आप एक 5 साल के बच्चों के जीवन में विकास से क्या समझते हैं? - aap ek 5 saal ke bachchon ke jeevan mein vikaas se kya samajhate hain?

विषयसूची

  • 1 आप एक पाच साल के बच्चे के जीवन में विकास से क्या समझते हैं उसका अध्ययन कैसे किया जा सकता है?
  • 2 प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा क्या है?
  • 3 बाल विकास की अवधारणा क्या है?
  • 4 सामाजिक और भावनात्मक अधिगम क्या है?

आप एक पाच साल के बच्चे के जीवन में विकास से क्या समझते हैं उसका अध्ययन कैसे किया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंबेहतर पोषण तथा सन्तुलित आहार तथा साथ ही नियमित शारीरिक क्रियाकलाप बच्चे के स्वास्थय में विकास के प्रति योगदान करते हैं। ख़राब पोषण बच्चों में बीमारियों और उनकी मृत्यु होने की बढ़ती घटनाओं का एक प्रमुख कारण है। बच्चों की पोषण – संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कैलोरी आवश्यक है।

एक 5 साल के बच्चे के जीवन में विकास से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसबसे शुरूआती वर्ष (0 से 8 वर्ष) बच्चे के विकास के सबसे असाधारण वर्ष होते हैं। जीवन में सब कुछ सीखने की क्षमता इन्ही वर्षों पर निर्भर करती है। इस नींव को ठीक से तैयार करने के कई फायदे हैं: स्कूल में बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और उच्च शिक्षा की प्राप्ति, जिससे समाज को महत्त्वपूर्ण सामाजिक तथा आर्थिक लाभ मिलते हैं।

प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं- (i) आयु विकास की दृष्टि से, खेल आधारित गतिविधियों के उचित कार्यक्रम, पारस्परिक क्रियाओं तथा अनुभवों (जो जीवनपर्यन्त सीखने और विकास के लिए ठोस आधार प्रदान करेंगे) के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना, तथा (ii) ऐसी विशेष प्रकार की अवधारणाओं …

बच्चे तथा बचपन की मनोसामाजिक अवधारणा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबचपन, जन्म से लेकर किशोरावस्था तक के आयु काल को कहते है। विकासात्मक मनोविज्ञान में, बचपन को शैशवावस्था (चलना सीखना), प्रारंभिक बचपन (खेलने की उम्र), मध्य बचपन (स्कूली उम्र), तथा किशोरावस्था (वयः संधि) के विकासात्मक चरणों में विभाजित किया गया है।

बाल विकास की अवधारणा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबाल विकास (या बच्चे का विकास), मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और बौद्धिक परिवर्तनों को कहते हैं, जब वे धीरे-धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं।

बचपन की सामाजिक भावनात्मक समस्याएं क्या है?

इसे सुनेंरोकें१८-२४ महीनों के बीच, बच्चे स्वयं की भावना प्राप्त करने लगते हैं । यह उसी उम्र के आसपास आत्म-जागरूक भावनाओं (जैसे, शर्म, शर्मिंदगी, अपराधबोध, अभिमान) की शुरुआत को जन्म देता है , जिन्हें प्रकृति में खुशी, क्रोध, भय या घृणा जैसी बुनियादी भावनाओं की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है।

सामाजिक और भावनात्मक अधिगम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसामाजिक और भावनात्मक अधिगम, या लघु के लिए एसईएल, बड़ी भावनाओं को प्रबंधित करने, संबंधों को बनाने, आत्म-जागरूकता प्राप्त करने, समस्याओं को हल करने, जिम्मेदार विकल्प बनाने और लक्ष्य निर्धारित करने के लिए आवश्यक कौशल का शिक्षण और विकास है। एसईएल खुले संचार, सामाजिक जागरूकता और सहानुभूति पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

सद्‌गुरु बच्चों की परवरिश के पांच गुर बता रहे हैं जो बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता के बहुत काम आ सकते हैं। चाहे आप मां हों, पिता हों या आप माता-पिता बनने वाले हों, ये परामर्श आपके बहुत काम आ सकते हैं।

ArticleMar 9, 2015

आप एक 5 साल के बच्चों के जीवन में विकास से क्या समझते हैं? - aap ek 5 saal ke bachchon ke jeevan mein vikaas se kya samajhate hain?
सद्‌गुरु बच्चों की परवरिश के पांच गुर बता रहे हैं जो बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता के बहुत काम आ सकते हैं। चाहे आप मां हों, पिता हों या आप माता-पिता बनने वाले हों, ये परामर्श आपके बहुत काम आ सकते हैं।

माता-पिता बनना एक विचित्र अनुभव है। आप कुछ ऐसा करने की कोशिश करते हैं जो आज तक कोई नहीं जान पाया कि उसे अच्छी तरह कैसे किया जाए। चाहे आपके बारह बच्चे हों, तब भी आप सीख ही रहे होते हैं। हो सकता है कि आपने ग्यारह बच्चे अच्छी तरह पाले हों, मगर बारहवें में आपको परेशानी हो सकती है।

1. सही माहौल बनाएं

जरूरी माहौल तैयार करना बच्चों के पालन-पोषण में एक बड़ी भूमिका निभाता है। आपको सही तरह का माहौल तैयार करना चाहिए, जहां खुशी, प्यार, परवाह और अनुशासन की एक भावना आपके अंदर भी और आपके घर में भी हो। आप अपने बच्चे के लिए सिर्फ इतना कर सकते हैं कि उसे प्यार और सहारा दे सकते हैं। उसके लिए ऐसा प्यार भरा माहौल बनाएं जहां बुद्धि का विकास कुदरती तौर पर हो। एक बच्चा जीवन को बुनियादी रूप में देखता है। इसलिए आप उसके साथ बैठकर जीवन को बिल्कुल नयेपन के साथ देखें, जिस तरह वह देखता है।

बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि जैसे ही बच्चा पैदा होता है, शिक्षक बनने का समय शुरू हो जाता है। जब एक बच्चा आपके घर में आता है, तो यह शिक्षक बनने का नहीं, सीखने का समय होता है।

जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा जीवन में वही करे, जो आपने किया। आपके बच्चे को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिसके बारे में सोचने की भी आपकी हिम्मत नहीं हुई। तभी यह दुनिया आगे बढ़ेगी और उपयोगी चीज़ें घटित होंगी।
मानव जाति की एक बुनियादी जिम्मेदारी है, कि वे ऐसा माहौल बनाए जिससे इंसानों की अगली पीढ़ी आपसे और हमसे कम से कम एक कदम आगे हो। यह बहुत ही अहम है कि अगली पीढ़ी थोड़ी और खुशी से, कम डर, कम पक्षपात, कम उलझन, कम नफरत और कम कष्ट के साथ जीवन जिए। हमें इसी लक्ष्य को लेकर चलना चाहिए। अगली पीढ़ी के लिए आपका योगदान यह होना चाहिए कि आप इस दुनिया में कोई बिगड़ैल बच्चा न छोड़ कर जाएं, आप एक ऐसा इंसान छोड़ कर जाएं जो आपसे कम से कम थोड़ा बेहतर हो।

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2. अपने बच्चे की जरूरतों को जानें

कुछ माता-पिता अपने बच्चों को खूब मजबूत बनाने की इच्छा या चाह के चलते उन्हें बहुत ज्यादा कष्ट में डाल देते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे वह बनें जो वे खुद नहीं बन पाए। अपने बच्चों के जरिये अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी करने की कोशिश में कुछ माता-पिता अपने बच्चों के प्रति बहुत सख्त हो जाते हैं। दूसरे माता-पिता मानते हैं कि वे अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं और अपने बच्चों को इतना सिर चढ़ा लेते हैं कि उन्हें इस दुनिया में लाचार और बेकार बना देते हैं।
एक योगी थे जो कश्मीरी शैव नामक एक खास परंपरा से ताल्लुक रखते थे। यह योग के सात प्रकारों में से एक है। यह योग का बहुत शक्तिशाली तरीका है मगर यह मुख्य रूप से कश्मीर इलाके में सीमित है, इसलिए इसे यह नाम मिला। एक दिन, इस योगी ने एक ककून देखा जिसमें थोड़ी सी दरार थी और उसके अंदर मौजूद तितली बाहर आने के लिए छटपटा रही थी। ककून का खोल बहुत सख्त था। आम तौर पर तितली ककून से बाहर आने के लिए लगातार लगभग अड़तालीस घंटे संघर्ष करती है। अगर वह बाहर नहीं आ पाती, तो मर जाती है। योगी ने यह देखा और करुणावश उन्होंने अपने नाखून से ककून को खोल दिया ताकि तितली आजाद हो सके। मगर जब वह बाहर आई, तो उड़ नहीं पाई। ककून को तोड़कर बाहर आने का संघर्ष ही तितली को इतना मजबूत बनाता है कि वह अपने पंखों का इस्तेमाल करके उड़ सके। उस तितली का क्या काम जो उड़ ही न सके? बहुत से लोग अपने बच्चों को लाड़-प्यार में ऐसा ही बना देते हैं। ऐसे बच्चे अपने जीवन में ऊँचाइयों को नहीं छू पाते।
सभी बच्चों पर एक ही नियम लागू नहीं होता। हर बच्चा अलग होता है। यह एक खास विवेक है। इस बारे में कोई सटीक रेखा नहीं खींची जा सकती कि कितना करना है और कितना नहीं करना है। अलग-अलग बच्चों को ध्यान, प्यार और सख्ती के अलग-अलग पैमानों की जरूरत पड़ सकती है। अगर मैं नारियल के बाग में खड़ा हूं और आप आकर मुझसे पूछें कि ‘हर पौधे में कितना पानी देना है,’ तो मैं कहूंगा, ‘कम से कम पचास लीटर।’ लेकिन अगर आप घर जाकर अपने गुलाब के पौधे में 50 लीटर पानी डाल दें, तो वह मर जाएगा। इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके घर में किस तरह का पौधा है।

आप एक 5 साल के बच्चों के जीवन में विकास से क्या समझते हैं? - aap ek 5 saal ke bachchon ke jeevan mein vikaas se kya samajhate hain?

3. बच्चे से सीखें

बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि जैसे ही बच्चा पैदा होता है, शिक्षक बनने का समय शुरू हो जाता है। जब एक बच्चा आपके घर में आता है, तो यह शिक्षक बनने का नहीं, सीखने का समय होता है क्योंकि अगर आप अपनी और अपने बच्चे की ओर देखें, तो आपका बच्चा ज्यादा खुश होता है, है न? इसलिए यह उनसे जीवन के बारे में सीखने का समय है, सिखाने का नहीं। आप बच्चे को बस एक चीज सिखा सकते हैं – जो आपको कुछ हद तक सिखाना पड़ता है – कि दुनिया में किस तरह जीवन यापन से जुड़े काम करें। मगर जब खुद जीवन की बात आती है, तो एक बच्चा अपने अनुभवों से जीवन के बारे में ज्यादा जानता है। वह जीवन है, वह जीवन को जानता है। आपके साथ भी ऐसा होता है, कि अगर आप अपने मन पर थोपे गए प्रभावों को दूर कर दें, तो आपकी जीवन ऊर्जा जानती है कि कैसे रहना है। यह आपका मन है जो नहीं जानता कि कैसे रहना है। एक वयस्क हर तरह का कष्ट खुद पर ओढ़ने में माहिर होता है, ये सब कष्ट उसके मन में होते हैं। बच्चा अब तक उस स्थिति तक नहीं पहुंचा है। इसलिए यह सीखने का समय है, सिखाने का नहीं।

4. उसे अपने तरीके से रहने दें

अगर माता-पिता अपने बच्चों की वाकई परवाह करते हैं, तो उन्हें अपने बच्चों को इस तरह पालना चाहिए कि बच्चे को माता-पिता की कभी जरूरत न हो। प्यार की प्रक्रिया हमेशा आजाद करने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए, उलझाने वाली नहीं। इसलिए जब बच्चा पैदा होता है, तो बच्चे को चारों ओर देखने-परखने, प्रकृति के साथ और खुद अपने साथ समय बिताने दें। प्यार और सहयोग का माहौल बनाएं।

अगर आप अपने बच्चे का पालन-पोषण अच्छी तरह करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको खुद खुश रहना चाहिए। अगर आपके बच्चे को घर में रोजाना तनाव, गुस्सा, डर, चिंता और ईर्ष्या देखने को मिलते हैं, तो उसका क्या होगा? पक्के तौर पर वह केवल इन्हीं से सीखेगा, है न?

उस पर अपने नैतिक मूल्य, विचार, धर्म या और कुछ थोपने की कोशिश न करें। बस उसे विकसित होने दें, उसकी बुद्धि को विकसित होने दें। सिर्फ एक इंसान के रूप में उसकी अपनी शर्तों पर जीवन की ओर देखने में उसकी मदद करें, परिवार या आपकी धन-दौलत या किसी और चीज से उसकी पहचान न बनने दें। एक इंसान के रूप में जीवन की ओर देखने में उसकी मदद करना उसकी खुशहाली और दुनिया की खुशहाली के लिए बहुत जरूरी है। यह आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा निवेश होगा अगर आप अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें कि वह अपने बारे में सोचना सीखे, उसके लिए क्या बेहतर है यह जानने के लिए अपनी बुद्धि और समझ का इस्तेमाल करना सीखे। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप निश्चिंत रह सकते हैं कि आपका बच्चा सही तरीके से विकसित होगा।

आप एक 5 साल के बच्चों के जीवन में विकास से क्या समझते हैं? - aap ek 5 saal ke bachchon ke jeevan mein vikaas se kya samajhate hain?

5. आनंदित और शांत रहें

अगर आप अपने बच्चे का पालन-पोषण अच्छी तरह करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको खुद खुश रहना चाहिए। अगर आपके बच्चे को घर में रोजाना तनाव, गुस्सा, डर, चिंता और ईर्ष्या देखने को मिलते हैं, तो उसका क्या होगा? पक्के तौर पर वह केवल इन्हीं से सीखेगा, है न? अगर आप वाकई अपने बच्चे का अच्छी तरह पालन-पोषण करने का इरादा रखते हैं, तो आपको खुद को एक प्यार करने वाले, आनंदित और शांत इंसान में बदलना होगा। अगर आप खुद को बदलने के काबिल नहीं हैं, तो अपने बच्चे को अच्छे से पालने का सवाल कहां उठता है?
अगर हम वाकई अपने बच्चे को अच्छी तरह पालना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें यह देखना चाहिए कि क्या हम खुद को रूपांतरित कर सकते हैं। जो भी माता-पिता बनना चाहते हैं, उन्हें एक साधारण सा प्रयोग करना चाहिए। उन्हें बैठकर देखना चाहिए कि उनके जीवन में क्या ठीक नहीं है और उनकी जिंदगी के लिए क्या अच्छा होगा। बाहरी दुनिया के लिए नहीं, बल्कि खुद उनके लिए। अगर आप अपने बारे में – अपना व्यवहार, बातचीत, रवैया और आदतें – तीन महीने में बदल सकते हैं, तो आप अपने बच्चे को भी समझदारी से संभाल सकते हैं।

5 साल के बच्चे के जीवन में विकास से क्या समझते हैं?

5 साल (5 Year) 5 साल के बच्चे में जरूर के वो सभी मानसिक विकास हो गए होते हैं, इस उम्र तक वो चीजों को समझने लगते हैं और अपनी बात और जरूरतों को भी व्यक्त कर सकते हैं। इस उम्र में पेरेंट्स को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को अच्छा व्यवहार और आदतों काे सिखाना चाहिए।

बच्चों के विकास से आप क्या समझते हैं?

बाल विकास (या बच्चे का विकास), मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और बौद्धिक परिवर्तनों को कहते हैं, जब वे धीरे-धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं

बच्चों के विकास के लिए सबसे जरूरी क्या है?

बढ़ती उम्र के बच्चों के सही विकास के लिए दूध बहुत जरूरी है. दूध से शरीर को भरपूर कैल्शियम और विटामिन्स मिलते हैं. दूध में फास्फोरस और कैल्शियम होता है जो हड्डी, नाखूनों और दांत को स्वस्थ रखने में मदद करता है. दूध में विटामिन डी भी पाया जाता है.

5 साल का बच्चा क्या क्या कर सकता है?

5 साल का बच्‍चा अपने दोस्‍तों को खुश रखना सीख जाता है और अब वो अपने दोस्‍तों की तरह बनने की भी कोशिश करता है। उसे घर और स्‍कूल के नियम समझ आने लगते हैं। पांच साल के बचचे को नाचना, गाना और एक्टिंग करना पसंद होता है। उसे लड़के और लड़की में फर्क पता होता है।