क्या समाचार पत्र जनसंचार का माध्यम है? - kya samaachaar patr janasanchaar ka maadhyam hai?

आधुनिक जनसंचार के विभिन्न माध्यम पर निबंध | Essay on Mediums of Mass Communication | Hindi

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आधुनिक जनसंचार के विभिन्न माध्यम पर निबंध! Here is an essay on ‘Mediums of Mass Communication’ in Hindi language.

अपने विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेषित करने के लिए मनुष्य को संचार की आवश्यकता पड़ती है । संचार मौखिक एवं लिखित दोनों रूपों में हो सकता है । पहले मनुष्य आपस में बोल या इशारे से अपनी अभिव्यक्ति करता था ।

वैज्ञानिक प्रगति ने उसे संचार के अन्य साधन भी उपलब्ध करवाए । अब मनुष्य दुनिया के छोर पर मौजूद व्यक्ति से दुनिया के दूसरे छोर से वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से बात करने में सक्षम है । ये वैज्ञानिक उपकरण ही संचार के साधन कहलाते हैं ।

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टेलीफोन, रेडियो, समाचार-पत्र, टेलीविजन इत्यादि संचार के ऐसे ही साधन हैं टेलीफोन ऐसा माध्यम है, जिसकी सहायता से एक बार में कुछ ही व्यक्तियों से संचार किया जा सकता है, किन्तु संचार के कुछ साधन भी है, जिनकी सहायता से एक साथ कई व्यक्तियों से संचार किया जा सकता हे ।

जिन साधनों का प्रयोग कर एक बडी जनसंख्या तक विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेषित किया जाता है, उन्हें हम जनसंचार माध्यम कहते हैं । जनसंचार माध्यमों को कुल तीन वर्गों-मुद्रण माध्यम, इलेक्ट्रानिक माध्यम एवं नव-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में विभाजित किया जा सकता है । मुद्रण माध्यम के अन्तर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पैम्फलेट, पोस्टर, जर्नल पुस्तकें इत्यादि हैं ।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के अन्तर्गत रेडियो, टेलीविजन एवं फिल्में आती है और इण्टरनेट जनसंचार का नव-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है । इनमें से रेडियो, टेर्लाबि एवं इण्टरनेट वेब तरंगों के माध्यम से कार्य करते हैं । वर्तमान समय में वेब तरंगों की सहायता से सूचना का आदान-प्रदान करने में मोबाइल भी काफी सुगम व सशक्त साधन बन गया है ।

ऑर्थर सी क्लार्क ने कहा भी है- ”वेब तरंगों हेतु सीमाएं महत्व नहीं रखती और अन्तरिक्ष की ऊंचाइयों से तो राष्ट्रीय सीमाएँ स्वतः मिल जाती हैं । आने वाले कल का संसार सीमा बन्धन से मुक्त होगा ।”

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जनसंचार के इन साधनों के बारे में विस्तार से जानते हैं:

1. समाचार-पत्र:

मुद्रण माध्यम की शुरूआत गुटनबर्ग द्वारा 1454 ई. में मुद्रण मशीन के आविष्कार के साथ हुई थी । इसके बाद विश्व के अनेक देशों में समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ । आज समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएं विश्वभर में जनसंचार का एक प्रमुख एवं लोकप्रिय माध्यम बन चुके हैं ।

मैथ्यू अर्नाल्ड ने इसे फटाफट साहित्य का नाम दिया था । समाचार-पत्र कई प्रकार के होते हैं- त्रैमासिक, मासिक, साप्ताहिक एवं दैनिक । इस समय विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी दैनिक संचार-पत्रों की संख्या अन्य प्रकार के पत्रों से अधिक है ।

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भारत का पहला समाचार-पत्र अंग्रेजी भाषा मैं प्रकाशित ‘बंगाल गजट’ था । इसका प्रकाशन 1780 ई. में जेम्स ऑगस्टस हिकी ने शुरू किया था । कुछ वर्षों बाद अंग्रेजों ने इसके प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगा दिया । हिन्दी का पहला समाचार-पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ था । इस समय भारत में कई भाषाओं के लगभग तीस हजार से भी अधिक समाचार-पत्र प्रकाशित होते हैं ।

भारत में अंग्रेजी भाषा के प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र ‘द टाइम्स ऑफ इण्डिया’, ‘द हिन्दू’, ‘द हिन्दुस्तान टाइम्स’ इत्यादि हैं । हिन्दी के दैनिक समाचार-पत्रों में ‘दैनिक जागरण’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘हिन्दुस्तान’ ‘नवभारत टाइम्स’, ‘नई दुनिया’, ‘जनसत्ता’ इत्यादि प्रमुख हैं । समाचार-पत्र की उपयोगिता महात्मा गाँधी के इस कथन से भी उजागर होती है- ”समाचार-पत्र सच्चाई अथवा वास्तविकता को जानने के लिए पढ़ा जाना चाहिए ।”

2. रेडियो:

आधुनिक काल में रेडियो जनसंचार का एक प्रमुख साधन है विशेष रूप से दूरदराज के उन क्षेत्रों में जहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुँच पाई है या जिन क्षेत्रों के लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हैं ।  भारत में वर्ष 1923 में रेडियो के प्रसारण के प्रारम्भिक प्रयास और वर्ष 1927 में प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरूआत के बाद से अब तक इस क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हासिल की जा चुकी है और इसका सर्वोत्तम उदाहरण-एफ़एम रेडियो प्रसारण है ।

एफएम फ्रीक्वेंसी मॉड्‌यूल का संक्षिप्त रूप है । यह एक ऐसा रेडियो प्रसारण है, जिसमें आवृत्ति को प्रसारण ध्वनि के अनुसार मॉडयूल किया जाता है । भारत में इसकी शुरूआत 1990 के दशक में हुई था स्थानीय स्तर पर एफएम प्रसारण के लाभ को देखते हुए देश के कई विश्वविद्यालयों ने इसके माध्यम से अपने शैक्षिक प्रसारण के उद्देश्य से अपने-अपने एफएम प्रसारण चैनलों की शुरूआत की है ।

यही कारण है कि इससे न केवल आम जनता को लाभ पहुँचा है, बल्कि दूरस्थ एवं खुले विश्वविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण कर रहे लागों के लिए भी यह अति लाभप्रद सिद्ध हुआ है ।  आज एफ़एम प्रसारण दुनियाभर में रेडियो प्रसारण का पसन्दीदा माध्यम बन चुका है इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्तायुक्त स्टीरियोफोनिक आवाज की प्राप्ति भी है । शुरूआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज केवल 30% थी, किन्तु अब इसकी कवरेज बढ्‌कर 60% से अधिक तक जा पहुँची है ।

3. टेलीविजन:

टेलीविजन का आविष्कार वर्ष 1925 में जेएल बेयर्ड ने किया था । आजकल यह जनसंचार का प्रमुख साधन बन चुका है । पहले इस पर प्रसारित धारावाहिकों एवं सिनेमा के कारण यह लोकप्रिय था । बाद में कई न्यूज चैनलों की स्थापना के साथ ही यह जनसंचार का एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुँच करोडों लोगों तक हो गई ।  भारत में इसकी शुरूआत वर्ष 1959 में हुई थी । वर्तमान में आठ सौ से अधिक टेलीविजन चैनल चौबीसों घण्टे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित कर दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं ।

4. फिल्म:

फिल्म जनसंचार का एक सशक्त एवं लोकप्रिय माध्यम है । किसी भी अन्य माध्यम की अपेक्षा यह जनता को अधिक प्रभावित करने में सक्षम है । दादा साहेब फाल्के को भारतीय फिल्मों का पितामह कहा जाता है । हर वर्ष विश्व में दस हजार से अधिक फिल्मों का निर्माण होता है ।

अकेले भारत में हर वर्ष एक हजार से अधिक फिल्मों का निर्माण होता है । फिल्मों में समाज एवं देश का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया जाता है । फिल्मों का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, देशहित एवं समाज सुधार भी होता है ।

5. कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट:

इण्टरनेट जनसंचार का एक नवीन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है । इसका आविष्कार वर्ष 1969 में हुआ था । इसके बाद से अब तक इसमें काफी विकास हो चुका है । इण्टरनेट वह जिन्न है, जो व्यक्ति के सभी आदेशों का पालन करने को तैयार रहता है ।

विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराना हो किसी पर्यटन स्थल पर स्थित होटल का कोई कमरा बुक कराना हो किसी किताब का ऑर्डर देना हो अपने व्यापार को बढाने के लिए विज्ञापन देना हो अपने मित्रों से ऑनलाइन चैटिंग करनी हो डॉक्टरों से स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह लेनी हो या वकीलों से कानूनी सलाह लेनी हो; इण्टरनेट हर मर्ज की दवा है ।

इण्टरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को नए अवसर दिए है । सरकार अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबन्धन और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इण्टरनेट का उपयोग करती है । कुछ वर्ष पहले तक इण्टरनेट व्यापार और वाणिज्य में प्रभावी नहीं था, लेकिन आज सभी तरह के विपणन और व्यापारिक लेन-देन इसके माध्यम से सम्भव हैं ।

इण्टरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविजन के लगभग सभी चैनल भी मौजूद है । इण्टरनेट के माध्यम से आज शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा सकता है । विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जुड़कर किसी विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ।

कोई भी व्यक्ति अपनी संस्था तथा उसकी गतिविधियों, विशेषताओं आदि के बारे में इण्टरनेट पर अपना बेबपेज बना सकता है, जिसे करोड़ों लोग अपने इण्टरनेट पर देख सकते हैं । विश्वव्यापी वेब (www) वैश्विक पहुँच का सर्वोत्तम साधन सिद्ध हो रहा है ।

पहले ई-मेल के माध्यम से दस्तावेजों एवं छवियों का आदान-प्रदान ही किया जाता था, अब ऑनलाइन बातचीत का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है के माध्यम से हम किसी भी मुद्दे पर बहस कर सकते है । इण्टरनेट के माध्यम से मीडिया हाउस ध्वनि और दृश्य दोनों माध्यमों के द्वारा ताजातरीन खबरे और मौसम सम्बन्धी जानकारियाँ हम तक आसानी से पहुँचा रहे है ।

नेता हो या अभिनेता, विद्यार्थी हो या शिक्षक, पाठक हो या लेखक, वैज्ञानिक हो या चिन्तक सबके लिए इण्टरनेट समान रूप से उपयोगी साबित हो रहा है ।  उपरोक्त जनसंचार के माध्यमों के प्रमुख कार्य हैं-लोकमत का निर्माण, सूचनाओं का प्रसार, भ्रष्टाचार एवं घोटालों का पर्दाफाश तथा समाज की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करना ।

इन माध्यमों से लोगों को देश की प्रत्येक गतिविधि की जानकारी तो मिलती ही हे, साथ ही उनका मनोरंजन भी होता है । किसी भी देश में जनता का मार्गदर्शन करने के लिए निष्पक्ष एवं निर्भीक जनसंचार माध्यमों का होना आवश्यक है । ये देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की सही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं ।

चुनाव एवं अन्य परिस्थितियों में सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों से जन-साधारण को अवगत कराने की जिम्मेदारी भी जनसंचार माध्यमों को ही बहन करनी पड़ती है । ये सरकार एवं जनता के बीच एक सेतु का कार्य करते है इसे हम मीडिया भी कहते हैं ।

जनता की समस्याओं को इन माध्यमों से जन-जन तक पहुँचाया जाता है । विभिन्न प्रकार के अपराधों एवं घोटालों का पर्दाफाश कर ये देश एक समाज का भला करते हैं ।  इस तरह, ये आधुनिक समाज में लोकतन्त्र के प्रहरी का रूप ले चुके है, इसलिए इन्हें लोकतन्त्र के चतुर्थ स्तम्भ की संज्ञा दी गई है । आशा है आने वाले वर्षों में भारतीय मीडिया अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी के साथ निभाते हुए देश के विकास में और सहयोग करेगा ।

क्या समाचार पत्र जनसंचार माध्यम है?

जनसंचार के माध्यम: अखबार, रेडियो, टीवी, इंटरनेट, सिनेमा आदि.

जनसंचार के कितने माध्यम होते हैं?

जनसंचार के दो माध्यम है , परंपगत माध्यम और आधुनिक माध्यम

जनसंचार के साधन कौन कौन से हैं?

Solution : रेडियो, टेलिविजन, अखबार, पत्रिका, किताब और फिल्म जनसंचार के साधन हैं