आवेश क्या है इसके प्रकार लिखिए? - aavesh kya hai isake prakaar likhie?

किसी पदार्थ का वह गुण जिसके कारण उसमें विद्युत तथा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होते हैं विद्युत आवेश कहलाता है इसे q से प्रदर्शित करते हैं। यह एक अदिश राशि है।

  q = ne

जहाँ, n = पदार्थ में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, e = इलेक्ट्रॉन पर आवेश (1.6*10-19 कूलाम) होता है।

इसके दो प्रकार होते है |

  1. धनात्मक आवेश ( Positive Charge )
  2. ऋणात्मक आवेश ( Negative Charge )

काँच की छड़ अथवा बिल्ली के समूर पर आवेश धनात्मक कहलाता है तथा प्लास्टिक-छड़ अथवा रेशम पर आवेश ऋणात्मक कहलाता है। जब किसी वस्तु पर कोई आवेश होता है तो वह वस्तु विद्युन्मय अथवा आवेशित (आविष्ट) कही जाती है। जब उस पर कोई आवेश नहीं होता तब उसे अनावेशित कहते हैं।

इस लेख में हम विद्युत आवेश (Electric charge) के बारे में पढ़ेंगे। यहाँ इस टॉपिक से सबंधित विभिन जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे विद्युत आवेश किसे कहते हैं? विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है, SI मात्रक, गुण, सूत्र Electric charge in hindi

अनुक्रम

  • विद्युत आवेश से क्या तात्पर्य(अर्थ) है?
  • विद्युत आवेश की उत्पति का इतिहास (Electric Charge in Hindi)
  • विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है :-
  • आवेश के प्रकार (Types of Charges)
  • विद्युत आवेश के मूलभूत गुण(Properties of Electric Charge In Hindi):-
  • आवेशन करने की विधियाँ (Methods of Charging)
  • विद्युत आवेश से सम्बंधित अन्य लेख :-
  • Faq

विद्युत आवेश से क्या तात्पर्य(अर्थ) है?

हमारा यह सामान्य अनुभव है कि जब किसी शुष्क दिन एक प्लास्टिक के स्केल या कंधे को सूखे बालो से रगड़कर मेज पर पड़े छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों के पास लाते है तब कागज के टुकड़े स्केल अथवा कंघे की और आकर्षित होते हैं। इस प्रकार दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर उनमें कभी-कभी ऐसा गुण आ जाता है जिससे वे अपने समीप स्थित हल्की वस्तुओं को आकर्षित करने लगती है। यह विद्युत आवेश के उत्पन्न होने के कारण होता है।

विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है जो विद्युतचुम्बकत्व का महत्व है। आवेशित पदार्थ को विद्युत क्षेत्र का असर पड़ता है और वह ख़ुद एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत हो सकता है।

आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है।

आवेश को ऋणआत्मक तथा धनात्मक को बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बताया था

Solution : आवेश: कुछ मौलिक कणों का एक अकाट्य गुण है जिसके कारण आवेशित कण आपस में बल लगाते हैं। अगर उन द्वारा एकोनाइट की छड़ को रगड़ा जाता है तो उन पर धन आवेश और एवोनाइट के छड़ पर ऋण आवेश मुक्त होता है। आवेश दो प्रकार के होते हैं-धन आवेश तथा ऋण आवेश

परिभाषा: जब कोई भी पदार्थ अपने सामान्य व्यवहार से अलग व्यवहार प्रदर्शित करने लग जाता है। अर्थात उसके कारण विद्युत क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है। पदार्थ के इस गुण को विद्युत आवेश कहते हैं।

अक्सर हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि जब कोई प्लास्टिक के स्केल को हम अपने सिर के बालों से रगड़ते है। तो रगड़ने के पश्चात हम उसको छोटे-छोटे कागज के टुकड़ों में पास लाते हैं। तो वह स्केल कागज के टुकड़ों को अपनी और आकर्षित करता है। कागज के टुकड़ों को अपने से चपे लेता है। तो यह घटना विद्युत आवेश के कारण होती है।

विद्युत आवेश के अन्य उदाहरण हमारे दैनिक जीवन में होते हैं। जैसे अंधेरे में टेरीकॉट के कपड़े को अपने शरीर से उतारते हैं तो उसमें बिजली की तरह चमक उत्पन्न होती है। यह सब घटनाएं विद्युत आवेश के कारण होती है।

विद्युतमय पदार्थ हो आवेशित पदार्थ भी कहा जाता है।

आवेश एक अदिश राशि है।

यह Q से प्रदर्शित करते हैं।

आवेश का SI मात्रक क्या है?

आवेश का SI मात्रक :- आवेश का SI मात्रक कूलाम है।

CGS मात्रक = स्टेट कुलाम या फ्रेंकलाइन [1 कुलाम = 3 x 10⁹ स्टेट कूलाम ]

1 कुलाम आवेश = 3 x 10⁹ esu आवेश = 1/10 emu आवेश = 1/10 ऐब कुलाम

esu = स्थिर वैद्युत इकाई

emu = विद्युत चुम्बकी इकाई

आवेश कितने प्रकार के होते हैं?

आवेश के प्रकार :- आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

  1. धन आवेश
  2. ऋण आवेश

जब कोई दो वस्तुओं को आपस में रगड़ते हैं तो एक में ऋण आवेश तथा दूसरी में धन आवेश उत्पन्न होता है अर्थात दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।

उदाहरण- यदि काँच को रेशम के साथ रगड़ा जाय तो काँच में धन आवेश उत्पन्न होता है, लेकिन यदि काँच को रोआँ से रगडा जाय तो काँच में ऋण आवेश उत्पन्न होगा।

सजातीय आवेशों में प्रतिकर्षण होता है अर्थात धन आवेशित वस्तुएँ एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है। और ऋण आवेशित वस्तुएँ भी एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है। विजातीय आवेशों में आकर्षण होता है अर्थात एक धन आवेशित वस्तु और एक ऋण आवेशित वस्तु में आकर्षण होता है।

types of charge in hindi आवेश के प्रकार :आवेश कितने प्रकार का होता है यह समझने के लिए पहले निचे दिए गए प्रयोग को ठीक से समझे।

आवेश का प्रायोगिक सत्यापन (experiment on charge) : 

सर्वप्रथम हम दो कांच की छड़ लेते है दोनों छड़ो को रेशम (silk) के कपडे के रगड़कर चित्रानुसार एक दूसरे के पास ले जाते है तो ये एक दूसरे से दूर जाने का प्रयास करती है अर्थात एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है।

ठीक इसी प्रकार जब एबोनाइट की दो छड़ों को बिल्ली की खाल से रगड़कर एक दूसरे के पास लाते है तो ये भी एक दूसरे से दूर जानें का प्रयास करते है दूसरे शब्दों में कहे तो प्रतिकर्षित करते है।

लेकिन जब कांच की छड़ को रेशम के कपडे से रगड़कर तथा अन्य एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़कर एक दूसरे के पास लाते है तो वे एक दूसरे के पास आने का प्रयास करती है अर्थात आकर्षित करती है।

आवेश क्या है इसके प्रकार लिखिए? - aavesh kya hai isake prakaar likhie?
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निम्न प्रयोग से यह स्पष्ट हुआ की प्रथम दशा में जब कांच की दो छड़ों को रेशम के कपडे से रगड़ा गया था उन दोनों छडो पर समान प्रकृति का आवेश उपस्थित था अतः हम यह कह सकते है की समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है।

ठीक इसी प्रकार दो एबोनाइट की छड़ो को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है तो उन दोनों पर भी समान आवेश उपस्थित रहता है और इसलिए वे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है।

लेकिन जब एक काँच की छड़ को रेशम से रगड़कर तथा एक एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है तो उन दोनों छड़ों पर विपरीत प्रकृति का आवेश उपस्थित होने के कारण वे एक दूसरे को आकर्षित करती है अतः विपरीत प्रकृति के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते है।

अतः हम कह सकते है की आवेश दो प्रकार का होता है , बेंजामिन फ्रेंकलिन ने इन दोनों आवेशों को धनात्मक आवेश तथा ऋणात्मक आवेश नाम दिया।

प्रयोगों द्वारा फ्रेंकलिन ने जब कांच की छड़ को रेशम के कपडे से रगड़ा इससे कांच की छड़ पर जो आवेश उत्पन्न हुआ उसे धनात्मक आवेश बताया।

इसी प्रकार फ्रेंकलिन ने एबोनाइट की छड़ को जब बिल्ली की खाल से रगड़ा जिससे एबोनाइट की छड़ पर जो आवेश उत्पन्न हुआ उसे ऋणात्मक आवेश कहा।

अतः कह सकते है की धनात्मक -धनात्मक आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है , ठीक इसी प्रकार ऋणात्मक – ऋणात्मक आवेश (समान प्रकृति) भी एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है लेकिन धनात्मक – ऋणात्मक आवेश (विपरीत प्रकृति के आवेश) एक दूसरे को आकर्षित करते है।

पदार्थ का धनावेशित या ऋणावेशित होने का कारण (reason of positive and negative charge things):

हम सभी जानते है की प्रत्येक द्रव्य (पदार्थ) परमाणुओं से मिलकर बना होता है तथा परमाणु नाभिक व इलेक्ट्रॉन (-) से मिलकर बना होता है।

परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन (+) तथा न्यूट्रॉन (0) से मिलकर बना होता है।

प्रोटॉन धनावेशित , इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित तथा न्यूट्रॉन उदासीन होता है।

आवेश क्या है इसके प्रकार लिखिए? - aavesh kya hai isake prakaar likhie?

सामान्य अवस्था में परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है अर्थात ऋणावेश तथा धनावेश बराबर मात्रा में होते है जिससे परमाणु या द्रव्य उदासीन (अनावेशित) अवस्था में होता है।

यदि किसी प्रयोग द्वारा द्रव्य इलेक्ट्रॉन त्याग देता है तो उस पर प्रोटॉन (+) की संख्या अधिक हो जाती है जिससे पदार्थ धनावेशित हो जाता है।

ठीक इसी प्रकार यदि पदार्थ इलेक्ट्रॉन (-) ग्रहण कर लेता है तो इस पर ऋणावेश अधिक हो जाता है तथा वस्तु ऋणावेशित होती है।

जब कांच की छड़ को रेशम से रगड़ा गया तो कांच की छड़ रेशम के कपडे को इलेक्ट्रॉन त्याग देती है अतः धनावेशित हो जाती है ठीक इसी प्रकार एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल से रगड़ा गया तो एबोनाइट की छड़ इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेती है अतः यह ऋणावेशित हो जाती है।

आवेश क्या है आवेश कितने प्रकार के होते हैं?

Solution : आवेश दो प्रकार के होते हैं इन्हें धनात्मक आवेश एवं ऋणात्मक आवेश के नाम से जाना जाता है।

आवेश के तीन प्रकार कौन कौन से हैं?

प्रोटॉन धनावेशित , इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित तथा न्यूट्रॉन उदासीन होता है।

आवेश की परिभाषा क्या होगी?

आवेश की परिभाषा क्या है? आवेश किसी पदार्थ का एक गुण है जिसकी उपस्तिथि में किसी अन्य आवेश द्वारा यह पदार्थ एक बल अनुभव करता है | सरल शब्दों मे आवेश एक भौतिक राशि है जिसमे विदुयुत के लक्षण दिखाई देते है या स्वयं पदार्थ विदुयत मान हो जाते है.

विद्युत आवेश किसे कहते हैं इसका मात्रक क्या है?

आवेश का मात्रक (unit of charge) : विद्युत धारा को S.I (system international) (अंतर्राष्ट्रीय पद्धति) में मूल राशि के रूप में माना जाता है तथा विधुत धारा का मात्रक एम्पियर (A) होता हैंआवेश का S.I पद्धति में मात्रक कूलम्ब (Coulomb) (कूलॉम) होता है।