो मेघों में संतृप्त होने व संघनन की यह प्रक्रिया संभव हो पाती है। वर्षा : महत्वपूर्ण तथ्य
वर्षा कैसे होती है यह कितने प्रकार की होती हैं वर्णन?वायु में मिला जलवाष्प शीतल पदार्थों के संपर्क में आने से संघनन (condensation) के कारण ओसांक तक पहुंचता है। जब वायु का ताप ओसांक से नीचे गिर जाता है, तब जलवाष्प पानी की बूँदों अथवा ओलों के रूप में धरातल पर गिरने लगता है। इसी को वर्षा कहते हैं।
बारिश कैसे होती है?जब कभी नमी वाली गर्म हवा किसी ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आ जाती है तब बारिश होती है। गर्म हवा में ठंडी हवा से ज्यादा पानी इकट्ठा करती है और जब यह हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मैं मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है।
बारिश क्यों और कैसे होती है?जब गर्म नम हवा, ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आती है तब बारिश होती है. गर्म हवा अपने अंदर ठंडी हवा से ज्यादा पानी जमा कर सकती है. और जब ये हवा अपने जमा पानी के साथ ऊंचाई की और जाती है तो ठंडे जलवायु से जाकर मिल जाती है और अपने अन्दर जमा पानी के भारी हो जाने से उसे नीचे गिरा देती है.
भारत में वर्षा कैसे होती है?भारत में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर होती है। जिसमें 75 प्रतिशत दक्षिणी-पश्चमी मानसून (जून से सितंबर),13 प्रतिशत उत्तरी-पूर्वी मानसून (अक्टूबर से दिसंबर),10 प्रतिशत मानसून पूर्व स्थानीय चक्रवातों द्वारा (अप्रैल से मई) तथा 2 प्रतिशत पश्चिमी विक्षोभ (दिसंबर से फरवरी) के कारण होती है।
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