आंध्र प्रदेश की विशेषता क्या है? - aandhr pradesh kee visheshata kya hai?

कृष्णा-गोदावरी नदियों की घाटी और इसमें रहने वाले लोग, जिन्हें आंध्र के रूप में जाना जाता है, प्राचीन काल से भारत के राजनीतिक मानचित्र पर दिखाई देते रहें हैं। समय के साथ, उत्तर से प्रवासी और विजेता बार-बार इस क्षेत्र में आए, जिसके परिणामस्वरूप यह एक अत्यधिक सारग्राही और महानगरीय संस्कृति बन गया। आंध्र प्रदेश राज्य की एक विस्तृत तटरेखा है और समुद्र ने इस भूमि की संस्कृति और सभ्यता को आकार देने में एक प्रारंभिक भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र का खानपान, इन सभी प्रभावों के समृद्ध मिश्रण का योग्य उदाहरण है।

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दक्षिण भारत का नक्शा, 300 ईसा पूर्व; आंध्र प्राचीन काल से ही भारतीय उपमहाद्वीप के भू-राजनीतिक मानचित्र पर चित्रित किए जाते रहे हैं। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

इतिहास: एक सिंहावलोकन

प्राचीन काल के दौरान, कृष्णा-गोदावरी नदियों की घाटी के आसपास के क्षेत्र पर, सातवाहन, इक्ष्वाकु, पल्लव, चोल और चालुक्य जैसे, प्रायद्वीपीय भारत के प्रमुख राजवंशों का शासन था। मध्ययुगीन काल तक, उत्तर भारत के इस्लामी राजवंशों के शासकों द्वारा की गई घुसपैठ के कारण इस क्षेत्र में राजनीति और संस्कृति के नए तत्व आए। दिल्ली सल्तनत, कुतुब शाहियों और मुगलों ने इस क्षेत्र के सांस्कृतिक ताने-बाने में अरबी, तुर्की और फ़ारसी तत्वों को जोड़ा। इस प्रक्रिया के कारण अंततः 18वीं शताब्दी में हैदराबाद के निजामों के राज्य की स्थापना हुई जिन्होंने एक बहुआयामी और परिष्कृत अभिजात परंपरा विकसित की। अंग्रेजों के उस स्थान पर पहुँचने के बाद, हैदराबाद एक रियासत बन गया, जो हालांकि निजामों द्वारा शासित था, परंतु शाही ब्रिटिश साम्राज्य के अधीनस्थ दर्जे के साथ। 2014 में जब राज्य के उत्तर-पश्चिमी हिस्से को तेलंगाना नामक एक नया राज्य बनाने के लिए अलग किया गया था, तब तक हैदराबाद आंध्र प्रदेश के आधुनिक राज्य की राजधानी बना रहा। हैदराबाद अब दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में कार्य करता है। हैदराबाद के निज़ामों की शाही रसोई ने एक परिष्कृत खानपान विकसित किया जो देशी परंपराओं के साथ नए पाक प्रभावों को सावधानी से मिश्रित करता है। यह पाक विरासत दोनों राज्यों की साझा विरासत है।

भूगोल और मुख्य उपज

आंध्र प्रदेश राज्य को दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: पूर्व में तटीय इलाका जो बंगाल की खाड़ी के निकट स्थित है, और पश्चिम में आंतरिक मुख्य भूमि जो रायलसीमा क्षेत्र के रूप में जानी जाती है। तटीय क्षेत्र में कई सारी नदीयाँ और जल निकाय हैं, जिसके कारण वहाँ उपजाऊ जलोढ़ मैदान है, जबकि आंतरिक मुख्य भूमि उत्तरोत्तर शुष्क और गर्म होती जाती है। आंध्र प्रदेश अपने गर्म और मसालेदार खानपान के लिए जाना जाता है। जैसे-जैसे कोई तटीय क्षेत्र से आंतरिक मुख्य भूमि की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे खानपान भी उत्तरोत्तर मसालेदार होता जाता है। राज्य की प्रमुख नदियाँ कृष्णा, गोदावरी, तुंगभद्रा और पेन्नार हैं। इस क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा होती है और यहाँ आधुनिक सिंचाई परियोजनाओं का विकास हुआ है। कुल मिलाकर, यहाँ की जलवायु गर्म और आर्द्र है। यह स्थलाकृति चावल की खेती के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है। वास्तव में, आंध्र प्रदेश को "भारत का चावल कटोरा" के रूप में नामित किया गया है। चावल इस क्षेत्र की मुख्य फसल भी है। हालांकि, भीतरी मुख्य भूमि के शुष्क क्षेत्रों में, ज्वार और बाजरे की रोटियाँ की व्यापक रूप से खाई जाती हैं। चावल के अलावा, राज्य की अन्य प्रमुख फसलों में बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का, मोटे अनाज और दालें शामिल हैं। तटीय क्षेत्र में फलता-फूलता मछली पकड़ने का उद्योग है।

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धान के खेतों का एक दृश्य, नेल्लोर। आंध्र प्रदेश को "भारत का चावल कटोरा" कहा गया है। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

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पारंपरिक आंध्र भोजनम्। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

आंध्र भोजनम्: विशेषताएँ और चिह्नक व्यंजन

आंध्र भोजनम्, मसालेदार, चटपटे और मीठे स्वादों का एक सुखद समामेलन है। यद्यपि आंध्र थाली के अलग-अलग घटक, क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, फिर भी आंध्र में खाना पकाने की कुछ अनूठी विशेषताएँ हैं जो इसे अन्य खानपान से अलग करती हैं। तेज़ स्वाद को उभारने और भोजन को एक तीव्र अनोखापन प्रदान करने के लिए, मसालों का उपयोग, एक महत्वपूर्ण विशेषता है। इस क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और सर्वव्यापी मसालों में से एक है, मिर्च। गुंटूर की मिर्च अपनी गर्मी और तीखेपन के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कई विशिष्ट आंध्र व्यंजन, प्रचुर मात्रा में मिर्च का उपयोग करते हैं। एक अन्य प्रमुख घटक है, करी पत्ता, जिसे भोजन में अधिक मात्रा में मिलाया जाता है। आंध्र के खानपान में विभिन्न मसालों का प्रयोग सावधानीपूर्वक एवं संतुलित तरीके से किया जाता है जो धीरे-धीरे आपके स्वाद को जागृत कर देते हैं। मसाले आपकी जठराग्नि को उकसाने और आपकी भूख को बढ़ाने में भी मदद करते हैं।

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विश्व प्रसिद्ध गुंटूर लाल मिर्च। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

तटीय थाली में विभिन्न प्रकार के रसेदार व्यंजन (करी) शामिल किए जाते हैं, जिसमें समुद्री भोजन भी रहता है जिसे चावल के साथ खाया जाता है। शोरबों में ताज़ा कसा हुआ नारियल या नारियल का दूध मिलाया जाता है ताकि मसालों के तीखेपन को संतुलित किया जा सके। आंध्र प्रदेश के सबसे उत्तरी भाग, जिसे उत्तरआंध्र भी कहा जाता है, के व्यंजनों में गुड़ और मेथी का व्यापक उपयोग होता है। रायलसीमा क्षेत्र का भोजन, पिसी मिर्च की प्रचुर मात्रा में उपयोग के कारण भिन्न है और पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक के प्रभाव को प्रदर्शित करता है। रागी इस क्षेत्र के मुख्य भोज्य-पदार्थों में से एक है। नेल्लोर क्षेत्र, खाना पकाने की अपनी विशिष्ट शैली का दावा करता है। नेल्लोर शैली की बिरयानी और नेल्लोर शैली का डोसा लोकप्रिय पकवान हैं। नेल्लोर झींगे की उत्कृष्ट किस्मों के लिए भी जाना जाता है।

आंध्र के पाककला खजाने की सूची में शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों की असाधारण विविधता शामिल है। खानपान के सर्वोत्कृष्ट व्यंजनों में से एक पप्पू या दाल है। यद्यपि दाल भारतीय पाक कला का लगभग सर्वव्यापी व्यंजन है, जो सभी क्षेत्रों में पाया जाता है, फिर भी आंध्र पप्पू का अपना विशिष्ट स्वाद होता है। पप्पू को अन्य दालों से उसके गाढ़ेपन और देशी मसालों और जड़ी-बूटियों के उपयोग की वजह से भिन्न माना जा सकता है। इसका मसाला अलग से तैयार किया जाता है और फिर पकी हुई दाल में मिलाया जाता है। सबसे लोकप्रिय किस्मों में से कुछ हैं, टमाटर पप्पू, कूड़ा या पालक पप्पू, गोंगुरा या लाल सोरेल पत्ता पप्पू और बीरकाया या तुरई पप्पू। चावल के साथ मिश्रित पप्पू का एक मलाईदार निवाला, आंध्र खानपान के मसालेदार व्यंजनों का स्वाद लेने के बीच, राहत भरा अंतराल प्रदान कर सकता है। पप्पू के अलावा, चावल के साथ आंध्र प्रदेश के चिह्नक स्टू भी खाए जाते हैं, जिन्हें पुलुसु के नाम से जाना जाता है, जिनका मुख्य रूप से तटीय क्षेत्र में आनंद लिया जाता है। इमली के उपयोग से इस व्यंजन में विशिष्ट खट्टापन आ जाता है। टमाटर, सहजन, बैंगन और लौकी जैसी विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उपयोग करके या मछली, झींगे, चिकन और मटन जैसी मांसाहारी वस्तुओं के साथ पुलुसु को तैयार किया जाता है। भोजन के साथ आम तौर पर चारु लिया जाता है, जो अधिकतर इमली और मसालों से बना एक प्रकार का पनियल सूप, अथवा रसम का आंध्र संस्करण, होता है। बैंगन आंध्र खानपान की सबसे पसंदीदा सामग्रियों में से एक है और इसका उपयोग, हल्के झोल में उबाले हुए, कसे हुए नारियल, मूँगफली और मसालों के मिश्रण से भरे हुए कच्चे बैंगन, अथवा गुट्टी वंकैया कूरा, जैसे व्यंजनों को तैयार करने के लिए किया जाता है। बैंगन का उपयोग पारंपरिक आंध्र चटनी बनाने के लिए भी किया जाता है जिसे पचड़ी कहा जाता है। आंध्र का भोजन वास्तव में पचड़ी के बिना अधूरा माना जाता है। यह चटनी टमाटर, गोंगुरा, तुरई, आम, दाल, आदि, से भी तैयार की जाती है। आंध्र खानपान के मसालेदार खजानों की सूची में स्वादिष्ट अचार शामिल हैं, जिनके लिए यह राज्य प्रसिद्ध है। पारंपरिक आंध्र अचार को अवकाया के नाम से जाना जाता है, जिनमें सबसे उत्कृष्ट ममिडी अवकाया या आम का अचार है। अचार की अन्य लोकप्रिय किस्में हैं उसिरिकाया (आंवला) अवकाया और निम्मकाया (नींबू) अवकाया। अप्पडम या पापड़ आंध्र के खाने में एक कुरकुरे और स्वादिष्ट स्वाद को जोड़ते हैं। थाली का एक अभिन्न अंग मज्जिगा (छाछ) या पेरुगु (दही) है, जो मसालेदार भोजन के साथ-साथ गर्म जलवायु से अत्यावश्यक राहत प्रदान करता है।

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गुट्टी वंकैया कूरा या कच्चे भरवां बैंगन। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

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अवकाया या पारंपरिक आंध्र अचार। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

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फ़िश पुलुसु या पारंपरिक आंध्रा फ़िश करी। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

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आसफ़ जाही वंश का शाही ध्वज। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

निज़ाम शाहियों का शाही खानपान

आंध्र के खानपान की चर्चा इसके शाही व्यंजनों की छानबीन के बिना अधूरी है। एक राज्य अपने भोजन को, अपने शाही प्रतीक चिन्ह के हिस्से के रूप में रखने से ज्यादा उपयुक्त सम्मान और क्या दे सकता है? आसफ़ जाही राजवंश के ध्वज के केंद्र में एक सफेद घेरे के साथ एक पीले रंग की पृष्ठभूमि है। ऐसा माना जाता है कि सफेद घेरा एक कुल्चे (एक प्रकार की भारतीय रोटी) का प्रतीक है। किंवदंती यह है कि मीर कमर-उद-दीन सिद्दीकी या आसफ़ जाह प्रथम, जो कि औरंगजेब के अधीन दक्कन के मुगल वायसरॉय थे, एक बार सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से मिलने गए और उन्होंने उनके साथ भोजन किया। जब आसफ़ जाह अपने हिस्से का खाना खत्म नहीं कर सके तो उन्होंने बचे हुए कुल्चे को पीले कपड़े में बाँध लिया। भोजन के दौरान, संत ने भविष्यवाणी की कि आसफ़ जाह प्रथम और उनके वंशज सात पीढ़ियों तक दक्कन पर शासन करेंगे। वायसरॉय ने अंततः खुद को मुगल साम्राज्य से अलग कर लिया और हैदराबाद के निजामों के शाही घराने की नींव रखी। ऐसा कहा जाता है कि आसफ़ जाही राजवंश के आधिकारिक ध्वज को, संत निजामुद्दीन औलिया, जिन्होंने राज्य की बुनियाद को अपना आशीर्वाद दिया था, को सम्मान देने के रूप में बनाया गया था।

हैदराबाद के निज़ाम उत्कृष्ट भोजन के संरक्षक थे और उनके शासन में एक परिष्कृत पाक संस्कृति का उदय हुआ। मुगलों की एक शाखा होने के नाते, वे अपने साथ उन पाक रीति-रिवाजों और तकनीकों को लेकर आए थे जो मुगल रसोई में पहले से ही एक परिष्कृत स्थिति में पहुँच गईं थीं, और उन्हें मौजूदा दक्कनी परंपराओं के साथ जोड़कर, उन्होंने एक और विशिष्ट मिश्रण तैयार किया। कहा जाता है कि अवध के नवाब के अधीन एक प्रसिद्ध शाही रसोइया, पीर अली, अंग्रेज़ी अधिग्रहण के बाद हैदराबाद चला आया था, और उसने निज़ाम के राज्य में संरक्षण प्राप्त किया था। कुतुब शाहियों और निज़ामों के अंतर्गत, स्थानीय खानपान में मांस के व्यंजनों की एक बड़ी मात्रा पकाई जाने लगी। निज़ामी दस्तरख्वान में कबाब, कोरमा, भुने हुए मांस एवं गोश्त के सालन की अनगिनत किस्में शामिल थीं। दही के भरावन के साथ मुँह में घुल जाने वाला आकर्षक शिकमपुरी कबाब, और चुनिंदा मसालों में लपेटकर पकाए गए मांस के रसीले टुकड़े या बोटी कबाब, इस क्षेत्र में आज भी दिल जीत रहे हैं। पत्थर की पटिया पर भुना हुआ मेमना या पत्थर-का-गोश्त, एक प्रसिद्ध हैदराबादी व्यंजन है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति मध्य पूर्व में मांस तैयार करने की सदियों पुरानी तकनीकों से जुड़ी हुई है। हैदराबादी दम-का-मुर्ग एक गरिष्ठ व्यंजन है जिसे चिकन से तैयार किया जाता है, जिसमें चिकन को पहले मसालों के मिश्रण में लपेटकर रखा जाता है और फिर पिसे हुए काजू और दही के मलाईदार गाढ़े रसे में धीमी आँच पर पकाया जाता है। दम, एक धीमी आँच पर खाना पकाने की तकनीक है जिसके बारे में माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति भी मध्य पूर्व में हुई थी। निज़ामों के अंतर्गत, गरिष्ठ मुग़लई व्यंजनों को इमली, करी पत्ता और मिर्च जैसी सामग्री डालकर देशी शैली के हिसाब से अनुकूलित किया गया था। चुगुर गोश्त या इमली के मुलायम पत्तों के साथ पका मेमने का गोश्त, एक अनोखा हैदराबादी व्यंजन है जो खाना पकने के काम में इस तरह के संलयन को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। केले के पत्ते का प्रयोग भी एक स्वदेशी आंध्र परंपरा है। हैदराबादी हलीम एक मलाईदार स्टू है जो मांस के कीमे, दाल और पिसे हुए गेहूँ और जौ से तैयार किया जाता है। इस व्यंजन की लोकप्रियता के कारण इसे प्रतिष्ठित जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग से सम्मानित किया गया है। रमजान के पवित्र महीने के दौरान यह, व्यंजन-सूचि का एक अभिन्न अंग बन जाता है।

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निज़ाम अली खान, हैदराबाद के आसफ़ जाह द्वितीय। चित्र स्रोत: फ़्लिकर

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हैदराबादी चिकन बिरयानी। चित्र स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स

सुप्रसिद्ध हैदराबादी बिरयानी

हैदराबादी दम बिरयानी आंध्र प्रदेश का एक विशिष्ट व्यंजन है जो इस क्षेत्र और उसके बाहर व्यापक रूप से लोकप्रिय है। वास्तव में, बाहरी लोगों के लिए, हैदराबादी बिरयानी अक्सर आंध्र खानपान का प्रथम परिचय होता है। हालांकि, भारतीय उपमहाद्वीप में अवधी, कोलकाता-शैली, मालाबार और थालास्सेरी जैसी बिरयानी की कई अन्य उल्लेखनीय किस्में हैं, फिर भी हैदराबादी बिरयानी मसालों के सावधानीपूर्वक मिश्रण द्वारा प्रदत्त विशिष्ट स्वाद की वजह से अपना एक विशेष स्थान रखती है। इस व्यंजन की परिवर्तनशील प्रकृति के बारे में तो ऐसा माना जाता है कि निज़ाम की रसोई में ही 50 से अधिक किस्मों की बिरयानियाँ तैयार की जाती थीं। एक संपूर्ण पौष्टिक व्यंजन होने के कारण, बिरयानी, लगातार एक स्थान से दूसरे की ओर जाती हुईं शाही टुकड़ियों के सदस्यों का भी एक पसंदीदा व्यंजन था। हैदराबादी दम बिरयानी, चिकन, मेमना, झींगा और यहाँ तक कि सब्जियों का उपयोग करके भी तैयार की जा सकती है। बिरयानी को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: कच्ची बिरयानी जिसमें चावल के साथ स्तरित होने से पहले मांस को रात भर मसालों में लपेटकर रखा जाता है और दबाव में पकाया जाता है, और पक्की बिरयानी जिसमें मांस को थोड़े समय के लिए मसालों में लपेटकर रखा जाता है और फिर अलग से पकाकर चावल में मिलाया जाता है। हालांकि, यह मांस के बजाय मसाले हैं जो हैदराबादी बिरयानी को उसका अचूक विशिष्ट स्वाद देते हैं। हालांकि अधिकांश मसाले भारतीय उपमहाद्वीप में लोकप्रिय गरम मसाले के एक सामान्य समुच्चय से लिए जाते हैं, जैसे जीरा, दालचीनी, इलायची, काली मिर्च, जायफल, जावित्री, सौंफ, इत्यादि, फिर भी यह वह अनुपात है जिसमें इन मसालों को मिलाया जाता है जो कि असली जादू रचता है। जहाँ अवधी बिरयानी भी (यह भी मुगल मूल से संबंधित है) मसालों के सावधानीपूर्वक मिश्रण पर आधारित है, परंतु इसका उद्देश्य सूक्ष्म और नाजुक स्वाद प्राप्त करना है। वहीं दूसरी ओर हैदराबादी बिरयानी का एक विशिष्ट तीखा और तेज़ स्वाद होता है। हैदराबादी बिरयानी के अलावा, आंध्र प्रदेश में दम बिरयानी की कई क्षेत्रीय किस्में भी पाई जाती हैं, जिनमें से एक सबसे प्रसिद्ध नेल्लोर-शैली की बिरयानी है, जिसमें एक अनोखा खट्टा स्वाद प्रदान करने के लिए अनानास के छोटे टुकड़े मिलाए जाते हैं।

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करम पूथारेकुलू। चित्र स्रोत: फ़्लिकर

मीठे पकवान

परंपरागत रूप से, आंध्र प्रदेश की मिठाइयाँ, मौसमी त्योहारों, शादियों और समारोहों जैसे विशेष अवसरों पर भोजन सूचि को सुशोभित करती हैं। पूर्णम बूरेलू या पूर्णालू एक ऐसा ही उत्सवी व्यंजन है जिसे, चने की दाल में गुड़ मिलाकर, और फिर उसे उड़द की दाल और चावल के आटे के घोल में लपेटकर, उसके पकौड़े तैयार करके बनाया जाता है। पुथारेकुलू, जिसे पेपर स्वीट के रूप में भी जाना जाता है, आंध्र प्रदेश के अत्रेयपुरम शहर की एक अनोखी मिठाई है। चावल और बेसन के घोल से कागज की पतली परतें तैयार करके और फिर उन पर घी और गुड़ का लेप लगाकर, यह स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया जाता है। अरिसेलू एक और उत्सवी मिठाई है जिसे चावल के आटे, घी और गुड़ के पकौड़े तलकर और तिल से सजाकर तैयार किया जाता है। शाही हैदराबादी भोजन भी अपनी समृद्ध और उत्तम मिठाइयों के खजानों के साथ आता है। उनमें से कुछ बहुत प्रसिद्ध हैं जैसे खुबानी-का-मीठा (खुबानी आधारित मिठाई), डबल-का-मीठा या शाही टुकड़े (गाढ़े दूध और सूखे मेवे के मसालों में डूबे हुए डबल रोटी के तले हुए टुकड़े) और शीर खुरमा (खजूर, सूखे मेवे और मसालों के साथ पका, गरिष्ठ सिंवई का हलवा)।

आंध्र प्रदेश की क्या विशेषता है?

आन्ध्र प्रदेश एक खनिज समृद्ध राज्य है, जो खनिज संपदा के मामले में भारत में दूसरे स्थान पर है। 30 अरब टन के अनुमान सहित, भारत के चूना पत्थर भंडार का एक तिहाई इस राज्य में है। कृष्णा गोदावरी घाटी में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के विशाल भंडार हैं। राज्य, कोयले के भंडार की बड़ी राशि से भी समृद्ध है।

आंध्र प्रदेश का मुख्य भोजन क्या है?

तेलुगु भोजन भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के लोगों द्वारा खाये जाने वाले विभिन्न खाद्य-पदार्थों को संदर्भित करता है। चावल तेलुगू भोजन का मुख्य आहार है और सामान्यतः इसे अनेक प्रकार की कढ़ियों और मसूर की दाल या शोरबे के साथ खाया जाता है।

आंध्र प्रदेश में कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?

तिरुपति महोत्सव आंध्र प्रदेश के तिरुपति में कई त्योहार आयोजित किए जाते हैं। सबसे प्रसिद्ध त्योहार ब्रह्मोत्सवम हैं, जो भगवान वेंकटेश्वर का सबसे अधिक प्रभावित त्योहार है। ब्रह्मोत्सव 10 दिनों तक चलता है और तिरुपति मंदिर के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।

आंध्र प्रदेश की प्रसिद्ध वस्तु क्या है?

विजयवाड़ा शहर अपने स्वदिष्ट आम, मिठाइयों और सुंदर वसंत के मौसम के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध हैं। बता दें कि विजयवाडा में दक्षिण भारत का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है। विजयवाडा के प्रमुख आकर्षण में शामिल खूबसूरत मूर्तियाँ, गुफाएं, कोंडापल्ली फोर्ट, कनक दुर्गा मंदिर, भवानी द्वीप प्रकाशम, गांधी पार्क आदि हैं।