परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा MCQ? - parashuraam ke krodh ko shaant karane ke lie raam ne unase kya kaha mchq?

NCERT Solutions for Class-10 Hindi (Kshitij)

NCERT Solutions for class-10 Hindi chapter 2 Tulsidas are prepared by academic team of Physics Wallah. All questions of chapter 2 are explained as per the CBSE guideline and academic team of Physics Wallah. Read the theory of chapter 2 Tulsidas try to understand the meaning and then after start writing the questions given in class-10 NCERT textbook for the chapter 2. And take reference from NCERT Solutions of class-10 Hindi. The NCERT Solutions by Physics Wallah provide a complete explanation of problems, you can download in PDF format.

Chapter-2 Tulsidas

1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ?

उत्तर:- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर निम्नलिखित तर्क दिए –
1. बचपन में तो हमने कितने ही धनुष तोड़ दिए परन्तु आपने कभी क्रोध नहीं किया इस धनुष से आपको विशेष लगाव क्यों हैं?
2. हमें तो यह असाधारण शिव धुनष साधारण धनुष की भाँति लगा।
3. श्री राम ने इसे तोड़ा नहीं बस उनके छूते ही धनुष स्वत: टूट गया।
4. इस धनुष को तोड़ते हुए उन्होंने किसी लाभ व हानि के विषय में नहीं सोचा था। इस पुराने धनुष को तोड़ने से हमें क्या मिलना था?

2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- राम स्वभाव से कोमल और विनयी हैं। परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे। परशुराम के क्रोध करने पर श्री राम ने धीरज से काम लिया। उन्होंने स्वयं को उनका दास कहकर परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास किया एवं उनसे अपने लिए आज्ञा करने का निवेदन किया।
लक्ष्मण राम से एकदम विपरीत हैं। लक्ष्मण क्रोधी स्वभाव के हैं। उनकी जबानछुरी से भी अधिक तेज़ हैं। लक्ष्मण परशुराम जी के साथ व्यंग्यपूर्ण वचनों का सहारा लेकर अपनी बात को उनके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। तनिक भी इस बात की परवाह किए बिना कि परशुराम कहीं और क्रोधित न हो जाएँ। राम अगर छाया हैं। तो लक्ष्मण धूप हैं। राम विनम्र, मृदुभाषी,धैर्यवान, व बुद्धिमान व्यक्ति हैं वहीं दूसरी ओर लक्ष्मण निडर, साहसी तथा क्रोधी स्वभाव के हैं।

3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर:- लक्ष्मण – हे मुनि ! बचपन में तो हमने कितने ही धनुष तोड़ दिए परन्तु आपने कभी क्रोध नहीं किया इस धनुष से आपको विशेष लगाव क्यों हैं ?
परशुराम – अरे, राजपुत्र ! तू काल के वश में आकर ऐसा बोल रहा है। तू क्यों अपने माता-पिता को सोचने पर विवश कर रहा है। यह शिव जी का धनुष है। चुप हो जा और मेरे इस फरसे को भली भाँति देखले। राजकुमार। मेरे इस फरसे की भयानकता गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी नष्ट कर देती है।

4. परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए – बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही||
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही||
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा||
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर||

उत्तर:- परशुराम ने अपने विषय में ये कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और क्रोधी स्वभाव के हैं। समस्त विश्व में क्षत्रिय कुल के विद्रोही के रुप में विख्यात हैं। उन्होंने अनेकों बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर इस पृथ्वी को ब्राह्मणों को दान में दिया है और अपने हाथ में धारण इस फरसे से सहस्त्रबाहु के बाँहों को काट डाला है। इसलिए हे नरेश पुत्र। मेरे इस फरसे को भली भाँति देख ले। राजकुमार। तू क्यों अपने माता-पिता को सोचने पर विवश कर रहा है। मेरे इस फरसे की भयानकता गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी नष्ट कर देती है।

5. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई ?
उत्तर:- लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई है –
(1) शूरवीर युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करके ही अपनी शूरवीरता का परिचय देते हैं।
(2) वीरता का व्रत धारण करने वाले वीर पुरुष धैर्यवान और क्षोभरहित होते हैं।
(3) वीर पुरुष स्वयं पर कभी अभिमान नहीं करते।
(4) वीर पुरुष किसी के विरुद्ध गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते।
(5) वीर पुरुष दीन-हीन, ब्राह्मण व गायों, दुर्बल व्यक्तियों पर अपनी वीरता का प्रदर्शन नहीं करते एवं अन्याय के विरुद्ध हमेशा निडर भाव से खड़े रहते हैं।
(6) किसी के ललकारने पर वीर पुरुष परिणाम की फ़िक्र न कर के निडरता पूर्वक उनका सामना करते हैं।

6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:- साहस और शक्ति के साथ अगर विनम्रता न हो तो व्यक्ति अभिमानी एवं उद्दंड बन जाता है। साहस और शक्ति ये दो गुण एक व्यक्ति (वीर) को श्रेष्ठ बनाते हैं। परन्तु यदि विन्रमता इन गुणों के साथ आकर मिल जाती है तो वह उस व्यक्ति को श्रेष्ठतम वीर की श्रेणी में ला देती है। विनम्रता व्यक्ति में सदाचार व मधुरता भर देती है। विनम्रता व्यक्ति किसी भी स्थिति को सरलता पूर्वक शांत कर सकता है। परशुराम जी साहस व शक्ति का संगम है। राम विनम्रता, साहस व शक्ति का संगम है। राम की विनम्रता के आगे परशुराम जी के अहंकार को भी नतमस्तक होना पड़ा।

7.1 भाव स्पष्ट कीजिए – बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी||
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू||

उत्तर:- प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है।
भाव – लक्ष्मणजी हँसकर कोमल वाणी से परशुराम पर व्यंग्य कसते हुए बोले- मुनीश्वर तो अपने को बड़ा भारी योद्धा समझते हैं। मुझे बार-बार अपना फरसा दिखाकर डरा रहे हैं। जिस तरह एक फूँक से पहाड़ नहीं उड़ सकता उसी प्रकार मुझे बालक समझने की भूल मत किजिए कि मैं आपके इस फरसे को देखकर डर जाऊँगा।

7.2 भाव स्पष्ट कीजिए – इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं||
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना||

उत्तर:- प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है।
भाव – भाव यह है कि लक्ष्मण जी अपनी वीरता और अभिमान का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम कोई छुई मुई के फूल नहीं हैं जो तर्जनी देखकर मुरझा जाएँ। हम बालक अवश्य हैं परन्तु फरसे और धनुष-बाण हमने भी बहुत देखे हैं इसलिए हमें नादान बालक समझने का प्रयास न करें। आपके हाथ में धनुष-बाण देखा तो लगा सामने कोई वीर योद्धा आया हैं।

7.3 भाव स्पष्ट कीजिए – गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ||

उत्तर:- प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई हैं। उक्त पंक्तियों में परशुराम जी द्वारा बोले गए वचनों को सुनकर विश्वामित्र मन ही मन परशुराम जी की बुद्धि और समझ पर तरस खाते हैं।

भाव-विश्वामित्र ने परशुराम के वचन सुने। परशुराम ने बार-बार कहा कि में लक्ष्मण को पलभर में मार दूँगा। विश्वामित्र हृदय में मुस्कुराते हुए परशुराम की बुद्धि पर तरस खाते हुए मन ही मन कहते हैं कि गधि-पुत्र अर्थात् परशुराम जी को चारों ओर हरा ही हरा दिखाई दे रहा है। जिन्हें ये गन्ने की खाँड़ समझ रहे हैं वे तो लोहे से बनी तलवार (खड़ग) की भाँति हैं। इस समय परशुराम की स्थिति सावन के अंधे की भाँति हो गई है। जिन्हें चारों ओर हरा ही हरा दिखाई दे रहा है अर्थात् उनकी समझ अभी क्रोध व अहंकार के वश में है।

8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:- तुलसीदास रससिद्ध कवि हैं। उनकी काव्य भाषा रस की खान है। तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी गईहै। यह काव्यांश रामचरितमानस के बालकांड से ली गई है। तुलसीदास ने इसमें दोहा, छंद, चौपाई का बहुत ही सुंदर प्रयोग किया है। प्रत्येक चौपाई संगीत के सुरों में डूबी हुई प्रतीत होती हैं। जिसके कारण काव्य के सौंदर्य तथा आनंद में वृद्धि हुई है और भाषा में लयबद्धता बनी रही है। भाषा को कोमल बनाने के लिए कठोर वर्णों की जगह कोमल ध्वनियों का प्रयोग किया गया है। इसकी भाषा में अनुप्रास अलंकार, रुपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार,व पुनरुक्ति अलंकार की अधिकता मिलती है। इस काव्यांश की भाषा में व्यंग्यात्मकता का सुंदर संयोजन हुआ है।

9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- तुलसीदास द्वारा रचित परशुराम – लक्ष्मण संवाद मूल रूप से व्यंग्य काव्य है। उदाहरण के लिए

(1) बहुधनुहीतोरीलरिकाईं।
कबहुँ नअसिरिसकीन्हिगोसाईं||

लक्ष्मण जी परशुराम जी से धनुष को तोड़ने का व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि हमने अपने बालपन में ऐसे अनेकों धनुष तोड़े हैं तब हम पर कभी क्रोध नहीं किया।

(2) मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥

परशुराम जी क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहते है। अरे राजा के बालक! तू अपने माता-पिता को सोच के वश न कर। मेरा फरसा बड़ा भयानक है, यह गर्भों के बच्चों का भी नाश करने वाला है॥

(3) गाधिसूनुकहहृदयहसिमुनिहिहरियरेसूझ।
अयमयखाँड़नऊखमयअजहुँनबूझअबूझ||

यहाँ विश्वामित्र जी परशुराम की बुद्धि पर मन ही मन व्यंग्य कसते हैं और मन ही मन कहते हैं कि परशुराम जी राम, लक्ष्मणको साधारण बालक समझ रहे हैं। उन्हें तो चारों ओर हरा ही हरा सूझ रहा है जो लोहे की तलवार को गन्ने की खाँड़ से तुलना कर रहे हैं। इस समयपरशुराम की स्थिति सावन के अंधे की भाँति हो गई है। जिन्हें चारों ओर हरा ही हरा दिखाई दे रहा है अर्थात् उनकी समझ अभी क्रोध व अहंकार के वश में है।

10.1 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
बालकु बोलि बधौं नहि तोही।

अनुप्रास अलंकार - उक्त पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

10.2 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

(1) अनुप्रास अलंकार - उक्त पंक्ति में ‘क’ वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हुई है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
(2) उपमा अलंकार - कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार है। क्योंकि परशुराम जी के एक-एक वचनों को वज्र के समान बताया गया है।

10.3 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।
बार बार मोहि लागि बोलावा||
(1) उत्प्रेक्षा अलंकार - ‘काल हाँक जनु लावा’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है। यहाँ जनु उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द है।
(2) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार - ‘बार-बार’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। क्योंकि बार शब्द की दो बार आवृत्ति हुई पर अर्थ भिन्नता नहीं है।

10.4 निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए -
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु||

(1) उपमा अलंकार -
(i) उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु में उपमा अलंकार है।
(ii) जल सम बचन में भी उपमा अलंकार है क्योंकि भगवान राम के मधुर वचन जल के समान कार्य रहे हैं।
(2) रुपक अलंकार - रघुकुलभानु में रुपक अलंकार है यहाँ श्री राम को रघुकुल का सूर्य कहा गया है। श्री राम के गुणों की समानता सूर्य से की गई है।

• रचना-अभिव्यक्ति


1. ‘सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।’
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर:-
पक्ष में विचार-
क्रोध बुरी बातों को दूर करने में हमारी सहायता करता है। जैसे अगर विद्यार्थी पढ़ाई में ध्यान न दे और शिक्षक उस पर क्रोध न करे तो वह विद्यार्थी का भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा ?यदि कोई समाज में लोगों पर अन्याय कर रहा है और लोग क्रोध बिना क्रोध किए देखते रहें तो न्याय की रक्षा कैसे होगी ?
विपक्ष में विचार- क्रोध एक चक्र है जो चलता ही रहता है। आप किसी पर क्रोध करेंगे तो वह भी आप पर क्रोधित होता, उनका क्रोध देखकर आप फिर से क्रोधित होगे। इस प्रकार क्रोध के वश आप प्रथम स्वंय को ही हानि पहुँचते है। क्रोध करने से आपकी सेहत खराब हो सकती है और समय का भी व्यय होता है।

2. संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयत है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता।
उत्तर:- मेरा व्यवहार राम और लक्ष्मण के बीच का होता। मैं लक्ष्मण की तरह परशुराम के अहंकार को दूर जरूर करता किन्तु उनका अपमान न करता। मैं शायद अपनी बात लक्ष्मण की तरह ज़ोर-ज़ोर से बोलकर उनके समक्ष रखता। अगर वे सुनते तो राम की तरह विनम्रता से उन्हें समझाता ।

3. अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:- इस प्रसंग से मुझे अपने तीसरी कक्षा के मास्टर जी की याद आती है। उनका नाम मनोहर शर्मा था। उनका स्वभाव बहुत कठोर था। वे बहुत गंभीर रहते थे। स्कूल में उन्हें कभी हँसते या मुस्कराते नहीं देखा जाता था। वे विद्यार्थियों को कभी-कभी ‘मुर्गा’ भी बनाते थे। सभी छात्र उनसे भयभीत रहते थे। सभी लड़के उनसे बहुत डरते थे क्योंकि उन जितना सख्त अध्यापक न कभी किसी ने देखा न सुना था।

4. दूसरों की क्षमता को कम नहीं समझना चाहिए – इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
उत्तर:- हमारी कक्षा में राजीव जैसे ही प्रवेश करता था सभी उसे लंगड़ा-लंगड़ा कहकर संबोधित करने लगते थे। राजीव बचपन से ऐसा नहीं था किसी दुर्घटना के शिकार स्वरुप उसकी यह हालत हो गयी थी। राजीव के सहायता करने की बजाय सभी उसका मज़ाक उड़ाने लगते थे। उसकी आत्मा घायल हो जाती थी। परन्तु राजीव किसी से कुछ न कहता न बोलता चुपचाप अपना काम करते रहता और न ही कभी किसी शिक्षक से बच्चों की शिकायत न करता। ऐसे लगता मानो वह किसी विचार में खोया है। सारे बच्चे दिनभर उधम मचाते उसे तंग करते रहते थे परन्तु वह हर समय पढाई में मग्न रहता। और इसका परिणाम यह निकला कि जब विद्यालय का दसवीं का वार्षिक परिणाम निकला तो सब विद्यार्थियों की आँखें फटी की फटी रही गईं क्योंकि राजीव अपने विद्यालय ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में प्रथम क्रमांक लाया था।
वही विद्यार्थी जो कल तक उस पर हँसते थे आज उसकी तारीफों के पुल बाँध रहे थे। उसकी शारीरिक क्षमता का उपहास उड़ानेवालों का राजीव ने अपनी प्रतिभा से मुँह सिल दिया था। चारों ओर राजीव के ही चर्चे थे। आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में पूर्ण अंगों वाले पूर्ण विद्यार्थी भी पूर्ण सफलता पाने में असमर्थ हैं। ऐसे में में एक विकलांग युवक की इस सफलता से यही पता चलता है कि कोई भी व्यक्ति अपूर्ण नहीं है। हमें लोगों को उनकी शारीरिक क्षमता से नहीं बल्कि प्रतिभा से आँकना चाहिए।

5. उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर:- अन्याय करना और सहना दोनों ही अपराध माने जाते हैं। मेरे पड़ोस में एक गरीब परिवार रहता है। एक दिन उनके यहाँ से बच्चों के रोने की आवाज आ रही थी। हमने जाकर देखा तो बच्चों के पिता उन्हें मजदूरी काम करने न जाने की वजह से पीट रहे थे। हमारे मुहल्लेवालों के सारे लोगों ने मिलकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और बच्चों को उनका शिक्षा प्राप्त करने का हक दिलाया।

6. अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर:- आज अवधी भाषा मुख्यत: अवध में बोली जाती है। यह उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों जैसे – गोरखपुर, गोंडा, बलिया, अयोध्या आदि क्षेत्र में बोली जाती है।

CHAPTER WISE NCERT SOLUTIONS OF CLASS-10 HINDI ( KSHITIJ )

  1. Chapter 1 Surdas

  2. Chapter 2 Tulsidas

  3. Chapter 3 Dev

  4. Chapter 4 Jai Sankar Parsad

  5. Chapter 5 Suryakant Tripathi

  6. Chapter 6 Nagarjuna

  7. Chapter 7 Girija Kumar Mathur

  8. Chapter 8 Rituraj

  9. Chapter 9 Manglesh Dabral

  10. Chapter 10 Svayan Prakash

  11. Chapter 11 Rambriksh Benipuri

  12. Chapter 12 Yashpal

  13. Chapter 13 Sarveshwar Dayal Saxena

  14. Chapter 14 Manu Bhandari

  15. Chapter 15 Mahavir Prasad Dwivedi

  16. Chapter 16 Yatindra Mishra

  17. Chapter 17 Bhadant Anand Kausalyan

Aditional Resource for Class-10

1. Notes on Physics for class-10 Science

2. Notes on chemistry for class-10 Science

3. Notes on Biology for class-10 Science

4.Notes on Mathematics for class-10

NCERT Solutions for Class-10 Online Test

1. Chapter wise online test for Physics class 10

2. Chapter wise online test for chemistry class 10

3. Chapter wise online test for Mathematics class 10

4.Chapter wise online test for Biology class 10

परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उसे क्या कहा?

उनके क्रोध को शाँत करने के लिए राम ने उनसे बिना किसी हर्ष या विषाद के कहा था कि हे नाथ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला कोई उन का ही दास होगा। यदि वे कोई आज्ञा देना चाहते थे तो उन्हें आदेश करें। उनकी वाणी में सहजता थी, मिठास थी।

राम ने परशुराम को क्या कहकर संबोधित किया?

परशुराम को श्रीराम ने 'नाथ' कहकर संबोधित किया था। उन्होंने बड़े ही विनयशीलता के साथ कहा था कि शिव-धनुष तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा।

सहस्त्रबाहु कौन था MCQ?

सहस्रबाहु कौन था? घ. किसान। उत्तर– सहस्रबाहु एक राक्षस था

क्रोधित होते हुए भी परशुराम ने लक्ष्मण का वध क्यों नहीं किया MCQ?

(1) क्रोधित होते हुए भी परशुराम जी ने लक्ष्मण का वध क्यों नहीं किया ?(क) लक्ष्मण ने शिव धनुष भंग नहीं किया था। ख) लक्ष्मण को कम आयु का बालक जानकर। (ग) सभा में सब उपस्थित थे (घ) वे भ्रमण थे​