यह समय सबसे कठिन नहीं है इसको स्पष्ट करने के लिए कवयित्री ने कौन से तर्क दिए हैं? - yah samay sabase kathin nahin hai isako spasht karane ke lie kavayitree ne kaun se tark die hain?

चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।


यह एक स्वाभाविक क्रिया है कि चिड़िया जब तिनके चुनती है तो वह अपने लिए नया नीड़ (घोंसला) बनाने की तैयारी में होती है क्योंकि अब वह उस नीड़ में बैठकर अपने अंडों की रक्षा करके और उनमें से निकलने वाले बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान तैयार करना चाहती है। वह तिनके केवल घोंसला निर्मित करने हेतु ही चुनती है।

1142 Views


“यह कठिन समय नहीं है?” यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।


यह बताने के लिए कि यह कठिन समय नहीं है कविता में निम्न उदाहरण दिए गए हैं-
1. चिड़िया तिनका चोंच में दबाए उड़ने को तैयार है क्योंकि वह नीड़ का निर्माण करना चाहती है।
2. पेड़ से गिरती हुई पत्ती को थामने हेतु एक हाथ है जो उसे सहारा दे रहा है।
3. एक रेलगाड़ी अभी भी गंतव्य अर्थात् पहुंचने वाले स्थान पर जाती है।
4. अभी भी घर में कोई किसी की प्रतीक्षा कर रहा है।
5. अभी नानी की कहानी का महत्वपूर्ण अंतिम हिस्सा बाकी है।
6. अभी एक बस अंतरिक्ष के पार की दुनिया में जाने वालों में से बचे हुए लोगों की खबर लेकर आएगी।
इन सब तर्को से कवयित्री यही कहना चाहती है कि अभी कठिन समय नहीं है सभी कार्य हो रहे हैं। इसलिए अपने अभीष्ट मार्ग पर बढ़ने हेतु समय का विचार मत करो आगे बढ़ो और सफलता प्राप्त करो।

4098 Views


कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?


अभी भी तुम परिश्रम कर सकते हो।
अभी भी तुम मंजिल पा सकते हो।
अभी भी तुम विजयी हो सकते हो।
वास्तव में ‘अभी भी’ से बनने वाले वाक्यों में निरंतरता का भाव विद्यमान है विराम या अवकाश नहीं।

956 Views


घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जानेवाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।


राजा शिवि एक महान शासक थे। उनके सब काम सराहनीय होते थे। वे बहुत दयालु और प्रजावत्सल थे। उन्हें पशु-पक्षियों से भी बहुत प्रेम था। उनके दानी रूप की चर्चा सुनकर भिक्षुक गण दूर-दूर से आ जाते थे। उनके दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। उनके यश की चर्चा दूर-दूर तक होती थी। यहाँ तक कि देवता भी राजा शिवि से ईर्ष्या करने लगे थे।
एक दिन राजा शिवि दरबार में बैठे थे तभी एक कबूतर उड़ता हुआ आया और उसने राजा की गोद में शरण ली। वह अत्यंत भयभीत था। कबूतर चिल्लाया-”हे राजा! मेरे शत्रु से मेरी रक्षा करो। वह मुझ मारने के लिए दौड़ा चला आ रहा है।”
राजा ने उत्तर दिया-”हे पक्षी! डरी मत। मेरी शरण में आ गए हो। अब कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”
उसी समय एक बाज कबूतर का पीछा करते-करते वहां आ पहुंचा। बाज बोला-”यह पक्षी मेरा भोजन है। मेरे शिकार को मुझसे छीनने वाले तुम कौन हो? तुम्हें इसे छीनने का कोई अधिकार नहीं है। तुम राजा हो। अपनी प्रजा के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकते हो। हम पक्षी तो स्वच्छन्द हैं। हमारी स्वतंत्रता में बाधा मत डालो। इससे पहले कि मैं भूखा मर जाउँ, तुम मुझे इस कबूतर को लौटा दो।”
राजा शिवि ने उसे समझाते हुए कहा-”यदि तुम भूख से व्याकुल हो तो तुम्हारे लिए भोजन की व्यवस्था कर सकता हूँ। कहो, क्या खाना चाहोगे?”
बाज को यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं था। उसने आवेश में कहा-”कबूतर मरा प्राकृतिक भोजन है। इसके अतिरिक्त मुझे कुछ पसंद नहीं है।”
राजा के परामर्श और यहां तक कि अनुनय-विनय का भी बाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कुटिलता से वह बाला-”यदि इस कबूतर से तुम्हें इतना ही स्नेह है तो तुम इसके मांस के वजन के बराबर मांस अपने शरीर से काट कर मुझ दे दो।”

राजा शिवि ने कबूतर को सुरक्षित रखने के लिए इस उपाय को सहर्ष स्वीकार कर लिया। तुरंत एक तराजू और तेज धार का चाकू मँगवाया गया। तराजू के एक पलड़े में कबूतर को रखा गया और दूसरे पलड़े में राजा ने अपना मांस काट-काटकर रखना प्रारंभ किया। रानी, मंत्री और सभासद व्यग्र हो उठे। राजा ने सभी को सांत्वना दी और शांत रहने के लिए कहा। तभी एक आश्चर्यजनक घटना घटी। राजा अपनी भुजाओं और टांगों से मांस काट-काटकर एक पलड़े में रखते जा रहे थे लेकिन कबूतर का पलड़ा अभी भी भारी था। राजा शिवि आर्श्क्यचकित थे। अंत में वे स्वयं ही पलड़े मैं बैठ गए। यह क्या! राजा ने पलटकर बाज को संबोधित करना चाहा। लेकिन वहाँ न तो बाज था और न कबूतर। उन दोनों कं स्थान पर इंद्रदेव और अग्निदेव उपस्थित थे। उन्होंने राजा के घावग्रस्त शरीर को पुन: पूर्ण और स्वस्थ कर दिया। दोनों देवताओं ने राजा की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे धरती पर उनकी दानवीरता की परीक्षा लेने ही आए थे। अग्निदेव ने कबूतर का और इंद्रदेव न बाज का रूप धारण किया था। उन्होंने प्रसन्न होकर राजा शिवि को आशीर्वाद दिया-”जब तक यह संसार रहेगा, तुम्हारी दानवीरता और तुम्हारा नाम अमर रहेगा। तुम वास्तव में दानी हो।”

राजा ने दोनों देवों को प्रणाम किया। दोनों देवता राजा को आशीर्वाद देते हुए स्वर्ग लौट गए।

3106 Views


अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है? आपकी राय में यह झूठ है या सच? यदि झूठ है तो कविता में ऐसा क्यों लिखा गया? अनुमान लगाइए यदि सच लगता है तो किसी अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा के आधार पर कल्पना कीजिए वह बस कैसी होगी, वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे? इस संदर्भ को लेकर कोई कथा बना सकें तो बनाइए।


वैज्ञानिक रूप से बस ऐसा साधन नहीं है जो अंतरिक्ष के पार जा सकें। यह मात्र कवयित्री की कल्पना है क्योंकि कवि सदा कल्पना लोक में विचरण करते हैं। इसे सच या झूठ का नाम न देकर काल्पनिक अनुभव कहा जाना चाहिए। कविता में झूठ नहीं एक कल्पना की गई है। लेकिन कल्पना को शब्दों का आवरण इस प्रकार से पहनाया गया है कि यह सच प्रतीत होने लगता है। आशावादिता के अनुसार एक काल्पनिक तथ्य सामने आता है कि हमारे विकास और उत्थान के लिए अंतरिक्ष से संदेश लेकर कोई वाहन धरती पर आता है।
यहाँ तो कवयित्री ने अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा का आधार यह माना है कि बस कैसी होगी? वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे। इस संदर्भ पर कथा लिखने हेतु निम्न संकेत बिंदुओं का सहारा लिया जा सकता है-
1. बस का सुंदर रूप 15 से 20 लोगों के बैठने का स्थान।
2. बस में ऑक्सीजन व खाने-पीने के सामान का पूरा प्रबंध।
3. बस पहिए से नहीं ऊर्जा से चलने वाली।
4. अपनै लक्ष्य मै, पूर्णतया सफल।
5. अचानक मौसम का खराब होना।
6. लोगों का बेहोश होना।
7. मुश्किल से राह मिलना।
8. बच लोगों का वापिस आना।
9. लोगों का विभिन्न जानकारियां एकत्रित करना।
10. उनकी खुशी का ठिकाना न होना।
11. ऑक्सीजन की कमी हो जाना।
12. डॉक्टर का भरसक प्रयत्न।
13. कुछ लोगों की मृत्यु।
14. परिवारजनों की आँखें खुशी से नम हो जाना।

420 Views


यह सबसे कठिन समय नहीं कविता में कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?

'यह सबसे कठिन समय नहीं'-इस पंक्ति का क्या संदेश है? यह सबसे कठिन समय नहीं'-इस पंक्ति के माध्यम से कवयित्री मनुष्य को यह संदेश देना चाहती है कि लक्ष्य की ओर बढ़ने हेतु कोई समय मुश्किल नहीं होता केवल मन में चाह रखकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।

यह कठिन समय नहीं है बताने के लिए कविता में कौन कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए है?

'यह कठिन समय नहीं है?” बताने के लिए कविता में कवियत्री ने अनेक तर्क दिए हैं प्रत्येक तर्क तथ्य पूर्ण है। कवित्री कहती है कि अभी भी चिड़िया की चोंच में तिनका दबा हुआ है; उसे अभी सहारा प्राप्त है। पेड़ से झड़ने वाली पत्तियों को थामने के लिए किसी व्यक्ति विशेष का हाथ आगे आने को तैयार है।

यह सबसे कठिन समय नहीं शब्दों से क्या तात्पर्य है?

'नहीं', यह सबसे कठिन समय नहीं'-शब्दों से क्या तात्पर्य हैं? किसी भी काम को अभी किया जा सकता है। यह समय कठिन नहीं, अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने हेतु संकोच नहीं करना चाहिए। कठिन समय में बढ़ने से ही सफलता मिलती है।

यह सबसे कठिन समय नहीं है यह बताने के लिए कविता में कौन कौन से उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं स्पष्ट कीजिए?

उपर्युक्त कविता में कवयित्री कहती है कि अभी सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि अभी भी चिड़िया तिनका ले जाकर घोंसला बनाने की तैयारी में है। अभी भी झड़ती हुई पत्तियों को सँभालने वाला कोई हाथ है अर्थात अभी भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तैयार है। अभी भी अपने गंतव्य तक पहुँचने का इंतजार करने वालों के लिए रेलगाड़ियाँ आती हैं