इस लेख में आप विशेष लेखन के स्वरूप, प्रकार और उसके क्षेत्र का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। Show
विशेष लेखन किसे कहते हैं ? इसके अंतर्गत किन लेखों को लिखा जाता है ? यह सभी आप अंत तक जान जाएंगे। यह लेख विद्यार्थियों की परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। अतः विद्यार्थी इस लेख का ध्यान पूर्वक अध्ययन कर सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकते हैं। विशेष लेखन स्वरूप और प्रकारविशेष लेखन – समाचार पत्र सामान्य समाचारों के अलावा साहित्य , विज्ञान , खेल इत्यादि की भी पर्याप्त जानकारी देते हैं। इसी कार्य के अंतर्गत जब किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर लेखन किया जाए तो उसे विशेष लेखन कहते हैं। डेस्क – समाचार पत्र-पत्रिकाओं , रेडियो और टीवी में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क का होता है। उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है। जिनसे अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उसकी विशेषज्ञता होगी विशेष लेखन के क्षेत्रविशेष लेखन के कई क्षेत्र हैं :-
बीट रिपोर्टिंगसंवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। एक संवाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अर्थ है कि वह अपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होगा। विशेष लेखन केवल भी रिपोर्टिंग नहीं है। अब बीट रिपोर्टिंग के आगे एक तरह की विशेष कृति रिपोर्टिंग है , जिसमें ना सिर्फ उस विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसके रिपोर्टिंग से संबंधित भाषा और शैली पर भी पूरा अधिकार होना चाहिए। बीट रिपोर्टिंग और विशेष कृत रिपोर्टिंग में अंतर
विशेष लेखन के अंतर्गत रिपोर्टिंग के अलावा विशेष विषय पर फीचर , टिप्पणी , साक्षात्कार , लेख , समीक्षा और स्तंभ भी आते हैं।
पत्र-पत्रिकाओं को विशेष लेख लिखने वाले सामान्यतः पेशेवर पत्रकार ना होकर विषय विशेषज्ञ होते हैं। जैसे खेल के लिए हर्षा भोगले , जसदेव सिंह और नरोत्तम पूरी आदि प्रसिद्ध है विशेष लेखन की भाषा शैली –विशेष लेखन में हर क्षेत्र की विशेष तकनीकी शब्दावलीयों का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। विषय अनुसार उल्टा पिरामिड या फीचर शैली का प्रयोग हो सकता है। पत्रकार चाहे कोई भी शैली अपनाएं लेकिन उसे यह ध्यान में रखना होता है कि खास विषय में लिखा गया आलेख सामान्य से अलग होना चाहिए। विशेषज्ञता का अभिप्राय –व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षित ना होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव के आधार पर अपनी समझ को इस हद तक विकसित करना कि सूचनाओं की सहजता से व्याख्या कर पाठकों को उसके मायने समझा सके। विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए स्वयं को अपडेट रखना चाहिए।
कुछ वर्षों में सबसे अधिक महत्व पूर्ण रूप से उभरने वाली पत्रकारिता आर्थिक पत्रकारिता है। क्योंकि देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच रिश्ता गहरा हुआ है। आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की तुलना में काफी जटिल होती है। क्योंकि आम लोगों को इसकी शब्दावली का मतलब नहीं पता होता। आर्थिक पत्रकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है होती है कि वह किसी प्रकार सामान्य पाठक और जानकार पाठक दोनों को भलीभांति संतुष्ट कर पाता है। किसी भी लेखन को विशिष्टता प्रदान करने के लिए महत्व रखने वाली बातें है कि हमारी बात पाठक श्रोता तक पहुंच रही है या नहीं। तथा तथ्यों और तर्कों में तालमेल है या नहीं। विशेष लेखन प्रश्न उत्तर ( Vishesh lekhan Question and Answer )1 प्रश्न – विशेष लेखन किसे कहते हैं ? इसके प्रमुख तथा उसमें प्रयोग होने वाली भाषा शैली के बारे में लिखें। उत्तर – समाचार पत्रों में सामान्य समाचारों के अलावा साहित्य , विज्ञान , खेल इत्यादि की भी पर्याप्त जानकारी मिलती है। इसी कार्य के अंतर्गत जब किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर विशेष लेखन किया जाता है उसे विशेष लेखन कहते हैं। विशेष लेखन के प्रमुख क्षेत्र – अर्थ , व्यापार , खेल , मनोरंजन , विज्ञान-प्रौद्योगिकी , कृषि , विदेश , पर्यावरण , रक्षा , कानून , स्वास्थ्य आदि। विशेष लेखन की भाषा शैली – विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। यह उल्टा पिरामिड या फीचर शैली दोनों में लिखा जाता है यह विषय अनुसार निर्धारित होती है। विशेष लेखन में हर क्षेत्र के विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग होता है जैसे –
2 प्रश्न – विशेष लेखन में बीट तथा डेस्क का का अर्थ तथा महत्व बताइए।उत्तर – बीट समाचार पत्रों तथा रेडियो , टेलीविजन में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क का होता है और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है। जिनसे यह अपेक्षा की जाती है कि उन्हें अपने विषय की पूरी जानकारी हो। इन्हीं डेस्को पर काम करने वाले संवाददाता के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। यदि एक संवाददाता की खेल है तो उसे उस क्षेत्र की सभी खेल संबंधी रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। 3 प्रश्न – विशेष लेखन क्या है ?उत्तर – किसी भी क्षेत्र में विशेष रुप से लेखन करना विशेष लेखन कहलाता है। आप अखबार या पत्र-पत्रिका को देखते हैं उसमें खेल , अर्थव्यवस्था , पर्यावरण आदि विषयों के लिए विशेष प्रकार का लेखन प्रकाशित होता है। उस अंश को ही विशेष लेखन कहा जाता है। 4 प्रश्न – जनसंचार माध्यमों में अलग डेस्क की व्यवस्था किसके लिए की जाती है ? उत्तर – जनसंचार माध्यमों में विशेष रूप से अलग डेस्क की व्यवस्था की जाती है। यह डेस्क विभिन्न प्रकार के श्रेणियों में विभाजित होता है। इस पर कार्य करने वाले संवाददाता या रिपोर्टर विशेष क्षेत्र में रूचि लेने वाले होते हैं। उनका एक विशेष क्षेत्र निर्धारित होता है। यह उन्हीं विषयों को अध्ययन करते हैं तथा उस पर रिपोर्टिंग करते हैं। यह विशेष क्षेत्र – कृषि , खेल , विज्ञान , योग आदि कोई एक होता है। 5 प्रश्न – बीट से आप क्या समझते हैं ?उत्तर – बीट को साधारण शब्दों में कहा जाए तो एक विशेष चिन्हित क्षेत्र होता है। जिसमें रिपोर्टिंग करने वाला पत्रकार विशेष रूचि तथा जानकारी रखता है। यह क्षेत्र जनसंचार माध्यम में बीट कहलाता है। 6 प्रश्न – बीट रिपोर्टिंग और विशेष कृत रिपोर्टिंग में अंतर बताइए। 7 प्रश्न – विशेष संवाददाता किसे कहते हैं ? उत्तर – विशेष संवाददाता उन्हें कहा जाता है, जो विशेष प्रकार की रिपोर्टिंग करते हैं। यह उस रिपोर्टर का मनपसंद क्षेत्र होता है , उसके रूचि का क्षेत्र होता है। उस क्षेत्र में रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को ही विशेष संवाददाता कहते हैं। संवाददाता का साधारण अर्थ है संवाद देने वाला। 8 प्रश्न – बीट कवर करने वाला क्या कहलाता है ? 9 प्रश्न – अखबारों में विशेष लेख लिखने वाले कौन होते हैं ? उत्तर – अखबारों में विशेष लेख लिखने वाले उस क्षेत्र के प्रख्यात व्यक्ति होते हैं , जिनका उस क्षेत्र में वर्षो का अनुभव होता है। जैसे खेल के क्षेत्र में हर्षा भोगले हो सकते हैं। उसी प्रकार अन्य क्षेत्र में विशेष रिपोर्टिंग करने वाले उस क्षेत्र के जाने-माने व्यक्ति तथा जानकार होते हैं। 10 प्रश्न – विशेष लेखन की भाषा शैली की क्या विशेषता है ?उत्तर – विशेष लेखन करते समय हमें उस विशेष क्षेत्र के शब्दावलीयों से परिचित होना चाहिए। उन सभी शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए जो उस क्षेत्र से संबंधित हो। अगर आप अर्थव्यवस्था पर यह लेख कर रहे हैं तो सेंसेक्स उछला , चांदी लुढ़की , सोने की चमक फीकी , अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरी। इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। 11 प्रश्न – विशेष लेखन के अंतर्गत आने वाले कोई चार क्षेत्रों के नाम लिखिए। उत्तर – इसके अंतर्गत कुछ विषय हो सकते हैं – खेल , पर्यावरण , कृषि , योग , अर्थव्यवस्था , बाजार , राजनीति आदि। 12 प्रश्न – व्यापार , कारोबार से संबंधित भाषा के दो उदाहरण लिखिए। 13 प्रश्न – पत्रकारीय विशेषज्ञता से आप क्या समझते हैं ? 14 प्रश्न – विशेष लेखन के कौन से क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक बड़ा है और क्यों ? 15 प्रश्न – विशेष लेखन के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए क्या आवश्यक है ? 16 प्रश्न – सामान्य पत्रकारिता की तुलना में कौन सी पत्रकारिता जटिल है ? 17 प्रश्न – आर्थिक पत्रकारिता को किस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए ? 18 प्रश्न – कौन सी बात किसी भी लेखन को विशिष्ट बनाती है ? सम्बन्धित लेखो का भी अध्ययन करें पत्रकारिता के विविध आयाम उल्टा पिरामिड शैली अभिव्यक्ति और माध्यम ( class 11 and 12 ) Sampadak ko Patra jansanchar madhyam class 11 निष्कर्ष –उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि विशेष क्षेत्र में रिपोर्टिंग को ही विशेष रिपोर्टिंग कहा जाता है। यह रिपोर्टिंग किसी भी क्षेत्र का हो सकता है जो व्यक्ति कि आप पत्रकार उस क्षेत्र में लंबे अरसे का अनुभव रखता हो या उस में रुचि रखता हो। वह इस प्रकार की रिपोर्टिंग करता है। समाचार अखबार आदि में आए दिन हम देखते हैं एक विशेष प्रकार की रिपोर्टिंग होती है जो – खेल , अर्थव्यवस्था , योग आदि पर आधारित होता है इन्हें ही हम विशेष रिपोर्टिंग कहते हैं। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो , आपके ज्ञान की वृद्धि हो सकी हो। किसी भी प्रकार के प्रश्न के लिए आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर संपर्क कर सकते हैं। आपके पूछे गए प्रश्नों को तत्काल समाधान के लिए प्रस्तुत रहेंगे। विशेष लेखन से आप क्या समझते?विशेष लेखन क्या है? अखबारों के लिए समाचारों के अलावा खेल, अर्थ-व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों संबंधित घटनाएँ, समस्याएँ आदि से संबंधित लेखन विशेष लेखन कहलाता है। इस प्रकार के लेखन की भाषा और शैली समाचारों की भाषा-शैली से अलग होती है।
विशेष लेखन का क्या अर्थ है यह कैसे लिखा जाता है?दरअसल, विशेष लेखन का संबंध जिन विषयों और क्षेत्रों से है, उनमें से अधिकांश तकनीकी रूप से जटिल क्षेत्र हैं और उनसे जुड़ी घटनाओं और मुद्दों को समझना आम पाठकों के लिए कठिन होता है। इसलिए इन क्षेत्रों में विशेष लेखन की ज़रूरत पड़ती है जिससे पाठकों को समझने में मुश्किल न हो ।
विशेष रिपोर्ट क्या है इसके सभी प्रकार का उल्लेख करें?विशेष रिपोर्ट किसे कहते हैं रिपोर्ट कितने प्रकार की होती है? इसे सुनेंरोकेंआमतौर पर विशेष रिपोर्ट को उलटा पिरामिड शैली में ही लिखा जाता है लेकिन विषयानुसार फीचर शैली का भी प्रयोग होता है। रिपोर्ट बड़ी हो तो उसे श्रृंखलाबद्ध कर कई किस्तों में छापा जाता है। विशेष रिपोर्ट की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की होनी चाहिए।
विशेष लेखन के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?डेस्क : समाचारपत्र, पत्रिकाओं टीवी और रेडियो चैनलों में अलग- अलग विषयों पर विशेष लेखन के लिए निर्धारित स्थल को डेस्क कहते हैं। और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का भी अलग समूह होता है । यथा, व्यापार तथा कारोबार के लिए अलग तथा खेल की खबरों के लिए अलग डेस्क निर्धारित होता है । "
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