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अब सरकारी जमीन पर कब्जा हुआ तो पटवारी होंगे जिम्मेदार

भास्कर न्यूज - पाली
सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ राजस्व विभाग ने अब कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा नियमों की पालना में सख्ती का अभाव होने से अब तक राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि सरकारी जमीन पर कोई अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ महज कागजी कार्रवाई नहीं होगी, बल्कि अब प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। राजस्व मंडल ने दिए कलेक्टर्स को आदेश राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर की निबंधक स्नेहलता पंवार ने सभी कलेक्टर्स को आदेश जारी कर राजकीय भूमि पर किए गए अतिक्रमण के संबंध में की जा रही कार्रवाई के लिए बने नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा है। साथ ही अतिक्रमित भूमि पर बोई गई फसल की नीलामी के लिए भी अब प्रशासन को पहले से ही आरक्षित दर तय करनी होगी।
अफसरों की बैठक में करनी
होगी समीक्षा
रेवेन्यू बोर्ड ने भी उक्त कमियों को देखते हुए महालेखाकार ((आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखा परीक्षा)) राजस्थान जयपुर की ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेखित कमियों व सुझावों के संदर्भ में नियमों व परिपत्रों के अनुसार प्रक्रिया तथा पालना सुनिश्चित कराने की सलाह दी। राजस्थान लैंड रेवेन्यू एक्ट की धारा-91 के तहत की जा रही कार्रवाई की प्रतिमाह राजस्व अधिकारियों की बैठक में प्रभावी समीक्षा की जाए।
क्या है धारा 91
यदि किसी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया जाता है तो तहसील की ओर से अतिक्रमी के खिलाफ भू- राजस्व अधिनियम की धारा-91 बेदखली की कार्रवाई की जाती है। सरकारी जमीन में बिलानाम भूमि ((सिवायचक)), चरागाह, गैर मुमकिन पहाड़ी ((सरकारी)) और वन क्षेत्र आता है। वनक्षेत्र की भूमि को तहसील के दायरे से बाहर रखा गया है।
तीन महीने की कैद भी हो सकती है
भू-राजस्व अधिनियम की धारा-91 के मुताबिक यदि पटवारी की मौका रिपोर्ट के आधार पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो पहली बार में अतिक्रमी के खिलाफ नियमानुसार बेदखली की कार्रवाई की जाती है। यदि तीसरी बार अतिक्रमण करने की पुष्टि होती है तो अतिक्रमी को तीन माह की साधारण सजा हो सकती है। इस मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को धारा 91 के तहत यह अधिकार है।
इनको माना जाएगा अतिक्रमण की श्रेणी में
सरकारी जमीन पर किसी ने फसल की बुवाई कर, बाड़ लगाकर, पत्थर का पाटा लगाकर, कंटीली झाडिय़ां लगाकर या मकान बनाकर कब्जा किया हो तो वह अतिक्रमण की श्रेणी में आता है। राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर की निबंधक पंवार के मुताबिक सरकार का सदैव यह प्रयास रहा है कि सरकारी भूमि पर अनधिकृत कब्जों की बढ़ती हुई प्रवृति को कठोरता से रोका जाए। भू राजस्व अधिनियम की धारा-91 में प्रावधान है।
नियम लागू होने पर यह होगा असर
> भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ((आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखा परीक्षा)) द्वारा राजकीय भूमि पर हुए अतिक्रमण पर की जा रही कार्यवाही के संदर्भ में राज्य की 13 तहसीलों का ऑडिट किया गया। इनमें अतिक्रमित कृषि भूमि, कुओं व औद्योगिक, व्यावसायिक आवासीय पक्के निर्माण आदि के द्वारा किए गए अतिक्रमणों का अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की है। राज्य ने अतिक्रमण की रोकथाम, बेदखली तथा नियमितीकरण के संबंध में व्यावहारिक क्रियाविधि व विधिक प्रावधानों के संबंध में महालेखा परीक्षक द्वारा असंतोष व्यक्त किया है। इसे राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। ऐसे में यह नियम कड़ाई से लागू होता है तो इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा।
> पटवारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
> सरकारी जमीनों पर काबिज अतिक्रमण सूचीबद्ध होंगे। अतिक्रमण नहीं होने को लेकर प्रशासनिक व निचले स्तर पर कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ेगी।
> आरक्षित दर लागू होने पर राजस्व आय की हानि रुकेगी और रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।
> अवैध खनन व खनिज आधारित उद्योगों में सरकारी भूमि के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।

इनको माना जाएगा अतिक्रमण की श्रेणी में

सरकारी जमीन पर किसी ने फसल की बुवाई कर, बाड़ लगाकर, पत्थर का पाटा लगाकर, कंटीली झाडिय़ां लगाकर या मकान बनाकर कब्जा किया हो तो वह अतिक्रमण की श्रेणी में आता है। राजस्व मंडल राजस्थान अजमेर की निबंधक पंवार के मुताबिक सरकार का सदैव यह प्रयास रहा है कि सरकारी भूमि पर अनधिकृत कब्जों की बढ़ती हुई प्रवृति को कठोरता से रोका जाए। भू राजस्व अधिनियम की धारा-91 में प्रावधान है।

नियम लागू होने पर यह होगा असर

> भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ((आर्थिक एवं राजस्व क्षेत्र लेखा परीक्षा)) द्वारा राजकीय भूमि पर हुए अतिक्रमण पर की जा रही कार्यवाही के संदर्भ में राज्य की 13 तहसीलों का ऑडिट किया गया। इनमें अतिक्रमित कृषि भूमि, कुओं व औद्योगिक, व्यावसायिक आवासीय पक्के निर्माण आदि के द्वारा किए गए अतिक्रमणों का अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की है। राज्य ने अतिक्रमण की रोकथाम, बेदखली तथा नियमितीकरण के संबंध में व्यावहारिक क्रियाविधि व विधिक प्रावधानों के संबंध में महालेखा परीक्षक द्वारा असंतोष व्यक्त किया है। इसे राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। ऐसे में यह नियम कड़ाई से लागू होता है तो इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा।

> पटवारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी।

> सरकारी जमीनों पर काबिज अतिक्रमण सूचीबद्ध होंगे। अतिक्रमण नहीं होने को लेकर प्रशासनिक व निचले स्तर पर कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ेगी।

> आरक्षित दर लागू होने पर राजस्व आय की हानि रुकेगी और रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।

> अवैध खनन व खनिज आधारित उद्योगों में सरकारी भूमि के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।

क्या है धारा 91

यदि किसी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया जाता है तो तहसील की ओर से अतिक्रमी के खिलाफ भू- राजस्व अधिनियम की धारा-91 बेदखली की कार्रवाई की जाती है। सरकारी जमीन में बिलानाम भूमि ((सिवायचक)), चरागाह, गैर मुमकिन पहाड़ी ((सरकारी)) और वन क्षेत्र आता है। वनक्षेत्र की भूमि को तहसील के दायरे से बाहर रखा गया है।

तीन महीने की कैद भी हो सकती है

भू-राजस्व अधिनियम की धारा-91 के मुताबिक यदि पटवारी की मौका रिपोर्ट के आधार पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो पहली बार में अतिक्रमी के खिलाफ नियमानुसार बेदखली की कार्रवाई की जाती है। यदि तीसरी बार अतिक्रमण करने की पुष्टि होती है तो अतिक्रमी को तीन माह की साधारण सजा हो सकती है। इस मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को धारा 91 के तहत यह अधिकार है।

राजस्व मंडल ने सख्त किए नियम, सभी कलेक्टर्स को जारी किए आदेश, धारा 91 के मामलों में अतिक्रमण पाए जाने पर अब प्रशासन करेगा सख्त कार्रवाई, फील्ड में अनदेखी पर पटवारी भी होंगे जिम्मेदार, अब तक सख्ती के अभाव में नहीं मिली किसी को सजा