16 महाजनपदों का उदय कैसे हुआ? - 16 mahaajanapadon ka uday kaise hua?

तमिल ग्रन्थ शिल्पादिकाराम में तीन महाजनपद – वत्स, मगध, अवन्ति का उल्लेख मिलता है। इन 16 महाजनपदों में से 14 राजतंत्र और दो (वज्जि, मल्ल) गणतंत्र थे। बुद्ध काल में सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद – वत्स, अवन्ति, मगध, कोसल।

16 महाजनपद क्या है?

16वाँ महाजनपद अस्सक / अश्मक गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। महाजनपद काल के कारण द्वितीय नगरीकरण का प्रारंभ हुआ। अंगुत्तर निकाय,महावस्तु(बौद्ध ग्रंथ), भगवती सूत्र(जैन ग्रंथ) ये दोनों धर्म ग्रंथ16 महाजनपदों का उल्लेख करते हैं। अंगुत्तर निकाय में गांधार तथा कंबोज का उल्लेख हुआ है।

महाजनपद का उदय कैसे हुआ?

आरंभिक बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होती है। इन महाजनपदों का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में मिलता है। महाजनपदों की उदय के पीछे मुख्य कारण लोहे की प्रधानता भी रही । इसके अलावा कृषि अधिशेष भी महाजनपदों के उदय के प्रमुख कारण थे।

16 महाजनपदों का उदय कैसे हुआ? - 16 mahaajanapadon ka uday kaise hua?
16 महाजनपदों का उदय कैसे हुआ? - 16 mahaajanapadon ka uday kaise hua?

महाजनपद

प्राचीन भारत में महाजनपद के अंतर्गत सैंकड़ों स्वतंत्र जनपद हुआ करते थे। सभी महाजनपद मिलकर एक भारत का रूप लेते थे परंतु सभी की सत्ता स्वतंत्र थी। इसमें जो चक्रवर्ती सम्राट होता था उसी का संपूर्ण भारत पर अधिकार होता था। भारत में ऐसे कई शासक हुए हैं जिन्होंने संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज किया है। महाभारत में ऐसे लगभग 16 राजाओं का उल्लेख मिलता है। रामायण और महाभारत के काल में जनपदों की संख्या और उनके क्षेत्र अलग अलग हुआ करते थे। आओ जानते हैं कि महाभारत काल में पांचाल जनपद कहां था और वर्तमान में उस क्षेत्र को अब क्या कहते हैं।

महाभारत काल के जनपद : दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कम्बोज, गान्धार, कैकय, वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु, तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, कुरु, पांचाल, कोसल, शूरसेन, किरात, निषाद, मत्स, चेदि, उशीनर, वत्स, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम), घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक, द्रविड़, चोल, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक, पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, निषाद, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य धर्म का पालन करने वाले लोगों ने भाग लिया था।

बाद में महाभारत के अनुसार भारत को मुख्‍यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया। जैन ‘हरिवंश पुराण’ में प्राचीन भारत में 18 महाराज्य थे। पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ ‘अंगुत्तरनिकाय’ में भगवान बुद्ध से पहले 16 महाजनपदों का नामोल्लेख मिलता है। इन 16 जनपदों में से एक जनपद का नाम कंबोज था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक महान का सीमावर्ती प्रांत था। भारतीय जनपदों में राज्याणि, दोरज्जाणि और गणरायाणि शासन था अर्थात राजा का, दो राजाओं का और जनता का शासन था।

राम के काल के जनपद : राम के काल 5114 ईसा पूर्व में 9 प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उपजनपद होते थे। ये 9 इस प्रकार हैं- 1.मगध, 2.अंग (बिहार), 3.अवन्ति (उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), 5.सूरसेन (मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान), 7.पांडय (तमिल), 8. विन्ध्य (मध्यप्रदेश) और 9.मलय (मलावार)।

16 महाजनपदों के नाम : 1. कुरु, 2. पंचाल, 3. शूरसेन, 4. वत्स, 5. कोशल, 6. मल्ल, 7. काशी, 8. अंग, 9. मगध, 10. वृज्जि, 11. चे‍दि, 12.मत्स्य, 13. अश्मक, 14. अवंति, 15. गांधार और 16. कंबोज। उक्त 16 महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी होते थे।

 

 

पांचाल : बरेली, बदायूं और फर्रूखाबाद; राजधानी अहिच्छत्र तथा काम्पिल्य। कानपुर से वाराणसी के बीच के गंगा के मैदान में फैले हुए इस जनपद की दो शाखाएं थीं- 1. उत्तर पांचाल (राजधानी अहिच्छत्र), 2. दक्षिण पांचाल (राजधानी कांपिल्य)। कहते हैं कि द्रौपदी का स्वयंवर कांपिल्य में हुआ था। इसके नाम का सर्वप्रथम उल्लेख यजुर्वेद की तैत्तरीय संहिता में ‘कंपिला’ रूप में मिलता है। पांडवों की पत्नी, द्रौपदी को पंचाल की राजकुमारी होने के कारण पांचाली भी कहा गया।

कनिंघम के अनुसार वर्तमान रुहेलखंड उत्तर पंचाल और दोआबा दक्षिण पंचाल था। पांचाल को पांच कुल के लोगों ने मिलकर बसाया था। यथा किवि, केशी, सृंजय, तुर्वसस और सोमक। यह भी कहा जाता है कि इसका यह नाम राजा हर्यश्व के पांच पुत्रों के कारण पड़ा था। पंचालों और कुरु जनपदों में परस्पर लड़ाई-झगड़े चलते रहते थे। पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन की सहायता से पंचालराज द्रुपद को हराकर उसके पास केवल दक्षिण पंचाल (जिसकी राजधानी कांपिल्य थी) रहने दिया और उत्तर पंचाल को अपने अधीन कर लिया था।

 

प्रमुख महाजनपद व् उनकी राजधानियाँ?

1.अंग महाजनपद की राजधानी चंपा

2.मगध महाजनपद की राजधानी राजगृह

3.काशी की राजधानी वाराणसी

4.वत्स की राजधानी कौशांबी

5.वज्जि की राजधानी वैशाली

6.कौशल की राजधानी श्रावस्ती

7.अवंती की राजधानी उज्जैन

8.मल्ल की राजधानी कुशावती

9.पंचाल की राजधानी अहिछत्र

10.चेदि की राजधानी शक्तिमती

11.कुरू की राजधानी इंद्रप्रस्थ

12.मत्स्य की राजधानी विराटनगर

13.कंबोज की राजधानी हाटक

14.शूरसेन की राजधानी मथुरा

15.अशमक की राजधानी पोतन

16.गांधार की राजधानी तक्षशिला

राजस्थान में कुल कितने महाजनपद है?

भारत में कुल 16 महाजनपद विद्यमान थे। राजस्थान के जनपद मत्स्य जनपद ,शिवि जनपद ,शूरसेन जनपद ,जांगल जनपद बाद में महाजनों में बदल गए थे। महाभारत काल के समय राजस्थान के वर्तमान बीकानेर और जोधपुर जिले- जांगल देश कहलाते थे। जांगल प्रदेश की राजधानी अहीछत्रपुर थी।

16 महाजनपदों में से कितने गंगा घाटी में स्थित है?

जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में भी 16 महाजनपदों की सूची मिलती है दोनों सूचियों में अंग, मगध, काशी, कौशल, वत्स, वज्जि समान है । इनमें में 4 महाजनपद अधिक शक्तिशाली थे इनमें राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली थी। ये है- 1 मगध 2 कौशल 3 वत्स और 4 अवंति ।

16 Mahajanpad mein sabse Shaktishali Mahajanpad कौन था?

मगध साम्राज्य ने 684 ईसा पूर्व से 320 ईसा पूर्व तक भारत में शासन किया। इसका उल्लेख महाभारत और रामायण में भी किया गया है। यह सोलह महाजनपदों में सबसे अधिक शक्तिशाली था। साम्राज्य की स्थापना राजा बृहदरथ द्वारा की गयी थी।

Mahajanpad se aap क्या Samajhte hain?

महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है।

जनपद और महाजनपद में क्या अंतर है?

जनपद वो स्थान जहाँ लोग अपने पैर सेट कर के बस जाते थे और उन्ही में से कुछ जनपद को बड़ा बना के उन्हें महाजनपद बना दिया गया. # जनपद में सामान्य लोग रहते थे जबकि महाजनपद में राजा आदि आ गए थे. # जनपद बस्तियों को कहा जाता था और महाजनपद उन राष्ट्रों को जहां एक राजा होता था।

16 महाजनपद का उदय कैसे हुआ?

छठी शताब्दी ई0पू0 में उत्तर भारत में 16 महाजनपदों का उदय हुआ। ऋग्वेद के जन उत्तर-वैदिक काल में जनपदों में परिवर्तित हो गये थे, और यही जनपद बुद्ध काल में महाजन पदों में बदल गये। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रन्थ भगौती सूत्र में इन 16 महाजनपदोंका उल्लेख मिलता है।

महाजनपद के उदय के कारण क्या है?

आर्य जातियों के परस्पर एक दूसरे मे मिल जाने से महाजनपदों का विस्तार हुआ। महाजनपदों ने छठी शताब्दी में अपने राज्यों का विस्तार किया और इसके साथ ही कला-कौशल, धन-धान्य, व्यापार-वाणिज्य में अभूतपूर्व वृद्धि की। यही कारण है की भारत के राजनैतिक इतिहास का प्रारम्भ छठी शताब्दी ई.

महाजनपदों का उदय कब हुआ था?

महाजनपदों का उदय 1100 ई. पू) से विकसित होने लगे थे, जिसमें कुरु राजवंश, कोसल राजवंश, पाञ्चाल राजवंश, विदेह राजवंश, मत्स्य राजवंश, चेदि राजवंश, प्राचीन मगध और गांधार राजवंश शामिल थे। 700 से 600 ई. पू के बीच यह जनपद और प्राचीन राजवंश महाजनपदों मे विकसित होने लगे थे।

16 महाजनपद से आप क्या समझते हैं?

16 महाजनपद (16 Mahajanapadas in Hindi) प्राचीन भारत में मौजूद बड़ी राजनीतिक-भौगोलिक इकाइयाँ थीं। 16 महाजनपद (16 Mahajanapadas in Hindi) की स्थापना छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उन जनपदों को शामिल करके की गई थी जो पहले स्वायत्त थे।