प्रश्न 2: ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’ – कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है? उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने यह बताया है कि वह ये नहीं चाहता कि भगवान आकर उसकी मदद करें। वह भगवान को किसी भी काम के लिए परेशान नहीं करना चाहता अपितु स्वयं हर चीज का सामना करना चाहता है। प्रश्न 3: कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है? उत्तर: जब किसी काम में उसे किसी की मदद न भी मिले तो भी उसका पुरुषार्थ अडिग रहना चाहिए। प्रश्न 4: अंत में कवि क्या अनुनय करता है? उत्तर: जब मेरे दिन बहुत बुरे चल रहे हों और पूरी दुनिया मुझ पर अंगुली उठा रही हो तब भी ऐसा न हो कि मैं तुमपर कोई शक करूँ। इस तरह से कवि भगवान से यह भी अनुरोध करता है चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न आ जाएँ, उसका विश्वास भगवान में हमेशा बना रहे। प्रश्न 5: ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। उत्तर: आत्मत्राण का मतलब है अपने आप को किसी भी स्थिति में ऊपर उठाना। इस कविता में कवि ने अपने सब कार्य स्वयं करने की बात की है। भगवान से मदद के नाम पर वह केवल इतना चाहता है कि भगवान उसके मनोबल को बढ़ाए रखें। दूसरे शब्दों में अपनी सभी जिम्मेदारियाँ वह स्वयं ही निभाना चाहता है। इसलिए ‘आत्मत्राण’ शीर्षक इस कविता के लिए बिलकुल सही है। प्रश्न 6: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए। उत्तर: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं हर संभव प्रयास करता हूँ। मैं किसी भी काम में अपनी पूरी लगन और हुनर लगा देता हूँ। प्रश्न 7: क्या कवि की ये प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे? उत्तर: अधिकतर प्रार्थनाओं में भगवान से कुछ न कुछ माँगा जाता है। इसके अलावा भगवान के रूप और उसकी शक्तियों की प्रशंसा की जाती है। इस कविता में कवि ने भगवान से कुछ भी नहीं माँगा है। साथ में वे भगवान की बिना मतलब की तारीफों के पुल भी नहीं बाँध रहे हैं। निम्नलिखित अंशों के भाव स्पष्ट कीजिए:प्रश्न 1: नव शिर होकर सुख के दिन में उत्तर: इन पंक्तियों में ये संदेश दिया गया है कि सफलता के नशे में चूर होकर ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। हर उस व्यक्ति को याद रखना चाहिए जिसने आपको सफल बनाने में थोड़ा भी योगदान दिया हो। प्रश्न 2: हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही उत्तर: लाभ की जगह कभी हानि भी हो जाए तो भी मन में अफसोस नहीं होना चाहिए। नफा नुकसान जिंदगी में लगे ही रहते हैं। जरूरी नहीं कि हर वक्त किसी को लाभ ही हो। हानि के समय भी हिम्मत न टूटे ऐसा ईश्वर से विनती है। प्रश्न 3: तरने की हो शक्ति अनामय उत्तर: कवि ये नहीं चाहता है कि भगवान उसकी जिम्मेदारियों को कम कर दें। बल्कि वह तो ये चाहता है कि भगवान उसमें उन जिम्मेदारियों को उठाने की भरपूर शक्ति दे दें। These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. (ख) निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. |