मुख्यपृष्ठI.P.Cअपराध का अर्थ , परिभाषा तथा अपराध के प्रकार एवं चरण (Concept of crime in hindi) इस लेख में हम बात करेंगे अपराध की चरणों की। कोई भी कार्य एकदम से अपराध नहीं होता उसके लिए, उस कार्य का कुछ चरणों से होकर गुजरना आवश्यक होता है। यह चरण ही अपराध का निर्माण करते हैं। Show सबसे पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि अपराध क्या है जिससे हम अपराध के चरण अच्छे से समझ सके। अपराध अपराध वह कार्य या कार्यों का समूह है जिससे राज्य की शांति भंग होती है या हिंसा उत्पन्न होती है या साधारण जन–जीवन दूषित होता है और जिसके लिए विधि में दंड की व्यवस्था की गई। अपराध राज्य के प्रति भी हो सकता है और व्यक्ति के विरुद्ध भी हो सकता है। अपराध की परिभाषाभारतीय दंड संहिता की धारा 40 में अपराध को परिभाषित किया गया है," जिसके अनुसार इस एक्ट में दिया गया कोई भी कार्य अपराध होगा।" किंतु अनेक विधिवेत्ताओं का यह मानना है कि अपराध की एक समुचित परिभाषा देना एक कठिन कार्य है क्योंकि इसका दायरा इतना व्यापक है जिसको एक परिभाषा में समझना संभव ही नहीं है अपराध के संबंध में कुछ विधिवेत्ताऔं की परिभाषा निम्नलिखित है– According to Blackstone ," अपराध एक ऐसा कृत्य या कृत्य का लोप है,जो सार्वजनिक विधि के उल्लंघन में किया गया हो।" According to Kenny ," अपराध उन अवैध कार्यों को कहते हैं जिन के बदले में दंड दिया जाता है और वह क्षम्य नहीं होते और यदि क्षम्य होते भी हैं तो राज्य के अन्य किसी को क्षमा प्रदान करने की अधिकारिता नहीं होती है।" दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2(n) में भी अपराध को परिभाषित किया गया है ,"जिसके अनुसार ऐसा कोई कार्य जो किसी भी विधि में दंडनीय है अपराध कहलाता है।" अपराध की उपयुक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि ऐसा कोई भी कार्य जो विधि के विरुद्ध है और जिसके लिए दंड संहिता में या अन्य किसी भी विधि में दंड की व्यवस्था की गई है अपराध कहलाता है। जानें कब गम्भीर अपराध करने पर भी जमानत मिल सकती है अपराध के प्रकारअपराध की प्रकृति के अनुसार अपराध दो प्रकार के होते हैं–
मुख्यतय भारतीय दंड संहिता में अपराध को तीन भागों में बांटा गया है–
अतः अपराध के बारे में उपर्युक्त जानकारी के बाद ,अब हम बात करेंगे अपराध के चरण की।
अपराध के चरण/स्तरजब कोई अपराध कारित होता है तब अनेक चरणों से होकर अपराध का रूप लेता है अपराध के मुख्य चार चरण होते हैं वह है –आशय ,तैयारी ,प्रयास और अपराध का निष्पादन इनके बारे में विस्तृत उल्लेख निम्नलिखित है– (1) आशय (Intention)–अपराध किए जाने की प्रथम अवस्था आशय है । प्रत्येक कार्य के पीछे व्यक्ति की भावनाएं निहित होती है , यह एक मानसिक अवस्था है , जिसके लिए दंड संहिता में कोई दंड उल्लेखित नहीं है। अर्थात आशय जब तक किसी व्यक्ति के मन में रहता है वह दंडनीय नहीं है । इसे दंड संहिता की धारा 34 में परिभाषित किया गया है। (2) तैयारी (Prepration)–यह अपराध कारित किए जाने की दितीय अवस्था है । इस चरण में व्यक्ति अपने आशय को पूर्ण करने के लिए कुछ तैयारी करता है ,जैसे हथियारों का इंतजाम करना आदि। Example– A एक व्यक्ति ,दूसरे व्यक्ति B के घर में चोरी छुपे घुसने का आशय करता है , और इसके लिए एक सीढ़ी का इंतजाम करता है । तो यहां A तब तक अपराध का दोषी नहीं माना जाएगा ,जब तक वह सीढ़ी का उपयोग करके B के घर में प्रवेश नहीं करता है। पढ़े:–भारत में प्रचलित दंड की व्यवस्था पर निबन्ध सामान्यतया दंड संहिता में तैयारी को दंडनीय नहीं माना गया है परंतु इसके कुछ अपवाद भी हैं जो निम्नलिखित हैं–
(3) प्रयत्न (Attempt)– अपराध कारित किए जाने का तीसरा चरण प्रयत्न है। प्रयत्न अपराध की महत्वपूर्ण अवस्था है क्योंकि इस अवस्था पर व्यक्ति को ना रोका जाए तो यह अपराध का रूप ले लेता है।
प्रयत्न को दंड संहिता में दंडनीय माना गया है। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 511 में प्रयत्न के बारे में बताया गया है। अपराध के प्रयत्न को दंड संहिता में दंडनीय बताया गया है। (4) अपराध का निष्पादन (Accomplishment)– अपराध का आखरी चरण है अपराध का निष्पादन । अपराध कारित करने के लिए व्यक्ति सबसे पहले उसका आशय या विचार करता है, फिर तैयारी करता है जो सामान्यतः दंडनीय नहीं है। इन दोनों चरणों के बाद व्यक्ति अपराध का प्रयत्न करता है और यदि प्रयत्न सफल हो जाता है, तो वह कार्य पूर्णअपराध का रूप ले लेता है और उसी प्रकार दण्डनीय होता है, जिस प्रकार उस अपराध के लिए दंड संहिता में विहित किया गया है। अवश्य पढ़े :– वर्तमान में महिलाओं की स्थिति पर गहराई से चर्चा अपराध क्या है अपराध के प्रकार की विवेचना?1. भारत में किस प्रकार के अपराध है? संज्ञेय अपराध सामान्यतः गंभीर होते है जिनमें पुलिस को तुरन्त कार्य करना होता है। असंज्ञेय अपराध की प्रकृति सामान्यतः निजी दोष (विवाह अथवा व्यक्तिगत प्रतिष्ठा अपराध) होती है अथवा अन्य अपराध जिनमें पुलिस का हस्तक्षेप वांछनीय नहीं हैं।
अपराध कितने प्रकार के होते हैं?✅भारतीय दंड संहिता के तहत संज्ञेय अपराधों के कुछ सामान्य उदाहरण हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या आदि हैं। 🛑4. असंज्ञेय अपराध: ✅संज्ञेय अपराधों के विपरीत, गैर-संज्ञेय अपराध वे होते हैं जिनके खिलाफ पुलिस प्रशासन को बिना वारंट के गिरफ्तारी के लिए निरंकुश अधिकार प्रदान नहीं किया जाता है।
अपराध से क्या समझते है?यह ऐसी क्रिया या क्रिया में त्रुटि है, जिसके लिये दोषी व्यक्ति को कानून द्वारा निर्धारित दंड दिया जाता है। अर्थात अपराध कानूनी नियमो कानूनों के उल्लंघन करने की नकारात्मक प्रक्रिया है जिससे समाज के तत्वों का विनाश होता है ।
भारत में अपराध को कितने भागों में बांटा गया है?भारत में होने वाले अपराधों को दो श्रेणियों में बांटा गया है. एक संज्ञेय अपराध और दूसरा असंज्ञेय अपराध.
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