भारतीय वित्त आयोग की स्थापना १९५१ में की गयी थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिभाषित करना था। वित्त आयोग प्रत्येक पाँच वर्ष बाद नियुक्त किया जाता इसे दूसरे शब्दों में भी व्यक्त किया जा सकता है कि संविधान में यह नहीं बताया गया है कि आयोग की सिफारिशों के प्रति भारत सरकार बाध्य होगी और आयोग द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर राज्यों द्वारा प्राप्त धन को लाभकारी मामलों में लगाने का उसे विधिक अधिकार होगा इस संबंध में डॉ पीवी राजा मन्ना चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष ने ठीक ही कहा है कि "वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो अर्ध न्यायिक कार्य करता है तथा इसकी सलाह को भारत सरकार तब तक मानने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि कोई आधिकारिक कारण ना हो अभी तक १५ वित्त आयोग नियुक्त किए जा चुके हैं। २०१७ में नवीनतम वित्त आयोग एन के सिंह (भारतीय योजना आयोग के भूतपूर्व सदस्य) की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था। वित्त आयोग का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। वित्त आयोग का गठन एक संवैधानिक निकाय के रूप में अनुच्छेद 280 के अंतर्गत किया जाता है यह एक अर्ध न्यायिक संस्था होती है। इसका गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। भारत में वित्त आयोग का गठन वित्त आयोग अधिनियम 1951 के अंतर्गत किया गया है 1993में भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग का गठन भी किया जाने लगा वित्त आयोग में एक अध्यक्ष तथा 4 सदस्य होते हैं सदस्यों में 2 सदस्य पूर्ण कालीन सदस्य जबकि 2 सदस्य अंशकालीन सदस्य होते हैं [1][2][3][4] १५वां वित्त आयोग[संपादित करें]केन्द्र सरकार ने २०१५ में १४वें वित्त आयोग की सम्स्तुतियों को स्वीकार कर लिया। यह आयोग भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में गठित किया गया था। इस आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के विस्तार व स्थानीय निकायों को ज्यादा संसाधनों के हस्तांतरण सहित सहयोगपूर्ण संघवाद को बढावा देने, वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन, राजकोषीय मजबूती, सार्वजनिक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मूल्य नीति आदि के संबंध में सिफारिशें दी हैं।[5] 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह है। सन्दर्भ[संपादित करें]
फाइनेंस कमीशन Posted On: 01 FEB 2021 1:06PM by PIB Delhi
उर्ध्वाधर हिस्सेदारी
क्षैतिज हिस्सेदारी आवश्यकता, बराबरी, प्रदर्शन के सिद्धांत के आधार पर कुल हिस्सेदारी तय की गई है
राजस्व घाटा अनुदान
स्थानीय निकायों की सरकार
स्वास्थ्य
प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन और अनुदान
रक्षा और आंतरिक सुरक्षा
आपदा जोखिम प्रबंधन:
राजकोषीय प्रबंधन
*** एमजी/एएम/पीएस/डीसी (Release ID: 1694234) Visitor Counter : 40987 भारत में वित्त आयोग का कार्यकाल कितना होता है?भारत में वित्तीय वर्ष कब से कब तक होता है? भारत में वित्तीय वर्ष का कार्यकाल एक वर्ष का होता है यानि प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है ।
भारत में 15 वें वित्त आयोग के सचिव कौन है?रमेश चंद के और आयोग के सचिव श्री अरविंद मेहता भी अध्यक्ष के साथ आए थे। विचारणीय विषय (टीओआर) की शर्तों के अनुसार, आयोग को 2021-22 से 2025-26 तक यानी पांच साल की अवधि के लिए 30 अक्टूबर, 2020 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना अनिवार्य था।
वर्तमान में भारत के वित्त आयोग कौन है?15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह है।
यूपी में कौन सा वित्त आयोग चल रहा है?उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) छठवें राज्य वित्त आयोग (Sixth Finance Commission) के गठन का मसौदा तैयार कर चुकी है. वित्त विभाग (Finance Department) ने इससे जुड़ा प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को भेज दिया है. मुख्यमंत्री के पास ही वित्त मंत्रालय है.
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