विश्वकर्मा जी कौन सी जाति के थे? - vishvakarma jee kaun see jaati ke the?

उप्र में जमींनदारी प्रथा की समाप्ति और और भूमि प्रबंधक समिति के गठन के बाद आठ जातियों जिनमें लोहार, स्वर्णकार, बढई, कुम्हार, रजतकार, नाई, धोबी एवं मोची शामिल हैं, को भूमिहीन जातियों के रूप में चयन किया गया। लेकिन, सरकार ने इनके भरण पोषण के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसमें दो जातियां धोबी और मोची को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया गया है, जबकि शेष जातियों को भटकना पड़ रहा है।

इसी परेशानी को लेकर भारतीय पंचाल विश्वकर्मा समाज के प्रांतीय अध्यक्ष श्याम सुन्दर विश्वकर्मा ने राष्ट्रपति से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक पत्र लिखकर अनुसूचित जाति में शामिल करने मांग की है। श्यान सुंदर ने बताया कि बिहार सरकार ने भी लोहार को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल कर प्रमाण पत्र तक जारी कर दिया है, लेकिन राज्य सरकार सुध नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार विश्वकर्मा उपजातियों को दो माह में सामाजिक न्याय नहीं मिला, तो विश्वकर्मा समाज विवश होकर न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा और विधानभवन का घेराव कर धरना प्रदर्शन करेगा।।

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इसे सुनेंरोकेंविश्वकर्मा एक भारतीय उपनाम है जो मूलतः शिल्पी (क्राफ्ट्समैंन) लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विश्वकर्मा ब्राह्मण जाति से भी संपर्क रखते है विश्वकर्मा पुराण के मुताबिक विश्वकर्मा जन्मों ब्राह्मण: मतलब ये जन्म से ही ब्राह्मण होते ।

क्या लोहार ब्राह्मण है?

इसे सुनेंरोकेंहथौड़ा, छेनी, धौंकनी आदि औजारों का पयोग करके लोहार फाटक, ग्रिल, रेलिंग, खेती के औजार, बर्तन एवं हथियार आदि बनाता है। भारत में लोहार एक प्रमुख व्यावसायिक जाति है। जाति के आधार से लोहार पिछड़े वर्ग में आता है और वर्ण के अनुसार शूद्र वर्ण में आता है।

लोहार जाति कौन सी कास्ट में आती है?

इसे सुनेंरोकेंकोर्ट ने ‘लोहार’ को अनुसूचित जनजाति माना।

पंचाल कौन सी जाति होती है?

इसे सुनेंरोकेंपांचाल भारतीय हस्तशिल्पकार जाति समूहों के लिए उपयोग किया जाने वाला सामूहिक शब्द है। लुई ड्यूमॉन्ट के अनुसार, यह पंच शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है पाँच, और उन समुदायों को संदर्भित करता है, जिन्होंने पारंपरिक रूप से लोहार, बढ़ई, सुनार के रूप में काम किया है। इन समूहों में दक्षिण भारत के लोहार और सुथार शामिल हैं।

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विश्वकर्मा जाति में कितने गोत्र होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमिस्त्री ,२ लोहार ,३ कुम्भार ४ सोनार तथा ५ मूर्तिकार ।

सबसे उत्तम जाति कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंभारत की सबसे ताकतवर जाति ब्राह्मण है जो पूरे भारतवर्ष पर अपनी अच्छी पकड़ रखता है, ब्राह्मण जाति के लोगों के पास अत्यंत बुद्धि और साहस बल होता है जिसकी वजह से यह जाति सर्वश्रेष्ठ है।

लोहार जाति की कुलदेवी कौन है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में निवास करने वाले अधिकांश लोहार हिंदू धर्म को मानते हैं. यह भगवान विश्वकर्मा और हिंदू अन्य देवी देवताओं की पूजा करते हैं. धार्मिक आधार पर हिंदू लोहार को विश्वकर्मा के रूप में जाना जाता है, जबकि मुस्लिम लोहार सैफी कहलाते हैं। यह भगवान विश्वकर्मा के वंशज होने का दावा करते हैं.

लोहार जाति को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंभारत में लोहार एक प्रमुख व्यावसायिक जाति है। लोहार या ‘लुहार’ (अंग्रेज़ी: Blacksmith) उस व्यक्ति को कहते हैं, जो लोहा या इस्पात का उपयोग करके विभिन्न वस्तुएँ बनाता है। हथौड़ा, छेनी, धौंकनी आदि औजारों का पयोग करके लोहार फाटक, ग्रिल, रेलिंग, खेती के औजार, बर्तन एवं हथियार आदि बनाता है।

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पांचाल देश कहाँ है?

इसे सुनेंरोकेंपांचाल या पञ्चाल राज्य प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। यह उत्तर में हिमालय के भाभर क्षेत्र से लेकर दक्षिण में चर्मनवती नदी के उत्तरी तट के बीच के मैदानों में फैला हुआ था। इसके पश्चिम में कुरु, मत्स्य तथा सुरसेन राज्य थे और पूर्व में नैमिषारण्य था।

सुथार जाति की उत्पत्ति कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंसुथार समाज के बारे में जानकारी:- इनकी उत्पत्ति विश्वकर्मा से मानी जाती है । कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्होंने अपने पोते विश्वकर्मा से महल, मकान और नगर बनाने के लिये कहा । विश्वकर्मा ने कहा कि मुझे इनकी तरकीब बताओ । तब ब्रह्माजी ने उसे नक्शा बनाकर दिया ।

विश्वकर्मा के कितने गोत्र हैं?

इसे सुनेंरोकेंइन्ही सानग, सनातन, अहमन, प्रत्न और सुपर्ण नामक पाँच गोत्र प्रवर्तक ऋषियों से प्रत्येक के पच्चीस-पच्चीस सन्ताने उत्पन्न हुई जिससे विशाल विश्वकर्मा समाज का विस्तार हुआ है ।

विश्वकर्मा के कितने पुत्र थे?

इसे सुनेंरोकेंविश्वकर्मा जी की वंश बेल उनके पांच पुत्र क्रमश: मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ थे। ये समस्त पुत्र शिल्पशास्त्र में निष्णात् थे। मनु विश्वकर्मा सानग गोत्रीय हैं। ये लौह-कर्म के अधिष्ठाता थे, तो ऋषि मय मूलत: सनातन गोत्र के दूसरे पुत्र थे, जो कुशल काष्ठ शिल्पी थे।

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बढ़ई जाति का गोत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस समाज के लोगों यह दावा करते हैं कि 5000 साल पहले यह ब्राह्मण होते थे और इन्हें जन्मजात आविष्कारक माना जाता था. 6. भारत में इनकी अनुमानित जनसंख्या लगभग 6-8% है. अलग-अलग राज्यों में है अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- बढई, शर्मा, मिस्त्री, ठाकुर, राणा, धीमान, सुथार, सुतार, विश्वकर्मा आदि.

विश्वकर्मा का जन्म कब हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंभारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों का निर्धारण चंद्र कैलेंडर के मुताबिक किया जाता है, किंतु नवीन मतानुसार विश्वकर्मा जयंती 17 फरवरी 2019 को मनाई जाएगी। इस संबंध में ऐसी मान्यता है कि माघ माह की त्रयोदशी के दिन विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था।

विश्वकर्मा भगवान की पत्नी का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंकथा मिलती है कि भगवान विश्‍वकर्मा की पत्‍नी आकृति हैं। इनके अलावा उनकी अन्‍य 3 पत्नियां थीं रति, प्राप्ति और नंदी। विश्‍वकर्मा के मनु चाक्षुष, शम, काम, हर्ष, विश्‍वरूप और वृत्रासुर नाम के 6 पुत्र हुए।

क्या विश्वकर्मा ब्राह्मण है या नहीं?

विश्वकर्मा एक भारतीय उपनाम है जो मूलतः शिल्पी (क्राफ्ट्समैंन) लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विश्वकर्मा ब्राह्मण जाति से भी संपर्क रखते है विश्वकर्मा पुराण के मुताबिक विश्वकर्मा जन्मों ब्राह्मण: मतलब ये जन्म से ही ब्राह्मण होते ।

ब्राह्मण और विश्वकर्मा में क्या अंतर है?

धन्यवाद। ये विश्वकर्मा ही हैं. जबरन खुद को ब्राम्हण बताते हैं. विश्वकर्मा ब्राह्मण सबसे ऊंच ब्राह्मण है ब्रह्मांड पुराण स्कंद पुराण विश्वकर्मा पुराण तथा वेदो आदि आदि पुराणों में वर्णित इतिहासिक ज्ञान के अनुसार विश्वकर्मा ब्राह्मण उच्च ब्राह्मण हैं ।

विश्वकर्मा का गोत्र क्या होता है?

विश्वकर्मा पंचमुख है। उनके पाँच मुख है जो पुर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऋषियों को मत्रों व्दारा उत्पन्न किये है। उनके नाम है – मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ। ऋषि मनु विष्वकर्मा - ये "सानग गोत्र" के कहे जाते है

विश्वकर्मा ब्राह्मण श्रेष्ठ क्यों?

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था।