2022 में भारत का पहला बैडमिंटन विश्व चैंपियन कौन बना? - 2022 mein bhaarat ka pahala baidamintan vishv chaimpiyan kaun bana?

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद पीवी सिंधु और लक्ष्य सेन सहित भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी 22 अगस्त से टोक्यो में शुरू होने वाली BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप 2022 में अपनी लय को जारी रखना चाहेंगे।

जापान में कुल 27 शटलर भारतीय दल का हिस्सा होंगे।

बर्मिंघम में हुए राष्ट्रमंडल खेल का अपना पहला एकल स्वर्ण जीतने वाली वर्ल्ड नंबर 7 पीवी सिंधु 2019 में इस इवेंट को जीतने के बाद अपने दूसरे विश्व खिताब को जीतने की उम्मीदें लगाए होंगी।

हालांकि, यह दो बार की ओलंपिक पदक विजेता के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि सेमीफाइनल से पहले उनका सामना चीन की मौजूदा एशियाई चैंपियन वांग ज़ी यी और विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में नंबर 3 पर काबिज कोरिया की एन से यंग से हो सकता है।

पीवी सिंधु को पहले राउंड में बाई मिला है और दूसरे राउंड में उनका सामना वांग झी यी से हो सकता है। वहीं क्वार्टर-फाइनल में उनकी संभावित प्रतिद्वंद्वी एन से यंग हो सकती हैं।

इस बीच, पूर्व विश्व नंबर 1 साइना नेहवाल राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर होने के बाद कोर्ट पर वापसी करेंगी। लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता, जो वर्तमान में 28वें स्थान पर हैं, वह अपने पहले मुकाबले में जोंग कांग की चेउंग नगन यी से भिड़ेंगी और दूसरे राउंड में उनका सामना वर्ल्ड रैंकिंग में छठे स्थान पर काबिज जापान की नोजोमी ओकुहारा से हो सकता है।

मालविका बंसोड़ महिला एकल ड्रॉ में तीसरी भारतीय हैं और वह वर्ल्ड रैंकिंग में 21वें स्थान पर काबिज रेखा क्रिस्टोफरसन के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेंगी।

पुरुषों में भारत के किदांबी श्रीकांत (13वें स्थान पर), लक्ष्य सेन (10वें स्थान पर) और एचएस प्रणॉय (18वें स्थान) के ड्रॉ भी काफी मुश्किल हैं और उनमें से केवल एक ही सेमीफाइनल में जगह बना सकता है।

सभी का ध्यान लक्ष्य सेन पर होगा, जिन्होंने इस सप्ताह बर्मिंघम में पुरुष एकल का स्वर्ण पदक जीता था। उन्हें टोक्यो वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए पहले दौर में बाई मिला है।

किदांबी श्रीकांत और लक्ष्य सेन ने स्पेन में विश्व चैंपियनशिप के अंतिम संस्करण में क्रमशः रजत और कांस्य पदक जीता था।

दुनिया के 5वें नंबर के मलेशिया के शटलर ली जी जिया और दुनिया के दूसरे नंबर के जापान के केंटो मोमोटा भारतीय पुरुष खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ा खतरा होंगे।

बी साई प्रणीत भी भारतीय बैडमिंटन दल का हिस्सा हैं, लेकिन वर्ल्ड रैंकिंग में चौथे स्थान पर काबिज चीनी ताइपे के चाउ टिएन चेन के खिलाफ उनकी पहली चुनौती काफी मुश्किल होगी।

बर्मिंघम 2022 के स्वर्ण पदक विजेता सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी भारतीय दल की पुरुष युगल टीम की अगुवाई करेंगे। वहीं मनु अत्री/बी सुमीत रेड्डी, कृष्ण प्रसाद गरागा/विष्णुवर्धन गौड़ पंजाला और एमआर अर्जुन/ध्रुव कपिला की जोड़ी भी मैदान में होगी।

इस बीच, त्रिशा जॉली/गायत्री गोपीचंद और अश्विनी पोनप्पा/एन सिक्की रेड्डी महिला युगल में भारत की सर्वश्रेष्ठ उम्मीद होंगी। इसके अलावा पूजा दांडू/संजना संतोष और अश्विनी भट्ट/शिखा गौतम भी अपने प्रदर्शन से प्रभावित करने की कोशिश करेंगी।

मिश्रित युगल वर्ग में ईशान भटनागर/तनिषा क्रास्टो और वेंकट गौरव प्रसाद/जूही देवांगन की दो भारतीय जोड़ी खेलेंगी।

भारतीय शटलरों ने इससे पहले विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में 12 पोडियम स्थान सुनिश्चित किए हैं, लेकिन पीवी सिंधु का 2019 में महिला एकल स्वर्ण एकमात्र शीर्ष पोडियम फिनिश है।

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ओलंपिक और ऑल इंग्लैंड ओपन के साथ-साथ BWF विश्व चैंपियनशिप, बैडमिंटन में सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक है।

बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप पहली बार 1977 में आयोजित किया गया था, जो 1983 तक हर तीन साल में आयोजित की जाती रही और फिर 2005 तक ये दो साल में एक बार आयोजित होने वाली चैंपियनशिप बन गई।

उसके बाद ये ओलंपिक आयोजित होने वाले साल को छोड़कर हर साल आयोजित किया जाता है। COVID-19 महामारी के कारण टोक्यो 2020 को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था, जिसके बाद 2021 का संस्करण पहली बार ओलंपिक वर्ष में आयोजित किया गया।

10 भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने पिछले कुछ वर्षों में BWF विश्व चैंपियनशिप में 13 पदक जीते हैं, जिसमें सिर्फ पीवी सिंधु विश्व चैंपियन बनने में सफल रही हैं। सिंधु ने 2019 में गोल्ड जीता था।

तो चलिए हम बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में सभी भारतीय पदक विजेताओं पर एक नज़र डालते हैं।

पीवी सिंधु - महिला एकल में जीते पांच पदक

पीवी सिंधु बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप में सबसे सफल भारतीय शटलर हैं, जिन्होंने अविश्वसनीय पांच पदक जीते हैं, जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं।

रिकॉर्ड पांच पदक जीतकर, उन्होंने दो बार की ओलंपिक चैंपियन चीन की झांग निंग की बराबरी कर ली है।

उनका पहला विश्व चैंपियनशिप पदक साल 2013 में आया था, जब वो सिर्फ 18 साल की थीं। पीवी सिंधु ने कांस्य पदक का सफर तय करते समय ओलंपिक पदक विजेता वांग यिहान और चीन की पूर्व विश्व नंबर 1 वांग शिजियान को हराया। भारतीय सेमीफाइनल में थाईलैंड की उस संस्करण की चैंपियन रतचानोक इंतानोन से हार गईं।

पीवी सिंधु ने 2014 में एक और कांस्य जीता और 2017 में पहली बार विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचीं। एक रोमांचक फाइनल में वो जापान की अपनी पुरानी प्रतिद्वंद्वी नोजोमी ओकुहारा से हार गईं, जहां उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

पीवी सिंधु ने 2018 में फिर से फाइनल में जगह बनाई, इस बार स्पेन की एक और पुरानी प्रतिद्वंद्वी कैरोलिना मारिन से हार गईं और इस बार भी उनका सफर रजत पदक के साथ समाप्त हुआ।

पीवी सिंधु ने साल 2019 में फाइनल में पहुंचकर लगातार तीसरी विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई, जहां वो ओकुहारा को 38 मिनट में हराकर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।

साइना नेहवाल - महिला एकल में दो पदक

भारत की पहली ओलंपिक बैडमिंटन पदक विजेता साइना नेहवाल ने BWF विश्व चैंपियनशिप में दो पदक जीते हैं, जिसमें एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल हैं।

उनका पहला पदक 2015 में आया था, जब वो उस साल महिला सिंगल्स में विश्व नंबर 1 बनी थीं। ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय भी बनीं।

विश्व चैंपियनशिप में दूसरी वरीयता प्राप्त साइना नेहवाल ने फाइनल में जगह बनाने के लिए चेउंग नगन यी, सयाका ताकाहाशी, वांग यिहान और लिंडवेनी फनेत्री को हराया। जहां फाइनल में उनका सामना शीर्ष वरीयता प्राप्त और मौजूदा चैंपियन कैरोलिना मारिन से हुआ।

अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद साइना नेहवाल सीधे गेम में कैरोलिना मारिन से हार गईं और स्पैनियार्ड ने अपना खिताब बरकरार रखा।

2017 विश्व चैंपियनशिप में पहली बार ऐसा हुआ जब दो भारतीय शटलर एक ही संस्करण में पोडियम पर पहुंचे। पीवी सिंधु ने रजत पदक और साइना नेहवाल ने सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद कांस्य पदक जीता।

साइना नेहवाल ने सेमीफाइनल तक आराम से अपने मैच जीते, जहां वह अंतिम विजेता नोज़ोमी ओकुहारा से हार गईं और कांस्य के साथ उनका सफर समाप्त हुआ। यह साइना का अब तक का आखिरी विश्व चैंपियनशिप पदक है।

प्रकाश पादुकोण - पुरुष एकल में एक पदक

भारतीय बैडमिंटन के लिए प्रकाश पादुकोण BWF विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे, जिन्होंने 1983 में कांस्य पदक जीता था।

वह 28 साल तक बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय बने रहे।

प्रकाश पादुकोण का सफर आसान था, क्योंकि उन्होंने सेमीफाइनल तक तीन मैचों में अपने खिलाफ सिर्फ 27 अंक विपक्षी खिलाड़ी को लेने दिए।

अंतिम चार में प्रकाश पादुकोण ने पहला गेम जीता लेकिन इंडोनेशिया के इकुक सुगियार्तो से हार गए और कांस्य पदक के साथ इनका सफर समाप्त हुआ।

उस साल सुगियार्तो ने फाइनल में दिग्गज हमवतन लीम स्वी किंग को हराकर स्वर्ण पदक जीता।

बी साई प्रणीत - पुरुष एकल में एक पदक

विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं बी साई प्रणीत, जिन्होंने सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद 2019 संस्करण में कांस्य पदक जीता।

सेमीफाइनल तक का सफर तय करने के लिए बी साई प्रणीत ने कनाडा के जेसन एंथोनी हो-शू, दक्षिण कोरियाई ली डोंग-क्यून और इंडोनेशियाई एंथोनी सिनिसुका गिंटिंग (टोक्यो 2020 कांस्य पदक विजेता) और जोनाथन क्रिस्टी (2018 एशियाई खेलों के चैंपियन) को हराया।

अंतिम चार में जापान के शीर्ष वरीयता प्राप्त केंटो मोमोटा के खिलाफ उन्हें मुक़ाबला करना था। साई प्रणीत ने यहां भी अच्छी शुरुआत की लेकिन उस साल के चैंपियन से हार गए और कांस्य पदक के साथ अपना सफर समाप्त किया।

ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा - महिला युगल में एक पदक

बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय युगल जोड़ी, ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने 2011 के संस्करण में ये कारनामा किया था, जहां उन्होंने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था।

प्रतियोगिता में गैर वरीयता प्राप्त ज्वाला-अश्विनी ने दूसरे दौर में बड़ा उलटफेर करते हुए ताइवान की दूसरी वरीयता प्राप्त चेंग वेन-हिंग और चिएन यू-चिन को सीधे गेम में हराया।

भारतीय जोड़ी ने इसके बाद तीसरे दौर में 11वीं वरीयता प्राप्त हांगकांग के आइसिस पून लोक यान और त्से यिंग सुएत और क्वार्टर फाइनल में 12वीं वरीयता प्राप्त इंडोनेशिया की वीटा मारिसा और नाद्या मेलाती को हराकर अंतिम चार में जगह बनाई। ज्वाला-अश्विनी ने ये दोनों मुक़ाबले तीन-तीन गेम में जीते।

ज्वाला और अश्विनी का सफर सेमीफाइनल में समाप्त हो गया, जहां पांचवीं वरीयता प्राप्त तियान किंग और झाओ यूनली की चीनी जोड़ी ने उन्हें सीधे गेम में हराया। हालांकि यह जोड़ी 1983 के बाद से विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई।

किदांबी श्रीकांत- पुरुष एकल में एक पदक

पूर्व विश्व नंबर 1 किदांबी श्रीकांत ने 2021 BWF विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के बाद रजत पदक जीता, इससे पहले उन्होंने सेमीफाइनल में हमवतन लक्ष्य सेन के खिलाफ नज़दीकी मुक़ाबले में जीत हासिल की थी।

टोक्यो 2020 से चूकने के बाद से किदांबी श्रीकांत ने अपने आप को बदल दिया है। उन्होंने पाब्लो एबियन को हराया, 2018 यूथ ओलंपिक चैंपियन ली शी फेंग के खिलाफ एक गेम से पिछड़ने के बाद वापसी की, लू गुआंग ज़ू के खिलाफ सीधे गेम में जीत हासिल की और फिर कैलजॉव के खिलाफ एकतरफा मुक़ाबले में जीत हासिल की।

इस प्रकार किदांबी श्रीकांत विश्व चैंपियनशिप में पुरुष एकल फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए। फाइनल में भारतीय शटलर को सिंगापुर के लोह कीन यू से 21-15, 22-20 से हार का सामना करना पड़ा।

लक्ष्य सेन- पुरुष एकल में एक पदक

20 वर्षीय लक्ष्य सेन को पहले ही भविष्य का स्टार खिलाड़ी बता दिया गया था, उन्होंने 2021 BWF विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद यकीनन अपना सबसे प्रभावशाली पदक जीता।

2018 यूथ ओलंपिक के रजत पदक विजेता को शुरुआती दौर में बाई मिली और फिर 15वीं वरीयता प्राप्त केंटा निशिमोतो के खिलाफ तीन गेम तक चले मुक़ाबले में बेहद प्रभावशाली जीत में दर्ज की।

इसके बाद उन्होंने टोक्यो 2020 में चौथे स्थान पर रहने वाले केविन कॉर्डन को आसानी से हरा दिया और फिर झाओ जून पेंग के खिलाफ एक शानदार मैच जीता, जहां उन्होंने सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए एक मैच प्वाइंट बचाया।

लक्ष्य सेन सेमीफाइनल में किदांबी श्रीकांत से हार गए, जहां उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इसके साथ ही वो बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले चौथे भारतीय पुरुष खिलाड़ी बन गए।

चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी - पुरुष युगल में एक पदक

चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में पुरुष युगल इवेंट में पदक जीतने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनीं। बता दें कि दोनों ने 2022 में टोक्यो में कांस्य पदक जीता।

जहां सातवें स्थान पर काबिज भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी मलेशिया के आरोन चिया और सोह वूई यिक से 77 मिनट में तक चले सेमीफाइनल मुकाबले में 20-22, 21-18, 21-16 से हार गए। यह भारतीय जोड़ी की मलेशियाई जोड़ी से लगातार छठी हार थी।

इसके साथ ही, चिराग-सात्विक ने क्वार्टर में तीन गेम के रोमांचक मुकाबले में मौजूदा विश्व चैंपियन और दूसरी वरीयता प्राप्त ताकुरो होकी और यूगो कोबायाशी को 24-22, 15-21, 21-14 से हराया।

वहीं, 2011 में महिलाओं के कांस्य के बाद चैंपियनशिप में यह भारत का दूसरा युगल पदक था।

बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में भारतीय पदक विजेता

खिलाड़ीपदककैटेगरीसाल
प्रकाश पादुकोण कांस्य मेंस सिंगल्स 1983
ज्वाला गुट्टा और अश्निनी पोनप्पा कांस्य वूमेंस डबल्स 2011
पीवी सिंधु कांस्य वूमेंस सिंगल्स 2013
पीवी सिंधु कांस्य वूमेंस सिंगल्स 2014
साइना नेहवाल रजत वूमेंस सिंगल्स 2015
साइना नेहवाल कांस्य वूमेंस सिंगल्स 2017
पीवी सिंधु रजत वूमेंस सिंगल्स 2017
पीवी सिंधु रजत वूमेंस सिंगल्स 2018
पीवी सिंधु स्वर्ण वूमेंस सिंगल्स 2019
बी साई प्रणीत कांस्य मेंस सिंगल्स 2019
किदांबी श्रीकांत रजत मेंस सिंगल्स 2021
लक्ष्य सेन कांस्य मेंस सिंगल्स 2021
चिराग शेट्टी - सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी कांस्य मेंस डबल्स 2022

भारत में बैडमिंटन का चैंपियन कौन है?

पीवी सिंधु ने साल 2019 में फाइनल में पहुंचकर लगातार तीसरी विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई, जहां वो ओकुहारा को 38 मिनट में हराकर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं।

इनमें से कौन सा बैडमिंटन खिलाड़ी विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने?

पीवी सिंधु विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं।

कितने वर्षों के बाद बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन होता है?

1985 से 2005 तक यह प्रतियोगिता हर दो साल पर होने लगी। 2006 से ज्यादा खिलाड़ियों को विश्व विजेता बनने का मौका देने के लिये यह प्रतियोगिता हर साल आयोजित की जाती है।

निम्नलिखित में से कौन सा देश विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप 2026 की मेजबानी करेगा?

नई दिल्ली : विश्व बैडमिंटन महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत 2026 में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा। भारत को 2023 में सुदीरमन कप का आयोजन करना था लेकिन बीडब्ल्यूएफ ने इस विश्व मिश्रित टीम चैंपियनशिप की मेजबानी चीन को सौंपने का फैसला किया है।