पालन पानी और पातालपानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है? - paalan paanee aur paataalapaanee ke beech ka teesara roop kaun sa hai?

कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

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पालरपानी- यह पानी का एक रूप है। यह पानी सीधे बरसात से मिलता है। यह धरातल पर बहता है और इसे नदी, तालाब आदि में रोका जाता है।

पातालपानी-यह पानी का दूसरा रूप है। यह वही भूजल होता है जिसे कुओं में से निकाला जाता है।

रेजाणीपानी- धरातल से नीचे उतरा, लेकिन पाताल में न मिलने वाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है। वर्षा-जल को मापने के लिए ‘रेजा’ शब्द का उपयोग होता है और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है।

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निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?


लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि जब कुंई गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन पर बनती है तब उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष भर की नमी की तरह सुरक्षित रहता है और इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। नमी की मात्रा तो वहाँ हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है। अब उस क्षेत्र में बनने वाली हर कुंई का अर्थ होता है-पहले से तय नमी का बँटवारा। इसीलिए निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में बनी कुंइयों पर समाज का अंकुश लगा रहता है। बहुत जरूरत पड़ने पर ही समाज नई कुंई के लिए अपनी स्वीकृति देता है।

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राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?


राजस्थान में कुंई छोटे कुएँ को कहते हैं। यह कुएँ? स्त्रीलिंग रूप है। यह छोटी केवल व्यास में होती है, गहराई में यह कुएँ से कम नहीं होती। राजस्थान में अलग-अलग स्थानों में एक विशेष कारण से कुंइयों की गहराई कुछ कम-ज्यादा होती है। कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है। यदि कुंई का व्यास बड़ा होगा तो उसमें कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल जाता है और तब उसे ऊपर निकालना कठिन होता है।

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चेजारों के साथ गाँव-समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फर्क आया है? पाठ के आधार पर बताइए।


कुंई खोदने का काम करने वाले चेजारे कहलाते हैं। कुंई बन जाने पर चेजारों का भरपूर सम्मान किया जाता था। इस अवसर पर उत्सव मनाने की परंपरा गाँव-समाज में रही है। तब एक विशेष उत्सव का आयोजन होता था। चेजारों को विदाई के समय तरह-तरह की भेंटें दी जाती थीं। उनका संबंध उसी दिन समाप्त न होकर वर्ष भर चलता रहता था। उन्हें तीज-त्योहारों तथा विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी भेंट दी जाती थी। फसल आने पर खलिहान में उनके नाम से अनाज का एक अलग ढेर लगता था। अब उस स्थिति में फर्क आ गया है। अब तो सिर्फ मजदूरी देकर काम करवाने का रिवाज आ गया है। अब उन्हें काम की समाप्ति पर मजदूरी देकर विदा कर दिया जाता है।

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दिनों-दिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें।


आजकल. दिनों-दिन पानी की कमी की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। नदियों का जल-स्तर घटता जा रहा है। पूरे पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पाती। इस पाठ से हमें यह मदद मिलती है कि हम जल प्राप्ति के अन्य उपायों पर विचार करें। कुओं और कुंइयों से पानी प्राप्त करना भी एक सरल उपाय है। ट्यूबवैल लगाकर भी पानी पाया जा सकता है। विभिन्न राज्यों में वर्षा के जल का संचयन किया जा रहा है। इसके लिए तालाब बनाए जा रहे हैं। घरों की छतों पर भी पानी का संग्रह किया जा रहा है। वर्षा के जल के संचयन को अभी और बढ़ावा मिलना चाहिए तभी हम जल-संकट से निपट सकेंगे।

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Question

कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

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Solution

राजस्थान में पानी के तीन रूप माने जाते हैं। पालरपानी, पातालपानी तथा रेजाणीपानी। इनके विषय में जानकारी इस प्रकार हैं-पालरपानी - यह पानी बरसात द्वारा प्राप्त होता है। इसे नदी, तालाब तथा धरती पर देखा जा सकता है।पातालपानी - यह पानी भूजल से मिलता है। इसके स्रोत कुएँ होते हैं। यह पीने में खारा होता है।रेजाणीपानी - यह ऐसा पानी होता है, जो वर्षा के माध्यम से धरती से नीचे चला जाता है लेकिन किन्हीं कारणों से भूजल में मिल नहीं पाता है। इसी को रेजापानी कहते हैं। यह नाम इसे वर्षा मापने की विधि से मिला है। इस विधि को 'रेजा' कहा जाता है। इससे धरती में समाए पानी को मापा जाता है।

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NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 2 राजस्थान की रजत बूँदें are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for राजस्थान की रजत बूँदें are extremely popular among Class 11 Humanities students for Hindi राजस्थान की रजत बूँदें Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 11 Humanities Hindi Chapter 2 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

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Question 1:

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

Answer:

छोटा कुआँ कुंई कहलाता है। इसे हम कुएँ का स्त्रीलिंग कह सकते हैं। इसकी गहराई और व्यास में अंतर होता है। कुएँ सौ-दो सौ हाथ तक खोदे जाते हैं जबकि कुंई को 60-65 हाथ नीचे तक खोदा जाता है। कुएँ का व्यास बहुत अधिक होता है। इसके विपरीत कुंईयों का व्यास बहुत ही कम होता है। इसके कम व्यास के कारण पानी को वाष्पित होने से रोका जाता है।

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Question 2:

दिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें?

Answer:

दिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ हमारी बहुत प्रकार से सहायता कर सकता है। इससे हमें पता चलता है कि प्रकृति ने पानी की रक्षा के लिए बहुत से उपाय किए हुए हैं। हमें आवश्यकता उन्हें जाने और समझने की है। अतः हमें प्रकृति के संसाधनों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमारे गाँव में बिखरे चेलवांजी जैसे विशेषज्ञों की सहायता लेने की आवश्यकता है। यह बात तो सत्य है कि हम यदि भारतवर्ष में ढूँढ़े तो हमें महत्वपूर्ण जानकारियाँ और विशेषज्ञ मिल सकते हैं। इन सबसे जानकारी एकत्र कर हम अपने देश के अन्य राज्यों में पानी की समस्या के लिए ठोस उपाय निकाल सकते हैं।
देश के अन्य राज्यों द्वारा इसके लिए निम्नलिखित उपाय हो रहे हैं-

(क) नदियों के जल का महत्व समझा रहा है और उनकी साफ-सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है। हर राज्य इस स्तर पर कार्य करने में लगा हुआ है। वाराणसी तथा हरिद्वार में गंगा की सफाई में ध्यान दिया जा रहा है।

(ख) प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाया जा रहा है तथा इनका जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

(ग) जल संरक्षण पर अब पुनः विचार हो रहा है। पुराने तरीकों की ओर प्रत्येक राज्य की सरकार का ध्यान गया हुआ है।

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Question 3:

चेजारों के साथ गाँव-समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताइए।

Answer:

जो लोग कुंई खोदते हैं, उन्हें चेजारे कहा जाता है। राजस्थान के गाँवों में चेजारों को विशेष स्थान प्राप्त था। कुंई खोदने के पश्चात उन्हें गाँव वालों द्वारा बहुत मान-सम्मान दिया जाता था। कुंई खोदने के पश्चात विशेष समारोह किया जाता था। चेजारों को बहुत सम्मान दिया जाता था। वर्षभर तक उन्हें प्रत्येक त्योहार में कुछ-न-कुछ भेंट दी जाती थी। यहाँ तक की फसल में उनका एक भाग भी निकालकर दिया जाता था। आज यह सब नहीं है। अब चेजारें को मज़दूरी देने का चलन आरंभ हो गया है। मात्र मज़दूरी देकर अपना काम करवा लिया जाता है।

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Question 4:

निजी होते हुए भी सार्वजनकि क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

Answer:

कुंइयों में पानी की मात्रा कम होती है। यह वर्षा का पानी वर्षभर नमी के रूप में धरती में सुरक्षित रहता है। अतः प्रत्येक घर अपनी कुंइयों का निर्माण करवाते हैं, तो इसका अर्थ होगा जो नमी है, उसका बँटवारा। यदि प्रत्येक व्यक्ति ही अनेक कुंइयाँ बनवाने लगे, तो यह बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। इससे नमी के हिस्सेदार बढ़ जाएँगे। बाद में झगड़े होने लगेंगे गाँव के लिए यह स्थिति सही नहीं है। अतः ग्राम्य समाज अंकुश लगाकर इस स्थिति को रोके रखता है। प्रत्येक व्यक्ति को एक या दो कुंइयाँ बनाने का अधिकार होता है। यदि वह और बनाना चाहता है, तो उसे ग्राम्य समाज की स्वीकृति लेनी पड़ती है। बिना उनकी स्वीकृति के कुंइयों का निर्माण करना असंभव है।

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Question 5:

कुंई  निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

Answer:

राजस्थान में पानी के तीन रूप माने जाते हैं। पालरपानी, पातालपानी तथा रेजाणीपानी। इनके विषय में जानकारी इस प्रकार हैं-
पालरपानी- यह पानी बरसात द्वारा प्राप्त होता है। इसे नदी, तालाब तथा धरती पर देखा जा सकता है।
पातालपानी- यह पानी भूजल से मिलता है। इसके स्रोत कुएँ होते हैं। यह पीने में खारा होता है।
रेजाणीपानी- यह ऐसा पानी होता है, जो वर्षा के माध्यम से धरती से नीचे चला जाता है लेकिन किन्हीं कारणों से भूजल में मिल नहीं पाता है। इसी को रेजापानी कहते हैं। यह नाम इसे वर्षा मापने की विधि से मिला है। इस विधि को रेजा कहा जाता है। इससे धरती में समाए पानी को मापा जाता है।

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पार्लर पानी और पतला पानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है?

पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी। पालरपानी- यह पानी का एक रूप है।

पालर पानी और पातालपानी के बीच का दूसरा रूप कौन सा है?

रेजाणीपानी पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है। यह धरातल से नीचे उतरता है, परंतु पाताल में नहीं मिलता। इस पानी को कुंई बनाकर ही प्राप्त किया जाता है। 'रेजा' शब्द का प्रयोग वर्षा की मात्रा नापने के लिए किया जाता है

पातालपानी के बीच का तीसरा रूप कौन सा है?

पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है, रेजाणीपानी । धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है। वर्षा की मात्रा नापने में भी इंच या सेंटीमीटर नहीं बल्कि रेजा शब्द का उपयोग होता है। और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को नापता है ।

पालरपानी पातालपानी तथा रेजाणीपानी से आप क्या समझते हैं?

पालरपानी- बरसाती पानी, वर्षा का जल जिसे इकट्ठा करके रख लिया जाता है और साफ़ करके प्रयोग में लाया जाता है। पातालपानी वह जल जो दो सौ हाथ नीचे पाताल में मिलता है। यह जल ज्यादातर खारा होता है। रेजाणीपानी-रेत के कणों की गहराई में खड़िया की पट्टी के ऊपर कुंई में रिस- रिसकर एकत्र होनेवाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है।