वैष्णो देवी में कौन से कपड़े पहनने चाहिए? - vaishno devee mein kaun se kapade pahanane chaahie?

संवाद सहयोगी, कटड़ा : अचानक में तापमान में हुई बढ़ोतरी के कारण श्रद्धालुओं को मां वैष्णो देवी यात्रा के दौरान हल्की गर्मी का अहसास होने लगा है। इससे स्थानीय निवासियों सहित देशभर से मां के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालु गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए हैं। दिन के समय श्रद्धालुओं को वैष्णो देवी यात्रा के दौरान पसीने से दो-चार होना पड़ रहा है, लेकिन शाम ढलते ही ठंडी हवा मौसम को सुहावना बना देती है। वर्तमान में 10 से 15000 श्रद्धालु रोजाना मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए आधार शिविर कटड़ा पहुंच रहे हैं।

मार्च माह के पहले सप्ताह में ही अचानक तापमान में बढ़ोतरी को लेकर हर कोई हैरान है। जिस तरह की गर्मी का अहसास हो रहा है, ऐसे गर्मी का अहसास अप्रैल माह में ही होता था। परंतु इस बार फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े से ही गर्मी का अहसास होने लगा था। लगातार साफ मौसम के चलते श्रद्धालुओं को फिलहाल वैष्णो देवी यात्रा के दौरान किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं को सभी तरह की सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। इनमें मुख्यता हेलीकॉप्टर सेवा, बैटरी कार सेवा, पैसेंजर केबल कार सेवा के साथ ही मा वैष्णो देवी भवन पर रहने की व्यवस्था तो दूसरी ओर मा वैष्णो देवी की सुबह व शाम होने वाली दिव्य आरती में शामिल होने को लेकर भी श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो रही है।

प्राचीन गुफा से मां के दर्शन कर रहे श्रद्धालु

नगर के व्यापारी वर्ग को उम्मीद है कि आगामी मा से मा वैष्णो देवी यात्रा में बढ़ोतरी होगी, जिसका फिलहाल बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। 3 मार्च को करीब 13000 श्रद्धालुओं ने मा वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाई थी तो वहीं 4 मार्च को दोपहर 1:00 बजे तक करीब 7000 श्रद्धालु मा वैष्णो देवी भवन की ओर प्रस्थान कर चुके थे और श्रद्धालुओं का आना जारी था। वर्तमान में मा वैष्णो देवी यात्रा को लेकर श्रद्धालु फूले नहीं समा रहे हैं, क्योंकि श्रद्धालुओं को मा वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शन के साथ ही प्राचीन गुफा तथा पवित्र गर्भ जून गुफा के लिए निरंतर दर्शन हो रहे हैं।

ईश्‍वर की आराधना का सबसे सरल मार्ग है पूजा करना। पूजा करने से ईश्‍वर तुरंत प्रसन्‍न होते हैं और अपने भक्‍तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। शास्‍त्रों में पूजन के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं जिनका पालन ना करने से पूजन का पूरा फल नहीं मिल पाता है।

भगवान वराह ने वराहपुराण में पूजन के नियमों का उल्‍लेख किया है जिनके अनुसार पूजन में कुछ विशेष रंग के कपड़े पहनकर नहीं बैठना चाहिए। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि पूजन में किस रंग के कपड़ों को वर्जित माना गया है।

वैष्णो देवी में कौन से कपड़े पहनने चाहिए? - vaishno devee mein kaun se kapade pahanane chaahie?

ये दो रंग हैं अशुभ

पूजन में नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इन दो रंगों को शुभ कार्यों के लिए अमंगलकारी माना जाता है। पूजा में रंगों का बहुत महत्‍व माना जाता है। अगर आप रंगों का ध्‍यान नहीं रखेंगें तो हो सकता है आपके ईष्‍ट देवता आपसे रुष्‍ट हो जाएं।

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किस देवता की पूजा में पहनें कौन-सा रंग

  • भगवान शिव की पूजा में काले रंग के कपड़े बिलकुल ना पहनें। ये रंग शिव जी को बिलकुल भी पसंद नहीं है। अगर आप सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो उस दिन तो ये रंग बिलकुल ना पहनें। शिव पूजन में हरे या अन्‍य किसी रंग के वस्‍त्र धारण किए जा सकते हैं।
  • हनुमान जी की पूजा में नांरगी रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए।
  • अगर आप बुधवार का व्रत या भगवान गणेश का पूजन कर रहे हैं तो इसमें हरे रंग के वस्‍त्र पहनकर बैठना शुभ रहता है। इससे भगवान गणेश जल्‍दी आपसे प्रसन्‍न होते हैं।
  • भगवान विष्‍णु जी, साईं बाबा या बृहस्‍पतिवार के व्रत में पीले रंग के वस्‍त्र धारण करें। इसके अलावा सुनहरा, गुलाबी या नारंगी रंग भी पहन सकते हैं।
  • शुक्रवार के व्रत या मां लक्ष्‍मी के पूजन में आप काले रंग को छोड़कर किसी भी रंग के वस्‍त्र पहन सकते हैं।
  • शनि देव को काला रंग पसंद है इसलिए इनके पूजन में या शनिवार के व्रत या पूजन आदि में काले रंग के वस्‍त्र पहनकर बैठ सकते हैं।

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पूजन के अन्‍य नियम

  • जो व्‍यक्‍ति अपराध से कमाए गए धन से ईश्‍वर की पूजा करता है उसे पूजा नहीं अपराध माना जाता है।
  • शव को स्‍पर्श करने के बाद बिना स्‍नान किए पूजा करना भी विफलकारी होता है। ईश्‍वर को ये पूजा स्‍वीकार्य नहीं होती है।
  • संभोग के पश्‍चात् स्‍नान किए बिना भी पूजन करना अपराध की श्रेणी में आता है।
  • क्रोध में आकर उपासना करना भी भगवान स्‍वीकार नहीं करते हैं।
  • अंधेरे में भगवान की मूर्ति या तस्‍वीर को स्‍पर्श करना या पूजा करना दोनों ही अपराध माना गया है।
  • घंटी या शंख के बिना पूजा करने से भी भगवान नाराज़ हो सकते हैं।
  • पूजन से पूर्व बेमतलब की बातें करना भी उचित नहीं माना जाता है।
  • कुछ खाने के बाद बिना कुल्‍ला किए भी पूजा नहीं करनी चाहिए। ऐसी पूजा का फल नहीं मिलता है।

पीला रंग होता है सबसे ज्‍यादा शुभ

ईश्‍वर की पूजा एवं उपासना में पीले रंग या केसरिया रंग के कपड़े पहनना ज्‍यादा शुभ माना जाता है। ज्‍योतिष के अनुसार पीले रंग को देवताओं के गुरु बृहस्‍पति देव से संबंधित माना जाता है। गुरु ग्रह अध्‍यात्‍म और धर्म का कारक ग्रह हैं। मान्‍यता है कि पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनने से मन स्थित रहता है और मन में सकारात्‍मक विचार आते हैं। वहीं केसरिया और पीले रंग को अग्नि का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में पीला और केसरिया रंग को बहुत पवित्र माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पीला रंग पहनने से मन में पवित्र विचार आते हैं। काले रंग को देखकर मन में नकारात्‍मक भाव आते हैं जबकि पीले रंग को देखकर मन में सकारात्‍मक भाव आते हैं। इसी वजह से पूजा में पीले रंग के वस्‍त्र पहनने चाहिए।

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काले रंग का बुरा असर

काले रंग के बारे में कहा जाता है कि ये रंग कुछ भी लौटाता नहीं है बल्कि सब कुछ सोख लेता है। अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां एक विशेष कंपन या शुभ ऊर्जा है तो आपके पहनने के लिए सबसे उत्तम रंग काला है क्‍योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्‍यादा से ज्‍यादा अवशोषित कर सकते हैं।

इसी प्रकार दुनिया से विदा लेते हुए सफेद रंग के वस्‍त्र में शव को इसलिए लपेटा जाता है क्‍योंकि उस समय शरीर लाखों-करोड़ों चीज़ों के संपर्क में होता है और ऐसे में सफेद रंग सबसे अच्‍छा माना जाता है क्‍योंकि आप कुछ भी ग्रहण करना नहीं चाहते हैं। आप सब कुछ वापिस कर परावर्तित कर देना चाहते हैं।

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अब अगर आप पूजन का पूर्ण फल प्राप्‍त करना चाहते हैं तो रंगों से जुड़ी इन बातों का विशेष ध्‍यान रखें। शनि देव के अलावा और किसी भी भगवान की पूजा में नीले या काले रंग के वस्‍त्र ना पहनें।

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वैष्णो देवी जाने के लिए कौन सा महीना सही है?

कब जाएं वैष्णो देवी? वैसे तो वैष्णो देवी की यात्रा पूरे साल खुली रहती है लेकिन गर्मियों में मई से जून और नवरात्रि के दौरान यहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्र के 9 दिन यहां की रौनक देखते ही बनते है। इस दौरान कटरा में भी बड़े जागरण का आयोजन किया जाता है।

वैष्णो देवी की पैदल यात्रा में कितना समय लगता है?

माता वैष्णोदेवी की कटरा से भवन तक की 12–13 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई में कितना समय लगता है? यदि आप घोड़े वालों की गति से बिना अर्ध कुमारी दर्शन के सीधे चढते जाते हैं तब आप 4 घंटे में माता के भवन तक पहुंच जाएंगे। इसके बाद भीड़ के हिसाब से आपको जो दर्शन के लिए 1 से 3 घंटे तक का समय लगेगा वो अलग है।

वैष्णो देवी जाने के लिए क्या क्या प्रूफ चाहिए?

वैष्णो देवी की यात्रा के लिए अपने साथ फोटो पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ रखना जरूरी है. पहचान पत्र के रूप में पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड और पैन कार्ड रख सकते हैं. इन कागजातों के बिना रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है. ऑनलाइन यात्रा पर्ची श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से मिलेगी.

वैष्णो देवी में पालकी की कीमत कितनी है?

वैष्णो देवी मंदिर पालकी प्राइस लिस्ट 2022.