These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Home Science . Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना . Show विस्तृत उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: अशुद्ध जल के गुण या लक्षण जल एक अत्यधिक उत्तम विलायक है। अनेक वस्तुएँ एवं लवण जल में शीघ्र ही घुल जाते हैं। इसीलिए पूर्ण शुद्ध अवस्था में जल मुश्किल से ही प्राप्त होता है। कोई-न-कोई लवण जल में घुल जाता है अथवा
कुछ अशुद्धियों या गन्दगी का जल-स्रोतों में समावेश हो जाता है जिसके . परिणामस्वरूप जल अशुद्ध हो जाता है। अशुद्ध जल के गुणों या लक्षणों का उल्लेख करने से पूर्व कहा जा सकता है कि वह जल अशुद्ध है जिसमें शुद्ध जल के आवश्यक किसी एक गुण या सभी गुणों को अभाव होता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि अशुद्ध जल में जल का दूषित होना प्रकृति ने हमें शुद्ध जल ही प्रदान किया था, परन्तु विभिन्न कारणों से जल क्रमश: दूषित होता जा रहा है। जल को अधिक दूषित करने में सर्वाधिक योगदान सभ्य व औद्योगिक एवं नगरीय मानव समाज का ही है। विभिन्न अति विकसित एवं आधुनिक मानवीय गतिविधियों के कारण ही जल क्रमशः दूषित होता जा रहा है। जल को दूषित करने वाले कुछ मुख्य कारकों का संक्षिप्त विवरण अग्रवर्णित है (1) घरेलू वाहित मल (सीवेज): (2) वर्षा का जल: (3) औद्योगिक संस्थानों द्वारा विसर्जित पदार्थ: (4) तैलीय (ऑयल) प्रदुषण: (5) रेडियोधर्मी
पदार्थ: जल में पाई जाने वाली मुख्य अशुद्धियाँ दूषित जल में मुख्य रूप से दो प्रकार की अशुद्धियाँ पायी जाती हैं जिन्हें क्रमशः घुलित अशुद्धियाँ तथा अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियाँ कहा जाता है। इन दोनों प्रकार की अशुद्धियों को। संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है (1) घुलित अशुद्धियाँ: (2) अघुलित अथवा तैरने वाली अशुद्धियाँ:
(संकेत–अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियों के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न सं० 2 के अन्तर्गत ‘अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियाँ देखें। प्रश्न 2: उत्तर: अशुद्ध जल को शुद्ध करने की घरेलू विधियाँ अनेक प्रकार के घुलित एवं अघुलित कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थों तथा अनेक प्रकार के कीटाणुओं की उपस्थिति के कारण जल अशुद्ध अथवा दूषित हो जाता है। इस प्रकार के जल का सेवन स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है तथा अनेक रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है। (UPBoardSolutions.com) अतः इन अशुद्धियों को दूर कर शुद्ध जल प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रकार जनसाधारण के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से जल
के शुद्धिकरण की घरेलू विधियों का ज्ञान और भी महत्त्वपूर्ण है। घरेलू विधियों द्वारा जल को शुद्ध करने के विभिन्न उपायों को निम्नलिखित तीन वर्गों में रखा जा सकता है (क) भौतिक विधियाँ: (1) जल को उबालकर शुद्ध करना: अतः अधिक-से-अधिक पीने वाले तथा खाना पकाने के लिए पानी, को ही इस विधि द्वारा शुद्ध किया जा सकता है। (2) आसवन विधि द्वारा जल का शुद्धीकरण: (3) परा-बैंगनी अथवा अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से जल का शुद्धिकरण: (ख) यान्त्रिक विधियाँ: (1) चार घड़ों की विधि: (2) आधुनिक निस्यन्दक अथवा फिल्टर द्वारा जल का शुद्धीकरण: पाश्चर चैम्बरलेन फिल्टर तथा वर्कफील्ड फिल्टर द्वारा जल को प्रभावी ढंग से छानकर शुद्ध किया जाता है। इसका निर्माण क्ले तथा पोर्सलीन मिट्टी से किया जाता है। इसमें नीचे की ओर एक बाहरी बर्तन । टोंटी लगी होती है तथा अन्दर की ओर एक दूसरा बर्तन ऊपर लटका होता है जिसकी तली में क्ले मिट्टी का बना सिलेण्डर होता है। सिलेण्डर का पतला भाग दूसरे बर्तन में निकला होता है। यह सिलेण्डर सिलेण्डर – ही जल को शुद्ध करने (UPBoardSolutions.com) का कार्य करता है। इस सिलेण्डर को पोर्सलीन का – समय-समय पर स्वच्छ कराते रहना चाहिए। इस फिल्टर द्वारा जल भीतरी बर्तन तेजी से छनता है तथा पूर्णरूप से शुद्ध होता है। घरेलू उपयोग के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। आजकल बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ; जैसे बजाज, क्रॉम्पटन, बलसारा इत्यादि; विभिन्न क्षमता के फिल्टर बना रही हैं, जिनको बाजार से क्रय किया जा सकता है। (ग) रासायनिक विधियाँ: (1) अवक्षेपक द्वारा: (2) कीटाणुनाशक पदार्थों द्वारा: (i) पोटैशियम
परमैंगनेट: लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: उत्तर: (क) अस्थायी कठोरता: जल की अस्थायी कठोरता कैल्सियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेटों के कारण होती है तथा स्थायी कठोरता कैल्सियम व मैग्नीशियम के क्लोराइड अथवा सल्फेट के कारण। अस्थायी कठोरता को सरलता से दूर किया जा सकता है, किन्तु स्थायी कठोरता का निवारण कठिन है। जल की अस्थायी कठोरता को जल उबालकर समाप्त किया जा सकता है; किन्तु स्थायी कठोरता का निवारण कठिन है। स्थायी कठोरता के निवारण के लिए कठोर जल में कपड़े धोने का सोडा अल्प मात्रा में मिलाया जाता है। अथवा सोडे एवं चूने का मिश्रण मिलाया जाता है। इसके अतिरिक्त परम्यूटिट विधि द्वारा भी स्थायी करता को संमाप्त किया जा सकता है। प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: प्रश्न 2: प्रश्न 3: प्रश्न 4: प्रश्न 5: प्रश्न 6: प्रश्न 7: प्रश्न 8: प्रश्न 9: प्रश्न 10: प्रश्न 11: प्रश्न
12: बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न: 1. शुद्ध जल में अभाव होता है 2. शुद्ध जल कौन-सा होता
है? 3. जल दूषित कैसे होता है? 4. घर पर शुद्ध पेय जल प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम उपाय है 5. आसवन विधि द्वारा शुद्ध किए गए जल का नाम है 6. आसुत जल का प्रयोग होता है 7. कपड़ों की धुलाई के लिए कौन-सा जल उत्तम होता है? [2008, 17] 8. कठोर जल में कौन-से लवण घुले रहते हैं? 9. जल की अघुलित
अशुद्धियों को जल से अलग किया जा सकता है 10. व्यापक स्तर पर जल को कीटाणुरहित करने का उत्तम उपाय है 11. जल की घुलित अशुद्धियों को अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है 12. आसुत जल किस विधि द्वारा तैयार होता है? 13. कुएँ के जल को शुद्ध करने के लिए उसमें डालते हैं [2007, 08, 09, 10] 14. जल शुद्धिकरण के लिए किसका प्रयोग किया जाता है? [2008] 15. पोटैशियम परमैंगनेट का प्रयोग जल के शुद्धिकरण के लिए कहाँ किया जाता है? [2013] उत्तर: We hope the UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 घरेलू विधियों से जल को शुद्ध करना, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. अशुद्ध जल से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?मुख्य रूप से अशुद्ध जल के निरन्तर सेवन से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है, भूख घट जाती है तथा जी मिचलाने (UPBoardSolutions.com) लगता है। कै होना, कब्ज हो जाना आदि रोग भी अशुद्ध जल पीने से ही हुआ करते हैं। इसके अतिरिक्त हैजा, मियादी बुखार, पेचिश, अतिसार आदि रोग भी अशुद्ध जल के सेवन से हो सकते हैं।
अशुद्ध जल का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है जल की अशुद्धियों को कैसे दूर किया जा सकता है?Answer: अशुद्ध जल में फिटकरी डालने से जल में निलम्बित पदार्थ अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस जल में थोड़ी मात्रा में चूना मिला देने से जल और शुद्ध हो जाता है। इसके अतिरिक्त निर्मली नामक एक फल भी जल की अशुद्धियों को अवक्षेपित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
आसुत जल का मतलब क्या होता है?आसुत जल वह जल है जिसकी अनेक अशुद्धियों को आसवन के माध्यम से हटा दिया गया हो। आसवन में पानी को उबालकर उसकी भाप को एक साफ़ कंटेनर में संघनित किया जाता है। यह पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि इसमें जीवन के लिए आवश्यक लवण अनुपस्थित होते है।
दूषित जल के कारण कौन सी बीमारी होती है?उन्होंने बताया कि दूषित पानी के सेवन से चर्म रोग, पेट रोग, पीलिया, हैजा, दस्त, उल्टीयां, टाइफाईड बुखार आदि रोग हो सकते हैं। गर्मी व बरसात के दिनों में इनके होने का खतरा ज्यादा होता है।
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