12. भाषा को सहूलियत से बरतने से क्या अभिप्राय है? - 12. bhaasha ko sahooliyat se baratane se kya abhipraay hai?

‘भाषा को ससहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है?


भाषा को सहूलियत से बरतने से यह अभिप्राय है कि भाषा का उचित प्रयोग करना चाहिए। भाषा शब्दों का खेल है। शब्दों के अर्थ संदर्भगत होते हैं। शब्द का सही संदर्भ में प्रयोग करना चाहिए। कई बार हम उस शब्द का पर्यायवाची शब्द प्रयोग कर द्विविधा में फँस जाते हैं। शब्दों को सहूलियत के साथ प्रयोग करने पर ही बात का यह कथ्य का अपेक्षाकृत प्रभाव पड़ जाता है। अत: भाषा के प्रयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढकर पढ़ें।


विद्यार्थी पुस्तकें लेकर इन पाठों को पढ़ें।

‘नागार्जुन’ की कविता - बातें।

बातें-

हँसी में धुली हुई

सौजन्य चंदन में बसी हुई

बातें-

चितवन में घुली हुई

व्यंग्य बंधन में कसी हुई

बातें-

उसाँस में झुलसी

रोष की आँच में तली हुई

बातें-

चुहल से हुलसी

नेह साँचे में ढली हुई।

बातें-

विष की फुहार सी

बातें-

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चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित कीजिए।


भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय होना ही चाहिए तभी उसका अपेक्षित प्रभाव पड़ता है। इस कार्य में बिंब और उपमान बहुत सहायक है। इनके प्रयोग से कथ्य स्पष्ट एवं प्रभावी बनता है। इनसे काव्य-सौंदर्य निखर उठता है।

- काव्य-बिंब का संबंध भाषा की सर्जनात्मक शक्ति से है तथा इसका निर्माण मनुष्य के ऐन्द्रिक बोध का ही प्रतिफल है। ये शब्द, भाव, विचार के अमूर्त संकेत तो हैं, लेकिन इन अमूर्त संकेंतों में भी वह शक्ति होती है। कि इनके माध्यम से एक मूर्त चित्र निर्मित हो जाता है। यही बिंब निर्माण की प्रक्रिया है।

उपमानों के माध्यम से रचनाकार पाठक के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करता है जिससे वह सरल, बोधगम्य, शब्दांडबर रहित होकर अपनी रचना के लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो जाता है।

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बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें -

A. बात की चूड़ी मर जाना (i) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
B. बात की पेंच खोलना (ii) बात का पकड़ में न आना
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iii) बात का प्रभावहीन हो जाना
D. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iv) बात में कसावट का न होना
E. बात का बन जाना (v) बात को सहज और स्पष्ट करना


A.

बात की चूड़ी मर जाना

(i)

बात का प्रभावहीन हो जाना

B.

बात की पेंच खोलना

(ii)

बात को सहज और स्पष्ट करना

C.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iii)

बात का पकड़ में न आना

D.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iv)

बात में कसावट का न होना

E.

बात का बन जाना

(v)

कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

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आधुनिक युग की कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।


छात्र कक्षा में इस विषय पर चर्चा करें। आधुनिक युग की कविता में निम्नलिखित संभावनाएँ हो सकती हैं:

□ विषयवस्तु में परिवर्तन।

□ कविता कै शिल्प में परिवर्तन।

□ जीवन के यथार्थ कै साथ जुड़ाव।

□ अभिव्यक्ति का सहज रूप।

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इस ‘कविता के बहाने’ बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?


‘कविता के बहाने’ में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं। बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए घर की सीमाएँ नहीं जानते। वे खेलते हुए सारे घरों में घुस सकते हैं और उन्हें एक कर देते हैं। कविता भी यही करती है, वह समाज को बाँधती है, एक करती है।

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भाषा को सहूलियत से वर्तनी से क्या अभिप्राय है?

इसका अभिप्राय है कि हमें भाषा का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए। भाषा शब्दों का ताना-बाना है। उनके अर्थ प्रसंगगत होते हैं। अतः हमें उसका प्रयोग सही प्रकार से करना चाहिए।

भाषा की परिभाषा क्या है?

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है। सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है।

बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं किंतु कभी कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है कैसे?

बात और भाषा का आपस में गहरा संबंध होता है। बात का अभिप्राय स्पष्ट करने के लिए सही भाषा का प्रयोग करना चाहिए किन्तु कई बार ऐसा होता है कि हम भाषा को सहज नहीं रहने देते। हम क्लिष्ट भाषा का प्रयोग कर सीधी सरल बात को भी शब्द-जाल में उलझाकर टेढ़ी बना देते हैं

इस कविता के बहाने बताएं कि सब घर एक कर देने के माने क्या है?

'कविता के बहाने' में सब घर एक कर देने का माने यह है कि सीमा का बंधन समाप्त हो जाना। जिस प्रकार बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का स्थान नहीं होता, उसी प्रकार कविता में कोई बंधन नहीं होता। कविता शब्दों का खेल है। जहाँ रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सभी प्रकार की सीमाओं के बंधन स्वयं टूट जाते हैं।