विशेष शिक्षा के उद्देश्य क्या है? - vishesh shiksha ke uddeshy kya hai?

विशिष्ट शिक्षा (Special Education)शिक्षा शास्त्र की एक ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है जो सामान्य बच्चों से शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विशेषताओं में थोड़े अलग होते हैं | विशेष बच्चे (Special Child) कहने का तात्पर्य यह हुआ की ऐसे बच्चें या तो सामान्य बच्चों से अधिक प्रतिभाशाली (Brilliant) होते हैं या उनसे काफी कम | ऐसे बच्चों की आवश्यकतायें भी विशिष्ट (Specific) होती है | इसलिए वह विशेष आवश्यकता वाले बच्चे कहलाते हैं | ऐसे बच्चे अपनी सहायता स्वयं नहीं कर पाते हैं | अतः इनको विशिष्ट शिक्षा प्रदान कर इनकी सहायता की जाती है | विशिष्ट शिक्षा का प्रयोग सामान्यतः उन बच्चों के लिए किया जाता है जो किसी विकलांगता से ग्रस्त होते हैं जैसे – अंधापन, बहरापन, मंदबुद्धि या शारीरिक विकलांग आदि | वर्तमान में ऐसे बच्चों को दिव्यांग (Handicapped) कहकर सम्बोधित किया जाता है |

परिभाषाएं (Definition) – कर्क के अनुसार, “विशेष शिक्षा शब्द ऐसे शिक्षा को कहते हैं जिसे विकलांगता एवं प्रतिभाशाली बच्चों के लिए किया जाता है | लेकिन औसत बालकों के मामले में या प्रयुक्त नहीं होता है | विकलांग शिक्षा अधिनियम के अनुसार, “विशिष्ट शिक्षा-विशिष्ट रूप से डिजाइन किया गया अनुदेश है जो विकलांग बच्चों की अतुलनीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता हो | इसमें वर्ग कक्ष अनुदेश, अस्पतालीय एवं संस्थानिक अनुदेश भी शामिल है |”

विशिष्ट शिक्षा की विशेषताएं (Characteristics of Special Education)

विशिष्ट शिक्षा की निम्नलिखित विशेषताएं हैविशेष शिक्षा विशेष बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करती है, चाहे वह बच्चा प्रतिभाशाली हो या पिछड़ा |

विशिष्ट शिक्षा विशेष बच्चों से समाज के साथ समायोजन में सहायता करती है |

विशेष शिक्षा (Special Education) विशिष्ट बालकों (Special Child) को आत्मनिर्भर बनाती है |

विशेष शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेष शिक्षा सामग्री, विशेष पाठ्यक्रम व विशेष प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापकों की आवश्यकता होती है |

यह शिक्षा बालकों की क्षमताओं योग्यताओं रुचियां को ध्यान में रखकर दी जाती है |

प्रत्येक नागरिक को सामान्य शिक्षा लेने का अधिकार है उसी प्रकार विशिष्ट बालकों को विशेष शिक्षा का अधिकार है |

विशिष्ट शिक्षा विशिष्ट बच्चों के हर पक्ष का विकास करती है जैसे – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक |

विशेष शिक्षा दिव्यांग बालकों के लिए शिक्षण विधियों पर जोर देती है |

भारत के संबंध में विशेष शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Special Education in Indian context) भारत में विशेष बच्चों (दिव्यांग बच्चों) को अभिशाप के रूप में देखा जाता रहा है | क्योंकि ऐसे बच्चें भारतीय समाज में ईश्वर की नाराजगी के रूप में देखे जाते है | प्रायः गरीब परिवार इनको परिवार और समाज पर बोझ के समान देखते हैं | क्योंकि ऐसे बच्चे न तो घर और समाज का कल्याण कर सकते और न अपने आप को | कई परिवार इनके जन्म लेते ही मरने की कामना करने लगते हैं | अतः ऐसे बच्चे परिवार और समाज पर बोझ न बने | उसके लिए ही विशिष्ट शिक्षा (Special Education) की व्यवस्था की गई है | विशिष्ट शिक्षा पाकर ये बच्चे आत्मनिर्भर बन रहे है | विशिष्ट शिक्षा (Special Education) के कई उद्देश्य निर्धारित किये गए है जोकि निम्नलिखित हैं -विशेष शिक्षा का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग (Handicapped) बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है |

बच्चों में व्यक्तिगत, सामाजिक एवं भावी रोजगार की दक्षता व क्षमता का विकास करना |

जो दिव्यांग बच्चे मुख्यधारा से पिछड़ गए हैं उन्हें मुख्यधारा में जोड़ना |

दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा की कक्षा में दाखिले के लिए योजना एवं कार्यक्रम का निर्माण करना |

दिव्यांग स्कूली बच्चों की शक्तियों (Powers) एवं कमजोरियों (Weaknesses) की पहचान करना |

सामान्य कक्षाओं (Common Classes) में भी दिव्यांग बच्चों के लिए पढ़ने लिखने की व्यवस्था करना |

सामान्य कक्षाओं के शिक्षकों और छात्रों को दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए मानसिक तौर पर तैयार करना |

प्रत्येक दिव्यांग बच्चे की वर्तमान क्रियाकलापों का आकलन करना |

दिव्यांग बच्चों के लक्ष्य का निर्धारण करना |

बच्चों के लक्ष्य निर्धारण में माता-पिता की भागीदारी सुनिश्चित करना

दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षण अधिगम सामग्री (Teaching learning material) का निर्माण करना

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मै साधारण और सरल स्वभाव का व्यक्ति हूँ मेरी लेखन के क्षेत्र में बचपन से रुचि है वर्तमान में मै कांम्पटीसन कोचिंग सेंटर चलाता हूँ ramkrishna garg द्वारा सभी पोस्ट देखें

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विशिष्ट उद्देश्य से आप क्या समझते हैं?

किसी कार्य को करने के पीछे निहित कारणों को उद्देश्य तथा उस कार्य को सम्पन्न करने हेतु उसकी विविध पक्षीय क्रियाओं पर पूर्व-चिन्तन तथा निश्चयन को विशिष्ट उद्देश्य कहते हैं

भारतीय संदर्भ में विशेष शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य क्या होने चाहिए?

विशिष्ट शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं (i) वर्ग-कक्षा में विकलांग बच्चों के शिक्षण अधिगम एवं कौशल का आकलन करना। (ii) नियमित कक्षाओं में विकलांग बच्चों के सुव्यवस्थित रूप से पढ़ने-लिखने संबंधी भौतिक एवं अकादमिक अनुकूलन की पहचान करना। (iii) नि:शक्त स्कूली बच्चों की शक्तियों एवं कमजोरियों की पहचान करना।

शिक्षा क्षेत्र का उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मुताबिक, शिक्षा के व्यापक लक्ष्य हैं, बच्चों के भीतर विचार और कर्म की स्वतंत्रता विकसित करना, दूसरों के कल्याण और उनकी भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना, और बच्चों को नई परिस्थितियों के प्रति लचीले और मौलिक ढंग से पेश आने में मदद करना।

शिक्षा से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं लिखिए?

शिक्षा की प्रमुख विशेषता है कि यह एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है, जो जन्म से आरम्भ होकर मृत्यु तक चलती रहती है। शिक्षा केवल शिक्षण- संस्थाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों से सम्बद्ध प्रक्रिया है और यह किसी भी स्थान पर प्राप्त की जा सकती है। शिक्षा चेतन रूप से चलने वाली प्रक्रिया है।